BALIRAJ SINGH filed a consumer case on 05 Aug 2021 against UBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/151/2013 and the judgment uploaded on 19 Aug 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 151 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 19.09.2013
निर्णय दिनांक 05.08.2021
बलिराज सिंह पुत्र श्री सुबाषचन्द सिंह साकिन- सिंहपुर कटहन, थाना- मेंहनगर, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया जरिए शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा सिंहपुर कटहन जिला- आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह लोक निर्माण विभाग आजमगढ़ में ठेकेदारी का कार्य करता है, जिसके लिए विपक्षी की शाखा से मुo 45,000/- नकद कैश दिनांक 16.02.2009 को जमा करके अल्पसावधि जमा एक वर्ष के लिए एफ.डी.आर. जो अधिशासी अभियन्ता आजमगढ़ के नाम था लिया था, जिसे लोक निर्माण विभाग आजमगढ़ में ठेकेदारी के सम्बन्ध में जमा किया गया था। उक्त एफ.डी.आर. जब परिवादी को लोकनिर्माण विभाग से वापस प्राप्त हुआ तब उसे विपक्षी की शाखा पर लेकर गया और उक्त एफ.डी.आर. के भुगतान के लिए निवेदन किया जिस पर विपक्षी द्वारा भुगतान न करके आजकल करके विलम्ब किया जाता रहा। जिससे परिवादी को विपक्षी के बैंक का बार-बार चक्कर लगाना पड़ा। मजबूर होकर परिवादी ने दिनांक 15.06.2021 को विपक्षी को विधिक नोटिस दिया तब विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि परिवादी ने उक्त के सम्बन्ध में 5 वर्ष पूर्व प्रार्थना पत्र दिया था। जिसकी जाँच कराई गयी और वह असत्य पायी गयी। जबकि परिवादी द्वारा एफ.डी.आर. वर्ष 2009 में लिया था जो वर्ष 2010 तक के लिए था। ऐसी स्थिति में विपक्षी द्वारा यह कहा जाना कि परिवादी ने 5 वर्ष पूर्व उक्त के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र दिया गया था बिल्कुल ही असत्य है। क्योंकि परिवादी द्वारा उक्त एफ.डी.आर. प्राप्त किए हुए उस समय पांच वर्ष नहीं हुआ था। विपक्षी द्वारा याची का उक्त एफ.डी.आर. की धनराशि को कपटपूर्ण बेइमानी की नीयत से हड़प करके परेशान किया जा रहा है। अतः विपक्षी शाखा प्रबन्धक यू.बी.आई. शाखा सिंहपुर जिला आजमगढ़ द्वारा एफ.डी.आर. की धनराशि मुo 45,000/- रुपया तथा आर्थिक व मानसिक कष्ट हेतु 50,000/- रुपया अर्थात् कुल रुपया 95,000/- रुपया विपक्षी से दिलवाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 8/1 एफ.डी.आर. की छायाप्रति, कागज संख्या 9 रजिस्ट्री रसीद, कागज संख्या 10 बैंक द्वारा इस आशय का भेजे गए पत्र की प्रमाणित प्रति कि मामले की जाँच बैंक के उच्चाधिकारी द्वारा की गयी एवं जाँच प्रतिवेदन क्षेoकाoआo शिकायत 2482:09 दिनांक 26.10.2009 द्वारा आपके मुवकिल द्वारा किए जा रहे मांग को गलत घोषित किया गया। कागज संख्या 8/1 जो एफ.डी.आर. की छायाप्रति है उसके अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि एफ.डी.आर. दिनांक 16.02.2010 को जमा किया गया था, जिसका भुगतान अब तक विपक्षी द्वारा नहीं किया गया है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। चूंकि परिवादी ने विपक्षी के यहाँ 45,000/- रुपए का एफ.डी.आर. खोला था जिसका भुगतान परिवादी को मिलना चाहिए था, जिसे विपक्षीगण ने भुगतान नहीं किया। अतः परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसकी जमाशुदा एफ.डी.आर. की धनराशि पर उस समय के निर्धारित ब्याज के साथ अन्दर तीस दिन अदा करे तथा विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को आर्थिक व मानसिक कष्ट हेतु मुo5,000/- रुपए (रु. पांच हजार मात्र) भी अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 05.08.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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