HARISH CHANDRA filed a consumer case on 05 Jan 2021 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/163/2008 and the judgment uploaded on 12 Jan 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 163 सन् 2008
प्रस्तुति दिनांक 29.08.2008
निर्णय दिनांक 05.01.2021
हरिश्चन्द यादव उम्र लगभग 52 वर्ष पुत्र श्री गोमती यादव निवासी साकिन- नवबरार त्रिपुरारपुर आइमा पोस्ट- नवबरार देवारा जदीद किता दोयम तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह एक छोटा किसान है और खेती के लिए ट्रैक्टर क्रय करने हेतु उसने विपक्षी संख्या 01 से 2003 में ऋण लिया। ऋण लेते वक्त विपक्षी संख्या 01 ने बताया कि इस पर साधारण ब्याज लगेगा। उक्त ऋण की धनराशि 2,85,000/- थी और उसे विपक्षी संख्या 02 के यहाँ विक्रय करने के लिए सूचित किया। परिवादी ने विपक्षी संख्या 02 को ट्रैक्टर की सम्पूर्ण कीमत अदा किया। विपक्षी संख्या 02 द्वारा परिवादी को केवल एक अदद मैसी फर्गुसन डी.आई.मॉडल नम्बर एम.एफ.1035 डी.आई.आर. उपलब्ध कराया गया। परिवादी ने जब विपक्षी संख्या 02 से क्रय रसीद व अन्य कागजात मांगा तो उसने कहा कि चूंकि बैंक ने ऋण दिया है अतः सारे कागजात बैंक तो दि दिए जाएंगे। जब विपक्षी संख्या 01 के कर्मचारी मौके पर सत्यापन हेतु पहुंचे और उससे कागजात की मांग की गई तो परिवादी ने कहा कि ट्रैक्टर बिक्रेता ने सारे कागजात बैंक को दे दिए हैं। इसके बाद परिवादी ने विपक्षी संख्या 02 से बार-बार कागजात देने हेतु कहा, लेकिन उसने कागजात उसे नहीं दिया। इसी बीच विपक्षी संख्या 02 ने परिवादी से 36,487/- रुपया अदा करने हेतु कहा। चूंकि ऋण सम्बन्ध ड्रॉफ्ट विपक्षी संख्या 01 ने विपक्षी संख्या 02 को भेज दिया था। अतः परिवादी के उपर कोई भी बकाया धनराशि नहीं थी। सारी परिस्थिति जानते हुए भी विपक्षी
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संख्या 01 ने परिवादी के विरुद्ध वसूली प्रमाणपत्र जारी कर दिया और उसका ट्रैक्टर ट्राली बिना सूचित किए हुए तहसील में खड़ा कर दिया। परिवादी ने यह कहा कि वह ऋण की अधिकतम धनराशि जमा करने के लिए तैयार है। उसका ट्रैक्टर छोड़ दिया जाए। लेकिन उसका ट्रैक्टर छोड़ा नहीं गया और उसे अपशब्द भी कहे गए। विपक्षीगण द्वारा नीलामी व बिक्रय की कोई सूचना परिवादी को नहीं दिया तो परिवादी ने मण्डल आयुक्त के यहाँ प्रार्थना पत्र दिया जो अभी विचाराधीन है। विपक्षी संख्या 01 द्वारा सेवा दायित्वों का घोर उल्लंघन किया गया है। परिवादी से गलत ढंग से ब्याज लिया गया। अतः विपक्षी संख्या01 को निर्देशित किया जाए कि वह कृषि ऋण पर केवल 06% साधारण वार्षिक ब्याज लगाकर वसूली करे। विपक्षी संख्या 02 को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को ट्रैक्टर का सारा कागजात उपलब्ध कराया जाए। परिवादी को आर्थिक व मानसिक कष्ट हेतु एक लाख रूपया दिलवाया जाए।
परिवादी दवारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी की ओर से प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 6/2 बैंक द्वारा परिवादी को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 कोषागार में धन जमा करने की रसीद की छायाप्रति, इसके पश्चात् बैंक द्वारा परिवादी को दी गई नोटिस की छायाप्रति, उसके पश्चात् परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 01 के यहाँ धन जमा कराए जाने सम्बन्धी रसीद का छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी ने यह परिवाद केवल हैरान व परेशान करने के उद्देश्य से दाखिल किया है। विपक्षी संख्या 01 द्वारा भेजी गई आर.सी. के अनुपालन में आजतक कार्यवाही की सूचना विपक्षी संख्या 03 व 04 द्वारा नहीं दी गयी न ही विपक्षी संख्या 01 को कोई आर.सी. के अनुपालनार्थ नीलाम व वसूल कर धनराशि ही बैंक के खाते में जमा करायी गयी। वर्तमान में याची के ऊपर कुल 3,05,488/- रुपया ऋण का बकाया है और उसी की वसूली हेतु आर.सी. नियमानुसार जारी है। अतः परिवाद पत्र निरस्त किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी को यह परिवाद दाखिल करने का कोई हक नहीं है। परिवीद ने माह मार्च 2003 में विपक्षी संख्या 02 से मिलकर अवगत कराया गया कि उसे 30 हॉर्स पॉवर का मैसी फरगूसन ट्रैक्टर, डिस्क हैरो एवं 05 हॉर्स पॉवर का थ्रेसर लेना
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है जिसकी कीमत वह किसी बैंक से ऋण लेकर शीघ्र ही भुगतान कर देगा। इसमें से 30 हॉर्स पॉवर के मैसी फरगूसन ट्रैक्टर की कीमत 299212/-ल एवं डिस्क हैरो की कीमत 16,000/- रुपया एवं हॉर्स पॉवर के थ्रेसर की कीमत 16,000/- मात्र थीं। परिवादी पर विश्वास करके दिनांक 26.03.2003 को परिवादी को 30 हॉर्स पॉवर का मैसी फरगूसन ट्रैक्टर उधार दे दिया गया। उक्त रकम के अलावा ट्रैक्टर के रजिस्ट्रेशन आदि का भी खर्च देना था। परिवादी ने उक्त ट्रैक्टर की कीमत दिनांक 27.03.2003 को भुगतान करने को कहा। इसके सम्बन्ध में परिवादी ने दिनांक 26.03.2003 को एक रसीद लिखा। दिनांक 27.03.2003 को परिवादी पुनः विपक्षी संख्या 02 के यहाँ आया और 05 हॉर्स पॉवर का थ्रेसर और एक मोटर साइकिल उधार ले गया और इन सबके सम्बन्ध में दिनांक 27.03.2003 को एक रसीद लिख दिया। इसके बाद पुनः परिवादी विपक्षी संख्या 02 के पास गया और बताया कि उसके क्षेत्र में 35 हॉर्स पॉवर के मैसी फरगूसन ट्रैक्टर एवं 10 हॉर्स पॉवर का थ्रेसर की ज्यादा मांग है। अतः 35 हॉर्स पॉवर के मैसी फरगूसन ट्रैक्टर कीमत रुपया 3,20,887/-, डिस्क हैरो कीमत 16,000/- रुपया एवं 10 हॉर्स पॉवर का थ्रेसर दे दिया गया। दिनांक 20.04.2003 को परिवादी ने विपक्षी संख्या 02 को सूचित किया कि उपरोक्त कीमत में से रुपया 2,85,000/- रुपया बैंक ऋण देने को तैयार है। शेष रकम परिवादी को लगाना है परन्तु बिना परिवादी के मार्जिन मनी या एजेन्सी में अग्रिम रकम जमा किए बैंक लोन देने को तैयार नहीं है। चूंकि परिवादी बकाया रकम नहीं दे रहा था। अतः उसे 36,887/- रुपए की रसीद दे दिया। परिवाद संधार्य नहीं है। अतः परिवाद निरस्त किया जाए।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 02 की ओर से प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 13ग परिवादी द्वारा लिखी गई एक रसीद प्रस्तुत की गयी है, इसके बाद ट्रैक्टर लिए जाने सम्बन्धी व शेष रकम भुगतान हेतु रसीद दिया है, कागज संख्या 11/2 हरिश्चन्द द्वारा प्रबन्धक अदीबा ट्रैक्टर्स को लिखा गया इस आशय का पत्र है कि यदि व बकाया धनराशि अदा नहीं करेगा तो ट्रैक्टर वापस कर ले लेगा, कागज संख्या 11/3 ट्रैक्टर क्रय किए जाने की रसीद, कागज संख्या 11/4 बकाया धनराशि की रसीद, कागज संख्या 11/5 तीन लाख रूपए की रसीद, कागज संख्या 11/7 ट्रैक्टर की रसीद, विपक्षी संख्या 01 की ओर से कागज संख्या 15 हाइपोथिकेशन एग्रीमेन्ट प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान परिवादी अनुपस्थित था। अतः विपक्षीगण को सुना एवं पत्रावली का अवलोकन किया। पत्रावली में एक कागज संख्या 26ग संलग्न है
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जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि बैंक ने कुछ छूट देकर परिवादी को ऋण का भुगतान कर उसे ऋण मुक्त कर दिया है। इस प्रकार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 01 का कोई दायित्व नहीं है। जहाँ तक विपक्षी संख्या 02 का प्रश्न है तो उसे यह आदेशित किया जाता है कि वह अन्दर 30 दिन परिवादी को ट्रैक्टर के सारे कागजात उपलब्ध करावें। विपक्षी संख्या 03,04 के खिलाफ परिवाद निरस्त किया जाता है।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 05.01.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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