MANSA DEVI filed a consumer case on 22 Sep 2021 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/78/2016 and the judgment uploaded on 30 Sep 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 78 सन् 2016
प्रस्तुति दिनांक 26.04.2016
निर्णय दिनांक 22.09.2021
मन्सा देवी पत्नी स्वo रामदेव राम ग्राम अविलासन पोस्ट- भुजही, जिला- आजमगढ़ उoप्रo।
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादिनी का बचत खाता संख्या 491702010003284 विपक्षी संख्या 01 के यहाँ खोला गया था, जो परिवादिनी तथा परिवादिनी के पति स्वo रामदेव राम के नाम से संयुक्त रूप से है। विपक्षी संख्या 01 के यहाँ से परिवादिनी द्वारा उसके पति के साथ संयुक्त रूप से दिनांक 11.01.2002 को रुपया 10,000/- का एफ.डी.आर. लिया गया, जिसका खाता क्रमांक 159 था तथा अवधि 60 माह ब्याज दर 8.5% तथा भुगतान की नियत तिथि वास्ते भुगतान 11.01.2007 थी। परिवादिनी द्वारा उसके तथा उसके पति के नाम से संयुक्त रूप से विपक्षी संख्या 01 के यहाँ से दिनांक 08.01.2005 को दूसरा एफ.डी.आर. नं. 5929805 लिया जिसका खाता क्रमांक 188 रकम रुपए 1,00,000/- अवधि 12 माह व ब्याज दर 5.25% तथा नियत तिथि वास्ते भुगतान 08.01.2006 थी। विपक्षी संख्या 01 द्वारा यह बताया गया था कि इस अवधि के उपरान्त भी यदि रकम निकाली नहीं जाएगी तो स्वतः यह रकम इसी योजना में जमा मानी जाएगी और प्राप्त होने वाले लाभ भी मिलेंगे। परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 17.02.2007 के पश्चात् जमा रसीद की फोटो प्रति के साथ जब विपक्षी संख्या 01 के यहाँ सम्पर्क किया तो उनके द्वारा बताया गया कि दोनों फिक्स का भुगतान हो चुका है तथा दिनांक 07.01.2005 को खाता बन्द कर दिया गया। परिवादिनी के पति द्वारा फिक्स की रकम के भुगतान लेने के सन्दर्भ में कभी कोई जिक्र नहीं किया गया था और न ही दोनों फिक्स की रकम का भुगतान लेने कभी विपक्षी के यहाँ ही गए थे। विपक्षी द्वारा यह स्पष्ट नहीं बताए जाने के कारण कि उन्होंने किसको भुगतान किया तथा किस तिथि में किया उनसे जरिए आर.आ.टी ऐक्ट के प्रावदान दिनांक 31.05.2015 को सूचना मांगी गयी जो नहीं मिलने पर दिनांक 22.07.2014 को प्रथम अपील प्रेषित की गयी तो सार्वजनिक सूचना अधिकारी कार्यालय यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया गोरखपुर द्वारा प्रेषित सूचना दिनांक 05.07.2014 प्राप्त हुई जिसके द्वारा सूचित किया गया कि शाखा रिकार्ड के अनुसार खाता संख्या 159 दिनांक 13.10.2003 को तथा खाता संख्या 188 दिनांक 16.02.2006 को बन्द होकर श्री रामदेव राम व श्रीमती मंसा देवी के संयुक्त बचत खाता संख्या 3284 में राशि जमा हुई है। कोई धनराशि खाता में जमा नहीं होने की स्थिति में तथा विपक्षी की सूचना गलत होने की स्थिति में पुनः विपक्षी संख्या 01 के यहाँ दिनांक 22.09.2014 को सूचना आवेदन प्रेषित किया गया जिस पर सूचना नहीं मिली तो दिनांक 22.09.2014 को प्रथम अपील भेजी गयी जिस पर अपीलीय अधिकारी द्वारा संज्ञान नहीं लिए जाने की स्थिति में माननीय केन्द्रीय सूचना आयोग के समक्ष दिनांक 06.01.2015 को द्वितीय अपील भेजी गयी। माo केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा दिनांक 07.04.2016 को जब मामले की सुनवाई की गयी तो विपक्षी के सी.पी.आई.ओ. द्वारा सूचना दी गयी जो कि पूर्व में दी गई सूचना के विल्कुल विपरीत है तथा खाता संख्या 491702010003284 को दिनांक 04.11.1997 को 500 रुपया की राशि से खुलना बताया गया है तथा उसके पश्चात् उस खाते से कोई सत्यव्यवहार नहीं किया गया है सूचित किया गया है। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वे फिक्स करायी गयी रकम दिनांक 11.01.2002 खाता संख्या 159 तथा दिनांक 08.01.2005 खाता संख्या 188 जो नियमानुसार इस समय करीब 11,00,000/- रुपया हो चुकी है अन्तिम भुगतान तक 10% प्रतिशत ब्याज के साथ तथा मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु 5,00,000/- रुपए परिवादिनी को अदा करें।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी द्वारा कागज संख्या 6/1 अल्प/सावधि जमाराशि रसीद की छायाप्रति जो मुo 1,00,000/- रुपए की है, कागज संख्या 6/2 अल्प/सावधि जमाराशि रसीद की छायाप्रति जो मुo 1,00,000/- रुपए की है, कागज संख्या 6/3ता6/5 केन्द्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी कार्यालय यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा दी गयी सूचना की छायाप्रति तथा कागज संख्या 6/6 ता 6/13 बचत खाता में जमा धनराशि का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उन्होंने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उन्होंने यह कहा है कि परिवादी उपभोक्ता नहीं है। यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया एक निगमित निकाय है जिसकी स्थापना बैंकिंग कम्पनीज 1970 के अधीन हुई है तथा इसका पंजीकृत प्रधान कार्यालय 239, विधान भवन मार्ग, नरीमन प्वाइण्ट, मुम्बई-400021 में स्थित है एवं भारतवर्ष में अनेक शाखाओं के साथ ही साथ एक शाखा रायपुर जिला मऊ में भी स्थित है तथा श्री विकास श्रीवास्तव उक्त रायपुर जिला मऊ शाखा के शाखा प्रबन्धक एवं मुख्य अधिकारी तथा यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया के पावर ऑफ एटार्नी होल्डर हैं जिन्होंने विपक्षीगण बैंक के जानिब से इस आपत्ति/जवाबदेही को हस्ताक्षरित किया है तथा ऐसा कर पाने के लिए व अधिकृत भी हैं। इस मामले सम्बन्धित तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पत्र श्री रामदेव राम एवं परिवादिनी ने संयुक्त नाम से तथा “कोई अथवा उत्तरजीवी” के निर्देश के साथ विपक्षी संख्या 01 की शाखा में अपना बचत खाता संख्या 3284 खोला था जिसका वे अपनी आवश्यकतानुसार संचालन करते थे। कालान्तर में उक्त श्री रामदेव राम एवं परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 01 की शाका में अपने संयुक्त नामों से तथा “कोई अथवा उत्तरजीवी” के निर्देश के साथ मासिक आय योजना के अधीन सावधि जमा खाता संख्या 159 में 60 माह की अवधि के लिए 1,00,000/- रुपए निवेश किया जिसके सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 01 द्वारा सावधि जमा रसीद संख्या 5929573 दिनांक 11.01.2002 निर्गत की गयी जिसकी परिपक्वता तिथि 11.01.2007 रही। कालान्तर में दिनांक 10.10.2003 को श्री रामदेव राम ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर एवं मूल सावधि जमा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके उक्त सावधि जमा रसीद को परिपक्वता तिथि से पहले ही तोड़कर इसकी धनराशि को उनके बचत खाता संख्या 3284 में जमा करने हेतु अनुरोध किया। उपरोक्त सावधि जमा रसीद के संयुक्त नामों से होने के बावजूद “कोई अथवा उत्तरदायी” के निर्दश के कारण श्री रामदेव राम के उपरोक्त अनुरोध पर दिनांक 13.10.2003 को उक्त सावधि जमा खाता संख्या 159 को परिपक्वता तिथि से पहले ही तोड़कर इसकी धनराशि को उनके बचत खाता संख्या 3284 में जमा कर दी गयी। उक्त मूल सावधि जमा प्रमाण पत्र विपक्षी संख्या 01 के पास उपलब्ध है। कालान्तर में पुनः उक्त श्री रामदेव राम एवं परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 01 की शाखा में उपस्थित होकर अपने बचत खाता संख्या 3284 से रुपए 1,00,000/- की रकम अन्तरित कराकर के अपने संयुक्त नामों से तथा “कोई अथवा उत्तरजीवी” के निर्देश के साथ मासिक आय योजना के अधीन सावधि जमा खाता संख्या 188 में 12 माह की अवधि के लिए रुपए एक लाख मात्र निवेश किया जिसके सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 01 द्वारा सावधि जमा रसीद संख्या 5929805 दिनांक 08.01.2005 निर्गत की गयी जिसकी परिपक्वता तिथि 08.01.2006 रही। इस जमा खाता के ब्याज की धनराशि श्री रामदेव राम एवं परिवादिनी के संयुक्त बचत खाता संख्या 3284 में जमा होती रही। कालान्तर में दिनांक 14.02.2006 को श्री रामदेव राम ने विपक्षी संख्या 01 की शाखा में उपस्थित होकर एवं मूल सावधि जमा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके लिखित आवेदन कर उक्त सावधि जमा खाता संख्या 188 की धनराशि को उनके बचत खाता संख्या 3284 में जमा करने हेतु अनुरोध किया। उपरोक्त सावदि जमा रसीद के संयुक्त नामों से होने के बावजूद “कोई अथवा उत्तरजीवी” के निर्देश के कारण श्री रामदेव राम के उपरोक्त अनुरोध पर दिनांक 16.02.2006 को उक्त सावधि जमा खाता संख्या 188 को तोड़कर इसकी धनराशि को श्री रामदेव राम एवं परिवादिनी के बचत खाता संख्या 3284 में जमा कर दिया गया। उक्त मूल सावधि जमा प्रमाण पत्र विपक्षी संख्या 01 के पास उपलब्ध है। उपरोक्त दोनों ही सावधि जमा रसीदों को तोड़ दिए जाने के कारण उनकी तोड़ने की तिथि के बाद से ऐसी जमा रसीदों की रकम के सापेक्ष कोई ब्याज की रकम श्री रामदेव राम एवं परिवादिनी के बचत खाता में जमा नहीं हुई जैसा कि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत पास बुक की प्रति से भी जाहिर होता है। परिवादिनी के परिवाद पत्र के पैरा 04 का कथन निराधार एवं असत्य है कि विपक्षी संख्या 01 द्वारा उसे अथवा उसके पति को कभी ऐसा आश्वासन दिया गया था कि उनके उपरोक्त सावधि जमा खाता उनकी परिपक्वता तिथि के बाद स्वतः नवीनीकृत हो जाएंगे। साथ ही परिवादिनी व उसके पति के नाम के उपरोक्त दोनों ही सावधि जमा प्रमाण पत्र परिपक्वता तिथि के पूर्व अथवा परिपक्वता के उपरान्त तोड़वा दिए गए थे अतएव किसी नवीनीकरण का कोई प्रश्न ही नहीं पैदा होता है। परिवादिनी ने दिनांक 17.02.2007 को अपने पति श्री रामदेव राम की मृत्यु होना बताया है। यद्यपि परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 01 को कभी अपने पति श्री रामदेव राम की मृतय् की सूचना या उनका मृत्यु प्रमाण पत्र आदि नहीं प्रस्तुत किया तथापि उसके द्वारा श्री रामदेव राम की मृत्यु की उसके द्वारा बतायी गयी तिथि के बाद भी बचत खाता का संचालन किया जाता रहा। इस प्रकार परिवादिनी शुरू से ही समस्त तथ्यों से अवगत रही और छिपाती रही। परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। अतः निरस्त किया जाए।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 14/1 सावधि/जमा पुनर्निवेश/नकद प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 14/8 सावधि जमा रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 14/7 शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया चिरैयाकोट मऊ को लिखे गए इस आशय की पत्री छायाप्रति है कि एक एफ.डी. जिसका खाता नं. 159 रु. एक लाख की है। विशेष कारण वश प्रार्थी इसका भुगतान समय सं पहले चाहता है। जिसे उसके बचत खाता संख्या 3284 में करने की कृपा करें, कागज संख्या 14/6 रामदेव राम के बचत खाता में एक लाख रुपए जमा करने की रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 14/5 सावधि जमा रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 14/4 रामदेव राम ने एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर यह निवेदन किया है कि उसका फिक्स खाता संख्या 5929805 है तथा चालू खाता संख्या 3284 रामदेव राम व मंसा देवी के नाम से है। फिक्स खाते की रकम चालू खाता में जमा करने को आदेश करने की कृपा करें तथा कागज संख्या 14/3 एक लाख रूपए 3284 चालू खाते में जमा करने की रसीद की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
बहस के समय याची अनुपस्थित तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि स्वo रामदेव राम ने अपने दोनों सावधि बचत खाता संख्या को तोड़वाकर अपने बचत खाता में जमा करवा लिया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.09.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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