Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/1608

Gaurav Sharma - Complainant(s)

Versus

Uco Bank - Opp.Party(s)

S B Srivastava

20 Aug 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/1608
( Date of Filing : 20 Jul 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Gaurav Sharma
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Uco Bank
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 20 Aug 2018
Final Order / Judgement

सुरक्षित

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या :1608/2012

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-172/2009 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26-04-2012 के विरूद्ध)

Gaurav Sharma, Om Sai Vihar, 57-D/1A, 2nd Floor, Falt No.5, Nehru Nagar, Meerapur, Allahabad.

                                                   ...अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

UCO Bank, Through its Branch Manager, Civil Lines, Allahabad.                                                                

                                                 ..........प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-          श्री संजीव बहादुर श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-            कोई नहीं।

समक्ष  :-

  1. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता,              पीठासीन सदस्‍य।
  2. मा0 श्री महेश चन्‍द,                    सदस्‍य

दिनांक :  27-12-2018

मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित निर्णय

परिवाद संख्‍या-172/2009 गौरव शर्मा बनाम् ब्रांच मैनेजर, यूको बैंक में जिला उपभोक्‍ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनां‍क 26-04-2012 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

इस प्रकरण में विवाद के संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है परिवादी ने आस्‍ट्रेलिया में पढ़ने हेतु विपक्षी के यहॉं शिक्षा ऋण के लिए वर्ष 2008 में आवेदन किया। पढ़ाई की फीस रू0 24,00,000/- थी। उपरोक्‍त ऋण लेने हेतु परिवादी ने एन0ई0सी0 हेतु विपक्षी के यहॉं 19-08-2008 को रू0 3,000/- जमा किया। एच0आर0डी0 मिनिष्‍ट्री बैंकों के मार्फत उच्‍च शिक्षा हेतु मेधावी छात्रों को ऋण

 

2

दिया जाता है। परिवादी ने रू0 2000/- विपक्षी के यहॉं चेक के माध्‍यम से और जमा किया।  परिवादी ने यूनिवर्सिटी आफ बरमिंगम को पत्र भी विपक्षी को दिखाया और परिवादी ने गारण्‍टी के तौर पर अपने पिता की जमीन का कागज विपक्षी के यहॉं बन्‍धक रखा तथा रू0 15,00,000/- के ऋण की मांग की गयी। इस तरह  परिवादी ने समस्‍त औपचारिकताऍं पूरी कर ली थी फिर भी विपक्षी द्वारा ऋण नहीं दिया गया जिससे परिवादी को काफी कष्‍ट हुआ। जो कि विपक्षी के स्‍तर पर सेवा में कमी है। इसलिए परिवादी ने परिवाद संख्‍या-172/2009 जिला फोरम, प्रथम, इलाहाबाद के समक्ष योजित करते हुए रू0 5,000/- जमा की गयी धनराशि मय ब्‍याज सहित दिलाये जाने तथा मूल रूप से रजिस्‍ट्री निर्णय व खतौनी की प्रति रू0 18,00,000/- क्षतिपूर्ति एवं रू0 5,500/- वाद व्‍यय दिलाया जाए।

विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया और कथन किया गया कि एन0ई0सी0 हेतु जो शुल्‍क दिया जाता है वह वापस नहीं किया जाता है जैसा कि स्‍वत: परिवादी ने अण्‍डर टेकिग दिया है। इसके साथ ही परिवादी द्वारा जमा किये गये कागजात उसे वापस कर दिये गये थे। परिवादी ने ऋण लेने हेतु वर्ष 2007 में सम्‍पर्क किया था और प्रतिभूति हेतु कागज दिया था, जॉंच करने पर कागजात फर्जी पाये गये। परिवादी ने शिक्षा ऋण हेतु रू0 3,000/- तथा रू0 2000/- एन0ई0सी0 के लिए जमा किये थे और वर्ष 2008 जनवरी में उक्‍त औपचारिकताऍं पूरी कर ली थी लेकिन उसके बाद परिवादीने बैंक से सम्‍पर्क नहीं किया। परिवादी ने वर्ष 2009 में बरमिंघम सिटी यूनिवर्सिटी यू0के0 में एम0बी0ए0 कोर्स हेतु रू0 15,00,000/- का ऋण मांगा था। जिसके संबंध में परिवादी से कुछ जानकारी चाही गयी थी जिसका परिवादी कोई संतोषजनक उत्‍तर नहीं दे पाया। विपक्षी की ओर से कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है।

विद्धान जिला फोरम ने उभयपक्षों को विस्‍तारपूर्वक सुनकर और उनके द्धारा प्रस्‍तुत किये गये साक्ष्‍यों का परिशीलन करने के बाद निम्‍नलिखित आदेश पारित किया गया है :-

‘’परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत यह परिवाद अंशत: आज्ञप्‍त किया जाता है। विपक्षी को यह निर्देश दिया जाता है कि इस आदेश के 02 माह के अन्‍तर्गत बन्‍धक

 

3

सम्‍बन्‍धी कागजात खतौनी, मूल बैनामा व 08-01-2008 के निर्णय की प्रति वापस करे। परिवादी विपक्षी से रू0 1000/- वाद व्‍यय भी प्राप्‍त करने का अधिकारी है।‘’

उपरोक्‍त आक्षेपित आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री संजीव बहादुर श्रीवास्‍तव उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

पीठ द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना गया तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

पत्रावली के अवलोकन से यह तथ्‍य स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/परिवादी ने उच्‍च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण स्‍वीकृति हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक से आवेदन किया था। उसके लिए उसने आवश्‍यक औपचारिकताऍं भी पूर्ण की थी तथा निर्धारित शुल्‍क यथा बंधक रखी जाने वाली सम्‍पत्ति के मूल्‍यांकन हेतु रू0 3000/- तथा उसका एन0ई0सी0 प्राप्‍त करने हेतु रू0 2000/- भी जमा किये। चूंकि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-2(1)(डी) के अन्‍तर्गत ऋण प्रदान किया जाना एक सेवा है तथा धारा-2(1)(डी) के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी बैंक एक सेवाप्रदाता तथा अपीलार्थी/परिवादी उपभोक्‍ता है। अत: यह प्रकरण उपभोक्‍ता फोरम में पोषणीय है।

बैंक द्वारा कोई ऋण्‍ पूर्णत: संतुष्ट होने के बाद ही स्‍वीकृत किया जाता है। इस प्रकरण में बैंक ने जॉंच में यह पाया कि आवेदन/अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दिये गये कुछ अभिलेख फर्जी थे। अत: कोई आवेदक यदि बैंक को फर्जी अभिलेख प्रस्‍तुत कर ऋण लेने का प्रयास करता है तो बैंक को यह पूर्ण अधिकार है कि वह ऐसे ऋण आवेदन को निरस्‍त कर दे। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा बंधक रखी जाने वाली सम्‍पत्ति के मूल्‍यांकन हेतु जमा किया गया शुल्‍क रू0 3000/- तथा सम्‍पत्ति के संबंध में NEC प्राप्‍त करने के लिए जमा किया गया शुल्‍क रू0 2000/- बैंक द्वारा वापस नहीं किया जाता है क्‍योंकि उक्‍त धनराशि बैंक द्वारा उक्‍त जॉंच पड़ताल के कार्य पर मूल्‍यांकनकर्ता तथा एडवोकेट की फीस आदि पर खर्च कर दी जाती है।

 

 

 

4

इस प्रकरण में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक ने अपीलार्थी/परिवादी का ऋण प्रार्थना पत्र निरस्‍त करके सेवा में कोई कमी नहीं की है। विद्धान जिला फोरम ने विस्‍तार से विवेचना के उपरान्‍त प्रश्‍नगत आदेश पारित किया है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। अपीलार्थी की अपील में कोई बल नहीं है तथा निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है प्रश्‍नगत आदेश की पुष्टि की जाती है।

अपीलीय स्‍तर पर उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे। 

इस निर्णय एवं आदेश की प्रति उभयपक्षों को नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(राज कमल गुप्‍ता)                                   (महेश चन्‍द)

 पीठासीन सदस्‍य                                       सदस्‍य

कोर्ट नं0-3 प्रदीप मिश्रा, आशु0

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.