Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/110/2005

RAMPHER - Complainant(s)

Versus

U.P.POWER CORP. - Opp.Party(s)

AMAR KUMAR

14 Nov 2018

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/110/2005
( Date of Filing : 26 Dec 2005 )
 
1. RAMPHER
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. U.P.POWER CORP.
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 14 Nov 2018
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 110 सन् 2005

प्रस्तुति दिनांक 26.12.2005

                       निर्णय दिनांक  14.11.2018     

रामफेर प्रसाद बर्नवाल उम्र लगभग 60 वर्ष पुत्र श्री सत्य नरायन बरनवाल निवासी मुहल्ला- (रेलवे स्टेशन रोड) सर्फुद्दीनपुर, तप्पा- हरबंशपुर, परगना- निजामाबाद, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।

.....................................................................................................याची।

बनाम

  1. उoप्रo पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (उoप्रo पावर कॉर्पोरेशन विद्युत) द्वारा अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड प्रथम सिधारी,आजमगढ़।
  2. उप खण्ड अधिकारी नगर विद्युत वितरण खण्ड प्रथम सिधारी, आजमगढ़।
  3. अवर अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड प्रथम सब स्टेशन जाफरपुर, आजमगढ़।
  4.  

      उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”

निर्णय

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”-

      परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि उसने दिनांक 02.11.68 को अपने मकान में प्रार्थना पत्र देकर लाइट, फैन कनेक्शन घरेलू उपयोग हेतु लिया था। विपक्षीगण द्वारा कनेक्शन स्वीकृत होकर कनेक्शन संख्या ए-3014/15 कायम हुआ, जिसका उपयोग विद्युत बिल का भुगतान परिवादी बराबर करता चला आया। कुछ दिनों बाद विभागीय अनियमितता के कारण परिवादी का उपरोक्त कनेक्शन बदलकर दूसरा कनेक्शन नम्बर 1204/058330 विपक्षीगण के लेजर में दर्ज कर दिया गया। उपरोक्त नया कनेक्शन नम्बर पर सम्बन्धित मीटर रीडर परिवादी से नाजायज धन की मांग करने लगे, जिसके न देने पर मनमाने ढंग से गलत व फर्जी मीटर की रीडिंग भेजने लगे। जिससे गलत बिल आने लगा और गलत बिल की वजह से परिवादी को काफी परेशानी हुई। इसके पश्चात् उसने सिविल जज, अवर खण्ड के यहाँ मुकदमा दाखिल किया, जिसमें उसको स्टेट न्यायालय के आदेश से जानकारी के बावजूद भी उसका कनेक्शन काट दिया गया। विद्युत कनेक्शन कटने के पश्चात् उसने उच्चाधिकारो को विपक्षी को दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। विद्युत के अभाव की वजह से गर्मी व रोशनी की अत्यन्त परेशानी की वजह से उनका देहावसान हो गया, जिससे परिवादी के बच्चों को काफी परेशानी हुई। परिवादी समाज का सजग प्रहरी है और उसकी काफी बदनामी हुई है। अतः विपक्षी गण को आदेशित किया जाए कि वह मुo 4.5 लाख रुपया क्षतिपूर्ति परिवादीगण को दें।

      परिवादी ने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। प्रलेखीय साक्ष्यों में परिवादी ने कागज संख्या क आनन्द चिकित्सालय का पर्चा, कागज संख्या क1 अधिशासी अभियन्ता को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या क2 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या क3 स्वास्थ्य सेवा एवं परिवार कल्याण निदेशालय उत्तर प्रदेश, कागज संख्या क4 क्षतिपूर्ति मांग करने हेतु आवेदन पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या

 

2

क5,क6,क7,क8 घर जाँच पैथालॉजी की फोटोप्रति, कागज संख्या क9, क10 डॉक्टर के.एन.सिंह द्वारा लिखे गए पर्चा की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

      विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि विपक्षी सर्फुद्दीन पुर में क्लीनिक चलाता है और विद्युत विभाग को गलत सूचना देकर कनेक्शन प्रकार 10 प्राप्त कर लिया। मीटर जाँच करने के बाद पाया गया कि परिवादी विद्युत प्रकार 25 की परिधि में आता है क्योंकि उसके द्वारा क्लीनिक चलाई जा रही थी और उसका उपयोग वह कॉमर्शियल कर रहा था। इस सूचना पर परिवादी को कनेक्शन विद्युत प्रकार 25 में परिवर्तित कर दिया गया, जिसके बाबत उसे कई बार नोटिस के माध्यम से तथा व्यक्तिगत एसoटीoओo द्वारा सूचित किया गया, लेकिन वह गलत आरोप लगाता रहा। उपरोक्त परिवाद विद्युत प्रकार, मीटर रीडिंग तथा विलिंग से सम्बन्धित है। जो कि सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापार की कोटि में आने के कारण इस न्यायालय के क्षेत्राधिकार में नहीं है। उपरोक्त कनेक्शन पर मुo 2,00,000/- रुपया बकाया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

      जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

      सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने अनुतोष केवल क्षतिपूर्ति मांगा है और कुछ नहीं मांगा है, जिसे फोरम द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में मेरे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य पाया जाता है।

आदेश

परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 

      राम चन्द्र यादव                   कृष्ण कुमार सिंह

    (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

  

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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