Uttar Pradesh

Hamirpur

CC/03/2013

BASANT KUMAR - Complainant(s)

Versus

UPPCL - Opp.Party(s)

MAHESH PRASAD GUPTA

06 Aug 2015

ORDER

FINAL ORDER
DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
HAMIRPUR
UP
COURT 1
 
Complaint Case No. CC/03/2013
 
1. BASANT KUMAR
MO.MARATHPURA,MODHA,DIST-HAMIRPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. U.P.P.C.L
HAMIRPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SHRI BABU LAL YADAV PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUNIL KUMAR SINGH MEMBER
 HON'BLE MRS. HUMERA FATMA MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

                                                       दायरा तिथि-16-01-13

                                                     निर्णय तिथि- 06-08-15

 

  समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)

   उपस्थिति- सुनील कुमार सिंह            वरिष्ठ सदस्य,

            हुमैरा फात्मा                 सदस्या,            

    परिवाद सं0- 03/2013 अंतर्गत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12

बसंत कुमार पुत्र श्री पूरनलाल निवासी कस्बा ब मुहल्ला मराठीपुरा मौदहा डाक्टर सक्सैना के पीछे, तहसील मौदहा जिला हमीरपुर।

                                                                               .....परिवादी।

                        बनाम

1—अधिशाषी अभियंता उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड, विद्युत वितरण खण्ड

   हमीरपुर, शहर व जिला हमीरपुर।

2—सहायक अभियंता उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0, मौदहा जिला हमीरपुर।

3- अवर अभियंता उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0, मौदहा जिला हमीरपुर।

4- प्रबंध निदेशक, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड,14 अशोक मार्ग शक्ति भवन,   

   लखनऊ।

                                                        ........विपक्षीगण।

                           निर्णय

द्वारा- सुनील कुमार सिंह, वरिष्ठ सदस्य,

      परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण द्वारा भेजे गये गलत बिल मु0 172653रू0 को निरस्त कराने हेतु, मीटर रीडिंग के अनुसार बिल दिलाने हेतु तथा क्षतिपूर्ति के रुप में मु0 10000 रू0 दिलाये जाने हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।

       परिवाद पत्र में परिवादी का कथन संक्षेप में यह है कि उसने घरेलू संयोजन सं0 302/2113/012114 का धारक है। परिवादी का मीटर खराब हो गया था और बंद था। जिससे उसका आई.डी.एफ. का आता रहा और परिवादी उसका समय समय पर भुगतान करता रहा तथा दि0 18-07-2012 तक का बिल परिवादी ने जमा कर दिया था। माह अगस्त 2012 में अचानक मु0 163810 का बिल परिवादी के पास भेज दिया। जिसको सही कराने के लिये परिवादी ने विपक्षी को प्रार्थना पत्र दिया तो उसने कुछ रूपया जमा करने को कहा। परिवादी द्वारा दि0 09-10-12 को विपक्षी सं0 1 के यहां प्रार्थना पत्र

                             (2)

 

दिया तथा विपक्षी के कहने पर मु0 5000/- रू0 जमा कर दिया। इसके बावजूद परिवादी का बिल प्रतिवादीगण द्वारा ठीक नहीं किया गया तथा दि0 20-09-12 को उसका संयोजन काट दिया गया। परिवादी का यह भी कहना है कि उसके द्वार पुनः संयोजन जोडने हेतु कहा गया तो विपक्षी द्वारा पुनः संयोजन फीस लेकर दि0 11-10-12 को जोड दिया गया। परिवादी के पास विपक्षी द्वारा जो बंद मीटर का बिल भेजा गया उसकी मीटर सं0 एफ-9043 है तथा माह अगस्त 12 का जो बिल भेजा गया है उसकी मीटर सं0 4061 है।इस प्रकार परिवादी का कहना है कि माह जुलाई 2012 तक उसके द्वारा जो बिल जमा किये है। वह बिल आई.डी.एफ. के है। जिसकी मीटर सं0 एफ-9043 है। इस प्रकार परिवादी का कहना है कि उसे जो अगस्त 12 का बिल प्राप्त हुआ है वह मु0 163810 रू0 है । दोनों बिलों में मीटर संख्या अलग अलग है जबकि परिवादी के यहां एक ही मीटर लगा है। परिवादी का कहना है कि उसके यहां विपक्षी द्वारा 17-10-12 को चेक मीटर लगाया गया जिसमें 2 माह में 58 यूनिट बिजली खर्च पाई गई। परिवादी का कहना है कि चेक मीटर के अनुसार आई हुई रीडिंग के आधार पर माह अगस्त से देय तक के बिल बनाया जाये। परिवादी का यह भी कहना है कि वह प्रतिमाह 160 यूनिट के हिसाब से 696 रू0 जमा करता आ रहा है।

        विपक्षीगण ने जवाबदावा प्रस्तुत करके कहा है कि परिवादी का परिवाद बेबुनियाद एवं सरासर झूंठा है तथा निरस्त किये जाने योग्य है। विपक्षी कहना है कि चूंकि परिवादी का परिवाद मीटर की खराबी से संबंधित है। इस कारण फोरम को इसे सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। विपक्षी का अतिरिक्त कथन की धारा 4 में कहा गया है कि परिवादी अपने मकान में कई किरायेदार रखे है। इसी कारण आई.डी.एफ. के बिल भेजे गये है। जबकि मीटर खराब नहीं है। इसी कारण परिवादी द्वारा मकान खाली कराने के बाद चेक मीटर लगवाया है तथा बिजली की कम खपत को सिद्ध करना चाहता है। विपक्षी द्वारा परिवादी के रीडिंग अंकित करवाने के पश्चात ही अगस्त 12 में मु0 167810रू0 का बनाया गया है।

      परिवादी ने साक्ष्य में कागज न0 5 से 6 लगायत 15, कागज सं0 35 से एक किया कागज  तथा स्वयं का शपथपत्र कागज न0 28 दाखिल किया है।

      विपक्षीगण ने साक्ष्य में अधिशाषी अभियंता तरनवीर सिंह का शपथपत्र कागज न0 23 दाखिल किया है।

      पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं के तर्कों को सुन लिया गया है तथा पत्रावली का अवलोकन कर लिया गया है।

 

                            

 

                                                                     (3)

       परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस एवं पत्रावली में उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए शपथपत्र, बिल व अन्य अभिलेखों का अवलोकन किया गया तथा उनका परीक्षण किया गया। प्रस्तुत परिवाद में परिवादी द्वारा यह कहा गया है कि वह लगातार दि0 18-07-2012 ई0 तक के पिछले समस्त विद्युत बिलों का भुगतान करता चला आ रहा है। लेकिन अगस्त 2012 का जो बिल उसे प्राप्त हुआ। वह आई. डी. एफ. के अलावा 163810 रू0 का प्राप्त हुआ है। जिसे ठीक करने हेतु परिवादी ने विपक्षी से लिखित प्रार्थना की। लेकिन विपक्षी की तरफ से उसे कोई राहत नहीं दी गई। परिवादी पहले से ही मीटर खराब होने की सूचना विपक्षी को देता रहा है। परिवादी की पत्नी घर में अकेली रहती है। उसके अलावा उसके घर में कोई किराएदार नहीं रहता। उसके पति बाहर सर्विस करते हैं। अतः परिवादी का कथन है कि इतना अधिक बिल कैसे आ सकता है। परिवादी ने इस बाबत विपक्षी से दूसरा चेक मीटर लगाने की प्रार्थना की। जिस पर विपक्षीगण द्वारा कार्यवाही करते हुये दि0 17-10-12 को चेक मीटर लगाया गया, जिसकी रीडिंग दो माह में 58 यूनिट बिजली खर्च पाई गय़ी, जो कागज सं0 21 है। परिवादी ने विपक्षी से चेक मीटर के अनुसार बिल भुगतान लेने की प्रार्थना की है। विपक्षी ने परिवादी के अधिकांश कथनों से इंकार किया है और उसके विरूद्ध दावा खारिज किये जाने की प्रार्थना की है। विपक्षी का यह भी कथन है कि यह मामला मीटर की गडबडी से सम्बंधित है। अतः मा0 फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। विपक्षी ने आगे यह भी कहा है कि परिवादी के घर में कई किरायेदार रहते हैं। जिस कारण उसे आई.डी.एफ. के बिल प्रेषित किए गए। मीटर खराब नहीं है। परिवादी द्वारा मकान खाली कराने के पश्चात चेक मीटर लगवाया गया, जिसके कारण बिजली का खपत कम हुई। अतः विपक्षी द्वारा परिवाद खारिज करने हेतु फोरम से निवेदन किया है।

          दोनो पक्षों की सुनवाई के पश्चात यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी को जो अगस्त 2012 का बिल भेजा गय़ा। इसके पूर्व परिवादी बिलों का भुगतान करता रहा है। विपक्षी द्वारा इस पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई और अगस्त 2012 में मु0 163810 रू0 का बिल अचानक परिवादी के पास भेजना विपक्षी द्वारा उचित कदम नहीं कहा जा सकता है। विपक्षी ने उपरोक्त बिल को बिल को सही ठहराते हुए यह कहा है कि उसके घर में कई किराएदार रहते है, जिसके कारण परिवादी को आई.डी.एफ. के बिल दिये जाते रहे। परिवादी का मीटर एकदम सही रीडिंग दे रहा था। विपक्षी के पास किरायेदारों के संबंध में कोई भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिससे उसके कथन की पुष्टि हो सके। विपक्षी का यह कथन उचित प्रतीत नहीं होता है। विपक्षी ने क्षेत्राधिकार पर जो प्रश्न उठाया है वह भी उचित नहीं है, क्योंकि विपक्षी द्वारा मीटर से छेड़छाड़ या विद्युत चोरी से संबंधित कोई भी साक्ष्य

                                  (4)

फोरम में दाखिल नहीं किया है। इसलिए परिवाद फोरम के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत है। परिवादी का संयोजन घरेलू उपयोग के लिए है। अगस्त 2012 में मु0 163810 रू0 व दिसम्बर 2012 का  बिल मु0 172653 रू का जो बिल भेजा गया है। परिवादी के प्रार्थना पत्र देने पर भी विपक्षी द्वारा उसे ठीक नहीं किया गया। जब एक मीटर पहले से ही लगा है तो अगस्त 2012 के बिल में दूसरी मीटर संख्या डालकर गलत बिल क्यों भेज दिया गया। परिवादी के कहने पर जब दूसरा चेक मीटर लगाया गया और उसकी रीडिंग पर विपक्षी द्वारा कोई आपत्ति भी दर्ज नहीं की, तब चेक मीटर के अनुसार परिवादी को बिल भेजे जाने चाहिए थे। अतएव विपक्षी द्वारा अगस्त 2012 में भेजा गया गलत बिल मु0 163810 रू0 व इसके आगे के बिल निरस्त किया जाना उचित प्रतीत होता है तथा दि0 18-07-12 के आगे के बिल चेक मीटर रीडिंग के अनुसार परिवादी को दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। दि0 18-07-12 के बाद के बिलों के सापेक्ष जो भी धनराशि परिवादी द्वारा जमा की गई है, वह समायोजन योग्य होगी। वाद व्यय के रूप में मु0 2000/- रू (दो हजार रूपये) दिलाये जाने योग्य है। तद्नुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।

                         आदेश

       परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को अदेशित किया जाता है कि वह अगस्त 2012 में भेजा गया गलत बिल मु0 163810 रू0 व इसके आगे का बिल निरस्त किया जाता है। दि0 18-07-12 के आगे के बिल चेक मीटर रीडिंग के अनुसार परिवादी को दिलाये जाये। दि0 18-07-12 के बाद के बिलों के सापेक्ष जो भी धनराशि परिवादी द्वारा जमा की गई है, विपक्षी उसे धनराशि को आगे के बिलों में समायोजित करें। विपक्षी परिवादी को वाद व्यय के मद में मु0 2000/- रू0 (दो हजार रूपया) भी अदा करें। अनुपालन अंदर 30 दिवस हो।

दिनांक- 06-08-2015            

 

(हुमैरा फात्मा)                                        (सुनील कुमार सिंह)

सदस्या                                                वरिष्ठ सदस्य

 

 
 
[HON'BLE MR. SHRI BABU LAL YADAV]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. SUNIL KUMAR SINGH]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. HUMERA FATMA]
MEMBER

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