Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/50/2012

RAJANI PATHAK - Complainant(s)

Versus

U.P.SAHKARI BANK - Opp.Party(s)

PARAS NATH TIWARI

23 Feb 2021

ORDER

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 50 सन् 2012

प्रस्तुति दिनांक 31.05.2012

       निर्णय दिनांक 23.02.2021

रजनी पाठक w/o श्री विष्णुशंकर पाठक उम्र लगभग 45 वर्ष ग्राम- सपहापाठक, पोस्ट- बाजार गोसाई, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo)।     

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

उoप्रo सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड शाखा- सगड़ी, जिला- आजमगढ़ (उoप्रo) द्वारा शाखा प्रबन्धक।      

  •  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादिनी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि उसके द्वारा दिनांक 22.02.2012 के आवेदन द्वार अपने खाता संख्या 28/44 जो कि विपक्षी की शाखा में स्थित है तथा जिसके माध्यम से विपक्षी द्वारा परिवादिनी को भैंस पालन को बढ़ावा देने हेतु सरकारी अनुदान पर लोन मार्च 2007 में दिया गया। लोन देने के वक्त विपक्षी द्वारा लोन का ½ भाग छूट दिया जाना बताया गया तथा महिला उद्यमी को छूट में प्राथमिकता भी देना बताया गया। शिकायतकर्ता द्वारा लोन का करीब पूरा जो जमा करना था जमा कर दिया तब भी विपक्षी द्वारा बकाया की नोटिस भेजे जाने के बाद उक्त आदेश दिनांक 22.02.2012 के माध्यम से जानकारी चाही। विपक्षी द्वारा जानकारी न देने की दशा में उसे पुनः दिनांक 18.04.2012 को अपना प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया तब उसने दिनांक 28.04.2012 के पत्र के माध्यम से जो जानकारी दिया उससे असंतुष्ट होने की दशा में जब परिवादी बैंक से सम्पर्क किया तो उसी समय दिनांक 14 मई को बैंक के करीब चार लोग परिवादिनी के पति का नाम पूछते हुए आए और बोले कि आपने हमारे ऊपर केस कर दिया है यह काम आपने अच्छा नहीं किया है अब तो हमें जो कुछ भी माफ करना था वह माफ नहीं करेंगे अब आपका घर-बार सब नीलाम कर दिया जाएगा। आप जल्द ही अपने पति को बैंक भेजिए। शिकायतकर्ता जो कि एक महिला है तथा जिसे महिला प्रोत्साहन के नाम पर ऋण दिया गया तथा जो शर्तें बतायी गयीं उसका पालन अब बैंक द्वारा नहीं किया जा रहा है, जो कि सेवा में कमी है। दिनांक 28.04.2012 के विपक्षी द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार भुगतान चेक से किया गया था। लेकिन चेक संख्या व दिनांक नहीं

P.T.O.

2

बताया जा रहा है तथा भैंसों का बीमा होना सूचित किया जा रहा है, लेकिन भैंस की संख्या तथा बीमा करने वाली संस्था का नाम नहीं बताया जा रहा है जो कि सेवा में कमी है। अतः परिवादिनी को विपक्षी से कथित भुगतान के चेक का नम्बर व तिथि बताने हेतु विपक्षी को आदेश दिया जाए, भैंसों की संख्या व बीमा कम्पनी का नाम बताने हेतु विपक्षी को आदेश दिया जाए तथा सम्पूर्ण जमा का विवरण तिथिवार बताने हेतु विपक्षी को आदेश दिया जाए। इसके साथ ही साथ समस्त मानसिक, शारीरिक व वाद खर्च के लिए 50,000/- रुपए विपक्षी से दिलवाया जाए।

परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।   

विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि श्रीमती रजनी पत्नी श्री विष्णु शंकर ने उoप्रo सहo ग्राम विकास बैंक शाखी सगड़ी आजमगढ़ से दिनांक 09.03.2007 को मुo 30,000/- रुपए और दिनांक 29.03.2007 को 30,000/- रुपए कुल मिलाकर मेनी डेयरी हेतु बना अनुदान के मुo 60,000/- रुपए का ऋण लिया। परिवादिनी द्वारा दिनांक 27.05.2010 को 10,000/- रुपए और दिनांक 22.03.2007 को 4500/- रुपया, दिनांक 28.06.2010 को 10,000/- रुपया जमा किया गया। यह ऋण याची को 12% वार्षिक ब्याज पर दिया गया था। याची के ऊपर दिनांक 30.06.2012 तक 77,366/- रुपया बकाया हो गया जिसे याची जमा करने के लिए जिम्मेदार है तथा बैंक वसूली के लिए अधिकृत है। याची को उपरोक्त ऋण की अदायगी छमाही किश्तों में पांच वर्षों में जमा करनी थी, लेकिन जमा नहीं किया। उoप्रo सहकारी ग्राम विकास बैंक कोऑपरेटिव ऐक्ट के अन्तर्गत एक रजिस्टर्ड संस्था है उसके नियम व कानून इस बैंक पर लागू होते हैं। याची की याचिका कोऑपरेटिव ऐक्ट की धारा 70,111,117 से बाधित है। इसमें यह भी प्रावधान दिया गया है कि बैंक व याची के मध्य विवाद होने पर मामला कोऑपरेटिव ऐक्ट ट्रिब्यूनल में भेजा जाएगा। बैंक द्वारा याची को बार-बार नोटिस दी गयी, तगादा किया गया लेकिन इसके बावजूद भी याची द्वारा समय से किश्त का भुगतान नहीं किया गया। याची बैंक का मेम्बर है और मेम्बर बनाने के पश्चात् ही ऋण दिया जाता है। याची का बीमा तीन वर्ष के लिए पहले दिनांक 03.09.2007 को दी भैंस के लिए चेक सं. 168785-86, दिनांक 29.03.2007 को दो भैंस के लिए चेक सं. 168806 (05) के माध्यम से दिया गया तथा इसकी इन्ट्री याची की पासबुक में भी की गयी है। याची की याचिका खारिज किया जाए।  

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया

P.T.O.

3

गया है।

बहस के समय परिवादी अनुपस्थित तथा विपक्षी उपस्थित। विपक्षी को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने जो कथन अपने परिवाद पत्र में किया उस सन्दर्भ में कोई भी सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में परिवाद निरस्त होने योग्य पाया जाता है। 

आदेश

    परिवाद पत्र निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                           गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण  कुमार सिंह

                                                          (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

 

           दिनांक 23.02.2021

                                                   यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                            गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                               (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.