VIJAYANT SINGH filed a consumer case on 09 Oct 2019 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/124/2017 and the judgment uploaded on 24 Oct 2019.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 124 सन् 2017
प्रस्तुति दिनांक 14.08.2017
निर्णय दिनांक 09.10.2019
विजयन्त सिंह S/O श्री सेल्वराज सिंह ग्राम- अजुवाँ, पोस्ट- बाजार गोसाई, तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)।
..........................................................................................परिवादी।
बनाम
यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा हरैया ग्राम पोस्ट- हरैया, तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने जुलाई 2013 में एजूकेशन लोन विपक्षी से कराया था। परिवादी ने 1,66,000/- रुपया दिनांक 04.07.2013 को, 1,66,000/- रुपया दिनांक 25.08.2014 को तथा 68,000/- रुपया दिनांक 07.07.2015 को ड्रॉफ्ट बनाकर कॉलेज प्रबन्धक के नाम विद्यालय में जमा किया। एजूकेशन लोन की वापसी तयशुदा शर्तों के अनुसार कोर्स पूरा करने के पश्चात् आय की स्थिति में या तीन वर्षों तक प्रतीक्षा करने के उपरान्त किश्तों में विपक्षी द्वारा लिया जाना था। विपक्षी शाखा ने 05.08.2017 को परिवादी के पिता को बुलाकर एजूकेशन लोन जमा करने हेतु कहा और उसका ब्याज 1,40,000/- जमा करने हेतु कहा। विपक्षी से लोन को तयशुदा सरकारी शर्तों का विवरण मांगने पर विपक्षी द्वारा स्पष्ट रूप से बताया नहीं गया और न तो संतोषजनक उत्तर दिया गया। विपक्षी का कृत्य सेवा में कमी है। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को एजूकेशन लोन की शर्तों की प्रमाणित कागजात उपलब्ध कराए तथा शारीरिक व मानसिक कष्ट के लिए 80,000/- रुपये अदा करे।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
P.T.O.
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प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 6 स्टेटमेन्ट ऑफ एकाउन्ट प्रस्तुत किया है।
विपक्षी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है और अतिरिक्त कथन में कहा गया है कि परिवाद गलत आधार पर वाद प्रस्तुत किया है। परिवादी विजयन्त सिंह व उनके पिता सेल्वराज सिंह के द्वारा विपक्षी के शाखा में विजयन्त सिंह जो कि गुरूनानक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, मुक्तशेवर पंजाब में बी.ए.एम.एस. की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उनके लिए शिक्षा ऋण के अन्तर्गत आवेदन किया जिस पर विचार करने के पश्चात् दिनांक 04.07.2013 को 4,00,000/- रुपया व ब्याज पर शिक्षा ऋम स्वीकृत किया गया। परिवादी द्वारा ऋण सुविधा की समस्त शरायते जान व समझकर विपक्षी द्वारा निर्धारित समस्त शर्तों का अनुपालन करते रहने का आश्वासन दिया। परिवादी की पहली किश्त 1,66,000/- रुपये दिनांक 04.07.2013 को दूसरी किश्त 1,66,000/- रुपये दिनांक 05.08.2014 को तथा तीसरी किश्त 68,000/- रुपये की दिनांक 07.07.2015 को जमा किया गया। परिवादी को शिक्षा ऋण का भुगतान अप्रैल, 2017 से 60 मासिक किस्तों में देय थी। जो कि कोर्स के एक साल पूरा होने के बाद या नौकरी लगने के 6 महीने बाद से जो भी पहले शुरू होता है। कथन परिवादी गलत है कि कोर्स पूरा करने के पश्चात् आय की स्थिति में या तीन वर्ष तक प्रतीक्षा करने के उपरान्त ऋण राशि लिया जाएगा। परिवादी के ऊपर 5,71,975/- रुपये बकाया है। ऋण की अदायगी करने के बजाय परिवादी ने मुकदमा कर दिया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में लेटर ऑफ सैन्क्सन कागज संख्या 16, गारन्टी पत्र प्रस्तुत किया गया है।
दौरान बहस परिवादी ने केवल यह कहा कि उसका अनुतोष नम्बर 01 पूरा हो चुका है। अतः परिवादी को केवल शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु 80,000/- रुपया अदा कराया जाए।
हमारे विचार से परिवादी को 80,000/- रुपया अदा करना विपक्षी के साथ अन्याय करना होगा।
अतः परिवादी 10,000/- रुपया शारीरिक व मानसिक कष्ट के लिए पाने का मुस्तहक है। अतः परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार होने पाया जाता है।
P.T.O.
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आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को 10,000/- रुपया (दस हजार रुपया) शारीरिक व मानसिक कष्ट के लिए अन्दर 30 दिन अदा करें।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 09.10.2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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