जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-859/2020
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-06.11.2020
परिवाद के निर्णय की तारीख:-22.02.2021
सूर्य प्रकाश उपाध्याय पुत्र श्री राम देव उपाध्याय निवासी-ए-8 रेल नगर, सेक्टर-जे0 वी0आई0पी0 रोड, लखनऊ। .........परिवादी।
बनाम
- अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड बक्शी का तालाब, लेसा जी0पी0आर0ए0 उपकेन्द्र जानकीपुरम लखनऊ।
- प्रबन्ध निदेशक मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड कार्यालय पता-4ए गोखले मार्ग, हजरतगंज लखनऊ-226001 । ...........विपक्षीगण।
आदेश द्वारा- श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण से, परिवादी द्वारा दिये गये आवेदन पत्र दिनॉंकित 25.05.2019 के अनुक्रम में बोरबेल चलाने के प्रयोजन से तत्काल विद्युत कनेक्शन, ट्रान्सफार्मर आदि निर्गत करने, विपक्षीगण द्वारा की गयी सेवा में कमी व परिवादी के आर्थिक नुकसान के बावत 6,00,000.00 रूपये, एवं वाद व्यय दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 के समक्ष एक आवेदन पत्र दिनॉंकित 15.05.2019 प्रस्तुत किया था कि परिवादी को कृषि हेतु कृषि भूमि खसरा संख्या 953स ग्राम-इन्दारा, तहसील-बक्शी का तालाब, जिला लखनऊ में जलापूर्ति के लिये बोरबेल चलाने हेतु विद्युत संयोजन की आवश्यकता है। उक्त क्रम में परिवादी द्वारा समस्त आवश्यक शर्तों को पूरा किया गया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा अधिमानित समस्त आवश्यक मापकों को पूरा किया और आवश्यक शुल्क दिनॉंक 23.05.2019 को जमा कर दिया गया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा दिये गये अनुदेश के क्रम में संबंधित उपखण्ड अधिकारी, इटौंजा, बक्शी का तालाब लखनऊ को स्थलीय निरीक्षण आख्या प्रस्तुत करने के लिये आदेशित किया गया। उक्त अधिकारी महोदय द्वारा दिनॉंक 03.06.2019 को स्थलीय निरीक्षण आख्या इस प्रकार प्रस्तुत की “ 11 के0वी0 लाइन का विस्तार 25 किलोवाटी टी0/पी0 संयोजन निर्गत किया जा सकता है। फीडर महिगवां दूरी 560 मीटर।” उक्त निरीक्षण आख्या के बाद विपक्षी संख्या 01 द्वारा कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया था। स्थलीय निरीक्षण के आधार पर प्राक्कल धनरशि के सृजन का प्राविधान है, ताकि संबंधित पक्ष धनराशि जमा कर सके। परिवादी बार-बार विपक्षी संख्या 01 एवं उसके अधीनस्थ अधिकारीगणों के समक्ष दौड़ता रहा किन्तु कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं की गयी। विपक्षी संख्या 01 के अवर अभियन्ता के आचरण एवं व्यवहार से आहत होकर एक शिकायती प्रार्थना पत्र दिनॉंक 22.10.2019 को विपक्षी संख्या 01 के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसके कारण अवर अभियन्ता द्वारा व्यक्तिगत रंजिश मानते हुए सत्य निष्ठा से कार्य न करते हुए पूर्व में स्थलीय निरीक्षण के विपरीत जाकर एक कल्पित निरीक्षण आख्या प्रस्तुत की जो पूर्व में स्थलीय निरीक्षण आख्या से एकदम विपरीत थी। पूर्व में स्थलीय निरीक्षण में 540 मीटर दूरी दिखायी गयी थी जबकि पुन: निरीक्षण में 1500 मीटर की दूरी दिखायी गयी और 18 खम्भे अधिक दिखाये गये। पुन: विपक्षी संख्या 01 द्वारा स्थलीय निरीक्षण कराया गया जिसमें फीडर की दूरी मात्र 330 मीटर पायी गयी। किन्तु कोई भी प्रकल्पित धनराशि सृजित नहीं की गयी। परिवादी द्वारा जून 2020 के प्रथम सप्ताह में विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय में उपस्थित होकर उक्त आवेदन की अद्यतन प्रगति जाननी चाही तो विपक्षी संख्या 01 द्वारा बताया गया कि कार्यालय अधीक्षण अभियन्ता द्वारा आपत्ति की गयी है, तथा यह भी बताया गया कि पुरानी योजना समाप्त हो गयी है और परिवादी को नये सिरे से ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा। विपक्षीगणों द्वारा विद्युत संयोजन प्रदान करने में अत्यधिक विलम्ब किया जा रहा है, जिसके कारण परिवादी को कठिनाई, असुविधा और आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। लगभग एक वर्ष पॉंच माह व्यतीत हो चुके हैं अभी भी परिवादी की पत्रावली विभाग में लम्बित है। परिवादी द्वारा एक विधिक सूचना अन्तर्गत धारा-80 दीवानी प्रक्रिया संहिता 1908 विपक्षीगणों को पंजीकृत डाक से दिनॉंक 17.08.2020 को भेजी गयी, किन्तु विपक्षीगणों द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया।
विपक्षीगण द्वारा उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि परिवादी के परिसर पर पूर्व में कोई विद्युत संयोजन स्वीकृत रूप से नहीं था। परिवादी द्वारा आवेदन किये जाने के पश्चात विपक्षीगणों द्वारा तत्काल स्वीकृत रूप से स्थलीय निरीक्षण कर फीडर से दूरी इत्यादि का आंकलन किया गया। फीडर से दूरी अधिक होने के कारण उक्त संयोजन हेतु प्राक्कल राशि सृजित कर परिवादी को उक्त की प्रतिलिपि उपलबध करायी गयी जो कि 5,42,454.00 रूपये थी। किन्तु धनराशि अधिक होने के कारण परिवादी द्वारा भुगतान किये जाने से मना कर दिया गया। परिवादी को पुरानी योजना समाप्त होने के कारण नयी योजना के अन्तर्गत ऑनलाइन आवेदन करने हेतु कहा गया। परिवादी द्वारा अपने प्राक्कल की धनराशि अदा न करने के कारण नवीन विद्युत संयोजना में हुए विलम्ब के कारण परिवादी के स्थल से फीडर की दूरी 540/1500 मीटर से घटकर मात्र 330 मीटर रह गयी। विपक्षीगणों द्वारा बिना कोई विलम्ब किये उक्त दूरी के आधार पर प्राक्कलन धनराशि 2,60,881.00 रूपये दिनॉंकित 10.11.2020 निर्धारित की गयी जिसकी सूचना परिवादी को रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिनॉंक 24.11.2020 को भेज दी गयी क्योंकि वह इस बार स्वयं इसे लेने नहीं आया था। परिवादी द्वारा उक्त धनराशि का भुगतान किये जाने पर तत्काल विद्युत संयोजन स्थापित किये जाने की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी। विपक्षीगण द्वारा न तो सेवा में त्रुटि कारित की गयी है और न ही अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी गयी है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत परिवाद सव्यय निरस्त होने योग्य है।
पत्रावली के अवलोकन से प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा कृर्षि भूमि की जलापूर्ति के लिये बोरवेल चलाने हेतु विद्युत संयोजन की आवश्यकता होने पर विद्युत विभाग को आवेदन कर सर्वेक्षण आदि के लिये फीस जमा किया। उक्त आवेदन के उपरान्त विद्युत विभाग द्वारा स्थलीय निरीक्षण कराया गया और एक निरीक्षण रिपोर्ट प्राप्त की गयी जिसमें फीडर महिगंवॉं की दूरी 560 मीटर दर्शायी गयी, जिसके आधार पर प्राक्कलन धनराशि स्वीकृत की गयी। परन्तु विपक्षीगण द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी और परिवादी के बार-बार मॉंगे जाने एवं शिकायत किये जाने के बाद पुन: स्थलीय निरीक्षण रिपोर्ट प्राप्त की गयी जिसमें कुल दूरी 1500 मीटर एवं 18 खम्भे अधिक लगाया जाना दर्शाकर 5,42,454.00 रूपये अदा करने का निर्देश दिया गया जो अधिक होने पर परिवादी द्वारा आपत्ति कर धनराशि जमा नहीं की गयी। विपक्षीगण द्वारा यह कथन किया गया कि परिवादी द्वारा अपनी प्राक्कलन की धनराशि अदा नहीं करने के कारण नवीन विद्युत संयोजन में विलम्ब होने के कारण परिवादी के स्थल से फीडर की दूरी 540/1500 मीटर से घटकर मात्र 330 मीटर रह गयी है, जिसकी प्राक्कलन धनराशि 2,60,881.00 रूपये निर्धारित की गयी है और जिसकी सूचना परिवादी को रजिस्टर्ड डाक से भेज दी गयी है। विपक्षीगण के उक्त उत्तर से स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा की गयी शिकायत कि, फीडर से दूरी 1500 मीटर दर्शाकर प्राक्कलन धनराशि 5,42,454.00 रूपये निर्धारित किये जाने के बाद अब नवीन विद्युत संयोजन के तहत समाप्त कर मात्र 2,60,881.00 रूपये किया जाना औचित्यपूर्ण प्रतीत होता है और चॅूंकि परिवादी द्वारा उक्त बोरवले व सुरक्षा के लिये एक पक्के भवन का निर्माण कर दिया गया है तो परिवादी को यह विकल्प दिया जाता कि विद्युत विभाग द्वारा प्रस्तावित प्राक्कलन धनराशि 2,60,881.00 रूपये जमा कराकर उक्त बोरवेल के लिये विद्युत संयोजन प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि उनके द्वारा प्रस्तावित प्राक्कलन धनराशि मुबलिग 2,60,881.00 (दो लाख साठ हजार आठ सौ इक्यासी रूपया मात्र) परिवादी द्वारा उक्त परिवाद के निर्णय के 45 दिन के अन्दर जमा किये जाने पर परिवादी को तत्काल बोरवेल के लिये विद्युत संयोजन की कार्यवाही प्रारम्भ करते हुए एक माह के अन्दर विद्युत संयोजन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगें।
(अशोक कुमार सिंह) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।