Uttar Pradesh

Mau

CC/175/2013

RANJEET VERMA - Complainant(s)

Versus

UBI - Opp.Party(s)

TIRTHRAJ

12 May 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum Mau
Collectreat Compound MAU
 
Complaint Case No. CC/175/2013
 
1. RANJEET VERMA
SULTANPUR MAU
...........Complainant(s)
Versus
1. UBI
Ufrauli Madhuban Mau
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE JANARDAN SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 HON'BLE MRS. LAL MUNNI YADAV MEMBER
 
For the Complainant:TIRTHRAJ, Advocate
For the Opp. Party: GURU NARAYAN PANDAY, Advocate
ORDER

 

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, मऊ।
                परिवाद संख्या - 175/2013
                                प्रस्तुति दिनांकः- 
                                निर्णय दिनांकः-  
रंजीत वर्मा उम्र तख. 25 वर्ष पुत्र स्व0 अंगद वर्मा सा0 सुल्तानपुर बारहगावा (मधुबन) थाना व तह0 मधुबन , जनपद- मऊ।
                                        .......................... परिवादी
                       बनाम
1-    यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा उफरौली मऊ बजरिये शाखा प्रबन्धक 
.............................विपक्षी

उपस्थितिः- जनार्दन सिंह            लाल मुन्नी यादव        राम चन्द्र यादव
          अध्यक्ष                     सदस्य                सदस्य
आदेशः-   जनार्दन सिंह
निर्णय 
प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत इस आशय की प्रार्थना के साथ योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से प्रश्नगत चेक की धनराशि मय व्याज संपूर्ण क्षति हेतु 50000/रू0 एवं बतौर वाद व्यय खर्चा 5000/रू0 कुल 55000/रू0 दिलवाया जाये।
परिवाद पत्र में संक्षिप्त कथन इस प्रकार है कि परिवादी बैंक शाखा में बैकिंग सेवायें अर्जित करेन हेतु बचत खाता क्रमांक 462802010011435 का धारक होने के कारण बैंक का उपभोक्ता है। परिवादी ने अपने पक्ष में सेंट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर देवरिया द्वारा जारी एक चेक क्रमांक 130986 मूल्य मुव0 15000/रू0 उपरोक्त खाते में दिनांक 16.03.2010 को जमा कराया। बैंक द्वारा निर्दिष्ट समयावधि उपरान्त भी चेक की धनराशि परिवादी के खाते मे प्रदान नही की गयी। परिवादी उक्त चेक के भुगतान बावत कई बार विपक्षी के समक्ष प्रस्तुत हुआ परन्तु किसी प्रकार की कार्यवाही न होने से परिवादी को आर्थिक, मानसीक व शारीरिक क्षति पहुची।  उपरोक्त तथ्य वाद कारण बना। परिवादी ने अपने वकील के माध्यम से दिनांक 04.07.2013 को विपक्षी को विधिक नोटिस दिया इसके बावजूद कोई सकारात्मक उपक्रम विपक्षी द्वारा प्रस्तुत नही किया गयज्ञं
विपक्षी को न्यायालय द्वारा दिनांक 17.09.2013 को वाद निस्तारण हेतु सम्मन प्रेषित किया गया। विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदेही 10ग/1 व 10ग/2 में 15000/रू0 का चेक जमा किया जाना स्वीकार किया है। विपक्षी ने कथन किया कि दिनांक 16.03.2010 को जमा चेक उसी दिन भुगतान हेतु सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर देवरिया को भेज दिया गया परंतु आज तक उक्त चेक का भुगतान विपक्षी को प्राप्त नही हो सका है जिस कारण परिवादी के खाते में उक्त चेक धनराशि का भुगतान नही किया जा सका है। विपक्षी द्वारा सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर देवरिया को रिमाइण्डर भेजा गया है इसके बावजूद न तो चेक का भुगतान किया गया और न ही कोई जवाब ही प्रस्तुत किया गया। विपक्षी का कथन है कि उसने अपनी सेवा में किसी प्रकार की चूक नही की है साथ ही साथ परिवाद पत्र में परिवादी ़द्वारा सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर देवरिया को आवश्यक पक्षकार न बनाये जाने का दोष है।
परिवादी द्वारा अपने कथन की पुष्टि हेतु शपथ पत्र 5ग परिवाद पत्र के साथ प्रस्तुत किया गया है जिसमें परिवाद पत्र के समस्त अभिकथनों को सत्य व सही बताया गया है। परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेषित विधिक नोटिस 7ग/2 बैंक में जमा चेक की रसीद 7ग/1 दिनांकित 16.03.2010 अपने अभिकथन के समर्थन में बतौर साक्ष्य प्रस्तुत किये है।
विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदेही 10ग/1 व 10ग/2 दिनांकित 03.01.2014 में उक्त चेक का जमा होना स्वीकार किया गया है। विपक्षी द्वारा अभिकथन किया गया कि उपरोक्त वाद का कारण यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा उफरौली न होकर सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर देवरिया है। रिमाइण्डर भेजने के पश्चात भी उक्त धनराशि बैंक द्वारा उपलब्ध नही कराई गयी। रिमाइण्डर प्रेषण की पुष्टि के सन्दर्भ में डाक व्यय रजिस्टर की छायाप्रति 13ग/2 प्रस्तुत की गयी है। रिमाइण्डर लेटर 13ग/3 पत्रावली में प्रस्तुत है।
रिमाइण्डर पत्र के जवाब में सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर द्वारा एक पत्र दिनांक 20.10.2013 में शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा उफरौली जनपद मऊ को प्रेषित किया गया जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि आप द्वारा पे्रषित ओ बी सी का भुगतान डी0डी0 नं9 038976 दिनांक 09.04.2010 मूल्य 14912/रू0 के माध्यम से सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया आजमगढ द्वारा आपको भेजा जा चुका है। यदि आपके रिकार्ड अनुसार उक्त डी0डी0 आपको न प्राप्त हुआ हो तो तत्काल हमें सूचित करें ताकि नान पेमेंट एडवाइस एवं आपसे इन्डेमनीटी बाण्ड लेकर डुप्लीकेट डी0डी बनाया जा सके। यूनियन बैंक आफ इण्डिया अफरौली द्वारा पुनः सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर को प्रेषित पत्र मे कहा गया है कि आप द्वारा सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया आजमगढ के माध्यम से उपलब्ध कराया गया डी0डी0 हमें प्राप्त नही हुआ है। अतः यथाशीध्र प्रेषित किये जाने का प्रयास करें।
परिवादी की तरफ से अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र 5ग प्रस्तुत किया गया है जिसके जरिये उसने अपने परिवाद पत्र के सभी कथनो केा सही बताया है तथा दूसरा शपथ पत्र 10.03.2015 को प्रस्तुत किया है जिसके उसके द्वारा कथन किया गया है कि उसे जो चेक 06.03.2010 को सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर का 15000/रू0 का उसके पक्ष मे जारी किया गया था। उसे उसने अपने विपक्षी यूनियन बैंक आफ इण्डिया के खाते में 16.03.2010 को लगा दिया था इस चेक को प्रस्तुत करने की बैधता 6 माह थी। उसके बार बार प्रयास करने के बावजूद विपक्षी बैंक द्वारा उसके उपरोक्त चेक का भुगतान सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर द्वारा नही भेजा गया। विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी के बार बार लिखित रूप् मे सूचना दी गयी तथा वह कई बार सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर भी गया दोनो बैंको द्वारा सेवा मे कमी की गयी है और उसके चेक का भुगतान नही किया गया है। इसके विरूद्ध विपक्षी बैंक की तरफ से अपना जवाबदावा तथा शपथ पत्र शाखा प्रबन्धक उफरौली का शपथ पत्र 11ग/1 ता 11ग/2 प्रस्तुत किया गया। विपक्षी बैंक द्वारा प्रस्तुत अभिलेखो से यह प्रमाणित है कि परिवादी का उपरोक्त चेक दिनांक 16.10.2010 को से0बैं0आ0इ0 सलेमपुर को यूनियन बैंक आफ इण्डिया विपक्षी द्वारा भेजा गया है जो कागज सं0 13/2 से प्रमाणित है। विपक्षी के द्वारा सर्वप्रथम सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर को  उपरोक्त चेक भेजे जाने के 03 वर्ष पश्चात दिनांक 27.03.2013 को सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर को पत्र लिखा गया कि उपरोक्त चेक का भुगतान उन्हे प्राप्त नही हुआ यह विपक्षी बैंक की घोर लापरवाही है क्योकि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र मे कथन किया गया है कि यूनियन बैंक आफ इण्डिया परिवादी के बार बार पूछने के बावजूद उसका कोई संतोषजनक उत्तर नही दिया यहा तक की जब परिवादी ने अपनेे अधिवक्ता के माध्यम से 04.07.2013 को विधिक नोटिस दी उसके दो माह पश्चात 27.09.2013 को विपक्षी द्वारा सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर को पहला पत्र चेक के विषय मे भेजा यह कार्य विपक्षी द्वारा चेक भेजने के तीन वर्ष पश्चात किया गया। यह उसकी घोर लापरवाही व सेवा मे कमी का दयोतक है। सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया ने विपक्षी बैंक को 20.10.2013 को एक पत्र भेजा है जिसकी प्रति विपक्षी बैंक ने पत्रावली मे दाखिल किया है जिसमे यह उल्लेख किया गया है कि उपरोक्त चेक के भुगतान न होने पर सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर ने एक डी0डी0 के जरिये दिनांकित 09.04.2010 रू0 14912/रू0 यूनियन बैंक आफ इण्डिया को पंजिकृत डाक से भेजा था और अनुरोध किया था कि यदि विपक्षी को उपरोक्त डी0डी0 न मिली हो तो सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर को विपक्षी अवगत कराये जिससे वह डुब्लीकेट डी0डी0 विपक्षी को भेजे विपक्षी ने इस रजिस्टी पत्र की छायाप्रति भी प्रस्तुत की इसके जवाब में विपक्षी ने सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर को 04.01.2015 को पत्र भेजकर अवगत कराया है कि सेन्टल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर की उपरोक्त डी0डी0 उन्हे प्राप्त नही हुई है अतः वह दूसरी डी0डी0 तत्काल भेजे इस प्रकार यह प्रमाणित होता है कि विपक्षी ने यह चेक तत्काल सेन्टल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर को भेज दिया था लेकिन सेन्टल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर द्वारा उपरोक्त डी0डी0 भेजने का कोई साक्ष्य पत्रावली पर नही है इससे यह प्रमाणित होता है कि विपक्षी द्वारा उपरोक्त परिवादी का चेक भेजे जाने के तीन साल बाद सेन्टल बैंक आफ इण्डिया से जाच पडताल सुरू की गयी इस प्रकार विपक्षी जिसके यहा परिवादी का खाता है उसने सेवा मे कमी की है क्योकि वह परिवादी का बैंकर है उसका दायित्व है कि वह परिवादी को उचित सुुविधा प्रदान करें इसमे वह विफल रहा है। अतः विपक्षी परिवादी के उपरोक्त चेक की धनराशि तथा उसपर चेक जारी होने की तिथि से 09 प्रतिशत वार्षिक व्याज का देनदार है। इसके अतिरिक्त परिवादी को हुए मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए वह जिम्मेदार है। मै विपक्षी के विद्धान अधिवक्ता के इस तर्क से सहमत नही हूू कि सेन्टल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर इस केस मे आवश्यक पक्षकार है तथा मै इस बात से भी सहमत नही हू कि परिवाद काल वाधित है क्योकि चेक जारी करने के तिथि से लिमिटेशन काउण्ट नही होगा बल्कि अंतिम वाद का कारण जब परिवादी ने विधिक नोटिस 04.07.2013 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से भेजी है वहा से उत्पन्न होता है और इस प्रकार इस परिवाद की लिमिटेशन 02 साल के अन्दर प्रमाणित है जिसे समय के अन्दर प्रस्तुत किया गया है। केस के तथ्य व परिश्थितियो में विपक्षी बैंक सेन्टल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर से चेक की धनराशि व अन्य क्षतिपूर्ति वापस लेने के लिए स्वतंत्र होगा।
इस चर्चा के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।

आदेश
अतः परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। तदनुसार विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को उपरोक्त चेक की धनराशि 15000/रू0 16.03.2010 से 09 प्रतिशत वार्षिक व्याज के दर से अदायगी की तिथि तक तथा आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप मे 5000/रू0 तथा वाद व्यय के रूप् मे 2000/रू0 30 दिन के अन्दर अदा करे। ऐसा न करने पर विपक्षी परिवादी को अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण व्याज का देनदार होगा। विपक्षी बैंक सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया सलेमपुर से क्षतिपूर्ति के लिए कार्यवाही नियमानुसार कर सकता है।


उपस्थितिः- जनार्दन सिंह            लाल मुन्नी यादव        राम चन्द्र यादव
          अध्यक्ष                     सदस्य                सदस्य
दिनांकः-

आज खुले न्यायालय में दिनांकित एवं हस्ताक्षरित करके निर्णय सुनाया गया। 


उपस्थितिः- जनार्दन सिंह            लाल मुन्नी यादव        राम चन्द्र यादव
          अध्यक्ष                     सदस्य                सदस्य
दिनांकः-

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE JANARDAN SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. LAL MUNNI YADAV]
MEMBER

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