INDRA RAJ YADAV filed a consumer case on 04 May 2019 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/34/2011 and the judgment uploaded on 16 May 2019.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 34 सन् 2011
प्रस्तुति दिनांक 26.07.2011
निर्णय दिनांक 04/05/2019
इन्द्राज यादव पुत्र रामबली यादव साकिन- दमदियावन पोस्ट- मोहनाट, जिला- आजमगढ़।
............................................................................................परिवादी।
बनाम
.........................................................................................विपक्षीगण।
उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव
अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसका विपक्षी के बैंक में बचत खाता संख्या 1803 विपक्षी नं. 02 के यहां चल रहा है, जिसमें से दिनांक 24.12.2002 को 1,00,000/- रुपया निकाला गया। महेन्द्र यादव निवासी मोहनाट जिला आजमगढ़ को ईंट भट्ठा खोलना था और उसे ऋण की आवश्यकता थी, जिसमें परिवादी गारन्टर बना और उसने डी.आर.सी. रुपया 10,000/-, के.वी.पी. रुपया 22,400/- तथा एस.आर.आर. 7099008/125 रुपया 1,00,000/- विपक्षी संख्या 01 के यहां से सिक्योरिटी बन्धक करवाया था। उसका एस.डी.आर. नं. 7099008, मुo 1,00,000/- रुपया का बन्धक नहीं किया गया है। महेन्द्र यादव का भट्ठा नहीं चल पाया। परिवादी का बन्धक रखी गयी धनराशि ऋण में समायोजित कर ली गयी, लेकिन परिवादी का 1,00,000/- रुपया ऋण खाते में समायोजित नहीं किया गया। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह एस.डी.आर. 7099008/125 रुपया 1,00,000/- दिनांक 24.12.2002 का भुगतान जमा की तिथि से आज तक यानी आठ वर्ष का उस पर चक्रवृद्धि ब्याज 12% के हिसाब से 2,47,000/- रुपया शिकायतकर्ता को दें तथा आर्थिक व मानसिक कष्ट हेतु 20,000/- रुपया अदा करें।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
P.T.O.
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प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 6/1 इन्द्राज यादव को यूनियन बैंक द्वारा लिखा गया पत्र, कागज संख्या 6/2 सहायक महाप्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया क्षेत्रीय कार्यालय आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 ऋण के ब्यौरे की छायाप्रति, कागज संख्या 6/5 बैंक खाते की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी की ओर से कागज संख्या 13/1 जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र कथनों से इन्कार किया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवाद संधार्य नहीं है। वास्तविकता यह है कि महेन्द्र यादव को विपक्षी संख्या 01 से 4,75,000/- रुपये का कैश क्रेडिट हाइथोफिकेशन फैसिलिटी का लोन जो कि 9,50,000/- रुपये ब्रिक क्लीन यूनिट मेसर्स महेन्द्र यादव बी.के.ओ. विलेज भानीपुर निजामाबाद को दिया गया, जिस पर ब्याज दर 15% वार्षिक पर दिया गया था। महेन्द्र यादव ने डिमाण्ड प्रॉमिसरी नोट एग्रीमेन्ट ऑफ हाइथोफिकेशन लिखा था। जिसमें गारण्टर रामबली यादव, श्रीमती धर्मा देवी तथा इन्द्राज यादव थे। बॉरोवर ने बैंक के नियमों का उल्लंघन किया और दिनांक 16.06.2007 को रिकवरी वारण्ट जारी किया गया। रिकवरी प्रमाणपत्र जारी करने के पश्चात् मिस्टर मुचुन देव सिंह एक स्योरिटी ओ.एस. नम्बर 01/2008 मुचुन देव सिंह एलियाज राज किशोर सिंह बनाम यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया पर्मानेन्ट इन्जंक्शन के लिए सिविल जज कोर्ट 12 आजमगढ़ में वाद प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् बॉरोवर माननीय उच्च न्यायालय गए और उसने सिविल मिस. पिटिशन नंबर 576304/2007 प्रस्तुत किया। दिनांक 22.11.2007 को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने पिटिशनर को चार इन्स्टॉलमेन्ट में भुगतान करने का आदेश दिया। उसके पश्चात् बॉरोवर ने कन्ज्यूमर केश नम्बर 79/2008 महेन्द्र यादव बनाम ब्रांच मैनेजर एवं अन्य फोरम आजमगढ़ में प्रस्तुत किया, जो लम्बित है। बाद में बॉरोवर ने कन्ज्यूमर केश नम्बर 121/2009 कन्ज्यूमर कोर्ट में प्रस्तुत बैंक लोन रेवेन्यू ऑथर्टीज द्वारा प्राप्त नहीं कर पायी गयी। केश नम्बर ओ.ए.386/2010 विपक्षी पर तामिल हुआ और बॉरोवर ने 34/2011 अपने सगे भाई इन्द्राज यादव के नाम से दाखिल करवा दिया। केश ओ.ए. 386/2010 डेप्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल इलाहाबाद दिनांक 27.02.2014 को निस्तारित किया गया। इस प्रकार यह परिवाद संधार्य नहीं है।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ प्रस्तुत किया गया है। P.T.O.
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प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी द्वारा कागज संख्या 17/1 डेप्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। चूंकि यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया ने डेप्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल इलाहाबाद में परिवाद प्रस्तुत किया था, जिसमें बॉरोवर तथा गारण्टर को बकाया अदा करने का आदेश पारित किया गया था। परिवादी का यह कर्तव्य था कि वह उस निर्णय के विरुद्ध ऊपरी न्यायालय में जाता, लेकिन उसके द्वारा ऐसा नहीं किया गया है। हमारे विचार से ऐसी स्थिति में यह परिवाद संधार्य नहीं है।
आदेश
परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 04/05/2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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