Rajasthan

Dausa

CC/103/2014

Sanu Kumar Meena - Complainant(s)

Versus

UCO Bank - Opp.Party(s)

Vishwapriya Nagar

27 Nov 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,दौसा(राजस्थान)
पीठासीन अधिकारीः- डाॅं0 बृजमोहन बंसल, अध्यक्ष                                                                                                                   
श्रीमति षोभना गुर्जर, सदस्या
श्री रमेश चन्द्र रैगर, सदस्य
परिवाद सं0 103/14
(तारीख दायरा 26.03.2014)

सानू कुमार मीणा पुत्र स्व0 श्री मोहनलाल जाति-मीणा
निवासी- खेरपुर तहसील बसवा जिला दौसा।
परिवादी
विरूद्ध
1.यू.को बैंक शाखा मानपुर ग्राम मानपुर, तहसील सिकराय,
ज्रिये शाखा प्रबन्धक यू.को. बैंक शाखा मानपुर।
2.किषोरी लाल मीणा वर्तमान शाखा प्रबन्धक यू.को. बैंक शाखा मानपुर।
विपक्षीगण
परिवाद अन्तर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986
उपस्थितः-
श्री अविनाष नागर अधिवक्ता- परिवादी
श्री राजेन्द्र कुमार जैन,श्री गौरव जैन अधिवक्ता- विपक्षी एक

निर्णय           दिनांकः-27.11.2014
1.परिवादी सानू कुमार मीणा ने अन्तर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम यह परिवाद प्रस्तुत कर अभिकथन किया है कि परिवादी के पिता अध्यापक थे और उनका देहान्त 12.06.1996 को हो गया और प्रार्थी की माता का देहान्त भी उसी समय हो गया। उस समय प्रार्थी की आयु ढ़ाई वर्ष होकर नाबालिग थी।
2.राजस्थान सरकार ने प्रार्थी को 396/- रूपये मासिक फैमिली पेंषन भी तारीख 13.06.1996 से स्वीकार फरमाई। चूंकि परिवादी उस समय नाबालिग था। अतः जिला जज महोदय दौसा ने दिनांक 31.03.1997 को परिवादी के बाबा रामफूल को उसका विधिक संरक्षक नियुक्त किया।
3.परिवाद के अनुसार परिवादी की ओर से उसके बाबा रामफूल मीणा ने यूको बैंक शाखा मानपुर में बचत खाता खुलवाया जिसका नम्बर 05710100902443 है। इस बचत खाते में दिनांक 13.06.1996 से ही निरन्तर अब तक प्रार्थी की फैमिली पैंषन राषि जमा होती आई है तथा इस खाते में दिनांक 25.02.2014 को जमाषुदा राषि का बैलेन्स 6,66,367/- रूपये है। इसके अतिरिक्त दिनांक 03.10.1996 को प्रार्थी की ओर से 48,900/- रूपये जमा करवाकर यूको बैंक शाखा मानपुर से कुबेर योजना डिपोजिट स्कीम के तहत एफ.डी.आर. बनवाई तथा जिसकी परिपक्वता दिनांक 03.06.2010 हैं तथा परिपक्वता पर देय राषि 1,75,756/- रूपये है। इसके पष्चात उक्त एफ.डी.आर. को दिनांक 17.10.2014 तक के लिए रिन्यू कराया गया तथा इस तारीख को परिपक्वता राषि 3,34,229/- रूपये है। उक्त खाता राषि इस एफ.डी.आर. पर यह स्पष्ट अंकित हैं कि परिवादी जब भी बालिग हो जावेगा तब वह स्वयं प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
4.परिवाद के अनुसार परिवादी के माध्यमिक षिक्षा बोर्ड के प्रमाण-पत्र के अनुसार उसकी जन्म दिनांक 24.07.1994 है, तदानुसार प्रार्थी दिनांक 24.07.2012 को ही 18 वर्ष आयु पूरी कर बालिग हो चुका है और अप्रार्थीगण से अपने बचत बैंक खाते में जमा राषि व एफ.डी.आर. की परिपक्वता राषि प्राप्त करने का अधिकारी है। इसके अतिरिक्त न्यायालय द्वारा नियुक्त विधिक संरक्षक जो परिवादी के बाबा रामफूल थे, उनका भी दिनांक 20.11.2004 को देहान्त हो गया है। अतः परिवादी बालिग होने के कारण उक्त रकम को वह अप्रार्थीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी ने अप्रार्थीगण के यहां उक्त बचत खाता व एफ.डी.आर. की राषि को प्राप्त करने के लिए निवेदन किया, लेकिन अप्रार्थीगण भुगतान नहीं कर रहा है। अतः निवेदन किया गया हैं कि वे अप्रार्थीगण को आदेष फरमाया जावें कि वे परिवादी की एफ.डी.आर. संख्या 626695 में जमाषुदा सम्पूर्ण रकम तथा परिवादी के बचत खाता संख्या 05710100902443 में समस्त जमाषुदा राषि ब्याज सहित परिवादी को लौटाई जावें तथा हर्जा व खर्चा दिलाया जावे।
5.अप्रार्थीगण की ओर से उक्त परिवाद का यह जवाब प्रस्तुत किया गया हैं कि परिवादी ने यूको बैंक के पंजीकृत कार्यालय 10, विप्लवी त्रैलोक्य महाराज सरणी, कोलकाता जो विधिक व्यक्ति थे उसको पक्षकार नहीं बनाया हैं जिसके अंभाव में हस्तगत प्रकरण चलने योग्य नहीं है। इसी प्रकार किषोरीलाल मीणा अनावष्यक पक्षकार हैं क्योंकि उसके व परिवादी के मध्य कोई संविदा निष्पादित नहीं हुई है। अतः परिवाद-पत्र खारिज फरमाया जावें।
6.जवाब के अनुसार परिवादी को मासिक फैमिली पैंषन 396/- रूपये मिलना स्वीकार हैं तथा परिवादी के बाबा रामफूल को माननीय जिला एवं सैषन न्यायाधीष महोदय दौसा के आदेष दिनांक 31.03.1997 द्वारा परिवादी को विधिक संरक्षक नियुक्त किया गया था। इस आदेष के अनुसार परिवादी को यह फैमिली पैंषन 21 वर्ष की आयु तक या सेवा में लगने तक, जो भी पहले हो मिलती रहेगी तथा यह राषि उप कोषधिकारी, बसवा द्वारा विधिक अभिभावक के माध्यम से दी जावेगी। जिसको प्राप्त करने के लिए परिवादी के बाबा रामफूल द्वारा न्यायालय जिला एवं सैषन न्यायाधीष महोदय, दौसा के जरिए अधिवक्ता श्री विष्व प्रिय नागर, धारा 7 व 10 गार्जीयन एण्ड वार्ड्स एक्ट के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया था, जिसमें परिवादी के बाबा रामफूल को विधिक अभिभावक नियुक्त किया गया। न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट आदेष दिया गया हैं कि परिवादी 21 वर्ष की आयु तक या सेवा में लगने तक जो भी पहले हो फैमिली पैंषन राषि विधिक अभिभावक के मार्फत ही प्राप्त कर सकेगा, स्वयं परिवादी प्राप्त नहीं कर सकेगा। जवाब के अनुसार रामफूल की मृत्यु दिनांक 20.11.2004 को हो चुकी है तथा परिवादी नाबालिग है, के कल्याण व हितार्थ दिनांक 20.11.2004 से आज तक किसी अन्य को परिवादी का गार्जीयन न्यायालय से नियुक्त करवाकर सूचित नहीं किया हैं और न ही परिवाद में बताया गया है।
7.जवाब के अनुसार परिवाद में दर्ज कथित एफ.डी.आर. परिपक्वता राषि 3,34,229/- दिनांक 17.10.2014 होना स्वीकार किया गया है और लिखा गया हैं कि परिवादी एफ.डी.आर. को प्रस्तुत कर कभी-भी भुगतान ले सकता है तथा इस बाबत परिवादी को जरिये रजिस्टर्ड पत्र दिनांक 14.03.2014 सूचित कर दिया गया है।
8.जवाब के अनुसार जहां विधिक अभिभावक नियुक्त किया जाता हैं वहां 21 वर्ष तक की उम्र पूरी करने से पूर्व वह नाबालिग ही होता है। वह इसी अनुसार परिवादी के पिता के मरने के कारण 21 वर्ष तक फैमिली पैंषन मिलने का आदेष सरकार द्वारा दिया गया हैं व पैंषन दी जा रही है। इसलिए परिवादी 21 वर्ष तक स्वयं के जरिए राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं माना जा सकता हैं, केवल न्यायालय द्वारा नियुक्त वली ही विधिक आवष्यकता अनुसार राषि आहरित कर सकता है। परिवादी स्वयं राषि आहरण करने का कानूनन अधिकारी नहीं है। अतः रामफूल की मृत्यु हो जाने के कारण परिवादी दूसरा विधिक संरक्षक न्यायालय द्वारा नियुक्त करवाकर ही राषि प्राप्त कर सकता हैं। अतः निवेदन किया गया हैं कि परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त फरमाया जावे।  
9.परिवाद-पत्र के समर्थन में स्वयं परिवादी सानू कुमार मीणा ने अपना तथा लखन लाल मीणा, शंकर लाल जोगी के शपथ-पत्र प्रस्तुत किये है तथा विपक्षीगण की ओर से श्री के.एल. मीना शाखा प्रबन्धक यूको बैंक शाखा मानपुर ने अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है।
10.हमने दोनों पक्षों की बहस को सुना पत्रावली का अवलोकन किया जिस पर हमारा निर्णय निम्न प्रकार से हैंः-
(1)यह तथ्य निर्विवादित हैं कि परिवादी के पिता श्री मोहन लाल राजस्थान राज्य सरकार में अध्यापक थे, जिन की मृत्यु दिनांक 12.06.1996 को हो गई थी तथा उनकी माता का देहान्त भी हो गया था। अतः राज्य सरकार के पैंषन बेलफेयर से दिनांक 01.01.1997 को यह आदेष दिया गया कि परिवादी को 396/- रूपये व डी.आर. परिवादी (सानू को) प्रतिमाह फैमिली पैन्षन दिया जायेगा जो 21 वर्ष तक की उम्र तक अथवा सेवा में लगने तक, जो भी पहले हो दिया जावेगा।
(2)यह तथ्य निर्विवादित हैं कि माननीय जिला एवं सैषन न्यायाधीष महोदय, दौसा द्वारा दिनांक 31.03.1997 को परिवादी के बाबा रामफूल को उपरोक्त फैमिली पैंषन लेने आदि के लिए अभिभावक एवं संरक्षक अधिनियम 1890 की धारा 07 व 10 के अन्तर्गत विधिक अभिभावक नियुक्त किया गया था।
(3)यह तथ्य भी निर्विवादित हैं कि उक्त रकम को आहरित करने के लिए परिवादी के नाम से परिवादी के बाबा रामफूल मीणा ने यूको बैंक शाखा मानपुर में एक खाता संख्या 05710100902443 खुलवाया, जिसमें परिवादी की पैंषन राषि आज तक जमा होती रही है और अभी-भी जमा है, जिसको प्रार्थी क्लेम करना चाहता है।
(4)यह तथ्य भी निर्विवादित हैं कि परिवादी की ओर से दिनांक 03.10.1996 को 48,900/- रूपये उक्त यूको बैंक शाखा मानुपर कुबेर योजना डिपोजिट स्कीम के तहत एफ.डी.आर. बनवाई गई, जिसकी परिपक्वता राषि दिनांक 17.10.2014 को 3,34,229/- रूपये है, जिसको अप्रार्थीगण परिवादी को देने के लिए राजी है।
(5)यह तथ्य निर्विवादित हैं कि परिवादी का विधिक अभिभावक जो न्यायालय द्वारा रामफूल को नियुक्त किया था, उसका देहान्त दिनांक 20.11.2004 को हो गया है।
(6)यह तथ्य भी निर्विवादित हैं कि परिवादी की जन्म तिथि 24.07.1994 हैं और परिवादी हिन्दू अव्यस्कता और संरक्षकता अधिनियम 1956 की धारा 4 ;।द्ध के अनुसार 18 वर्ष की आयु पूर्ण होकर बालिग हो चुका हैं
11.यद्यपि हम विद्वान अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थीगण के इस तर्क से सहमत हैं कि श्रीमान जिला एवं सैषन न्यायाधीष महोदय, दौसा द्वारा रामफूल को विधिक संरक्षक नियुक्त किया गया था और न्यायालय ने जो अभिभावक एवं संरक्षक अधिनियम 1890 के अन्तर्गत रामफूल को जो विधिक संरक्षक नियुक्त किया था उसके अनुसार परिवादी की व्यस्कता आयु 21 वर्ष मानी जानी थी परन्तु रामफूल जीवित रहता तो परिवादी जरिये रामफूल ही 21 वर्ष तक की उम्र पूरी होने के पष्चात् ही उक्त बैंक में जमाषुदा राषियों को प्राप्त कर सकता था, किन्तु जैसे ही रामफूल का देहान्त हो गया माननीय जिला एवं सैषन न्यायाधीष दौसा का उक्त निर्णय परिवादी के बाबत रामफूल का विधिक संरक्षक बाबत आदेष समाप्त हो गया। अब परिवादी पुनः अपना विधिक संरक्षक नियुक्त करवाये, न तो यह कानूनन आवष्यक है और ना ही अपरिहार्य हैं। क्योंकि हिन्दू अव्यस्कता एवं संरक्षकता अधिनियम 1956 की धारा 4 ;।द्ध के अनुसार परिवादी वयस्क हो चुका है। अतः वयस्क व्यक्ति के लिए संरक्षक नियुक्त करवाना किसी भी प्रकार से कानूनन आवष्यक नहीं है। अतः परिवादी उसकी जो भी डिपोजिट व फैमिली पैंषन अप्रार्थीगण बैंक में जमा है उसे प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेष
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता हैं तथा अप्रार्थीगण को आदेष दिया जाता हैं कि अप्रार्थीगण परिवादी को नियमानुसार उसके बचत खाता संख्या 05710100902443 में जमाषुदा समस्त राषि नियमानुसार ब्याज सेे जोड़कर अदा करें तथा उसका ए.टी.एम. भी चालू करें। साथ ही उसकी एफ.डी.आर. संख्या 626695 में जमाषुदा सम्पूर्ण राषि नियमानुसार मय ब्याज के अदा करें। पक्षकारान् हर्जा-खर्चा स्वयं अपना-अपना वहन करेंगे।   
 
(षोभना गुर्जर)(रमेष चन्द्र रैगर)(डाॅ0 बृजमोहन बंसल)
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उप0 विवाद जिला उप0 विवाद जिला उप0 विवाद
प्रतितोष मंच,दौसा प्रतितोष मंच,दौसा प्रतितोष मंच,दौसा
12.आदेष आज दिनांक 27.11.2014 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
(षोभना गुर्जर)(रमेष चन्द्र रैगर)(डाॅ0 बृजमोहन बंसल)
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उप0 विवाद जिला उप0 विवाद जिला उप0 विवाद
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