MEERA DEVI filed a consumer case on 21 Jan 2021 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/194/2017 and the judgment uploaded on 08 Feb 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 194 सन् 2017
प्रस्तुति दिनांक 14.12.2017
निर्णय दिनांक 21.01.2021
मीरा देबी पत्नी अमरनाथ चौहान साकिन अदरसपुर पोस्ट सिरसाल परगना व तहसील निजामाबाद जिला- आजमगढ़।
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा कोटिला, जिला- आजमगढ़ बजरिए प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ कोटिला शाखा आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कथन किया है कि उसने बैंक में संयुक्त खाता नम्बर 460302010002443 (एस.बी.जनरल) यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा कोटिला आजमगढ़ में खोला था। उसकी माता उसकी संयुक्त खातेदार है जिनकी मृत्यु दिनांक 20.06.2017 को हो गयी। परिवादिनी ने दिनांक 19.09.2017 को यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा कोटिला से पैसा निकालने के लिए निकासी फॉर्म भरा तो शाखा प्रबन्धक ने पैसा देने से इन्कार कर दिया, जिससे परिवादिनी को काफी क्षति हुई। अतः शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा कोटिला आजमगढ़ को आदेशित किया जाए कि वह संयुक्त खाता से परिवादिनी को पैसा निकालने में अवरोध न करें। उसे मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु एक लाख रुपया दिलाया जाए।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी द्वारा बचत बैंक खाता पासबुक का छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है, आधार कार्ड की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है तथा पैसा निकालने हेतु भरी गयी रसीद की छायाप्रति भी प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है। जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवाद पत्र गलत तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। केस की सत्यता यह है कि श्रीमती चनरी पत्नी स्वo तुवर निवासी ग्राम अदरसपुर आजमगढ़ द्वारा अपना निजी सेविंग अकाउन्ट दिनांक 02.01.1996 को खोला
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था। दिनांक 20.04.2017 को तीन लाख रुपया बैंक द्वारा प्राप्त किया जो कि उसके अकाउन्ट में जमा कर दिया। दिनांक 29.04.2017 को मीरा देबी को इस अकाउन्ट में जोड़ा गया और इस प्रकार वह संयुक्त अकाउन्ट होल्डर हो गयीं। दिनांक 08.08.2017 को उसकी सगी बहन श्रीमती भानमती एवं श्रीमती लालमती बैंक के समक्ष उपस्थित हुईं और उन्होंने यह कहा कि चनरी दिनांक 20.06.2017 को मर गयी और उसका सक्सेशन 86/2017 सिविल जज सीनियर डिवीजन आमजगढ़ के यहाँ लम्बित है। चनरी देवी ने वसीयतनामा निष्पादित किया था जो कि दिनांक 08.08.2017 को निष्पादित किया था। जिसमें उन्होंने उन्हें तथा मीरा देवी को अपना वारिस नियुक्त किया था। दिनांक 08.09.2017 को भानमती व लालमती बैंक में उपस्थित हुईं और दिनांक 18.09.2017 को श्रीमती मीरा देवी भी उपस्थित हुईं और 25000/- रुपया निकालने के लिए विड्रॉल फॉर्म में भरा तो बैंक ने कहा मामला सब-जूडियस है इसलिए उसको पैसा नहीं दिया जा सकता। ज्वाइन्ट अकाउन्ट के केस में अलग-अलग अकाउन्ट की परिस्थितियाँ देखी जाती हैं। कुछ ज्वाइन्ट अकाउन्ट यह प्रस्तुत करते हैं कि यह दो या दो से अधिक व्यक्तियों का कॉनकरेन्ट स्वामित्व है। दूसरे केस में यह देखा जाता है कि ज्यादा उम्र के रिश्तेदार एवं अन्य एडल्ट फैमिली मेम्बर को भी अकाउन्ट होल्डर बनाया जाता है। यदि अकाउन्ट पैरेन्ट और एडल्ट सन व डॉटर के मध्य खोला गया तो यह उपधारित किया जाएगा कि जो मनी अकाउन्ट में जमा की गयी है तो यह केवल उपधारित किया जाएगा कि वयस्क पुत्र व पुत्रियों को केवल अकाउन्ट संचालित करने के लिए समाहित की गयी है। परिवाद गलत तथ्यों पर प्रस्तुत किया गया है। अतः निरस्त किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी बैंक की ओर से कागज संख्या 17/1 अकाउन्ट चनरी देवी व मीरा देवी के नाम जो था उसकी छायाप्रति, कागज संख्या 17/4 व 17/5 आधार कार्ड की छायाप्रति, कागज संख्या 17/6 मीरा देवी द्वारा भरा गया फॉर्म, कागज संख्या 17/7 चनरी देवी द्वारा भरा गया फॉर्म, कागज संख्या 17/9 अतिरिक्त विवरण, कागज संक्या 17/10 डॉक्टर प्रीती चौहान द्वारा जारी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 17/11 ग्राहक एवं ग्राहक से मिलकर जाँच फॉर्म, कागज संख्या 17/12 ग्राहक एवं ग्राहक की जाँच, कागज संख्या 17/14 मीरा देवी द्वारा भरा गया फॉर्म, कागज संख्या 17/16 आधार कार्ड, कागज संख्या 17/17 के.वाई.सी. प्रपत्र, कागज संख्या 17/19 चनरी द्वारा निष्पादित वसीयत की छायाप्रति, कागज संख्या 17/26 सिविल जज सीनियर डिवीजन के समक्ष प्रस्तुत सक्सेशन सर्टिफिकेट जारी करने का आवेदन पत्र की
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छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। कागज संख्या 17/3 के अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि बचत खाता चनरी देवी के नाम से खोला गया था, बाद में उस खाते में मीरा देवी भी शामिल हो गयीं और खाता आइदर ऑर सर्वाइवर हो गया। यदि कोई एकाउन्ट परिवार के मुखिया और अन्य सदस्यों के मध्य ज्वाइन्ट एकाउन्ट के रूप में खोला गया है तो इसका तात्पर्य यह है कि परिवार के मुखिया के सुविधा के लिए अन्य लोगों को एकाउन्ट में पक्षकार बनाया जाता है। प्रारम्भ में इस एकाउन्ट के एकाउन्ट होल्डर चनरी देवी थीं। बाद में उसने अपने एकाउन्ट में अपनी पुत्री मीरा देवी को भी शामिल कर लिया। चनरी देवी ने बाद में एकाउन्ट में 30 लाख रुपया एक मुश्त जमा किया। जिसका सबूत पत्रावली में संपन्न है। इसका तात्पर्य यह है कि खाते में जो भी पैसा था वह चनरी देवी का था न कि मीरा देवी का था। चनरी ने एक वसीयत अपनी लड़कियों के पक्ष में किया है। ऐसी स्थिति में जिनके विपक्ष में वसीयत की गयी है वे सारे जमासुदा पैसा को चनरी देवी के मौत के बाद पाने के लिए अधिकृत हैं, अकेले मीरा देवी खाते का संचालन नहीं कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 21.01.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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