NARENDRA PRATAP SINGH filed a consumer case on 12 Jul 2021 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/76/2019 and the judgment uploaded on 14 Jul 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 76 सन् 2019
प्रस्तुति दिनांक 04.07.2019
निर्णय दिनांक 12.07.2021
नरेन्द्र प्रताप सिंह उम्र 65 वर्ष पुत्र स्वo श्रीराम सिंह निवासी डिफेन्स कालोनी केन्द्रीय विद्यालय मार्ग हीरापट्टी आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
प्रस्तुत परिवाद में परिवादी द्वारा किए गए कथन निम्न प्रकार से हैं-
यह कि परिवादी आजमगढ़ में नगर क्षेत्र में स्थित यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया लछिरामपुर शाखा में हीरापट्टी शाखा का सद्भावी ग्राहक है। वह वरिष्ठ नागरिक है। परिवादी जब उपरोक्त लछिरामपुर शाखा में पैसा निकालने गया तो लाईन लगाकर चेक जमा कर टोकन लेना, फिर लाईन लगा कैश काउन्टर पर जाकर पैसा लेना व पासबुक प्रिन्ट कराने अन्यत्र जाना जैसी व्यवस्था रही। जबकि बैंकों के द्विपक्षीय समझौते के अनुसार बैंकों को एकल खिड़की परिचालन (एक ही काउन्टर पर चेक/विड्रॉल पास होना, पैसे देना व पासबुक प्रिन्ट करना आदि) की व्यवस्था करनी है। प्रबन्धक से परिवादी ने उपरोक्त व्यवस्था लागू करने को कहा तो उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ यही व्यवस्था है आपको अपना खाता यहाँ संचालित करना है तो करिए अन्यथा अन्य बैंक में खाता खोल लीजिए। इससे परिवादी को मानसिक आघात लगा। यह घटना दिनांक 21.02.2018 की है और इसी दिन परिवाद का कारण उत्पन्न हुआ। परिवादी का यह भी कहना है कि दिनांक 20.02.2018 को इलाज के लिए परिवादी पैसा निकालने 3.40पी.एम. पर बैंक की लछिरामपुर शाखा में पहुँचा तो शाखा का गेट बन्द था। वहां गेट पर कार्यकाल 3.30पी.एम. तक ही लिखा था, जबकि बाकी बैंकों का कार्यकाल 4.00 पी.एम.तक है। परिवादी द्वारा शाखा में क्रियाकलाप के दौरान पाया गया कि कर्मचारियों का व्यवहार अशिष्ट रहता है व मर्यादित नहीं रहता है। परिवादी उपरोक्त शाखाओं के क्रिया-कलाप व परिवादी के साथ कर्मचारियों के अशोभनीय व्यवहार से क्षुब्ध होकर माह फरवरी, 2018 में पहली बार सूचना के अधिकार का प्रयोग करते हुए कुछ सूचना मांगी। यह कि परिवादी का मानना था कि उसका पत्र मिलते ही बैंक का क्षेत्रीय कार्यालय असंतुष्टि का संज्ञान लेते हुए कमियों को दूर कर लेगा पर ऐसा न होकर यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया का क्षेत्रीय कार्यालय परिवादी को अस्पष्ट उत्तर व शब्दजाल में उलझाता रहा व आज भी ग्राहक सेवा में यथास्थिति बनी हुई है। परिवादी ने बैंकिंग लोकपाल योजना के अन्तर्गत शिकायत दर्ज कराकर समाधान का प्रयास किया पर लोकपाल कार्यालय ने इस निमित्त शिकायत को अपोषणीय मानते हुए अन्य फोरम व न्यायालय में जाने का निर्देश दे दिया। यह कि यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया व्यक्तिगत ग्राहकों के प्रति बैंक की प्रतिबद्धता कोड जनवरी 2018 में उल्लिखित मानकों का उल्लंघन जैसे शिकायतों की अनदेखी करना, बैंकिंग बिजनेस कार्यकाल में कमी, अनुचित व्यवहार, एकल खिड़की परिचालन की सुविधा न देना, ग्राहक संगोष्ठी आयोजित न करना आदि का दोषी है जो स्पष्ट रूप से सेवा में कमी (Deficiency in Service) है तथा अनावश्यक पत्राचार कर मानसिक उत्पीड़न करना है। परिवादी द्वारा बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय का अन्तिम पत्र दिनांक 20.05.2019 को प्राप्त करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि अब परिवादी को फोरम के समक्ष जाने पर ही न्याय मिलेगा। अतः परिवाद प्रस्तुत करने की आवश्यकता हुई। अतः परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी द्वारा प्रतितोष में यह याचना किया है कि यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया क्षेत्रीय कार्यालय आजमगढ़ पर सेवा में कमी व ग्राहक सेवा के लिए स्थापित मानकों का उल्लंघन करने के लिए रुपया 2,00,000/- का हर्जाना लगाया जाए व इस रकम को उपभोक्ता कल्याण निधि में जमा कराया जाए। परिवादी को मानसिक उत्पीड़न पहुँचाने के लिए रुपया 50,000/- का हर्जाना दिलाया जाए। साथ ही कुल वाद व्यय विपक्षीगण पर आयद किया जाए व परिवादी को दिलाया जाए तथा परिवाद के सभी विपक्षियों को संयुक्त रूप से व पृथक-पृथक उत्तरदायी ठहराया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 5/1 सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के अन्तर्गत प्राप्त सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2 सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के द्वारा मांगी गयी सूचना का विवरण, कागज संख्या 5/3 यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 5/4 ग्राहक सेवा से सम्बन्धित शिकायत व निराकरण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/5 सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत प्रथम अपील की छायाप्रति, कागज संख्या 5/6व5/7 यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया फर्स्ट अपील के डिस्पोजल ऑर्डर की छायाप्रति, कागज संख्या 5/8 सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के अन्तर्गत भेजे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/9 सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के अन्तर्गत प्राप्त सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 5/10व5/11 सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत सूचना प्राप्ति हेतु भेजे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/12 बैंकिंग लोकपाल कार्यालय उत्तर प्रदेश द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के अन्तर्गत प्राप्त सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 5/13ता5/16 व्यक्तिगत ग्राहकों के प्रति बैंक की प्रतिबद्धता का कोड जनवरी 2018 की छायाप्रति तथा कागज संख्या 11/4ता11/1 बैंकों के द्विपक्षीय समझौते के अनुसार बैंकों को एकल खिड़की परिचालन से सम्बन्धित सेड्यूल की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी के परिवाद के विरुद्ध विपक्षीगण द्वारा अपना लिखित कथन व साक्ष्य बार-बार अवसर देने के बाद भी प्रस्तुत करने में असफल रहे। अतः विपक्षीगण के लिखित कथन व साक्ष्य का अवसर समाप्त किया जा चुका है।
परिवादी द्वारा स्वयं उपस्थित होकर अपना बहस सुनाया गया। परिवादी की बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। पत्रावली में प्रस्तुत साक्ष्यों पर विचार किया गया जिसमें साक्ष्य के रूप में कागज संख्या 5/1 व 5/2 जो कि परिवादी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत मांगी गयी तीन सूचनाओं के उत्तर में विपक्षीगण द्वारा दिया गया है, जिसमें विपक्षीगण द्वारा पहले सूचना की एकल खिड़की परिचालन की सुविधा से इन्कार किया गया है तथा दूसरा यह कि बैंकिंग सेवा अवधि के बारे में यह स्वीकार किया गया है कि शहरी क्षेत्रों में प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक है जिसमें 30 मिनट का भोजन अवकाश भी शामिल है तथा बिजनेस कार्यावधि ग्रामीण शाखाओं में प्रातः 10 बजे से सायं 3.30 बजे तक है, शहरी शाखाओं में प्रातः 10 बजे से सायं 4 बजे तक है जिसमें 30 मिनट का भोजन अवकाश भी शामिल है और तीसरी सूचना के बारे में बैंक ने यह स्वीकार करता है कि त्रैमासिक ग्राहक संगोष्ठि का आयोजन किया जाता है इसमें ग्राहकों को कटेगरी के आधार पर शामिल किया जाता है जिसमें वरिष्ठ नागरिक तथा पेंशनधारक भी शामिल हैं।
उक्त सूचना में एकल खिड़की परिचालन के विरुद्ध परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य कागज संख्या 11/4ता11/1 के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि एकल खिड़की परिचालन की व्यवस्था दिनांक 01.05.2010 से ही बैंकों में द्विपक्षीय समझौते के आधार पर लागू है तथा उसके लिए अतिरिक्त भुगतान भी कर्मचारियों को किया जाता है जबकि इसकी सुविधा उपभोक्ताओं को उपलब्ध नहीं है। यह बहुत ही गम्भीर विषय है। इसके बाद दूसरा महत्वपूर्ण सूचना कार्यावधि के बारे में परिवादी की शिकायत है कि बैंकों के कर्मचारी अपने कार्यावधि का पालन नहीं कर रहे हैं जिससे उपभोक्ताओं को काफी परेशानी व पीड़ा होती है। जब कोई उपभोक्ता इस बात की शिकायत करता है तो उसके प्रति अशिष्टतापूर्ण व्यवहार किया जाता है जो अत्यन्त निन्दनीय है। इसके अलावा तीसरी सूचना के विरुद्ध परिवादी का यह कथन है कि बैंक द्वारा आयोजित ग्राहक संगोष्ठि जिसे त्रैमासिक अन्तराल पर आयोजित किया जाता है। जिसमें ग्राहकों की अनेक कटेगरी होती है जिसमें वरिष्ठ नागरिक व पेंशनधारक भी शामिल होते हैं। परिवादी जो कि एक वरिष्ठ नागरिक है उसको कभी इस बात की सूचना नहीं हो पायी है न ही उसे कभी ऐसे आयोजन में बुलाया गया। सामान्य रूप से भी यह देखा गया है कि ऐसे आयोजन की जानकारी बैंक के उपभोक्ताओं को नहीं के बराबर ही होती है। ऐसी स्थिति में त्रैमासिक ग्राहक संगोष्ठि महज एक औपचारिकता ही बनकर रह जाती है।
उपरोक्त तथ्यों पर विचार करने के उपरान्त यह प्रमाणित होता है कि परिवादी द्वारा बार-बार विभिन्न प्रपत्रों इत्यादि के माध्यम से विपक्षीगण का ध्यान बैंक में व्याप्त कमियों व सेवा में कमियों पर दिलाया गया, जिसकी विपक्षीगण द्वारा घोर उपेक्षा की गयी जो अत्यन्त निन्दनीय है तथा यह एक प्रकार से बैंक के सामान्य उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन का भी मामला है। ऐसी स्थिति में विपक्षीगण को संयुक्त रूप से एवं पृथक-पृथक दोषी माने जाने का आधार पर्याप्त है तथा परिवाद में उल्लिखित विभिन्न विन्दुओं पर उचित एवं न्याय संगत आदेश समग्ररूप से दिया जाना नितान्त आवश्यक प्रतीत होता है। अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को यह स्पष्टरूप से निर्देशित करते हुए आदेश दिया जाता है कि वे अपनी कार्यप्रणाली एवं अशिष्टतापूर्ण व्यवहार में यथाशीघ्र सुधार लावें तथा कार्यावधि का ईमानदारी से पालन करें। इसके अलावां एकल खिड़की परिचालन की व्यवस्था लागू करना सुनिश्चित करें। इसके अलावां नियत समय पर व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ त्रैमासिक ग्राहक संगोष्ठि का सफलतापूर्वक आयोजन करावें। बैंक अपने ग्राहकों को हर वह सुविधा उपलब्ध करवाएं जिसके लिए बैंक प्रतिबद्ध है। इसके अतिरिक्त यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया पर क्षेत्रीय कार्यालय आजमगढ़ पर सेवा में कमी एवं ग्राहक सेवा के लिए स्थापित मानकों का उल्लंघन करने हेतु रुपए 1,00,000/- (रु. एक लाख मात्र) का हर्जाना लगाया जाता है, जिसे 30 दिन के अन्दर उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराएं। इसके अतिरिक्त परिवादी को पहुँची मानसिक उत्पीड़न हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में 25,000/- रुपया (रु. पच्चीस हजार मात्र) एवं कुल वाद व्यय के मद में 3,000/- रुपया (रु. तीन हजार मात्र) 30 दिन के अन्दर परिवादी को अदा करे। उल्लिखित अवधि के अन्दर समस्त धनराशि पर जमा व अदा न कर पाने की स्थिति में 12% वार्षिक ब्याज की दर से देय होगी।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 12.07.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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