ISHTEYAQ filed a consumer case on 26 Jul 2021 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/74/2008 and the judgment uploaded on 28 Jul 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 74 सन् 2008
प्रस्तुति दिनांक 03.04.2008
निर्णय दिनांक 26.07.2021
इश्तेयाक अहमद पुत्र तहीरुद्दीन मकान नं. 177 साहिल काटेज वारादरी, विला कोट तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विगत कई वर्षों से इथोपिया (पूर्वी अफ्रीका) में नौकरी करता था। दिनांक 11.04.2007 को ड्राफ्ट संख्या 212869 द्वारा 35,000/- रुपया यू.बी.आई. शाखा आजमगढ़ में जमा हुआ। दिनांक 25 जून, 2007 तक उक्त चेक कैश न हो सका। जिसके कारण परिवादी के परिवार वालों को मानसिक व आर्थिक कष्ट उठानी पड़ी। परिवादी का चेक कैश न होने पर बैंक के आग्रह पर परिवादी ने इथोपियन कामर्शियल बैंक अवासा ब्रान्च से एक दूसरा चेक निर्गत करने हेतु आग्रह किया तो इथोपियन कॉमर्शियल बैंक ने बैंक ऑफ इण्डियन ओवरसीज ब्रान्च मुम्बई को उक्त चेक का भुगतान करने से रोक दिया और इथोपियनन कामर्शियल बैंक अवासा ब्रान्च ने परिवादी को इथोपियन करेन्सी में 35,000/- रुपया का भुगतान कर दिया। जिससे परिवादी को वैल्यू अन्तर होने के कारण काफी नुकसान हुआ। परिवादी ने बैंक द्वारा की गयी असावधानी व लापरवाही के कारण उसके चेक का भुगतान नहीं हो सका। जिसके कारण उक्त चेक कैंसिल हुआ और दो महीना बाद उक्त पैसे का भुगतान परिवादी को इथोपियन करेन्सी बिर में किया गया। इस तरह एक्चेन्ज रेट के कारण 10,000/- रुपए का नुकसान हुआ। सर्विस जार्ज के रूप में 500/- का नुकसान हुआ, उक्त 35,000/- रुपया वापस प्राप्त न करने में 5,000/- का नुकसान हुआ, मानसिक क्षति 10,000/- रुपया, शारीरिक क्षति 20,000/-रुपया इस तरह कुल 4,55,000/- रुपए का नुकसान हुआ। इस सम्बन्ध में याची ने एक प्रार्थना पत्र दिनांक 31.08.2007 को मैनेजर यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया आजमगढ़ को दिया तथा रिजनल मैनेजर यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया सिविल लाइन्स आजमगढ़ को दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। दिनांक 07.02.2007 को कानूनी नोटिस दिया। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह कुल 45,500/- रुपया बतौर क्षतिपूर्ति मय ब्याज परिवादी को अदा करे।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 5/2 यू.बी.आई. मेन ब्रान्च में दिए गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/3ता5/4 यू.बी.आई. आजमगढ़ को दिए गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/5 यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया की तरफ से परिवादी को लिखा गया इस सन्दर्भ का पत्र है कि उसके द्वारा इथोपियन बैंक द्वारा जारी चेक के कलेक्शन के लिए भेजा गया, लेकिन अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। कागज संख्या 5/6 कॉमर्शियल बैंक ऑफ इथोपिया को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/8 कॉमर्शियल बैंक ऑफ इथोपिया का डेबिट टिकट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 5/9 एक प्रलेख है जो अपठनीय है प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 11 विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी को परिवाद पत्र दाखिल करने का कोई अधिकार हासिल नहीं था। वास्तविकता यह है कि याची ने विपक्षी संख्या 01 के यहाँ अपना खाता खोला था और बैंकर्स चेक नं. 0212869 दिनांक 11.04.2007 को 35,000/- रुपया जो कि कॉमर्शियल बैंक इथोपिया ग्राम अवासा का था कलेक्शन के लिए जमा किया। विपक्षी संख्या 01 ने उसे ईमानदारीपूर्वक कार्य करते हुए ओवरसीज बैंक में चेक के कलेक्शन के लिए बैंक ऑफ इण्डिया मुम्बई ओवरसीज ब्रान्च को भेजा। विपक्षी संख्या 01 ने उसके लिए कई बार रिमाइन्डर बेजा। विपक्षी संख्या 01 से दिनांक 25.06.2007 द्वारा परिवादी ने याचना किया कि कामर्शियल बैंक इथोपिया ब्रान्च अवासा को डुप्लीकेट चेक देने के लिए कहा और उस बैंक ने एक लेटर बैंक ऑफ इण्डिया को लिखा। बाद में ओवरसीज बैंक इथोपिया ग्राम अवासा चेक का भुगतान करने के लिए तैयार हो गया और परिवादी ने वहां से अपना रुपया प्राप्त कर लिया। उसकी कोई भी आलोचना विपक्षी संख्या 01 नहीं किया। परिवाद संधार्य नहीं है। अतः खारिज किया जाए।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
उभय पक्षों को सुना तथा पत्रावली का अवुलोकन किया। याची ने अपने याचना पत्र के पैरा 03 में यह कहा है कि परिवादी को इथोपियन करेन्सी में 35,000/- रुपया का भुगतान कर दिया, लेकिन उसने आगे कहा है कि यूनियन बैंक की गलती की वजह से उसे काफी नुकसान हुआ और उसने पैरा 04 में कुल नुकसान 4,55,000/- रुपया दिखाया है जो कि एक असम्भव धनराशि है। यहाँ पर इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि दिनांक 25.06.2007 को यू.बी.आई. शाखा आजमगढ़ ने याची को एक पत्र इस आशय का लिखा था कि उसके दवारा चेक कलेक्शन के लिए भेज दिया गाय है। चूंकि यूनियन बैंक आजमगढ़ ने उस चेक के भुगतान हेतु कलेक्शन के लिए भेज दिया था और उसके बाबत उसने याची को सूचित भी कर दिया था। ऐसी स्थिति में यह न माना जाएगा कि विपक्षी संख्या 01 ने कोई उपेक्षापूर्ण कार्यवाही किया है। इसके साथ ही परिवाद पत्र के पैरा 04 में परिवादी ने 4,55,000/- रुपए का नुकसान की बात कहा है जबकि अनुतोष में 45,500/- की बात कहा है, दोनों में कौन सत्य है इस बात को परिवादी स्पष्ट नहीं कर पाया है। अतः उपरोक्त विवेचना से हमारे विचार से परिवाद अस्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 26.07.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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