Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/42/2013

TILLU RAM - Complainant(s)

Versus

U.P.SAHKARI BANK - Opp.Party(s)

JAGDISH YADAV

22 Oct 2020

ORDER

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 42 सन् 2013

प्रस्तुति दिनांक 30.03.2013

           निर्णय दिनांक 22.10.2020          

टिल्ठू राम पुत्र स्वo चरित्तर राम साकिन व पोस्ट- भोरमऊ, तहसील- फूलपुर, जिला- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. रिजनल मैनेजर उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड लखनऊ।
  2. मैनेजर उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड लिखनऊ शाखा फूलपुर, जनपद- आजमगढ़।
  3. जिला अधिकारी आजमगढ़।
  4. उप-जिला अधिकारी तहसील फूलपुर, जिला- आजमगढ़।
  5. तहसीलदार फूलपुर जिला- आजमगढ़।

...........................................................................................विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने परिवाद पत्र में परिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादी अनुसूचित जाति का व्यक्ति है। परिवादी उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड लखनऊ शाखा फूलपुर जनपद आजमगढ़ से डेयरी के लिए 65000/- रुपये का ऋण लिया था। जिसका खाता संख्या 53702 था। बैंक मैनेजर द्वारा ऋण के बारे में बताया गया कि 65000/- रुपया में से ½ नहीं देना है। आधा ऋण यानी 32500/- रुपया उसको जमा करना है। लोन देने के पश्चात् परिवादी ने 15000/- रुपया में लोन देने के पश्चात् परिवादी ने बैंक को 15000/- रुपये एक किस्त व 2000/- रुपये जमा कर दिया। परिवादी ने जो दो भैंस खरीदी थी वह मर गई। जिससे लोन जमा करना व अपने परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया। दो तीन दिन पूर्व तहसील फूलपुर के अमीन आए और बताए कि उसके नाम 160000/- रुपया बकाया है। यदि बैंक के मैनेजर समय से उसे नोटिस दे देते तो वह उधार जमा कर देता। परिवादी ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड लखनऊ शाखा फूलपुर जिला आजमगढ़ का बकायादार है। बैंक मैनेजर का यह कर्तव्य था कि बकाया ऋण होने के पश्चात् उसे नोटिस देता लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अनुतोष में परिवादी ने यह कहा है कि मैनेजर उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड लखनऊ शाखा फूलपुर जनपद आजमगढ़ को यह

P.T.O.

 

 

 

2

निर्देश दें कि वह समस्त लोन का बकाया बगैर सरचार्ज व बगैर किसी सूद के परिवादी को उपलब्ध कराए जिससे वह शेष लोन को जमा कर सके। वसूली अविलम्ब रोक दी जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

परिवादी ने सहकारी ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड लखनऊ की छायाप्रति प्रलेखीय साक्ष्य में प्रस्तुत किया है।

विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि परिवादी ने डेयरी हेतु 65000/- रुपये का ऋण लिया था। भिन्न-भिन्न तिथियों को उसके द्वारा सात-सात हजार रुपया जमा किया जाना स्वीकार है। विशेष कथन में यह कहा गया है कि याची उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण विकास बैंक शाखा फूलपुर आजमगढ़ से सामान्य डेयरी योजना के अन्तर्गत 65000/- रुपये का ऋण लिया था। दिनांक 22.02.2005 को 35000/- रुपए एवं दिनांक 12.05.2005 को 30000/- रुपया कुला मिलाकर 65000/- रुपये का ऋण लिया था। परिवादी द्वारा दिनांक 13.05.2005 को 5000/- रुपया दिनांक 08.11.2012 को 2000/- रुपया कुल मिलाकर 7000/- रुपए का भुगतान किया गया। बार-बार व्यक्तिगत तगादा करने के बावजूद भी परिवादी ने बकाया धनराशि अदा नहीं किया। उपरोक्त ऋण पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना था। याची के ऊपर दिनांक 30.06.2013 तक 171951/- रुपया बकाया हो गया। वादी की याचिका 34, 30, 40 मनी रिकवरी ऐक्ट की धारा-3 से बाधित है। याचिका को-ऑपरेटिव ऐक्ट 1965 की धारा 70, 111, 117 से बाधित है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में रीजनल मैनेजर उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लखनऊ, मैनेजर उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड लखनऊ शाखा फूलपुर, जनपद- आजमगढ़, जिलाधिकारी आजमगढ़, उपजिलाधिकारी तहसील- फूलपुर, जिला- आजमगढ़ तथा तहसीलदार फूलपुर, जिला आजगमढ़को बतौर विपक्षी पक्षकार मुकदमा बनाया है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद मिसज्वाइंडर ऑफ पार्टी से बाधित है। चूंकि परिवादी ने यह स्वीकार किया है कि उसने बैंक से ऋण लिया था। उसने यह भी कहा है कि चूंकि मैनेजर ने उसे नोटिस नहीं भेजी। अतः उसके द्वारा बकाया धनराशि जमा नहीं की जा सकी। परिवादी का यह कर्तव्य था कि वह चूंकि लोन लिया था अतः उसका कर्तव्य था कि उस लोन को समय से जमा कर देता,

P.T.O.

 

 

3

लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अतः लोन की रिकवरी रोके जाने योग्य नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवाद अस्वीकार होने योग्य है।    

आदेश

   परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

           गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण  कुमार सिंह

(सदस्य)                         (अध्यक्ष)

दिनांक     22.10.2020

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

(सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

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