SHILA SHARMA filed a consumer case on 16 Feb 2021 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/39/2013 and the judgment uploaded on 18 Feb 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 39 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 14.03.2013
निर्णय दिनांक 16.02.2021
शीला शर्मा, अवस्था लगभग 40 वर्ष, पत्नी श्री देशेन्द्र पाल शर्मा, निवासिनी 360, मुहल्ला आराजीबाग, शहर व जनपद- आजमगढ़।
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है वह दिनांक 20.10.2012 को समय 12 बजे से 01 बजे के आस पास आराजीबाग स्थित विपक्षीगण के ए.टी.एम. से पांच हजार रुपया निकालने गयी थी। परिवादिनी वहाँ ए.टी.एम. के पास पहुच कर मशीन में अपना ए.टी.एम. कार्ड डाला और हिन्दी भाषा के विकल्प का चयन किया। स्क्रीन पर उभरते विकल्पों को अपनी सुविधानुसार चयन करते हुए अन्ततः पांच हजार रुपया विड्रॉल हेतु नम्बर दबायी। इसी बीच परिवादिनी को लगा कि स्क्रीन ठीक होने की प्रतीक्षा किया, लेकिन जब स्क्रीन ठीक नहीं हुई और रुपया नहीं निकला तो परिवादिनी कैंसिल का बटन दबाकर अपने घर वापस चली गयी। परिवादिनी पुनः उसी ए.टी.एम. से दिनांक 22.10.2012 को जब रुपया निकालने हेतु गयी और अपना ए.टी.एम. कार्ड डालने के बाद समस्त औपचारिकाताएं पूर्ण किया तो देखा कि उसके खाते में विड्राल के लिए बैलेन्स नहीं है। बैलेन्स देखने पर पता चला कि उसके खाते में दिनांक 20.10.2012 को 10,000/- रुपये निकल चुके हैं। परिवादिनी ने दिनांक 23.10.2012 को उपरोक्त घटना के बाबत एक शिकायती प्रार्थना पत्र विपक्षी संख्या 01 को दिया और परिवादिनी के खाते से निकल चुके रुपयों को क्रेडिट करने का मौखिक अनुरोध भी किया। ब्रान्च मैनेजर ने उक्त के लिए आश्वासन भी दिया। कुछ दिनों तक प्रतीक्षा करने के उपरान्त जब कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला तो परिवादिनी ने एक दूसरा आवेदन पत्र दिनांकित 07.12.2012 विपक्षी संख्या 01 को दिया, किन्तु उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। अन्ततः परिवादिनी ने दिनांक 21.01.2013 को एक प्रार्थना पत्र विपक्षी संख्या 01 को देकर दिनांक 20.10.2012 को घटनाक्रम के बाबत सी.सी.टी.वी. के फुटेज की मांग किया परन्तु विपक्षी संख्या 01 ने फुटेज देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया गया कि बिना एफ.आई.आर. के फुटेज नहीं दिया जा सकता तो परिवादिनी ने दिनांक 05.02.2013 को थाना कोतवाली आजमगढ़ में घटना के बाबत एफ.आई.आर. करके उसकी फोटो प्रति के साथ प्रार्थना पत्र दिनांक 21.01.2013 को फोटो प्रति विपक्षी संख्या 03 को दिनांक 07.02.2013 को दिया और सी.सी.टी.वी. फुटेज की मांग किया। परिवादिनी की ओर से इसके बाबत बैंक के प्रोजेक्ट इक्जीक्यूटिव से दिनांक 18.02.2013 को टेलीफोन पर शिकायत की और उक्त कालावधि के फुटेज की मांग की गयी। सर्वप्रथम उनका उत्तर था कि “ऐसा नहीं हो सकता, फिर से देख लीजिए।” जिस पर परिवादिनी ने कहा कि ऐसा ही है इसे परिवादिनी आपके पास स्वयं ले आती है। आप खुद देख लीजिए, तब प्रोजेक्ट इक्जीक्यूटिव ने फूटेज लाने से मना करते हुए आश्वासन दिया कि “उक्त अवधि के फूटेज की उपलब्धता के लिए लिखेंगे और प्राप्त हो जाने पर आपको सूचित करेंगे।” कई बार मोबाइल पर और व्यक्तिगत सम्पर्क किए जाने पर शिकायती कालावधि के फूटेज को परिवादिनी को उपलब्ध नहीं कराया गया और केवल कोरा आश्वासन ही दिया जाता रहा है कि उपलब्ध हो जाने पर उसे सूचित करके प्रदान कर दिया जाएगा। बैंक द्वारा परिवादिनी के प्रति सेवा में कमी किया गया है। अतः परिवादिनी को दिनांक 20.10.2012 को निकल चुकी धनराशि रुपए 10,000/-, शारीरिक परेशानी के लिए रुपए 20,000/-, मानसिक संताप व क्लेश के लिए रुपए 30,000/-, आर्थिक क्षति 5,000/- रुपया तथा उधार रुपया मांगने पर आत्मग्लानि के लिए रुपया 5,000/- कुल रुपया 70,000/- मय ब्याज दिलवाया जाए।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने कागज संख्या 5/1 परिवादिनी के बैंक पासबुक की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2 इस आशय का प्रलेखीय साक्ष्य है कि उसका 10,000/- रुपया उसके खाते से विड्रॉल कर लिया गया है, कागज संख्या 5/4ता5/6 शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया हीरा पट्टी आजमगढ़ को दिए गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/7 एफ.आई.आर. की छायाप्रति तथा कागज संख्या 5/8 शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया हीरा पट्टी आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 10/1ता10/5 विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत जवाबदावा है, जिसमें उन्होंने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादिनी को परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं है। परिवादिनी विपक्षी संख्या 01 के बैंक में बचत खाता संख्या 426502010013585 खोला था। उसे ए.टी.एम. की सुविधा दी गयी थी। आटोमेटिक टेलर मशीन कम्प्यूटराइज्ड होती है और ए.टी.एम. के डाले जाने के बाद कस्टुमर की पहचान होती है। इस बात को परिवादिनी को बता दिया गया था कि वह अपना ए.टी.एम. का आदि सुरक्षित रखे। ए.टी.एम. मशीन पूर्ण रूप से सही है। विपक्षी के रिकार्ड के अनुसार परिवादिनी के एकाउन्ट से दिनांक 20.10.2012 को 12 बजकर 57 मिनट पी.एम. पर ए.टी.एम. कार्ड नं. 4213684265102646 ए.टी.एम. से विड्रॉल किया गया था। परिवादिनी स्वयं निग्लीजेन्ट रही है। अतः उसका परिवाद पत्र खारिज किया जाए।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
बहस के समय परिवादिनी अनुपस्थित रही और विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। उन्होंने कागज संख्या 20ग का उल्लेख करते हुए बताया कि परिवादिनी का 10,000/- रुपया उसके खाते में वापस आ गया है। कागज संख्या 20ग का अवलोकन करने पर यह पाया गया कि जिस नम्बर के ए.टी.एम. से उसका पैसा ए.टी.एम. का प्रयोग करते हुए उसके खाते से विड्रॉल किया गया था वह उसके खाते में आ गया है। इस प्रकार परिवादिनी कोई भी अनुतोष पाने के लिए अधिकृत नहीं है कि वह अपना पैसा वापस पा गयी है। अतः परिवाद पत्र खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद- पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 16.02.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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