Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/78/2018

SANTOSH KUMAR SINGH - Complainant(s)

Versus

UBI - Opp.Party(s)

PARAS NATH TIWARI

27 Nov 2020

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/78/2018
( Date of Filing : 16 Apr 2018 )
 
1. SANTOSH KUMAR SINGH
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. UBI
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. GAGAN KUMAR GUPTA MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Nov 2020
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 78 सन् 2018

प्रस्तुति दिनांक 16.04.2018

                                                                                                 निर्णय दिनांक 27.11.2020

सन्तोष कुमार सिंह पुत्र स्वo पारसनाथ सिंह निवासी वार्ड- खानपुर फतेह नगर पंचायत अतरौलिया, पोस्ट+थाना- अतरौलिया, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

    यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ    इण्डिया शाखा- अतरौलिया, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)।

  •  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसका विपक्षी के शाखा में एक एकाउन्ट नम्बर 347502010025252 है। परिवादी ने वर्ष 2015 में के.सी.सी. के माध्यम से 50,000/- रुपए विपक्षी से लिया था। विपक्षी के फील्ड ऑफिसर द्वारा मार्च 2017 में ऋण माफ करने हेतु एक सादे कागज पर परिवादी का हस्ताक्षर कराया गया। बाद में वर्तमान सरकार की ऋण मोचन योजना लागू की गयी, जिसमें एक लाख रुपए तक के के.सी.सी. ऋण माफ करने की योजना लागू हुई। उपरोक्त योजना के तहत ऋण माफ करने हेतु परिवादी ने विपक्षी से मिला, लेकिन विपक्षी ने कहा कि परिवादी इसकी पात्रता नहीं रखता है। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को 50,000/- रुपया तथा उस पर लगने वाले समस्त ब्याज को माफ कर परिवादी को आदेयता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 06 खाता पासबुक की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा में यह कहा गया है कि परिवादी ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाकर दावा दाखिल किया है। बैंक द्वारा किसी भी व्यक्ति को ऋण माफ करने हेतु आश्वासन नहीं दिया जाता है, न ही सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाता है। परिवादी ने विपक्षी से 21.03.2014 को रुपया 52,000/- ऋण लिया था, लेकिन ऋण लेने के बाद उसने उसकी अदायगी नहीं किया। दिनांक 31.03.2017 को परिवादी ने अपने खाते को नियमित कराने के

P.T.O.

 

 

 

2

लिए रूपया 52,000/- जमा किया और उसका पुनः आहरण कर लिया, जो कि के.सी.सी. ऋण प्रावधानों के विरुद्ध है। यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गयी है। अतः परिवाद निरस्त किया जाए।

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

परिवादी की अनुपस्थिति में विपक्षी को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय ‘डिप्यूटी डायरेक्टर ऑफ एग्रीकल्चर बनाम मुराती साहू 11 (2019) सी.पी.जे. 104 (उड़ीसा)’ का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में यह अवधारित किया गया है कि यदि परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है तो उसका परिवाद निरस्त कर दिया जाएगा। इस परिवाद के तथ्य एवं परिस्थितियों में ऋण माफी की योजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गयी है। परिवादी उत्तर प्रदेश सरकार का कन्ज्यूमर नहीं है न ही वह विपक्षी का कन्ज्यूमर है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवादी कोई भी अनुतोष पाने के लिए हकदार नहीं है। अतः परिवाद निरस्त होने योग्य है।                      

आदेश

    परिवाद पत्र निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

                          गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण  कुमार सिंह

  (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

 

दिनांक 27.11.2020

                            यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

                 (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. GAGAN KUMAR GUPTA]
MEMBER
 

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