SHAILESH KUMAR SINGH filed a consumer case on 28 Feb 2022 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/212/2014 and the judgment uploaded on 28 Feb 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 212 सन् 2014
प्रस्तुति दिनांक 26.11.2014
निर्णय दिनांक 28.02.2022
शैलेश कुमार सिंह पुत्र स्वo बेचन सिंह ग्राम व पोस्ट- हाफिजपुर, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।
....................................परिवादी।
बनाम
यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा उकरौड़ा जिला आजमगढ़ द्वारा यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा उकरौड़ा जिला- आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसका बचत खाता संख्या 4661020/0005565 विपक्षी के बैंक में है। दिनांक 29.10.2014 को परिवादी ने मुo 33,000/- रुपया का चेक पंकज सिंह को दिया, जिसके भुगतान हेतु पंकज सिंह ने इण्डियन ओवरसीज बैंक शाखा आजमगढ़ ने क्लीयरिंग के लिए विपक्षी बैंक में प्रस्तुत किया। दिनांक 30.10.2014 को विपक्षी बैंक से ज्ञापन मिला कि परिवादी के खाते में निधि अपर्याप्त है, जिसके कारण उसका भुगतान नहीं हुआ और चेक अनाहरित हो गया। जिसकी सूचना तुरन्त पंकज सिंह ने परिवादी को दिया तो परिवादी को सख्त ताज्जुब हुआ और परिवादी दंग हो गया कि उसके खाते से किसी ने रुपया निकाल लिया। जिसके कारण उसके खाते में पर्याप्त धन नहीं है। परिवादी ने तुरन्त इन्टरनेट द्वारा अपने खाते का स्टेटमेन्ट ऑफ एकाउन्ट निकाला तो उसके खाते में मुo 58,562.53 बैलेन्स था। परिवादी ने तुरन्त पंकज सिंह से आग्रह किया और कहा कि वह तुरन्त उपरोक्त चेक को बैंक में पुनः प्रस्तुत करें, क्योंकि खाते में पर्याप्त धन है। पंकज सिंह ने पुनः दिनांक 01.11.2014 को बैंक से उक्त चेक को प्रस्तुत किया और विपक्षी बैंक से एक मेमोरेन्डम मिला कि चेक काटने वाले का हस्ताक्षर भिन्न/अपूर्ण है और चेक डिसऑनर हो गया। पंकज सिंह ने परिवादी को सूचित किया कि वह परिवादी के विरुद्ध धारा 138 निगोoऐक्ट के अन्तर्गत अभियोग पत्र दाखिल करेगा और परिवादी से मुo 66,000/- रुपया जुर्माना वसूल करेगा तथा दो वर्ष का कारावास भी परिवादी को करा देगा। पंकज सिंह की उक्त सूचना से परिवादी को काफी मानसिक आघात हुआ जिसके कारण उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और वह बीमा हो गया। विपक्षी की लापरवाही के कारण परिवादी मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति हुई, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी विपक्षी बैंक की है। अतः विपक्षी से परिवादी को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 5,00,000/- रुपया दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 चेक की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2व6/4 ज्ञापन की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 स्टेटमेन्ट ऑफ एकाउन्ट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 13/1ता13/3 बैंक पासबुक की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 8क² विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी का परिवाद मनगढ़न्त व बेबुनियाद है। परिवादी क्लीन हैण्ड से माo फोरम के समक्ष नहीं आया है तथा महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है। परिवादी का विपक्षी बैंक में बचत खाता संख्या 466102010005565 है, जिसका परिवादी अपनी आवश्यकतानुसार संचालन करता रहता है। विपक्षी ने यह कहा है कि परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में प्रश्नगत चेक के नम्बर का उल्लेख नहीं किया गया है, परन्तु उसने पत्रावली में चेक संख्या 002210 दिनांक 29.10.2014 मुo 33,000/- रुपया की छायाप्रति प्रस्तुत किया है। परिवादी के उपरोक्त बचत खाते पर चेक संख्या 002210 जारी किया जाना विपक्षी ने स्वीकार किया है, परन्तु परिवादी द्वारा श्री पंकज सिंह के पक्ष में निर्गत तथाकथित चेक संख्या 002210 दिनांक 29.10.2014 मुo 33,000/- रुपया विपक्षी की शाखा में दिनांक 30.10.2014 या दिनांक 01.11.2014 को हरगिज प्रस्तुत नहीं हुए थे। यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया उकड़ौरा जिला आजमगढ़ क्लीयरिंग का सदस्य नहीं है। अतएव उसके पास प्रश्नगत चेक को क्लीयरिंग के लिए प्रस्तुत किए जाने का कोई प्रश्न ही नहीं है। इसलिए विपक्षी के स्तर से परिवादी के खाता में अपर्याप्त निधि होने या चेक जारी करने वाले का हस्ताक्षर भिन्न होने जैसा ज्ञापन जारी करने या चेक को डिस्ऑनर करने का कोई प्रश्न ही नहीं पैदा होता है। परिवादी ने महज विपक्षी को हैरान व परेशान करने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी द्वारा कोई भी प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा 03 में यह कहा है कि पंकज सिंह ने उक्त चेक को भुगतान हेतु इण्डियन ओवरसीज बैंक शाखा आजमगढ़ ने क्लीयरिंग के लिए विपक्षी बैंक में प्रस्तुत किया। दिनांक 30.10.2014 को विपक्षी बैंक से ज्ञापन मिला कि परिवादी के खाते में निधि अपर्याप्त है, जिसके कारण उसका भुगतान नहीं हुआ और चेक अनाहरित हो गया। इस बात की सूचना तुरन्त पंकज सिंह ने परिवादी को दिया तो परिवादी को सख्त ताज्जुब हुआ। इस प्रकार परिवादी ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि उसने भुगतान हेतु इण्डियन ओवरसीज बैंक शाखा आजमगढ़ ने क्लीयरिंग के लिए विपक्षी के बैंक में दिया था। विपक्षी ने अपने जवाबदावा के पैरा 14 में यह कहा है कि यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया उकड़ौरा जिला आजमगढ़ क्लीयरिंग का सदस्य नहीं है। अतएव उसके पास प्रश्नगत चेक को क्लीयरिंग के लिए प्रस्तुत किए जाने का कोई प्रश्न ही नहीं है। यहाँ इस बात का भी उल्लेख कर देना चाहिए कि चेक पंकज सिंह के नाम से काटा गया था और भुगतान उन्हीं को नहीं हुआ। अतः यह परिवाद पंकज सिंह के द्वारा दाखिल किया जाना चाहिए था, लेकिन परिवाद शैलेन्द्र कुमार सिंह की ओर से दाखिल किया गया है, जो कि विधिसम्मत नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिन बैंकों की शाखाएं स्थित हैं व क्लीयरिंग के लिए सदस्य नहीं होते हैं। उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 28.02.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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