Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/201/2013

SURENDRA YADAV - Complainant(s)

Versus

UBI - Opp.Party(s)

PARAS NATH TIWARI

12 Oct 2018

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/201/2013
( Date of Filing : 21 Dec 2013 )
 
1. SURENDRA YADAV
KOILARI AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. UBI
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 12 Oct 2018
Final Order / Judgement

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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 201 सन् 2013

   प्रस्तुति दिनांक 21.12.2013

निर्णय दिनांक  12.10.2018

सुरेन्द्र यादव S/O स्वo श्री श्यामा यादव ग्राम- कोईलारी खुर्द, पोस्ट- कोईलारी बुजुर्ग, जिला- आजमगढ़।.......................................... ..........................................................................................याची।

बनाम

यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा मंगरावा, जिला- आजमगढ़।....................................... .......................................................................................विपक्षी।

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि दिनांक 18.03.2005 को उसने के.सी.सी. के तहत 50,000/- रुपये का ऋण लिया था। परिवादी सीमान्त कृषक है और 2008 में आयी राहत योजना के तहत उसका ऋण माफ होना चाहिए था। इस सन्दर्भ में वह विपक्षी से बार-बार मिलता रहा और कहा कि ऋण माफ करके नोड्यूज प्रमाण पत्र दे दीजिए। उसने दिनांक 08.11.2013 को आर.टी.आई. एक्ट के तहत सूचना मांगी जिसका जवाब 25.11.2013 को प्राप्त हुई। जिसमें यह कहा गया था कि आपका ऋण भारत सरकार द्वारा ऋण माफी योजना के लिए प्राप्त हुआ था। परन्तु आपको 15.12.2009, 18.03.2010 तथा 22.05.2010 नोटिस प्रेषित किया गया। लेकिन आपकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इस सन्दर्भ में दिनांक 04.12.2013 को प्रथम अपील महाप्रबन्धक, प्रथम अपीलीय प्राधिकारी विभूति खण्ड मंत्री निवास के निकट गोमती नगर लखनऊ को प्रेषित की गयी, लेकिन उसके बारे में भी कोई स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं हुआ। अतः विपक्षी को आदेश दिया जाए कि वह उसका ऋण माफ कर उसे नोड्यूज सर्टिफिकेट प्रदान करे।

परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।

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प्रलेखीय साक्ष्य में जनसूचना मांगे जाने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, प्राप्त सूचना की छायाप्रति, महाप्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति परिवादी ने संलग्न किया है। लेकिन उसके द्वारा विपक्षी को कोई भी नोटिस नहीं दी गयी है।

विपक्षी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर दाखिल किया गया है। विपक्षी अपनी विभिन्न शाखाओं के माध्यम से किसानों एवं अन्य लोगों को कम औपचारिकताओं पर विभिन्न ऋण सुविधा उपलब्ध कराता है। कृषकों को किसान क्रेडिट कार्ड ऋण सुविधा प्रदान किया जाना भारत सरकार के निर्देशानुसार प्राथमिकता के क्षेत्र में आता है। परिवादी एक बड़ा किसान है और उसके पास 6.312 एकड़ भूमि है और उसने 50,000/- रुपये की जो ऋण लिया है वह किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा का ऋण है। बैंक के नियमानुसार वर्ष 2004 व 2006 विशेष पैकेज के माध्यम से यह समान रूप में बैंक द्वारा पुनर्संरचना एवं पुनर्निर्धारण किए गए हैं। वे भी इस योजना के तहत लाभ लेंगे। यह योजना 30.06.2008 को पूरी कर लेनी चाहिए थी। परिवादी के पास 6.312 एकड़ कृषि योग्य भूमि है। ऋण योजना अनुसार परिवादी द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड ऋण खाता की कुल अतिदेय बकाया रकम मय ब्याज आदि की रकम में से 25% भाग छोड़कर शेष रकम तीन किश्तों में अदा करने की शर्त पर 25% की ऋण राहत दी जानी थी। तथा ऐसी किश्तें 30.09.2008,31.03.2009 एवं 30.06.2009 तक देनी थी। एक मुश्त समझौता एग्रीमेन्ट व अदायगी सम्बन्धी अण्डरटेगिंग भी हस्ताक्षरित करने थे। जिसके लिए समस्त पात्र व्यक्तियों के नामों की सूची बैंक के सूचना बोर्ड पर लगायी गयी तथा विभिन्न सूचनाओं एवं व्यक्तिगत सम्पर्क के अलावां परिवादी का नाम विपक्षी बैंक द्वारा नोटिस में प्रेषित की गयी। परिवादी द्वारा सूचना के बावजूद भी कोई रकम जमा नहीं की गयी। अतः पहली व दूसरी किश्तें अदा करने की मियाद बढ़ा दी गयी और परिवादी को पहली व दूसरी किश्तें एक साथ दिनांक 31.03.2009 तक एवं अंतिम किश्त दिनांक 30.06.2009 तक अदा करके अपने विरूद्ध बैंक के कुल

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अतिदेय बकाया राशि पर 25% की ऋण राहत का लाभ प्राप्त करना था। सारी तिथियां निकल गयीं लेकिन परिवादी ने कोई ऋण अदा नहीं किया। ऋण माफी योजना आने पर पता चला कि परिवादी बड़ा किसान है। परिवादी द्वारा ऋण अदा न करने पर उसका खाता NPA खाता कर दिया गया एवं अन्य कोई विकल्प न होने के कारण बैंक द्वारा परिवादी के नाम उत्तर प्रदेश कृषि उधार अधिनियम, 1973 के प्रावधानों के अधीन वसूली प्रमाण पत्र दिनांक 13.09.2010 वास्ते वसूली मुo 82,682/- रुपया व ब्याज आदि कलेक्टर आजमगढ़ के पास भेजा गया, जिसके विरूद्ध परिवादी माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती भी दिया था, जो कि अंतिम रूप से निस्तारित कर दी गयी और उसे चार बराबर किश्तों में ऋण देने के लिए आदेशित किया गया। परिवाद चलाने योग्य नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

विपक्षी की ओर से जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी द्वारा यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया मंगरावा द्वारा यूनियन ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन सहवचन पत्र की छायाप्रति, रिकवरी अण्डर यू.पी. पब्लिक मनी रिकवरी ऑफ ड्यूज ऐक्ट 1972 की छायाप्रति, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश की छायाप्रति, ऋण राहत योजना 2008 के तहत परिवादी को दी गयी सूचना की छायाप्रति, परिवादी को दिए गए पत्र की छायाप्रति ऋण दायित्व से मुक्ति पाने का स्वर्णिम अवसर के सम्बन्ध में परिवादी को जारी सूचना की छायाप्रति, शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया मंगरावा के पत्र की छायाप्रति, खतौनी की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। पत्रावली में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद का आदेश संलग्न है, जिसमें परिवादी को विपक्षी से लिए गए ऋण को चार किश्तों में जमा करने हेतु आदेश दिया गया था, लेकिन परिवादी ने उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया। चूंकि परिवादी बड़ा किसान था। इसलिए ऐसी स्थिति में उसके

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द्वारा कथित ऋण योजना का लाभ माफ नहीं हो सकता है। ऐसी स्थिति में मेरे विचार से परिवाद अस्वीकार होने योग्य है।

आदेश

परिवाद अस्वीकार किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

    राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

    (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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