RAGHU NATH RAM filed a consumer case on 21 Mar 2022 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/152/2013 and the judgment uploaded on 24 Mar 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 152 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 21.09.2013
निर्णय दिनांक 21.03.2022
रघुनाथ राम पुत्र पल्टू राम ग्राम- अमठा गोपालपुर, पोस्ट- दौलताबाद, थाना+ब्लाक- जहानागंज, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)
..........................................परिवादी।
बनाम
यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा भुजहीं आजमगढ़ (उoप्रo)
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसका खाता संख्या 493002010004770 विपक्षी के यहाँ है। जिसमें आवास योजना के अन्तर्गत रूपया 45,000/- आयी, जिसमें से रुपया 33,000/- परिवादी द्वारा दिनांक 17.08.2011 को निकाली गयी तथा शेष रकम उसके खाता में पड़ी रही। पुनः पैसा निकालने के लिए परिवादी जब दिनांक 23.05.2013 को विपक्षी के शाखा में गया तो पता चला कि 11,000/- रुपया दिनांक 12.03.2012 को निकाली गयी थी, जबकि परिवादी ने दिनांक 12.03.2012 को उक्त खाते से कोई रकम निकाली ही नहीं। परिवादी ने इस सन्दर्भ में कुछ सूचनाएं एवं कागजात की मांग जरिए आर.टी.आई. दिनांक 20.08.2013 को किया, जिसका जवाब व वांछित कागजात विपक्षी द्वारा आजतक नहीं दिया गया। इससे यह प्रतीत होता है कि विपक्षी परिवादी की समस्या के निराकरण में जानबूझकर देरी करना चाहता है। ऐसी परिस्थिति में यह वाद कारण उत्पन्न हुआ। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को दिनांक 20.08.2013 के आवेदन द्वारा वांछित सूचनाएँ एवं कागजात प्रदान करे तथा दिनांक 12.03.2012 को की गयी निकासी की रकम मय ब्याज वापस करे। साथ ही विपक्षी से 75,000/- रुपए मानसिक पीड़ा, आर्थिक नुकसानी व वाद व्यय हेतु दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 आर.टी.आई. ऐक्ट 2005के प्रावधानों के तहत मांगी गयी सूचना संबंधी पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 उपजिलाधिकारी सदर आजमगढ़ को शिकायत किए गए शिकायत पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 10ग² बयानहल्फी बतौर साक्ष्य प्रस्तुत किया है, इसके अलावा परिवादी ने कागज संख्या 20ग² लिखित बहस भी प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 16क² विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी द्वारा अत्यन्त गलत, झूठे, मनगढ़न्त तथ्यों के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। परिवादी द्वारा विपक्षी के यहाँ स्थित बचत खाता संख्या 493002010004770 में जमा रुपए 45,000/- में से दिनांक 17.08.2011 को रुपया 33,000/- निकाला गया तथा पुनः दिनांक 12.03.2012 को रुपया 11,000/- रपया निकाला गया था। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र की धारा 02 में कथित दिनांक 12.03.2012 को रुपया 11,000/- निकालने का कथन सरासर गलत व तथ्यों के विपरीत है, जबकि परिवादी द्वारा स्वयं दिनांक 12.03.2012 को रुपया 11,000/- रुपया निकाला गया। विपक्षी को कोई भी आर.टी.आई. आवेदन प्राप्त नहीं हुआ। विपक्षी द्वारा परिवादी के उपभोक्ता हितों की अनदेखी नहीं की गयी और न ही किसी प्रकार की सेवा में कमी ही की गयी है। विपक्षी बैंक सदैव ग्राहकों की बेहतर सेवा हेतु तत्पर रहते हैं। परिवादी का उक्त परिवाद वेक्सेसस और फ्रीवुलस है। परिवाद में आवश्यक पक्षकार बनाए जाने का दोष है। परिवादी विपक्षी से किसी भी प्रकार का अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किया जाए तथा विपक्षी को मुo 10,000/- रुपए हर्जा दिलाया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी द्वारा कागज संख्या 19/1 आहरण पर्ची मूल रूप में तथा कागज संख्या 19/2 नमूना हस्ताक्षर कार्ड की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी द्वारा प्रस्तुत कागज संख्या 19/1 आहरण पर्ची जो कि मूल रूप में है, उसका अवलोकन करने के पश्चात् प्रमुक विन्दु कुछ इस प्रकार हैं कि आहरण पर्ची पर आहरण का दिनांक 03.09.2012 अंकित है तथा पल्टूराम का नाम काटकर रघुनाथ नाम लिखा गया है इसके अलावां दो अंगूठे का निशान बना है वहाँ पर भी पल्टूराम का नाम काटकर के रघुनाथ का नाम दर्ज है और उसके पृष्ठ भाग पर चार अंगूठे के निशान अंकित हैं, जिस पर पहचान करने वाले के द्वारा पल्टूराम का नाम लिखा गया है। अब यहाँ यह गौर करने वाली बात है कि विपक्षी ने अपने जवाबदावा के पैरा 03 व 04 में यह कहा है कि दिनांक 12.03.2012 को रुपया 11,000/- निकाला गया है जबकि आहरण पर्ची पर दिनांक 09.03.2012 अंकित है तथा यह बात भी समझ से परे है कि आहरण पर्ची पर जगह-जगह पल्टूराम का नाम एवं अंगूठा निशान क्यों आया है इस बात पर जब विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के पूछा गया तो वह कुछ भी इसका संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह प्रस्तुत मूल रूप में आहरण पर्ची मनगढ़न्त एवं कूट रचित है और यह स्पष्ट है कि परिवादी को रूपया 11,000/- का भुगतान नहीं किया गया है। अतः ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह मुo 11,000/- रुपए (रु.ग्यारह हजार मात्र) अन्दर 30 दिन परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से परिवादी को अदा करे साथ ही विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 1,000/- रुपए (रु.एक हजार मात्र) तथा वाद खर्च के रूप में मुo 500/- रुपए (रु.पांच सौ मात्र) भी अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 21.03.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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