SUBHASH RAM filed a consumer case on 22 Sep 2021 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/173/2017 and the judgment uploaded on 30 Sep 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 173 सन् 2017
प्रस्तुति दिनांक 01.11.2017
निर्णय दिनांक 22.09.2021
सुबास राम उम्र लगo 45 वर्ष पुत्र तिलकू राम साकिन मौजा- मिरीया रेड़हा, पोस्ट- कन्धरापुर, तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा मधुबन कन्धरापुर आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विपक्षी के शाखा से कृषि कार्य हेतु ऋण मुo 1,00,000/- (के.सी.सी.) ऋण दिनांक 09.01.2015 को बैंक द्वारा निर्देशित समस्त औपचारिकताओं को पूर्ण करने के पश्चात् प्राप्त किया। परिवादी का ऋण एकाउण्ट नं. 750705030000102 है। परिवादी ने समय-समय पर बैंक द्वारा प्रदत्त ऋण के.सी.सी. एकाउन्ट में आवश्यकतानुसार राशि लेकर जमा भी करता रहा इस प्रकार दिनांक 29.07.2017 को परिवादी के खाते में ऋण राशि 74,281.23 पैसा शेष बचा। परिवादी जब भी अपने खाते से ऋण की राशि निकालता था तथा जमा भी करता था तो उसे अपने पासबुक में बैंक द्वारा अंकित भी करा लिया करता था। इस प्रकार परिवादी का ऋण राशि सन् 2015 से प्रारम्भ होकर 29.07.2017 तक चलता रहा। सरकार उत्तर प्रदेश द्वारा लघु एवं सीमान्त किसानों के फसली ऋण मोचन हेतु कृषि ऋण पर बड़ी राहत देने की घोषणा की गयी तथा कृषि ऋण पर एक लाख तक की राशि का ऋण माफ कर दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लघु एवं सीमान्त ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत माफ किए गए ऋण का प्रमाण पत्र भी किसानों को वितरित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लघु एवं सीमान्त किसानों के ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत छूट की सीमा में परिवादी पूर्णतः आता है। परिवादी ने शाखा प्रबन्धक महोदय से उक्त ऋण मोचन का सरकारी लाभ देने के बाबत बात भी किया। जिस पर शाखा प्रबन्धक विपक्षी ने परिवादी को पूर्ण आश्वासन दिया कि उक्त योजना का लाभ सभी को मिलना है। परिवादी को भी मिलेगा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लघु एवं सीमान्त किसानों के ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत सभी लोगों का ऋण सरकार द्वारा निर्धारित सीमा में आए हुए किसानों को दे दिया गया तथा किसानों को ऋण मोचन प्रमाण पत्र भी वितरित कर दिया गया। परिवादी का भाई जो परिवादी से अलग रहता है, ने भी विपक्षी की शाखा से के.सी.सी. एकाउन्ट में ऋण लिया था उसका भी ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत 61165/- रुपए का ऋण माफ कर दिया गया तथा उसे ऋण मोचन योजना प्रमाण पत्र भी दे दिया गया। विपक्षी परिवादी के घर गया तथा कहा कि उसका ऋण मात्र 24872/- रुपए ही माफ किया गया है जिसके बाबत ऋण मोचन प्रमाण पत्र भी परिवादी को हस्तगत करा दिया। शेष धनराशि 49409.23 रुपए की राशि के बाबत विपक्षी ने परिवादी से मांग किया। विपक्षी की मांग पर परिवादी ने एतराज प्रकट किया तथा विपक्षी से कहा कि सरकार द्वारा एक लाख रूपया तक की ऋण माफ करने की योजना सरकार द्वारा निर्देशित किया गया था फिर भी परिवादी का मात्र 24870/- रुपया ही क्यों माफ किया गया। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह सरकार द्वारा लघु सीमान्त फसल ऋण मोचन योजना के अन्तर्गत परिवादी सम्पूर्ण ऋण राशि के माफी का हकदार है तथा परिवादी के सम्पूर्ण ऋण राशि 49409.23 रुपया भी सरकारी योजना के अन्तर्गत ऋण मुक्त करें व ऋण मोचन प्रमाण पत्र परिवादी को प्रदान करें।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 8/1 ऋण मोचन प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 8/2 बैंक पासबुक के स्टेटमेन्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 8/3 लेटर ऑफ सैन्क्शन की छायाप्रति तथा कागज संख्या 8/4 ऋण मोचन योजना का प्रमाण पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 11क विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी ने के.सी.सी. ऋण हेतु विपक्षी से सम्पर्क किया। परिवादी द्वारा उक्त ऋण हेतु समस्त औपचारिकाताएं पूर्ण करने के पश्चात् विपक्षी द्वारा उक्त ऋण के नियम व शर्तों के अधीन रुपया 70,000/- का ऋण स्वीकृत किया गया। परिवादी द्वारा लिए गए ऋण का भुगतान नियमानुसार नहीं किया गया, जिससे उसका बकाया बढ़ता गया। उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा लघु एवं सीमान्त किसानों के फसली ऋण मोचन योजना के नियमों व शर्तों के अधीन किसानों का ऋण माफ किया गया। इसी क्रम में उक्त योजना के नियमों व शर्तों के अनुसार परिवादी का भी माफी योग्य ऋण रुपया 24,872/- का मोचन किया गया। जिसका स्पष्टीकरण व जानकारी परिवादी को विपक्षी ने अपने पत्र दिनांक 28.09.2017 द्वारा उपलब्ध करा दिया था, किन्तु उसके बावजूद विपक्षी को हैरान व परेशान करने व अनुचित दबाव बनाने की नीयत से परिवादी ने बिना किसी आधार के परिवाद दाखिल किया है। अतः खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
दौरान बहस परिवादी अनुपस्थित, विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। इन सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “चौधरी अशोक बनाम रेवाड़ी कॉर्पोरेटिव बैंक” ‘आर.पी. नं. 4894 डिसाइडेड ऑन 08.02.2013’ का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माo न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि चूंकि सब्सिडी के लिए कोई प्रतिफल नहीं लिया जाता है, अतः सब्सिडी लेने वाला व्यक्ति उपभोक्ता नहीं हो सकता है। इस प्रकार चूंकि परिवादी सरकार का उपभोक्ता नहीं है। अतः ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.09.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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