SUBEDAR filed a consumer case on 17 Jan 2022 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/105/2013 and the judgment uploaded on 19 Jan 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 105 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 05.08.2013
निर्णय दिनांक 17.01.2022
सूबेदार यादव पुत्र स्वo पवारू यादव निवासी ग्राम- रामपुर, पोस्ट- जमालपुर, तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
याची ने अपने याचना पत्र में यह कहा है कि वह यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया की शाखा बेलइसा, आजमगढ़ में सावधि जमा खाता संख्या आई.एन.एल.आर.यू.पी.जे.के.पी.-00053 दिनांक 18.07.2006 में रूपया 30,000/- 105 माह के लिए व खाता संख्या आई.एन.एल.आर.यू.पी.जे.के.पी.-00054 दिनांक 18.07.2006 में मुo 30,000/- रुपया 105 माह के लिए व खाता संख्या आई.एन.एल.आर.यू.पी.जे.के.पी.-00056 दिनांक 19.07.2006 में मुo 40,000/- रुपया 105 माह के लिए व खाता संख्या 385/39 दिनांक 22.12.2008 में मुo 50,000/- रुपया 84 माह के लिए फिक्स कराया था। उक्त समस्त सावधि जमा खाता में परिवादी द्वारा जमा धनराशि का परिपक्वता तिथि उपरोक्त खातों क्रमशः तीन का 105 माह तथा शेष जमा धनराशि की 84 माह के लिए थी। उक्त सावधि जमा खातों में जमा धन के बाबत विपक्षी संख्या 01 द्वारा जमा धनराशि पुनर्निवेश प्रमाण-पत्र जारी किया गया, जिसमें उपरोक्त समस्त जमा धनराशि के सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 01 द्वारा जमा धन पर जमा शर्तों के तहत ब्याज का निर्धारण प्रमाण पत्र पर अंकित किया गया। जिसके अनुसार 105 माह के लिए जमा धन पर 8% वार्षिक ब्याज के साथ परिपक्वता तिथि पर भुगतान का बचन विपक्षी संख्या 01 द्वारा दिया गया तथा 84 माह के लिए जमा धन पर ब्याज 10.05% प्रतिशत वार्षिक ब्याज निर्धारित कर परिपक्वता तिथि पर मय ब्याज के भुगतान देने की बात विपक्षी संख्या 01 द्वारा कही गयी तथा इस सम्बन्ध में उक्त निर्धारित ब्याज का अंकन भी बैंक द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्रों पर है, जिसका भुगतान किया जाएगा ऐसा विपक्षी संख्या 01 द्वारा बताया गया। यदि किसी अन्य परिस्थिति में उक्त सावधि जमा धन का भुगतान परिवादी निर्धारित अवधि के पहले कराता है तो उसे 1% कम याचनी 7% 105 माह के के समस्त खातों तथा 84 माह के सावधि जमा पर लगभग 1/2% कम यानी 9.05% वार्षिक ब्याज दर के हिसाब से सम्पूर्ण धन मय ब्याज परिवादी को अदा किया जाएगा। याची की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी तो वह विपक्षी संख्या 01 के बैंक में जमा सम्पूर्ण सावधि जमा खातों के माध्यम से आर्थिक सहायता हेतु विपक्षी संख्या 01 से सम्पर्क किया और उक्त समस्त सावधि जमा खातों को जमानत के रूप में स्वीकार करते हुए उनके विरुद्ध जमा धनराशि पर देय ऋण के रूप में धनराशि के भुगतान का अनुरोध किया और विपक्षी संख्या 01 को आश्वास्त किया मात्र एक माह के लिए उपरोक्त समस्त सावधि खातों की धनराशि पर ऋण उपलब्ध करा दे एक माह बाद सम्पूर्ण ऋणधनराशि अदा करते हुए समस्त सावधि जमा खातों को भार मुक्त कराकर यथास्थिति में कर दूंगा। याची द्वारा उक्त सावधि जमा खातों की धनराशि में विरुद्ध एक माह के लिए ऋण दिए जाने के बात पर विपक्षी संख्या 01 द्वारा याची से कहा गया कि जब एक माह के लिए ही ऋण लेना है तो उपरोक्त समस्त सावधि जमा खातों को तोड़वाकर पूर्व ब्याज शर्तों से 1% कम ब्याज के साथ जमा अवधि के तहत मय ब्याज अपना सम्पूर्ण धन प्राप्त कर सकते हैं। याची विपक्षी संख्या 01 की बातों पर विश्वास करके तथा अपनी आर्थिक जरूरत व लाभ-हानि को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षी संख्या 01 से उक्तानुसार सम्पूर्ण सावधि जमा खातों की धनराशि के भुगतान का अनुरोध किया, उक्त समस्त सावधि जमा खातों में से 105 माह के खातों की परिपक्वता तिथि में लगभग 23 माह कम तथा 84 माह के खातों की परिपक्वता तिथि के लगभग 19 माह कम थी। विपक्षी संख्या 01 द्वारा पूर्व में सावधि जमा खाता में जमा धनराशि पर देय ब्याज इस सम्बन्ध में मौखिक जानकारी व उक्त के सम्बन्ध में बैंक नियम व शर्तों के तहत परिपक्वता तिथि के पूर्व सावधि जमा खातों उक्त सम्पूर्ण धनराशि का मय ब्याज प्राप्त करते समय परिपक्वता तिथि पर उपलब्ध होने वाले निर्धारित ब्याज से 1% क्म ब्याज का निर्धारण कर उक्त समस्त सावधि खातों का भुगतान करना चाहिए था, परन्तु विपक्षी संख्या 01 ने घोर सेवा में त्रुटि करते हुए सावधि जमा खातों के तहत बैंक द्वारा देय ब्याज की शर्तों का उल्लंघन करते हे याची को 07% की जगह 5% ब्याज दिया गया तथा 9.5% ब्याज की जगह 8.5% ब्याज का भुगतान किया गया। इस प्रकार विपक्षी संख्या 01 द्वारा याची क कुल भुगतान मय ब्याज मुo 2,54,358/- के स्थान पर मात्र मुo 2,04,266/- रुपए का ही भुगतान किया गया। इस प्रकार याची को मुo 50,092/-रुपया कम धनराशि का भुगतान किया गया। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह याची को कम अदा की गयी धनराशि मुo 50,092/- रुपए का भुगतान मय ब्याज अदा करे। मानसिक, आर्थिक क्षति हेतु 20,000/- रुपए तथा याची द्वारा विधिक नोटिस आदि अधिवक्ता प्रेषित किए जाने तथा अन्य दौड़ भाग के बाबत 10,000/- रुपए भी विपक्षीगण से दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1व2 याची द्वारा उपमहाप्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया क्षेत्रीय कार्यालय आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3,6/4व6/5 105 माह के लिए 30,000/- रुपए, 30,000/- रुपए व 40,000/- रुपए जमा धनराशि का सबूत की छायाप्रति, कागज संख्या 6/6 मुo 50,000/- रुपए के मेच्योरिटी वैल्यू प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/7ता6/10 पार्ट/प्री क्लोजर डिटेल की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 8क² विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी को परिवाद दाखिल करने का कोई हक हासिल नहीं था। यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया की स्थापना ‘दि बैंकिंग कम्पनीज ऐक्ट 1970’ के अधीन हुई है जिसका प्रधान कार्यालय 239 विधान भवन मार्ग मुम्बई 400021 में स्थित है तथा एक अन्य के साथ ही साथ एक शाखा बेलइसा जिला आजमगढ़ में भी स्थित है। श्री एन.के अग्रवाल यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा बेलइसा जिला आजमगढ़ के मुख्य अधिकारी व शाखा प्रबन्धक हैं, जिन्होंने मिनजानिब विपक्षीगण संख्या 01 व 02 इस जवाबदेही को हस्ताक्षरित किया है। मामले के तथ्य इस प्रकार हैं कि विपक्षी बैंक के परिपत्र संख्या 7410 दिनांक 24.06.2006 के द्वारा अपनी अन्य सावधि जमा योजनाओं से भिन्न सीमित अवधि के लिए ‘यूनियन जमा करो दुगुना पाओ’ नाम से अपेक्षाकृत ज्यादा ब्याज भुगतान करने वाली विशेष योजना प्रारम्भ की गयी जिसकी नियम व शर्तें परिपत्र में वर्णित हैं। याची ने उक्त विशेष जमा योजना में निम्नलिखित रकम निवेश किया-
जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण पत्र, मुद्रित क्रमांक 0289553, खाता संख्या आई.एन.एल.आर.यू.पी.जे.के.पी.-00053 दिनांक 18.07.2006 मुo 30,000/- रुपया ब्याज दर 8% जमा की मियाद 105 माह एवं परिपक्वता तिथि 18.04.2015 और परिपक्वता मूल्य 59,997/- थी।
जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण पत्र, मुद्रित क्रमांक 0289554, खाता संख्या आई.एन.एल.आर.यू.पी.जे.के.पी.-00054 दिनांक 18.07.2006 मुo 30,000/- रुपया ब्याज दर 8% जमा की मियाद 105 माह एवं परिपक्वता तिथि 18.04.2015 और परिपक्वता मूल्य 59,997/- थी।
जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण पत्र, मुद्रित क्रमांक 0289556, खाता संख्या आई.एन.एल.आर.यू.पी.जे.के.पी.-00056 दिनांक 19.07.2006 मुo 40,000/- रुपया ब्याज दर 8% जमा की मियाद 105 माह एवं परिपक्वता तिथि 19.04.2015 और परिपक्वता मूल्य 79,996/- थी।
उपरोक्त योजना बन्द होने के बाद परिवादी ने बैंक की सामान्य सावधि जमा योजना के अधीन निम्नलिखित रकम जमा किया-
जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण पत्र, मुद्रित क्रमांक ई.एम./सी.ओ.एम. /ए.401046, खाता संख्या 385/39 दिनांक 22.12.2008 मुo 50,000/- रुपया ब्याज दर 10.05% जमा की मियाद 84 माह एवं परिपक्वता तिथि 22.12.2015 और परिपक्वता मूल्य 1,00,166/- थी।
दिनांक 02.05.2013 को परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 से सम्पर्क कर अपने उपरोक्त जमा प्रमाण पत्रों को समय से पूर्व तोड़वाने के सम्बन्ध में जानकारी चाही जिस पर उन्हें नियम व शर्तों से अवगत कराया गया एवं परिवादी को उनके जमा खातों के विरुद्ध सुरक्षित ऋण लेने के सम्बन्ध में भी जानकारी दी गयी, परन्तु परिवादी ने बताया कि वह सुरक्षित ऋण आदि के झंझट में नहीं पड़ना चाहता है एवं उसने अपनी सख्त आवश्यकता बताते हुए उसी दिन अपनी उपरोक्त चारों जमा रसीदों को परिपक्वता के पूर्व तोड़कर उनकी धनराशि उसके बचत खाता 544402010001239 में जमा करने का अनुरोध किया। तत्पश्चात् विपक्षी संख्या 01 द्वारा दिनांक 02.05.2013 को ही उपरोक्त चारों जमा रसीदों को परिपक्वता के पूर्व ही तोड़कर समस्त धनराशि को परिवादी के बचत खाता उपरोक्त में जमा कर दिया गया, जो निम्नवत है-
जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण-पत्र मुद्रित क्रमांक 0289553 खाता संख्या आई.एन.एल.आर.यू.पी.जे.के.पी.00053 में भुगतान ब्याज के सापेक्ष टी.डी.एस. की रकम रु.1,338/- व ब्याज काटकर रु.40,330/-
जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण-पत्र मुद्रित क्रमांक 0289554 खाता संख्या आई.एन.एल.आर.यू.पी.जे.के.पी.00054 में भुगतान ब्याज के सापेक्ष टी.डी.एस. की रकम रु.1,336/- व ब्याज काटकर रु.40,333/-
जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण-पत्र मुद्रित क्रमांक 0289556 खाता संख्या आई.एन.एल.आर.यू.पी.जे.के.पी.00056 में भुगतान ब्याज के सापेक्ष टी.डी.एस. की रकम रु.1,784/- व ब्याज काटकर रु.53,767/ जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण-पत्र मुद्रित क्रमांक इ.एम./सी.ओ.एम./ए. 401046, खाता संख्या 385/39 में भुगतान ब्याज के सापेक्ष टी.डी.एस. की रकम रु.1,845/- व ब्याज काटकर रु.69,836/-
परिवादी को उनके उपरोक्त खातों में से भुगतान ब्याज के सापेक्ष कटौती की गयी टी.डी.एस. की रकम के सम्बन्ध में प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया।
ज्ञातव्य है कि उपरोक्त तीन जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण पत्र यूनियन बैंक की ‘जमा करो दुगुना पाओ’ नाम की योजना के अधीन जारी थे जिसमें बैंक के परिपत्र के अनुसार परिपक्वता पर देय ब्याज की दर या बैंक में मियादी जमा की अवधि के लिए लागू ब्याज में से जो भी कम हो, उससे 02% की कटौती करके ब्याज का आकलन किया गया जबकि चौथे जमाराशि पुनर्निवेश प्रमाण पत्र में बैंक के परिपत्र के अनुसार परिपक्वता पर देय ब्याज की दर या बैंक में मियादी जमा की अवधि के लिए लागू ब्याज में से जो भी कम हो, उससे 01% की कटौती करके ब्याज का आकलन किया गया। अगले दिन परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 से अनरोध किया कि परिपक्वता के पूर्व सावधि जमा प्रमाण पत्रों को तोड़वाने से उसे ब्याज का ज्यादा नुकसान हुआ तथा परिवादी ने पुनः विपक्षी संख्या 01 से उपरोक्त सावधि जमा प्रमाण पत्रों को पुनर्जीवित करने का अनुरोध किया, परन्तु ऐसी कोई व्यवस्था न होने के कारण विपक्षी संख्या 01 द्वारा ऐसा करने से इन्कार कर दिया गया, जिससे असन्तुष्ट होकर परिवादी ने गलत बयानी के साथ विपक्षी संख्या 02 के पास शिकायत पत्र दिनांक 11.05.2013 प्रस्तुत किया जिस पर परिवादी को समस्त वस्तुस्थितियों से अवगत कराते हुए उत्तर दे दिया था। जिसके उपरान्त याची ने याचिका प्रस्तुत किया है, जो निराधार है। अतः खारिज किया जाए।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 12/5 ‘जमा करो दुगुना पाओ’ की स्कीम प्रस्तुत किया गया है। इसके पैरा 3.6.1 के अनुसार तीन साल बाद ही जमा धनराशि को निकालने की व्यवस्था दी गयी है। पैरा 3.6.2 में मेच्योरिटी के पहले धनराशि निकालने के बाबत ब्याज दर का उल्लेख किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत प्रमाण पत्र कागज संख्या 12/5 के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि याची को जो भी धनराशि अदा की गयी वह बैंक के नियम के तहत ही अदा की गयी थी। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से याची कोई भी अनुतोष पाने के लिए अधिकृत नहीं है। उपरोक्त विवेचन से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 17.01.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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