Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/121/2019

AJAY KUMAR - Complainant(s)

Versus

UBI - Opp.Party(s)

KUNWAR BAHADUR SINGH

05 Aug 2021

ORDER

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 121 सन् 2019

प्रस्तुति दिनांक 10.10.2019

                                                                                                निर्णय दिनांक 05.08.2021

           अजय कुमार सिंह प्रोपराईटर, बीoडीo ट्रेडर्स, पहाड़पुर, जनपद- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्धक, शाखा- तकिया, शहर व जिला- आजमगढ़।
  2. एक्सिस बैंक द्वारा शाखा प्रबन्धक, शाखा कार्यालय- रैदोपुर, (निकट डीoएoबीo इण्टर कालेज) शहर व जिला- आजमगढ़।      
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह अपने आवश्यकतानुसार विपक्षी संख्या 01 से अपने फर्म के नाम से खोले गए खाता के माध्यम से काफी दिनों से खाता संचालित करते चले आ रहे हैं। दिनांक 01.06.2018 को परिवादी द्वारा 2,00,000/-का आर.टी.जी.एस. एक्सिस बैंक के एकाउन्ट नं. जे.के.12000224 में सन्दर्भित धनराशि अन्तरित किए जाने हेतु फार्म भरकर जमा किया गया, जिसमें भूलवश शब्द “जे.के.” फार्म में दर्ज करना छूट गया। ऐसी स्थिति में उक्ति धनराशि जे.के. 12000224 में धनराशि अन्तरित न होकर पुनः वापस परिवादी के खाते में जो आ जानी चाहिए थी न आकर उक्त विपक्षीगण की लापरवाही व उपेक्षापूर्वक कार्य करने के कारण एक्सिस बैंक के ही एक अन्य खाता संख्या 910020013419684 में अन्तरित हो गया। परिवादी ने मौखिक व लिखित रूप से इसकी सूचना विपक्षीगण को दिया जिस पर बैंक विपक्षी संख्या 01 द्वारा भी सन्दर्भित धनराशि वेनीफिसियरी एकाउन्ट के बैंक अर्थात् विपक्षी संख्या 02 से उक्त धनराशि को समायोजित कराने/वापस कराए जाने के सन्दर्भ में काफी प्रयास किया गया। लेकिन परिवादी को वापस नहीं हुआ। मजबूर होकर परिवादी ने विधिक नोटिस दिया। अतः विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाए कि वह विपक्षी संख्या 02 परिवादी की धनराशि मुo दो लाख रुपए जो उससे सन्दर्भित खाता संख्या 910020013419684 में जो विपक्षीगण के त्रुटि के कारण अनावश्यक विपक्षी संख्या 02 उक्त धनराशि का लाभार्थी विधि विरुद्ध तरीके से है। परिवादी को मय 18% वार्षिक ब्याज की दर से अदा करें तथा विपक्षी संख्या 01, जिसकी वजह से परिवादी को अनावश्यक रूप से क्षति आर्थिक, मानसिक व शारीरिक झेलनी पड़ी उसके लिए एक लाख रुपया अदा करें।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7/1 आर.टी.जी.एस. फार्म की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2ता7/3 विपक्षी संख्या 01 को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/4ता7/7 शाखा प्रबन्धक तकिया आजमगढ़ को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/8 मुख्य प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/9 बैंक द्वारा जारी पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/10ता7/19 ई-मेल मैसेज की छायाप्रति, कागज संख्या 7/21 बैंक द्वारा भेजे गए इस आशय का ई-मेल है जिसमें यह लिखा गया है कि ‘कृपया हमारे आजमगढ़ मुख्य शाखा आजमगढ़ द्वारा निम्नलिखित मेल एवं शाखा के ग्राहक द्वारा प्राप्त संलग्न पत्र का सन्दर्भ लें एवं गलत काते में आर.टी.जी.एस. द्वारा राशि अंतरित होने का संज्ञान लेते हुए हमारे ग्राहक के आवेदन पर रेमिटेड रकम को वापस भिजवाने की कृपा करें’, कागज संख्या 7/24 नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।    

कागज संख्या 8क विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि परिवाद पत्र में वर्णित तथ्य कि परिवादी श्री अजय कुमार सिंह फर्म मेoबीoडीo ट्रेडर्स पहाड़पुर शहर आजमगढ़ का प्रोपरायटर है, उसे स्वीकार है। परन्तु इस धारा के शेष कथन अस्वीकार है क्योंकि परिवादी श्री अजय कुमार सिंह की उपरोक्त फर्म काफी बड़े पैमाने पर व्यावसायिक कार्य संचालित करती है अतएव परिवादी का भरण पोषण सम्बन्धी कथन महज इस कन्डीशन की अधिकारिता में लाने के लिए कहा गया है जो तथ्यों व परिस्थितियों के विपरीत है। धारा 01 परिवाद पत्र में वर्णित तथ्य कि परिवादी श्री अजय कुमार सिंह ने अपनी प्रोपराइटरशिप फर्म मेo बी.डी. ट्रेडर्स मोहल्ला पहाड़पुर शहर आजमगढ़ के नाम से विपक्षी संख्या 01 के यहाँ चालू खाता खोला है, स्वीकार है। साथ ही परिवादी द्वारा आर.टी.जी.एस. फार्म में गलत खाता संख्या दर्ज करके दिनांक 01.06.2018 को रुपए 2,00,000/- मात्र की धनराशि ऐक्सिस बैंक लिमिटेड मुम्बई के खाताधारक को प्रेषित व अन्तरित किया जाना भी स्वीकार है परन्तु गलत खाता संख्या प्राप्त कर्ता का नाम गलत होने की स्थिति में सम्बन्धित धनराशि के वापस लौट आने सम्बन्धी कथन विपक्षी संख्या 01 को अस्वीकार है। अलबत्ता विपक्षी संख्या 01 द्वारा कालान्तर में किए गए पत्राचारों से यह तथ्य ज्ञात होना स्वीकार है कि परिवादी द्वारा गलत खाता संख्या लिख देने के कारण उसके द्वारा प्रेषित धनराशि विपक्षी संख्या 02 के खाता संख्या 910020013419684 के धारक इक्सक्यूटिव इन्जीनयर बिल्डिंग एण्ड रोड सेन्ट्रल डिवीजन पी.डब्ल्यू.डी. के खाते में जमा हो गया। परन्तु इसमें विपक्षी संख्या 01 के पक्ष पर किसी प्रकार की लापरवाही या उपेक्षा से सम्बन्धी परिवादी के कथनों से स्पष्ट इंकार है। धारा 03 परिवाद पत्र में वर्णित तथ्य कि परिवादी की उपरोक्त धनराशि की वापसी हेतु विपक्षी संख्या 01 द्वारा काफी प्रयास किया जाना तथापि विपक्षी संख्या 02 द्वारा प्रश्नगत धनराशि वापस न किया जाना स्वीकार है। धारा 04 परिवाद पत्र में वर्णित तथ्य कि परिवादी द्वारा हमें कानूनी नोटिस प्रेषित की गयी थी जिसका उचित उत्तर दिया गया। प्राथमिक आपत्ति में विपक्षी संख्या 01 ने यह कहा है कि परिवादी की प्रोपरायटरशिप फर्म  मेoबी.डी. ट्रेडर्स मोहल्ला पहाड़पुर, शहर आजमगढ़ एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान है जो कि काफी बड़े पैमाने पर व्यावसायिक कार्य करते हैं। विपक्षी संख्या 01 द्वारा दाखिल किए जा रहे परिवादी के चालू खाता के स्टेटमेन्ट आदि से स्पष्ट है कि परिवादी उक्त चालू खाता में लाखों रुपए जमा करते व निकालते रहते हैं। महज एक माह (दिनांक 15.05.2018 से 15.06.2018 तक) में परिवादी ने अपने इस खाता में रुपए 4060601/- जमा किया एवं 3197470/- की निकासी किया एवं दिनांक 15.06.2018 का इस खाता में जमा अवशेष 8,63,131.55 रहा है जो काफी बड़ी धनराशि है। अतः परिवादी उपभोक्ता के श्रेणी में नहीं आता है। अतिरिक्त कथन में कहा है कि परिवादी को वाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार हासिल नहीं है। परिवादी ने खुद गलत खाता में आर.टी.जी.एस. से पैसा जमा किया है और उसके लिए वह खुद जिम्मेदार है।     

विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

कागज संख्या 13ग व 14ग विपक्षी संख्या 01 द्वारा प्रस्तुत प्रलेख है।

उभय पक्षों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा 02 में ही लिखा है कि वह भूलवश शब्द “जे.के.” फार्म में दर्ज करना छूट गया। ऐसी स्थिति में उक्ति धनराशि जे.के. 12000224 में धनराशि अन्तरित न होकर पुनः वापस परिवादी के खाते में जो आ जानी चाहिए थी, लेकिन वह वापस नहीं आयी। वह एक्सिस बैंक के ही एक अन्य खाता संख्या 910020013419684 में अन्तरित कर दी गयी। इस प्रकार जो भी गलती की गयी है वह परिवादी द्वारा ही गलती की गयी है। जहाँ तक विपक्षी ने सन्दर्भित उक्त धनराशि को वापस देने के लिए काफी लिखा-पढ़ी किया है, जिसका उल्लेख पत्रावली में दर्ज है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।

 

 

 

 

 

 

 

 

                                                   आदेश

                                                     परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                              गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण  कुमार सिंह 

                                            (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

         दिनांक 05.08.2021

                                            यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                 गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                  (सदस्य)                                (अध्यक्ष)

 

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