दायर तिथि& 07/04/2016 निर्णय तिथि- 08/12/2016
समक्ष- न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, हमीरपुर।
उपस्थिति- श्री राम कुमार अध्यक्ष
श्रीमती हुमैरा फात्मा सदस्या
परिवाद सं0-38/2016 अंतर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
परशुराम कर्णधार पुत्र श्री रामाधीन निवासी मु0 कजियाना शहर, तहसील व जिला हमीरपुर।
.....परिवादी।
बनाम
1-अधिशाषी अभियन्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, विद्युत वितरण खण्ड हमीरपुर, जिला हमीरपुर।
2-उपखण्ड अधिकारी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, विद्युत खण्ड हमीरपुर, जिला हमीरपुर।
........विपक्षीगण।
निर्णय
द्वारा- श्री, राम कुमार ,पीठासीन अध्यक्ष,
परिवादी ने यह परिवाद दि0 12-07-14 को कनेक्शन सं0 302/1111/86085 मीटर सं0 10926469 जेड एच 0084 तथा नये चेक मीटर टीएच 5518 10925302 के समस्त अशुद्ध बिलों को निरस्त कराने, बिलों को सही मीटर रीडिंग के आधार पर बनाने, कनेक्शन जुड़वाने तथा आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक कष्ट का मु 100000/- एवम् वाद व्यय दिलाये जाने हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र में परिवादी का संक्षेप में कथन यह है कि उसने विपक्षीगण से दि0 12-07-14 को घरेलू उपभोग हेतु विद्युत कनेक्शन सं0 086085 लिया था, जिस पर मीटर सं0 एम 243721 डीआर11110 लगाया गया। परिवादी के पास बिल न आने पर उसने विद्युत विभाग जाकर दि0 10-03-15 को बिल निकलवाया, जो दि0 12-07-14 से मार्च 2015 तक का बिल मु0 18465/- का था।, जिस पर परिवादी ने आपत्ति की तो विपक्षीगण द्वारा बिल को संशोधित करके दि0 12-07-14 से मार्च 2015 तक का 4029/- रू0 दि0 10-03-15 को जमा कराया गया। बिल जमा कराने के बाद दि0 16-01-15 का बिल मु0 7350/- रू0 परिवादी के पास भेजा गया जिस पर परिवादी ने विपक्षी के विभाग जाकर कहा कि मार्च तक का बिल मेरे द्वारा जमा
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किया जा चुका है तथा इस बिल को ठीक किया जाये, जिस पर विपक्षीगण केवल आश्वासन देते रहे और बिल को सही नहीं किया। परिवादी के पास पुनः दि0-21-04-15 को बिल मु0 9300/- रू0, दि0 23-06-15 को मु0 27971/- रू0 का भेजा गया। जिसकी शिकायत परिवादी ने विपक्षीगण से की लेकिन उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। विपक्षीगण द्वारा चेक मीटर लगाने के लिए दि0 07-05-15 को 350/- रू0 जमा कराये गए लेकिन चेक मीटर समय से नहीं लगाया गया। परिवादी के कई बार कहने पर दि0 03-08-15 को चेक मीटर लगाया गया और पुराना मीटर विभाग के कर्मचारी दि0 11-09-15 को उखाड़कर ले गए तथा चेक मीटर लगा रहा। दि0 17-08-15 को मु0 30189/-रू0, दि0 19-09-15 को मु0 37407/-, दि0 18-10-15 को मु0 38597/- का बिल पिछला शामिल करते परिवादी के पास भेजा गया जिसे सही कराने हेतु विपक्षीगण से सम्पर्क किया लेकिन उनके द्वारा बिल सही नहीं किया गया और कहा कि मीटर 10 प्रतिशत अधिक तेज चल रहा है। उसमें 10 प्रतिशत काट कर विद्युत बिल जमा कर दो। दि0 18-11-15 को मु0 39548/- का बिल, दि0 30-12-15 को मु0 41418/- रू0 का बिल दिया गया जो बिल्कुल गलत है। विपक्षीगण द्वारा दि 12-07-14 को लगा मीटर व 03-08-15 को लगाया गया चेक मीटर सहीं रीडिंग नहीं दे रहा है और समस्त बिल निरस्त किए जाने योग्य है। परिवादी संशोधित बिल जमा करने को तैयार है। दि0 04-01-16 को बिना कोई नोटिस दिये परिवादी का कनेक्शन काट दिया गया जिससे परिवादी को काफी परेशानी हुई और परिवाद संस्थित करने की आवश्यकता पड़ी।
विपक्षीगण ने अपना जवाबदावा पेश करके परिवादी को दि 12-07-14 को संयोजन सं0 86085 देना तथा उस पर मीटर सं0 एम 243721 लगाना, दि0 12-07-14 से मार्च 2015 तक बिल मु0 4029/- दि0 10-03-15 को जमा करना, मीटर 10.34 प्रतिशत अधिक तेज चलना, मु0 37407/- रू0 का बिल भेजना, दि0 07-05-15 को 350/- रू0 जमा करने के उपरान्त दि0 03-08-15 को चेक मीटर लगाना तथा 14-01-16 को कनेक्शन काटना स्वीकार किया है। परिवादी के बिल चेक मीटर व मेन मीटर की गणना करते हुए 04/2015 से 09/2015 तक का मु0 28069/- रू0 का बनाया गया जिसे परिवादी ने जमा नहीं किया। दि0 19-04-16 को अवर अभियन्ता चेकिंग के दौरान परिवादी को तार डालकर विद्युत चोरी करते हुए पाया गया तथा चोरी का अपराध भी स्वीकार किया और 8000/- रू0 शमन शुल्क भी रसीद सं 17/663085 दि0 22-04-16 से जमा कर दिया गया। विद्युत चोरी राजस्व निर्धारण रू0 72416/- एवं विद्युत बिल माह 9/2015 तक का रू0 28069/- कुल मु0 100485/- रू0 परिवादी पर देय है। परिवादी ने विद्युत बिल जमा न करने की नीयत से फोरम में परिवाद दायर किया है जो निरस्त किए जाने योग्य है।
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परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची कागज सं0 05 से 23 अभिलेख तथा स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 41, साक्षी बरातीलाल का शपथपत्र कागज सं0 42 व साक्षी धर्मराज का शपथपत्र कागज सं0 43 पेश किया है।
विपक्षीगण ने अभिलेखीय साक्ष्य में कागज सं- 45 लगायत 49 दाखिल किया है।
परिवादी तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण की बहस विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्य का भलीभॉति परिशीलन किया।
उपरोक्त के विवेचन से स्पष्ट है कि परिवादी के घर पर घरेलू बत्ती, पंखा हेतु विद्युत संयोजन सं0- 302/1111/086085 दि0- 12-07-14 को विपक्षीगण द्वारा लगाया गया। उक्त संयोजन 2 किलोवॉट भार का है। उक्त संयोजन में परिवादी के घर पर मीटर नम्बर 243721डीआर 11110 लगा था। उक्त विद्युत संयोजन से उपभोग की जा रही विद्युत का बिल विपक्षीगण द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया तब परिवादी ने दि0 10-03-15 को उक्त संयोजन के विरूद्ध विद्युत बिल उपलब्ध कराने हेतु प्रार्थना पत्र दिया जिस पर दि0 12-07-14 से मार्च 2015 तक उपभोग किये गए विद्युत के सम्बन्ध में रू0 18465/- का विद्युत बिल निर्गत किया गया। परिवादी ने उक्त विद्युत बिल को त्रूटिपूर्ण बताया, तब विपक्षीगण द्वारा उसे संशोधित बिल रू0 4029/- का प्रदान किया गया। उक्त धनराशि परिवादी ने दि0 10-03-15 को बिना किसी आपत्ति के जमा कर दिया। उक्त की रसीद कागज सं0 09 शामिल पत्रावली है। उक्त बिल जमा करने के पश्चात परिवादी के विद्युत संयोजन में मीटर नं0 10926469 जेड एच0084 को लगाया गया तथा परिवादी को दि0-16-01-15 को बिल रू0 7350/-, दि0 21-04-15 को विद्युत बिल रू0 9300/-, दि0 23-06-15 को बिल रू0 27971/- का प्रदान किया गया। परिवादी ने उक्त बिलों को त्रुटिपूर्ण बताया तथा शिकायत किया कि उसके विद्युत संयोजन में लगा मीटर खराब है और अधिक रीडिंग दे रहा है। विपक्षीगण के निर्देशानुसार परिवादी ने चेक मीटर लगाने हेतु निर्धारित शुल्क रू0 350/- जमा किया। तत्पश्चात विपक्षीगण परिवादी के उक्त संयोजन में लगे पुराने मीटर न0-10926469 जेड़एच 0084 की स्थिति जांचने के लिए दि0 03-08-15 को चेक मीटर सं0-10925302 लगाया। उक्त मीटर दि0 11-09-15 तक परिवादी के संयोजन में लगा रहा। तत्पश्चात पुराना मीटर न0 10926469 जेड एच 0084 को उखाड़कर अपने साथ ले गए और चेक मीटर सं0 10925302 को स्थाई रूप से परिवादी के संयोजन में लगा दिया। विपक्षीगण ने दि0 17-08-15 को 30189/- रू0, दि0 19-09-15 को 37407/- रू0, दि0 18-10-15 को 28597/- तथा जनवरी 2016 में रू0 39548/- का विद्युत बिल निर्गत किया। परिवादी ने विपक्षीगण से शिकायत किया कि चेक मीटर सं0- 10925302 भी सही ढंग से काम नहीं कर रहा है और विद्युत बिल संशोधित कराने हेतु विपक्षीगण को अनेकों प्रार्थना पत्र दिये। परन्तु
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विपक्षीगण ने उक्त विद्युत बिलों को संशोधित नहीं किया बल्कि दि0 04-01-15 को परिवादी के घर पर लगे विद्युत संयोजन को स्थाई रूप से काट दिया। इस सम्बन्ध में पत्रावली पर दाखिल रसीद कागज सं0 24 है। परिवादी ने इसकी शिकायत श्रीमान जिलाधिकारी महोदय को प्रार्थनापत्र दि0 05-01-16 पेश करके किया परन्तु परिवादी के प्रार्थना पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। पत्रावली पर दाखिल अभिलेखीय साक्ष्य से विदित है कि परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है और विपक्षीगण द्वारा मनमानी कार्यवाही करते हुए त्रुटिपूर्ण बिलों में संशोधन न करके सेवा में कमी किया है।
विपक्षी सं0 1 के अधिकारियों व कर्मचारियों ने परिवादी के विद्युत संयोजन के त्रुटिपूर्ण बिलों को संशोधित नहीं किया बल्कि दि0 20-04-16 को परिवादी के विरूद्ध धारा-135 विद्युत अधिनियम में विद्युत चोरी का मुकदमा दर्ज करने हेतु थानाध्यक्ष कोतवाली हमीरपुर को तहरीर दिया। परिवादी ने दबाब में आकर दि0 22-04-16 को उक्त विद्युत चोरी का अपराध अन्तर्गत धारा-135 शमनीय होने के कारण रू0 8000/- जमा कर दिया। उक्त की रसीद कागज सं0 35 शामिल पत्रावली है। विपक्षीगण का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, क्योंकि परिवादी ने दि0 16-01-15 से जनवरी 2016 तक के सभी उपरोक्त त्रुटिपूर्ण बिलों को निरस्त करके संशोधित बिल निर्गत करने तथा जमा की गई धनराशि ( 4029+8000+350) कुल रू0 12379/- को समायोजित करते हुए संशोधित बिल उपलब्ध कराये जाने तथा मनमानी कार्यवाही करते हुए काटे गए विद्युत संयोजन को जुड़वाने हेतु यह परिवाद संस्थित किया है। धारा-135 विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत थाने में दी गई तहरीर पर किता की गई चिक प्रथम सूचना रिपोर्ट विपक्षीगण द्वारा पत्रावली पर दाखिल नहीं की गई है। उक्त प्रकरण में विवेचक ने बाद विवेचना करके आरोप पत्र अथवा अंतिम रिपोर्ट दाखिल किया है या नही। इस सम्बन्ध में कोई भी अभिलेखीय साक्ष्य विपक्षीगण द्वारा फोरम में पेश नहीं किया गया है।
विपक्षीगण ने अपने जवाबदावा कागज सं0 28 के पैरा 2 में यह तथ्य अंकित किया है कि “वादी के संयोजन पर दि0 12-07-14 को मीटर सं0 एम 243721 लगाया गया था। दि0 12-07-14 से मार्च 2015 तक कोई विद्युत बिल जमा नहीं किया गया है। परिवादी ने संयोजन में मीटर लगाकर संशोधित बिल प्रदान किये जाने पर संतुष्ट होकर रू0 4029/- का बिल दि0 10-03-15 को जमा कर दिया था। परिवादी के संयोजन पर दि0 03-06-15 को चेक मीटर लगाया गया था। दि0 11-09-15 को चेक मीटर की गणना करने पर परिसर में लगा मीटर, चेक मीटर की तुलना में 10.34 प्रतिशत तेज चलता पाया गया जिससे भेजे गए बिल रू0 37407/- को संशोधित करके रू0 28069/- का बिल बनाया गया है जो संलग्न है। जिसको परिवादी
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ने जमा नहीं किया बल्कि वांछित अनुतोष हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है।” इससे यह साबित है कि परिवादी के परिसर में लगा विद्युत मीटर सं0 10926469 जेड एच 0084 खराब था और वह उपभोग की गई विद्युत के सापेक्ष 10.34 प्रतिशत अधिक रीडिंग दे रहा था। उक्त त्रुटिपूर्ण मीटर के आधार पर विपक्षीगण द्वारा निर्गत किये गए दि0 16-01-15 से जनवरी 2016 तक के समस्त विद्युत बिल त्रुटिपूर्ण है। उक्त त्रुटिपूर्ण बिलो की धनराशि को जमा करने के लिए परिवादी को आदेशित करना न्याय संगत नहीं है। ऐसा कोई साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है, जिससे यह साबित हो कि परिवादी ने 2 किलोवॉट से अधिक विद्युत का उपभोग किया हो। परिवादी आज भी संशोधित बिल की धनराशि जमा करने को तत्पर है। तद्नुसार परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
-आदेश-
परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 2 द्वारा पुराने विद्युत मीटर सं0 10926469 जेड एच 0084 तथा नए चेक मीटर सं0 टी एच551810925302 से सम्बन्धित दि0 16-01-15 से जनवरी 2016 तक निर्गत समस्त विद्युत बिलों को निरस्त किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे सही मीटर रीडिंग के आधार पर पर संशोधित बिल निर्गत करें। उक्त विद्युत बिल की धनराशि पर कोई सरचार्ज नहीं लगाया जायेगा तथा परिवादी द्वारा दि0 10-03-15 को जमा धनराशि रू0 4029/- तथा दि0 22-04-16 को जमा की गई धनराशि मु0 8000/- रू0 बिलों में समयोजित की जायेगी। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे वाद व्यय के मद में 2000/- तथा मानसिक क्लेश के मद में 3000/- रू0 भी परिवादी को अदा करेंगे। आदेश का अनुपालन अंदर 30 दिवस हो। अन्यथा क्षतिपूर्ति की धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज परिवादी को अदा करेंगे। आदेश का अनुपालन न होने पर परिवादी को यह अधिकार हासिल है कि वह विपक्षीगण से उक्त धनराशि की वसूली विधि अनुसार फोरम के माध्यम से कर ले। अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड हमीरपुर यदि चाहे तो विभागीय जांच कर दोषी सम्बन्धित लिपिक/ कर्मचारी के वेतन से उपरोक्त धनराशि की वसूली कर सकते है।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष
यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष