Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/93/2018

RAJNEESH SINGH - Complainant(s)

Versus

UBI - Opp.Party(s)

SHUBH KARAN SINGH

10 Feb 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 93 सन् 2018

प्रस्तुति दिनांक 01.08.2018

                                                                                               निर्णय दिनांक 10.02.2022

रजनीश सिंह पुत्र स्वo कपिलदेव सिंह, निवासी ग्राम- भगतपुर, तहo- बूढ़नपुर, जनपद- आजमगढ़।     

     ....................................परिवादी।

बनाम

    यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा- अतरौलिया, जिला- आजमगढ़ द्वारा    शाखा प्रबन्धक, यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया, शाखा- अतरौलिया, जिला-    आजमगढ़।

  1. विपक्षी।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

याची ने अपने याचना पत्र में यह कहा है कि उसका विपक्षी बैंक में के.सी.सी. खाता नं. 347505030201128 है, जिसकी लिमिट मुo 2,50,000/- है तथा बचत खाता संख्या 347502010994332 है। इस प्रकार परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। प्राकृतिक आपदा के कारण परिवादी की फसलें काफी बर्बाद हो गयी, जिसके कारण परिवादी के.सी.सी. खाते का संचालन सुचारू रूप से नहीं कर सका और खाता एन.पी.ए. हो गया। दिनांक 31.03.2016 को परिवादी के उक्त के.सी.सी. खाते में मुo 2,75,552/- बकाया हो गया और खाता एन.पी.ए. हो गया। उoप्रo सरकार की ऋण मोचन योजना 2017 के अनुसार जो के.सी.सी. खाते दिनांक 31.03.2016 तक एन.पी.ए. हो गए थे, उन खातों में सरकार ने मुo एक लाख रुपए माफ कर दिया। इस प्रकार सरकार की उक्त योजना के अन्तर्गत एक लाख रूपया का लाभ पाने का अधिकारी है। इसी बीच परिवादी को हॉर्ट अटैक आ गया और परिवादी एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ में दिनांक 14.02.2017 से 21.02.2017 तक भर्ती था और वहाँ उसके हॉर्ट अटैक का ऑपरेशन हुआ। डॉक्टर की सलाह के अनुसार परिवादी दिनांक 20.03.2017 से दिनांक 22.03.2017 तक एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ में अपना हॉर्ट चेक कराता रहा। दिनांक 22.03.2017 को किसी दुर्गा के खाते से परिवादी के बचत खाता में मुo 3,14,000/- रुपया क्रेडिट कर दिया गया था तथा उसी दिन परिवादी के उक्त बचत खाता से मुo 18,465/- व मुo 2,95,535/- निकाल कर उक्त के.सी.सी. खाते में जमा दिखाकर खाते को स्टैण्डर्ड कर दिया। दिनांक 22.03.2017 को ही पुनः मुo 3,14,000/- रुपया उक्त के.सी.सी. खाते से निकाल कर परिवादी के उक्त बचत खाते में जमा कर दिया। दिनांक 22.03.2017 को ही परिवादी के उक्त बचत खाते से मुo 3,14,000/- रुपया निकाल कर पुनः उक्त दुर्गा के खाते में जमा कर दिया। इस प्रकार परिवादी का बैलेन्स यथावत हो गया और परिवादी का उक्त के.सी.सी. खाता स्टैण्डर्ड हो गया और परिवादी ऋण मोचन योजना 2017 के लाभ से वंचित रह गया। विपक्षी ने जानबूझकर परिवादी को उक्त योजना के लाभ से वंचित रखने की नीयत से सेवा में कमी किया है, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी विपक्षी की है। परिवादी ने जब इस बात की शिकायत दिनांक 20.07.2018 को विपक्षी से किया और उससे निवेदन किया कि उसकी पत्रावली ऋण मोचन योजना 2017 के अन्तर्गत भेज दी जाए तो उसने साफ तौर पर मना कर दिया। इसलिए परिवादी को दावा करने की आवश्यकता हुई। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को मुo 1,00,000/- रुपए मय 12% ब्याज के साथ अदा करे तथा मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति हेतु विपक्षी से मुo 50,000/- रुपया भी अदा करे।   

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7/1व7/2 बैंक पासबुक की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।   

कागज संख्या 10क² विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवाद मैलाफाइड है। परिवादी ने विपक्षी बैंक से रुपया 2,50,000/- का के.सी.सी. ऋण लिया था। परिवादी द्वारा उक्त के.सी.सी. ऋण का नियमित रूप से संचालन नहीं किया गया, जिसकी वजह से उसका बकाया बढ़ता गया और दिनांक 31.03.2019 को उसका बकाया रुपया 3,80,610.68 हो गया। परिवादी ने झूठे कथनों के आधार पर परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है। जिस समय परिवादी के खाते का रिन्यूवल किया गया उस समय वर्तमान राज्य सरकार द्वारा चलायी गयी कृषक ऋण मोचन योचना अस्तित्व में नहीं थी। ऐसी स्थिति में परिवादी को योजना का लाभ नहीं मिला। परिवादी के खाते का रिन्यूवल उसके निर्देश पर किया गया था। ऋण मोचन योजना राज्य सरकार की स्कीम थी न कि बैंक की और उक्त योजना हेतु परिवादी विपक्षी बैंक का उपभोक्ता नहीं है। याची पर उक्त के.सी.सी. ऋण का काफी बकाया हो गया था। जिसे बार-बार जमा करने के लिए परिवादी पर दबाव बनाने पर विपक्षी पर अनुचित दबाव बनाने के लिए परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है, जो मेन्टनेबुल नहीं है। अतः निरस्त किया जाए।  

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी का यह कहना है कि जब याची का खाता रिन्यूवल किया गया तो उस समय उसके द्वारा कथित राज्य सरकार की योजना लागू नहीं थी। इस प्रकार वह योजना लागू थी अथवा नहीं यह सिद्ध करने का भार याची पर था लेकिन वह इस प्रकार का कोई भी प्रलेख प्रस्तुत नहीं कर सका है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि उस समय सरकार की वह योजना लागू थी। चूंकि याची द्वारा कथित योजना उत्तर प्रदेश की थी और याची ने उत्तर प्रदेश सरकार को न तो कोई प्रतिफल दिया है और न कोई प्रतिफल देने का वादा ही किया है। इस प्रकार वह उत्तर प्रदेश राज्य सरकार अथवा विपक्षी बैंक का उपभोक्ता नहीं है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। 

 

आदेश

                                                               परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

     

 

 

                                                                           गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह    

                                                        (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

           दिनांक 10.02.2022

                                                 यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                                 गगन कुमार गुप्ता                 कृष्ण कुमार सिंह

                                                                   (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

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