Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/151/2016

RUDAL - Complainant(s)

Versus

UBI - Opp.Party(s)

BADRI NARAYAN DUBEY

02 Jan 2019

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/151/2016
( Date of Filing : 02 Sep 2016 )
 
1. RUDAL
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. UBI
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 02 Jan 2019
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 151 सन् 2016

   प्रस्तुति दिनांक 02.09.2016

निर्णय दिनांक  02.01.2019

रूदल पाण्डेय पुत्र केशव पाण्डेय साकिन- धरमपुर, पोस्ट- दौलताबाद, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।

......................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा भुजही जहानागंज, आजमगढ़ द्वारा शाखा प्रबन्धक।
  2. यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया सिविल लाइन आजमगढ़ द्वारा क्षेत्रीय प्रबन्धक।

..................................................................................विपक्षीगण।

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने अपने जीविकोपार्जन के लिए विपक्षी संख्या 01 से मुबलिक 1,00,000/- रुपया का लोन लिया था। परिवादी ने लोन का कुछ रुपया जमा कर दिया था, लेकिन 70,662/- रुपया बकाया था। यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया ने दिनांक 06.12.2009 को एक ऋण खाते के समायोजन हेतु एक विशेष समझौता योजना 2009 लाई, जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आजमगढ़ द्वारा नोटिस दिया गया, जिसमें यह कहा गया था कि आपका ऋण 70,662/- रुपया, जिसमें ब्याज अधिभारित होकर मुo 1,25,312/- रुपया हो गया है। समझौते के तहत मुo 45,000/- रुपया जमा कर दिनांक 31.03.2010 को प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकता है। नोटिस के अनुसार दिनांक 06.12.2009 को परिवादी विधिक सेवा प्राधिकरण आजमगढ़ में उपस्थित हुआ और उस दिन 4,000/- रुपया जमा किया तथा 41,000/- रुपया जमा करने के लिए कुछ समय मांगा। अंतिम तिथि 31.03.2010 थी और दिनांक 17.02.2010 को परिवादी ने 41,000/- रुपया बैंक में जमा कर दिया,

2

लेकिन बैंक भार मुक्त प्रमाण पत्र उसे नहीं दिया। दिनांक 24.01.2011 को 104 एकाउण्ट नम्बर के निर्णत स्टेटमेन्ट में याची का खाता शून्य दिखाया गया है। पुनः ऋण मुक्त प्रमाण पत्र मांगे जाने पर स्टेटमेन्ट में 25,369/- रुपया बकाया दिखाया जाता है। अतः बैंक को निर्देशित किया जाए कि वह परिवादी को ऋण भार मुक्त प्रमाण पत्र अदा करें।

परिवाद पत्र के समर्थन में याची द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आजमगढ़ में प्रस्तुत समझौता पत्र दिनांक 17.02.2010 को शेष बकाया रकम 41,000/- रुपया जमा करने की रसीद की छायाप्रति, एकाउन्ट स्टेटमेन्ट की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।

यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया की ओर से 10क जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि परिवादी ने दिनांक 06.12.2009 को 4,000/- रुपया तथा दिनांक 17.02.2010 को 41,000/- रुपया जमा किया। परिवाद पत्र के शेष कथनों से इन्कार किया गया है। विशेष कथन में यह कहा गया है कि परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं है। परिवादी ने ऑटो रिक्शा खरीदने के लिए 1,00,000/- रुपया का ऋण लिया था, जिसका ऋण अदा न करने के कारण दिनांक 23.12.2009 को उसका खाता एऩ.पी.ए. कर दिया गया। विधिक सेवा प्राधिकरण में दिनांक 06.02.2009 को समझौता हुआ था, जिसे शाखा द्वारा सहबन स्वीकार कर लिया गया, लेकिन इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है। दिनांक 23.02.2017 को परिवादी का ऋण खाता बन्द कर दिया गया और उसे अदेयता प्रमाणपत्र भी निर्गत कर दिया गया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया की ओर से अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

 

3

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी की ओर से 15ग लिखे गए पत्र की छायाप्रति, 16ग ऋण खाता का स्टेटमेन्ट प्रस्तुत किया गया है और 19ग तथा 20ग नोड्यूज सर्टिफिकेट दिया गया है।

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। उभय पक्षों के अभिकथनों व प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी ने समझौते के अनुसार विपक्षी के यहाँ पैसा जमा कर दिया था। विपक्षी द्वारा ऋण खाते का जो स्टेटमेन्ट प्रस्तुत किया गया है, उसमें परिवादी के उपर कोई बकाया नहीं दिखलाया गया है। विपक्षी द्वारा अदेयता प्रमाणपत्र की छायाप्रति भी प्रस्तुत की गयी है। जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि विपक्षी ने परिवादी को अदेयता प्रमाणपत्र उपलब्ध करा दिया है।

उपरोक्त विवेचन से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

आदेश

यद्यपि पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि विपक्षी ने परिवादी को अदेयता प्रमाणपत्र उपलब्ध करा दिया है। यदि विपक्षी ने परिवादी को अदेयता प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराया है तो उसे 30 दिन के अन्दर परिवादी को अदा करे।

 

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                     (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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