Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/107/2013

VED PRAKSH RAY - Complainant(s)

Versus

UBI - Opp.Party(s)

SHIV ASHRAY PATHAK

14 Sep 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 107 सन् 2013

प्रस्तुति दिनांक 07.08.2013

                                                                                               निर्णय दिनांक 14.09.2021

  1. वेद प्रकाश राय पुत्र श्री राम अवध राय,
  2. श्रीमती नीलम राय पत्नी श्री वेद प्रकाश राय,

-साकिनान- बर्जला गांगेपुर, पोस्ट- गड़ेरुआ, तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़।

     ....................................................................................परिवादीगण।

बनाम

  1. यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया, प्रधान कार्यालय यूनियन बैंक भवन, 239 विधान भवन मार्ग नरमिन प्वाइन्ट, मुंबई जरिए चेयरमैन/डायरेक्टर यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया।
  2. शाखा प्रबन्धक, यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा सगड़ी, पोस्ट व तहसील- सगड़ी, जनपद- आजमगढ़।
  3. उप महाप्रबन्धक (डी.जी.एम.) क्षेत्रीय प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया क्षेत्रीय कार्यालय सिविल लाइन्स आजमगढ़।      
  4.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वे विपक्षीगण के उपभोक्ता हैं। विपक्षीगण द्वारा की गयी घोर लापरवाही, सेवा में कमी, व अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस से व्यथित एवं क्षुब्ध होकर यह याचिका प्रस्तुत की जा रही है। वर्ष 1991-92 में विपक्षीगण द्वारा समृद्ध सेवा निवृत्त योजना चलाई जा रही थी, जिसमें आकर्षक रिटर्न देने का वादा करते हुए लोगों को उक्त योजना में धन जमा करने हेतु आकर्षित किया गया। उक्त योजना में मिलने वाले आकर्षक रिटर्न से आकर्षित होकर याचीगण ने संयुक्त रूप से विपक्षीगण की उक्त समृद्ध सेवा निवृत्त योचना के अन्तर्गत विपक्षी संख्या 02 के यहाँ दिनांक 21.01.1992 को रुपए 1899.70 जमा किया जिसके लिए विपक्षी संख्या 02 द्वारा रसीद संख्या 4735901/101/1/1 दिनांक 21.01.1992 जारी की गयी, जिसकी परिपक्वता राशि रु. 88205/- थी जो रसीद में अंकित है तथा परिपक्वता अवधि 21 वर्ष थी। रसीद दिनांक 21.01.1992 क्रमांक 4735901/101/1/1 संलग्नक के रूप में पत्रावली में संलग्न है। परिपक्वता अवधि के अनुसार उक्त जमा राशि दिनांक 21.01.2013 को परिपक्व हो गयी तो याचीगण उक्त रसीद लेकर विपक्षी संख्या 02 के पास गए तथा परिपक्वता राशि रुपए 88205/- के भुगतान का अनुरोध किया, किन्तु उनके द्वारा भुगतान करने से इन्कार करते हुए कहा गया कि अभी ऊपर से आदेश नहीं आया है, जाइए कुछ दिन बाद आइएगा। याचीगण जब भी बैंक जाकर अपनी उक्त धनराशि के भुगतान के लिए आग्रह करते हुए शाखा प्रबन्धक द्वारा हर बार पुनः कुछ दिन बाद आने की बात कहकर दौड़ाया जाता रहा। जिससे याचीगण बुरी तरह हैरान व परेशान हुए। याचीगण को अपने मकान की मरम्मत कराने के लिए पैसे की सख्त आवश्यकता थी। किन्तु बैंक द्वारा परिपक्वता राशि का भुगतान न करने की वजह से उसे ऊंचे व्याज पर कर्ज लेना पड़ा जिससे काफी आर्थिक क्षति हुई। याची संख्या 01 विपक्षी संख्या 02 से भी कई बार मिला तथा परिपक्वता राशि के भुगतान का अनुरोध किया किन्तु वे भी हर बार केवल आश्वासन देते रहे किन्तु भुगतान नहीं किया गया। याची संख्या 01 ने दिनांक 07.06.2013 को विपक्षी संख्या 01 को एक नोटिस भेजी लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। अतः याचीगण को परिपक्वता राशि 88205/- रुपए, कर्ज पर अब तक चुकाया गया ब्याज 20,000/- रुपए विपक्षी संख्या 02 के यहाँ आने जाने में हुआ खर्च 1000/- रुपए, मानसिक व शारीरिक पीड़ा हेतु 25,000/- रुपए तथा वाद व्यय 3000/- रुपए विपक्षीगण से दिलाया जाए।   

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 6/1 यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया सगड़ी की रसीद संलग्न है जिसमें 1899.70 रुपए जमा करने के विषय में लिखा गया है, जिसके परिपक्वता की रकम 88205/- रुपए लिखी हुई है, नोट में यह लिखा हुआ है कि अवधि पूर्ण होने पर यह रसीद प्रस्तुत करने पर ही जमा रसीद प्राप्त हो सकेगी। अतः इसे पूरी हिफाजत से रखें तथा पत्राचार के समय इसका सन्दर्भ दें। कागज संख्या 6/2 शाखा प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 20 हाई स्कूल के प्रमाण पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

कागज संख्या 7क विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उन्होंने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उन्होंने यह कहा है कि परिवाद चलने योग्य नहीं है। परिवादी ने तथ्यों को छिपाया है। यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया एक निगमित संस्था है जो कि “बैंकिंग कम्पनीज ऐक्ट 1970” के अनुसार गठित की गयी है और मिस्टर राजू कुमार चौधरी सीनियर मैनेजर थे। विपक्षी संख्या 01 ने यह घोषित किया कि विपक्षी बैंक संख्या 01 यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया रिटायरमेन्ट स्कीम की घोषणा की और दिनांक 01.07.1991 को अपने सारे बैंकों को निर्देश दिया, जो सर्कुलर नं. 4387 दिनांकित 01.06.1991 है, उस सर्कुलर में नियमावली लिखी हुई है। जैसे ही स्कीम की घोषणा हुई तो जमाकर्ता द्वारा संयुक्त रूप से खाता खोलना था और उसमें कम से कम 11889.50 रुपए जमा करना था, जिसकी मेच्योरिटी 40 साल बाद होनी थी। जमा धनराशि के समय परिवादी की उम्र 60 साल थी। चूंकि स्कीम लम्बे पीरियड तक की थी। अतः रसीद को सुरक्षित रखा गया, यह स्कीम सेवा से निकाले जाने पर, सेवा से पहले कम्पल्सरी रिटायरमेन्ट पर, त्याग पत्र देने पर अथवा बीमा कर्ती के मृत्यु पर लागू होती थी। पैरा 19 में विपक्षी की ओर से 40 वर्षों तक कितनी धनराशि देनी थी, इसके विषय में विवरण दिया गया है। याची संख्या 01 याची संख्या 02 के साथ 1,899.70 रुपए दिनांक 21.01.1992 यू.बी.आई. के रिटायरमेन्ट बेनिफिट स्कीम में इस याचना के साथ जमा किया कि परिवादी संख्या 02 उसकी पत्नी है विपक्षी संख्या 02 के बैंक से रसीद नं. 4735901/101/1/1 दिनांकित 21.01.1992 को स्कीम के तहत रसीद प्रदान किया। 21 साल बीत जाने के बाद पेटिशनरर बैंक के सामने दिनांक 07.06.2013 को उपस्थित हुआ और उसने यू.बी.आई. रिटायरमेन्ट बेनिफिट स्कीम को तहत जमाशुदा धनराशि लेने हेतु पेपर प्रस्तुत किया। उस समय उसकी उम्र 60 साल थी। विपक्षी संख्या 02 को यह सूचित किया गया कि धनराशि 27,089/- 21 साल बीत जाने के बाद भुगतान किए जाने योग्य है और उससे यह कहा गया कि वह अपना मूल एकनॉलेजमेन्ट रसीद प्रस्तुत करें और अपने उम्र के सम्बन्ध में साक्ष्य दें। दिनांक 14.06.2013 को परिवादी विपक्षी संख्या 02 के ऑफिस में उपस्थित हुआ और कहा कि वह सारा पेपर लेकर आया है और उसे धनराशि का भुगतान कर दिया जाए। याची संख्या 01 के ऊपर विश्वास करके विपक्षी संख्या 02 ने डिमाण्ड ड्रॉफ्ट/बैंकर्स चेक नं. 18023118 दिनांकित 14.06.2013 मुo 27,089/- का बनवाया लेकिन याची ने कोई संतोषजनक प्रमाण पत्र नहीं दे पाया। विपक्षी को उक्त धनराशि प्रदान करने में कोई आपत्ति नहीं थी। दस्तावेज की मूल प्रलेख प्रस्तुत कर दिया जाए और उम्र के बारे में संतोषजनक प्रमाण पत्र दिया जाए। चूंकि डिमाण्ड ड्रॉफ्ट/बैंकर्स चेक की परिपक्वता अवधि 03 माह होती है और उसके बीत जाने पर दिनांक 13.09.2013 को पेंशन भोगी ने डिमाण्ड ड्रॉफ्ट/बैंकर्स चेक नं. 18023327 दिनांकित 11.09.2013 मुo 27,356/- रुपए के लिए परिवादी संख्या 01 के नाम बनवाया और पहला डिमाण्ड ड्रॉफ्ट निरस्त कर दिया। मुo 27,356/- रुपए का डिमाण्ड ड्रॉफ्ट मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के बाद ही देना था। विपक्षी को नोटिस दिनांक 09.07.2013 कभी प्राप्त ही नहीं हुआ। चूंकि विपक्षी की तरफ से कभी भी सेवा में कमी नहीं की गयी है। अतः परिवाद पत्र

निरस्त किया जाए।       

विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 11/1 यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा सेवा निवृत्ति लाभ योजना जमा संग्रह के लिए नई योजना का प्रमाण पत्र, कागज संख्या 11/2 न्यू स्कीम फॉर डिपॉजिट मोबिलाइजेशन की छायाप्रति, कागज संख्या 11/5ता11/14 रिटायरमेन्ट बेनिफिट स्कीम की नियमावली की छायाप्रति, कागज संख्या 11/15 लेटर ऑफ अण्डरटेकिंग की छायाप्रति, कागज संख्या 11/16ता11/18 वचन पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 11/19 यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया की रसीद की छायाप्रति तथा कागज संख्या 11/20 व 11/21 वेद प्रकाश के नाम से जारी डिमाण्ड ड्राफ्ट/बैंकर्स चेक की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। कागज संख्या 16 वेद प्रकाश राय द्वारा एक प्रार्थना पत्र इस आशय का दिया गया है कि प्रश्नगत सावधि जमा प्रमाण पत्र (समृद्ध सेवा निवृत्ति योजना) की परिपक्वता राशि रु. 88,205/- (जो दिनांक 21.01.2013 को परिपक्व ही थी) के विरुद्ध मात्र रु. 27,356/- का बैंकर्स चेक/डिमाण्ड ड्रॉफ्ट जमा किया गया है। याची उक्त डिमांड ड्रॉफ्ट दिनांकित 11.09.2013 सं. 023327 को अण्डर प्रोटेस्ट लेकर शेष धनराशि की प्राप्ति के लिए कन्टेस्ट करेगा। अतः उसे डिमाण्ड ड्राफ्ट सं. 023327 दिनांक 11.09.2013 को 27,356/- रुपए को अण्डर प्रोटेस्ट के साथ वापस दिलवाया जाए। कागज संख्या 11/15 जो विपक्षी द्वारा रिटायरमेन्ट बेनिफिट्स स्कीम की नियमावली दी गयी थी, उसके नियम 05 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जमाशुदा धनराशि अधिकतम 40 वर्षों पर परिपक्व होगी और यह 40 वर्ष धनराशि जमा करने की तिथि से गिना जाएगा। उसी में उसके उपधारा 03 में यह लिखा हुआ है कि जमाशुदा धनराशि 01 साल से 40 साल के लिए स्वीकृत की जाती है। रूप 11 में यह लिखा हुआ है कि यह लम्बे समय की स्कीम है और डिपॉजिट रसीद बैंक से कस्टडी में रखा जाएगा और पूरी तरह से पहचान किए जाने के बाद ही जमा धनराशि का भुगतान किया जाएगा। उसके साथ कागज संख्या 11/9 एक टेबुल संलग्न है, जिसमें 21 साल बीत जाने के बाद रुपये 27088.51 राउन्ड फीगर 27,089/- रुपए देय थी। कागज संख्या 6/1 जो एक रसीद है जिसमें परिपक्वता की तिथि का उल्लेख नहीं किया गया है, ऐसी स्थिति में जो रूल कागज संख्या 11/5 ता 11/14 दाखिल किया गया है, उसी के अनुसार याची को उपरोक्त भुगतान किया जाना था। रूल के अनुसार 21 साल के अवधि बीत जाने पर जो धनराशि परिवादीगण को मिलनी थी, उक्त धनराशि का ड्रॉफ्ट उसे प्रदान कर दिया गया था, लेकिन परिवादी द्वारा संतोषजनक प्रमाण पत्र बैंक के सामने प्रस्तुत नहीं किया गया। उस ड्रॉफ्ट को वह दिनांक 05.12.2013 को प्राप्त कर चुका है। उपरोक्त विवेचनाओं से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। 

आदेश

                                                          परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                           गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह 

                                                         (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

         दिनांक 14.09.2021

                                                यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                                 गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                                   (सदस्य)                               (अध्यक्ष)

 

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