जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
सुधा यादव.....................................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-734/2012
चन्द्र प्रकाष वर्मा पुत्र श्री राम प्रसाद वर्मा निवासी एम 296 केषवपुरम आवास विकास-1 थाना कल्यानपुर, कानपुर नगर-208017
................परिवादी
बनाम
मुख्य प्रबन्धक यूको बैंक अर्मापुर षाखा कालपी रोड कानपुर नगर-208009
...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 19.12.2012
परिवाद निर्णय की तिथिः 19.08.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी बैंक की गलती व सेवा में कमी के कारण परिवादी को रू0 50,509.00 दिनांक 05.11.04 से 01.07.11 के बीच 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से धनराषि दिलायी जाये, क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 25000.00 तथा परिवाद व्यय के रूप में रू0 1100.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में यह कथन है कि परिवादी के पक्ष में क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई ने एक चेक सं0- 226905 दिनांकित 15.10.04 बावत रू0 50,509.00 सीधे परिवादी के बचत खाता सं0-14426 यूको बैंक अर्मापुर षाखा कानपुर में दिनांक 03.11.04 को जमा की। जिसकी सूचना न तो क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई के कार्यालय से और न ही तो परिवादी के बैंकर, यूको बैंक अर्मापुर षाखा द्वारा परिवादी को दी गयी। जबकि परिवादी सन् 2004 से 2009 तक क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई से पत्राचार करता रहा, किन्तु कोई
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जवाब प्राप्त नहीं हुआ। अंत में परिवादी ने 2009 में सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत परिवादी को पता चला कि उसके भुगतान के सम्बन्ध में उपरोक्त चेक उसके उपरोक्त बचत खाता में दिनांक 15.10.04 को उपरोक्त चेक विपक्षी द्वारा जमा किया जा चुका है। किन्तु परिवादी द्वारा अपनी पासबुक अपडेट कराने पर परिवादी को ज्ञात हुआ कि उपरोक्त चेक परिवादी के खाते में दिनांक 03.11.04 को जमा की गयी। चेक की धनराषि खाते में क्रेडिट हुई। किन्तु उसी दिन उपरोक्त चेक की धनराषि रू0 50,509.00 डेबिट कर ली गयी। परिवादी के बैंकर यूको बैंक अर्मापुर षाखा के किसी कर्मचारी/अधिकारी द्वारा परिवादी को यह नहीं बताया गया कि उपरोक्त धनराषि परिवादी के खाते में जमा करके उसी दिन क्यों निकाल ली गयी। हारकर परिवादी द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत जब बैंक से सूचना मांगी गयी तो बैंक ने परिवादी को उक्त चेक बिना भुगतान के लौटा दी। चेक के साथ रिटर्न मेमो भी नहीं लगाया गया और न ही चेक का पैसा परिवादी के खाते में जमा करके वापस निकालने का कोई संतोशजनक उत्तर दिया गया और न ही तो यह बताया गया कि उक्त चेक का पैसा परिवादी को क्यों नहीं दिया गया। परिवादी द्वारा बैंक के आंचलिक कार्यालय पर प्रथम अपील की गयी, किन्तु वहां से भी कोई ठोस जवाब नहीं मिला। फलस्वरूप परिवादी द्वारा केन्द्रीय सूचना आयोग को द्वितीय अपील की गयी। केन्द्रीय सूचना आयोग के आदेष के अनुपालन में यूको बैंक ने अपने उत्तर सं0- अकाष/यो0 दि वि 2010-11/26/527 दिनांक 23.07.11 के माध्यम से परिवादी को अवगत कराया गया कि (1) प्रष्नगत चेक सं0-226905 स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया की मुम्बई षाखा पर देय थी तथा गलती से भुगतान हेतु कानपुर में प्रस्तुत कर दी गयी, जिस कारण चेक बाउन्स हो गयी। (2) चेक बाउन्स होने के उपरान्त परिवादी को वापस न करने के कारण बैंक ने अपनी गलती बताया है। परिवादी द्वारा पुनः उक्त चेक कमिष्नर भविश्य निधि कार्यालय मुम्बई नवीनीकरण हेतु भेजी गयी किन्तु लगभग 6 माह तक परिवादी को कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ। परिवादी द्वारा पुनः सूचना के अधिकार के अंतर्गत
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क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई से पूछने पर परिवादी को पता चला कि पुरानी चेक के एवज में नई चेक सं0-956097 दिनांक 16.09.10 यूको बैंक अर्मापुर षाखा में जमा कर दी गयी है। किन्तु इस बार भी न तो बैंक ने और न ही क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर ने परिवादी को सूचना दी। नवीनीकृत चेक सं0-956097 प्राप्त होने के बाद यूको बैंक ने रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के दिषा-निर्देषों का खुला उल्लंघन करते हुए मेरे लगभग 7 वर्शों से निश्क्रिय पड़े खाता सं0-14426 को जिसमें कोई बैलेन्स नहीं था, को बिना मेरी सहमति प्राप्त किये व बिना के.वाई.सी. फार्म पूर्ण किये पुनः व स्वतः चालू करके मेरी चेक का पैसा जमा कर दिया गया तथा परिवादी को सूचित नहीं किया गया। यूको बैंक द्वारा परिवादी को रू0 51,828.00 का भुगतान किया गया, जिसमें रू0 50,509.00 तथा रू0 1319 दिनांक 05.10.10 से 0107.11 तक का 3.5 व 4 प्रतिषत की दर से ब्याज था। जबकि विपक्षी को 18 प्रतिषत ब्याज की दर से भुगतान करना चाहिए था। उक्त चेक के मुम्बई पर देय होने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। बैंक उक्त चेक मुम्बई षाखा भेजकर ओ.बी.सी. अथवा इंटरसिटी क्लीयरिंग के माध्यम से भुगतान ले सकता था। यह बैंक की सेवा में दूसरी कमी है। जिसके फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में अंकित अंतरवस्तु का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी के उक्त भुगतान में जो गलती व देरी हुई है, उसकी एकमात्र जिम्मेदारी क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई की है। इसके बावजूद परिवादी ने क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई को पक्षकार नहीं बनाया है। अतः परिवाद पक्षकारों के कुसंयोजन के कारण निरस्त किये जाने योग्य है। परिवादी द्वारा विपक्षी उत्तरदाता की गलती वर्श 2004 की बतायी जा रही है। किन्तु परिवादी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत वर्श 2004 से 2006 तक न तो उत्तरदाता बैंक के विरूद्ध और न ही किसी अन्य के
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विरूद्ध मा0 फोरम में कोई कार्यवाही की है और न ही किसी सक्षम अधिकारी के समक्ष कोई प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया गया है। अतः परिवाद कालबाधित होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है। अतः परिवाद उपरोक्त कारणों से खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 26.07.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में संलग्नक-1 लगायत् 6 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में इच्छय कुमार, सीनियर मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 30.01.15 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली पर उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत लिखित बहस एवं षपथपत्रीय साक्ष्य एवं अन्य अभिलेखीय साक्ष्यों के सम्यक अवलोकनोपरान्त विदित होता है कि प्रष्नगत मामले में प्रमुख विवाद का विशय यह है कि क्या परिवादी विपक्षी बैंक से रू0 50,509.00 दिनांक 05.11.04 से 01.07.11 के बीच 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 25000.00 तथा रू0 1100.00 परिवाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी है।
उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह कथन किया है कि परिवादी के पक्ष में क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई ने एक चेक सं0-226905 दिनांक 15.10.04 बावत
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रू0 50,509.00 सीधे परिवादी के बचत खाता सं0-14426 यूको बैंक अर्मापुर षामा कानपुर में दिनांक 03.11.04 को जमा की गयी, जिसकी सूचना न तो क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई के द्वारा और न ही तो विपक्षी बैंक के द्वारा परिवादी को दी गयी। परिवादी को सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत विपक्षी से ज्ञात हुआ कि उपरोक्त चेक परिवादी के खाते में दिनांक 15.10.04 को विपक्षी बैंक के द्वारा जम की गयी थी। परिवादी द्वारा अपनी पासबुक अपडेट कराने पर उसे ज्ञात हुआ कि उपरोक्त चेक परिवादी के खाते में दिनांक 03.11.04 को जमा की गयी और चेक की धनराषि विपक्षी बैंकर द्वारा परिवादी के खाते के क्रेडिट की गयी। किन्तु उसी दिन उपरोक्त चेक की धनराषि रू0 50,509.00 डेबिट कर ली गयी। जिसका कारण विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को नहीं बताया गया। पुनः परिवादी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना मांगने पर विपक्षी बैंक ने परिवादी को चेक बिना भुगतान के लौटा दी। उक्त चेक के साथ कोई रिटर्न मेमो नहीं दिया गया और न ही तो परिवादी को यह बताया गया कि उक्त चेक का पैसा परिवादी को क्यों नहीं दिया गया। पुनः परिवादी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही करने पर विपक्षी बैंक द्वारा बैंक के आंचलिक कार्यालय द्वारा कोई सही जवाब न देने पर परिवादी द्वारा केन्द्रीय सूचना आयेग के यहां द्वितीय अपील की गयी। केन्द्रीय सूचना आयोग के आदेष के अनुपालन में विपक्षी बैंक ने अपने पत्र सं0-आकाष/यो0 दि वि/ 2010-11/26/527 दिनांक 23.07.11 के माध्यम से परिवादी को अवगत कराया गया कि (1) प्रष्नगत चेक सं0-226905 स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया की मुम्बई षाखा पर देय थी तथा गलती से भुगतान हेतु कानपुर में प्रस्तुत कर दी गयी, जिस कारण चेक बाउन्स हो गयी। (2) चेक बाउन्स होने के उपरान्त परिवादी को वापस न करने के कारण बैंक ने अपनी गलती बताया। परिवादी द्वारा पुनः उक्त चेक के नवीनीकरण हेतु चेक क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई भेजी गयी। किन्तु 6 माह तक परिवादी को कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ। परिवादी ने पुनः सूचना अधिकार अधिनियम
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के अंतर्गत क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई से पूछने पर ज्ञात हुआ कि पुरानी चेक के एवज में नई चेक सं0-956097 दिनांक 16.09.10 यूको बैंक अर्मापुर षाखा में जमा कर दी गयी है। किन्तु इस बार भी न तो बैंक ने और न ही क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई ने परिवादी को सूचना दी। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कमी कारित की गयी है। जिससे परिवादी की उपरोक्त जमा धनराषि में उसे पूर्ण ब्याज न मिलने से आर्थिक क्षति कारित हुई तथा उक्त कार्यवाही में परिवादी को मानसिक एवं आर्थिक क्षति कारित हुई है।
उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से अपने जवाब दावा के माध्यम से यह कथन किया गया है कि परिवादी के उक्त भुगतान हेतु जो भी गलती व देरी हुई है, उसकी एकमात्र जिम्मेदारी क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई की है। परिवादी द्वारा क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई को पक्षकार नहीं बनाया गया है। अतः परिवाद पक्षकारों के कुसंयोजन के कारण निरस्त किया जाये। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किये गये हैं कि यद्यपि क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई का भी उत्तरदायित्व बनता था कि वह प्रष्नगत चेक विपक्षी बैंक में जमा करने के सम्बन्ध में परिवादी को सूचित करता। किन्तु विपक्षी बैंक का भी यह उत्तरदायित्व था कि वह समस्त प्रकरण से समय-समय पर परिवादी को अवगत कराये। इस सम्बन्ध में फोरम परिवादी की ओर से किये गये कथन से सहमत है। किन्तु प्रस्तुत मामले के सम्यक परिषीलन से स्पश्ट होता है कि क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई के द्वारा भी परिवादी को प्रष्नगत चेक के जमा करने से सम्बन्धित सूचना समय से न देने का उत्तरदायित्व था। किन्तु विपक्षी बैंक में परिवादी का खाता था और क्षेत्रीय भविश्य निधि कमिष्नर मुम्बई के द्वारा चेक सीधे परिवादी के बचत खाते में जमा की गयी थी। इसलिए विपक्षी यूको बैंक जो कि परिवादी का पक्षकार है और इस नाते विपक्षी परिवादी का सेवा प्रदाता है। इसलिए विपक्षी यूको बैंक का यह उत्तरदायित्व था कि वह परिवादी के खाते में जमा की गयी चेक के बाउन्स होने के समय से
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विधिवत् सूचना परिवादी को उपलब्ध कराता। इतना ही नहीं परिवादी के उपरोक्त खाते में प्रष्नगत चेक को क्रेडिट करने और पुनः डेबिट कर लेना इस तथ्य से भी परिवादी को विपक्षी बैंक द्वारा अवगत नहीं कराया गया। परिवादी की ओर से किये गये यह कथन कि चेक बाउन्स होने के उपरान्त परिवादी को वापस न करने का कारण बैंक ने केन्द्रीय सूचना आयेग के आदेष के आलोक में अपनी गलती बतायी। जिसका खण्डन विपक्षी की ओर से नहीं किया गया है। अतः विपक्षी यूको बैंक की उपरोक्त स्वीकार्यता से भी यह विपक्षी यूको बैंक के द्वारा की गयी सेवा में कमी परिलक्षित होती है।
विपक्षी की ओर से एक तर्क यह किया गया है कि परिवाद कालबाधित है। इस सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से परिवादी को प्रष्नगत चेक की धनराषि रू0 50,509.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दिनांक 05.10.10 से तायूम वसूली हेतु तथा परिवाद व्यय दिलाये जाने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। परिवादी द्वारा दिनांक 05.11.04 से 01.07.11 के बीच 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से धनराषि दिलाये जाने तथा क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 25000.00 दिलाये जाने की याचना की गयी है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं।
ःःःआदेषःःः
7. उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस अषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी यूको बैंक परिवादी को प्रष्नगत चेक से सम्बन्धित धनराषि रू0 50,509.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक
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ब्याज दिनांक 05.10.10 से तायूम वसूली अदा करे तथा परिवाद व्यय के रूप में रू0 2000.00 अदा करे।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।