Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/25/2011

SHANTI - Complainant(s)

Versus

U.P.SAHKARI BANK - Opp.Party(s)

KRIPASHANKAR SRIVASTAVA

21 Jan 2021

ORDER

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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 25 सन् 2011

प्रस्तुति दिनांक 08.03.2011

                                                                                            निर्णय दिनांक 21.01.2021     

शान्ती देवी पत्नी स्वo फूलबदन उम्र 60 वर्ष, साकिन- अजुबा, पोस्ट- बाजार गोसाई, तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़।

     ......................................................................................परिवादिनी।

बनाम

  1. शाखा प्रबन्धक, यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड ब्रांच ऑफिस 64 सदावर्ती रूंगटा बिल्डिंग नियर पंजाब नेशनल बैंक, आजमगढ़।
  2. शाखा प्रबन्धक, उoप्रo सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड शाखा सगड़ी, जिला- आजमगढ़।      
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह एक गरीब और असहाय विधवा है। उसने अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए पशुपालन हेतु सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड शाखा सगड़ी आजमगढ़ से डेयरी हेतु लोन लेकर भैंस का पालन किया। परिवादिनी ने उपरोक्त लोन पर विपक्षी संख्या 02 से बीमा करवाया था। परिवादिनी की भैंस टैग नं. ए.-20982 दिनांक 18.11.2010 को मर गयी। जिसकी सूचना परिवादिनी ने भैंस के पशुचिकित्साधिकारी को दिया। डॉक्टर ने मौके पर उपस्थित होकर पोस्टमार्टम बनाया और मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी किया। परिवादिनी ने इसकी सूचना बैंक को दिया और बैंक ने बीमा कम्पनी को इससे अवगत कराया। बीमा कम्पनी उसे बार-बार क्लेम के लिए दौड़ा रही है। अतः बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादिनी को 15,000/- रुपए अविलम्ब प्रदान करें।   

परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने कागज संख्या 7/1 पशुदावा दिनांक 10.12.2010 की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2 क्लेम फार्म की छायाप्रति, कागज संख्या 7/3 पशु मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/4 पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/6 पशुचिकित्साधिकारी द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र

P.T.O.

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की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

कागज संख्या 9/1 जवाबदावा द्वारा सहकारी ग्राम्य विकास बैंक प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादिनी ने मुo 30,000/- रुपए में दो भैंस लिया था। जिसका बीमा उसने विपक्षी संख्या 02 से करवाया था। परिवादिनी को उक्त ऋण पर 13% वार्षिक ब्याज भी देना था जिसमें उसकी प्रथम किस्त दिनांक 01.04.2009 थी, लेकिन याची द्वारा एक भी पैसे का भुगतान नियमानुसार नहीं किया गया है। परिवादिनी के कुल पांच हजार रुपया जमा किया है। जिसे उसके ऋण खाते में समायोजित किया गया है। विपक्षी के विरुद्ध जिला फोरम में कोई परिवाद प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। अतः परिवाद को निरस्त किया जाए।    

सहकारी ग्राम्य विकास बैंक द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

कागज संख्या 13/1 विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसके द्वारा यह कहा गया है कि परिवादिनी एक झूठी मुकदमेंबाज है औ उसने गलत आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया है। पैरा 3 में यह कहा गया है कि परिवादिनी की बीमित भैंस न तो बीमार पड़ी और न ही व कालकवलित हुई। इसके विरुद्ध यह कथन अस्वीकार है। परिवादिनी गलत आधार पर पशु पालन करने के लिए यह परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है। परिवादिनी द्वारा किसी अन्य गैर भैंस की मृत्यु के पश्चात् शव विच्छेदन अधिकारी को नाजायज प्रभाव में लेकर किसी अन्य जीवित भैंस के कान में लगे हुए टैग का हवाला देकर सबूत तैयार किया है। परिवादिनी द्वारा बीमा कम्पनी को हैरान व परेशान कर नाजायज क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए।

विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

बहस के समय उभय पक्ष उपस्थित आए। उन्हें सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। बैंक ने यह स्वीकार किया है कि उसने परिवादिनी को ऋण दिया था। बैंक ने यह भी कहा है कि उसने विपक्षी संख्या 01 से उसका बीमा करवाया था। विपक्षी संख्या 01 द्वारा जो प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है उसमें भी उसने स्वीकार किया है कि भैंस का बीमा करवाया गया था, लेकिन भैंस न तो कभी बीमार हुई और न कभी मरी और गलत आधार पर परिवादिनी ने यह परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है। इसके विरुद्ध परिवादिनी ने जो प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किया है उसमें भैंस का पोस्ट मार्टम

P.T.O.

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और मृत्यु रिपोर्ट भी डॉक्टर द्वारा जारी किया गया है जिसकी छायाप्रति पत्रावली के साथ संलग्न है। अतः विपक्षी संख्या 01 का इसके विरुद्ध किया गया कथन स्वीकार होने योग्य नहीं है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से उपरोक्त आधार पर परिवाद स्वीकार होने योग्य पाया जाता है।

आदेश

    परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को अन्दर 30 दिन मुo 15,000/-रुपया (रु.पन्द्रह हजार मात्र) अदा कर दें, जिस पर परिवाद दाखिला के दिन से अन्तिम भुगतान तक परिवादिनी 09% वार्षिक ब्याज पाने की हकदार होगी तथा विपक्षी संख्या 01 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को आर्थिक व मानसिक क्षति के लिए मुo2,000/- (रु.दो हजार मात्र) रुपया भी अदा करें। 

 

 

 

 

                                                                             गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण  कुमार सिंह

                                                        (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

            दिनांक 21.01.2021

                                                    यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                             गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                              (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

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