Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/325/2018

AMRENDRA KUMAR - Complainant(s)

Versus

UPPCL - Opp.Party(s)

S.K PANDEY

19 Jan 2021

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/325/2018
( Date of Filing : 04 Sep 2018 )
 
1. AMRENDRA KUMAR
.
...........Complainant(s)
Versus
1. U.P.P.C.L
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  ARVIND KUMAR PRESIDENT
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Jan 2021
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या-325/2018    

 उपस्थित:-श्री अरविन्‍द कुमार, अध्‍यक्ष।                   

          श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।                                          

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-04.09.2018

परिवाद के निर्णय की तारीख:-19.01.2021

अमरेन्‍द्र कुमार सिंह उम्र 45 वर्ष लगभग निवासी-प्‍लाट नं0 08, अटल नगर, कल्‍याणपुर पश्चिम, लखनऊ।                         ...............परिवादी।                                         

                                        

                         बनाम

1. मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, विद्युत नगरीय वितरण खण्‍ड, 33ध्‍11 के0वी0 विद्युत उपकेन्‍द्र सेक्‍टर-6, जानकीपुरम विस्‍तार, लखनऊ द्वारा अधिशाषी अभियन्‍ता।

2. मध्‍यांचल विद्युत वितरण खण्‍ड शक्ति भवन, लखनऊ द्वारा चेयरमैन।

                                              .............विपक्षीगण।                                                                                                 

आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।

                           निर्णय

     परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षीगण द्वारा जारी गलत बिल को निरस्‍त कर परिवादी के घर पर लगे बिजली के कनेक्‍शन का बिल प्रति माह उपभोग के आधार पर जमा कराने,  अनुचित तरीके से परिवादी के बिल में जोड़े गये 4,45,831.00 रूपये को निरस्‍त कर परिवादी को नया बिल जारी करने,  विपक्षी द्वारा अपनायी गयी अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया के कारण परिवादी को हुए मानसिक और आर्थिक कष्‍ट के लिये 30,000.00 रूपये,  वाद व्‍यय व अन्‍य भाग दौड़ के लिये 20,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

     संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी के घर पर एक विद्युत कनेक्‍शन जो काफी पुराना है लगा हुआ है,  जिसके लिये उक्‍त कनेक्‍शन पर एक विद्युत मीटर नम्‍बर Px4181 विपक्षीगणों द्वारा लगाया गया है और परिवादी द्वारा उक्‍त कनेक्‍शन पर उपयोग के आधार पर हर माह विद्युत बिल जमा किया जाता रहा है। परिवादी के बिजली कनेक्‍शन का नम्‍बर-0022976889 है। परिवादी का मीटर ठीक था और पिछले 06 माह की रीडिंग भी ठीक थी जिसे परिवादी द्वारा जमा किया गया है,  और विपक्षीगण द्वारा उसे जमा कर लिया गया। माह मई में परिवादी द्वारा विद्युत बिल जमा करने के बाद बिल की रसीद मिली जिसमें विपक्षीगणों द्वारा अनुचित तरीके से परिवादी के बिल पर 4,16,183.00 रूये का एरियर जोड़ रखा है जिसका परिवादी ने विरोध किया। विपक्षीगणों द्वारा बताया गया कि मीटर रीडर द्वारा परिवादी के मीटर में स्‍टोर रीडिंग है जिसके कारण उक्‍त एरियर जोड़ा गया है किन्‍तु जब परिवादी का मीटर नो डिस्‍प्‍ले था तो रीडर द्वारा रीडिंग कैसे ली गयी और बिल 2332.00 रूपये का कैसे दिया गया। परिवादी द्वारा काफी दौड़ भाग करने के बाद दिनॉंक 19.05.2018 को विपक्षीगणों द्वारा परिवादी का मीटर बदला गया और मीटर के सीलिंग की रसीद दी गयी तथा पुराना मीटर बदलकर नया मीटर नम्‍बर A2808A लगा दिया गया,  तथा सीलिंग प्रमाण पत्र पर पुराने की मीटर की रिपोर्ट विपक्षीगणों द्वारा अंकित की गयी,  जिसमें परिवादी के मीटर की बॉडी सील ओ0के0, मीटर की स्थिति ओ0के0,  व अन्‍य में नो डिस्‍प्‍ले लिखा गया था। विपक्षीगणों द्वारा परिवादी के मीटर को गलत आधार पर नो डिस्‍प्‍ले    दिखाया जा रहा है। विपक्षीगणों द्वारा अपनायी जा रही अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया के कारण परिवादी अपने पुराने मीटर की एम0आर0आई0 भी कराने को तैयार है। परिवादी को उसके बाद भी हर माह जो बिल दिया जा रहा है उस पर परिवादी के ऊपर 4,39,838.00 रूपये का बकाया दिखाया जा रहा है। परिवादी द्वारा काफी दौड़ भाग और कई पत्र भेजने के बाद भी विपक्षीगणों द्वारा परिवादी का गलत बिल न तो ठीक किया जा रहा है और न ही उसका हर माह का बिल जमा किया जा रहा था,  तो परिवादी द्वारा दिनॉंक 07.07.2018 को विपक्षी संख्‍या 02 से व्‍यक्तिगत रूप से मिलकर अपने मामले को ठीक करने का प्रार्थना पत्र दिया गया,  किन्‍तु उनके द्वारा आश्‍वासन देने के बाद भी विपक्षीगण द्वारा दिनॉंक 13.07.2018 व 31.07.2018 को दो पत्र भेजे गये जिसमें परिवादी को 4,39,838.00 रूपये जमा करने को कहा गया था। दिनॉंक 26.07.2018 को परिवादी जब बिल जमा करने गया तो कैशियर द्वारा बिल जमा करने से मना कर दिया गया। परिवादी के बार बार अनुरोध करने के बाद विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा परिवादी का करन्‍ट बिल जमा करने से मना कर दिया गया,  जिसके उपरान्‍त परिवादी सुपरिण्‍टेण्‍डेट इंजीनियर के पास गया तो उन्‍होंने परिवादी के बिल पर लिख दिया कि 16000/Accept Current Bill till case in not disposed off. माह अगस्‍त का बिल भी परिवादी द्वारा दिनॉंक 24.08.2018 को 15860.00 रूपया चेक संख्‍या 033196 द्वारा जमा कर दिया गया है।

     विपक्षीगण ने उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी के उपरोक्‍त भवन व घर पर नियमानुसार विद्युत कनेक्‍शन विभाग द्वारा स्‍वीकृत कर कनेक्‍शन किया गया तथा मीटर स्‍थापित किया गया था। विद्युत विभाग द्वारा उपभोक्‍ताओं को यह सुविधा दी जाती है कि समय पर यदि विद्युत बिल किसी कारणवश प्राप्‍त न हो सके तो उपभोक्‍ता स्‍वयं अपने मीटर की रीडिंग लेकर संबंधित विद्युत बिल भुगतान कार्यालय में जाकर उपयोग रीडिंग के आधार पर अपना विद्युत बिल जमा कर रसीद प्राप्‍त कर लें। लेकिन परिवादी द्वारा उपरोक्‍त सुविधा का लाभ उठाकर अपनी उपभोग की गयी विद्युत बिल की रीडिंग के अनुसार न जमा कर धोखाधड़ी कर गलत एवं कम रीडिंग लिखकर बिल जमा करता रहा जिस कारण वर्तमानी रीडिंग से वास्‍तविक बिल काफी शेष व बकाया रह गया और परिवादी पर वर्तमान बकाया शेष है। परिवादी द्वारा स्‍वयं काउण्‍टर पर रीडिंग लिखकर/बताकर बिल जमा कराया गया है जबकि दिनॉंक 16.04.2018 को मीटर में रीडिंग 83504 थी। परिवादी द्वारा कुल जमा की गयी रीडिंग 24904 तक की रीडिंग बताकर बीजक जमा कराया गया था। स्‍टोर रीडिंग का भुगतान परिवादी द्वारा जमा किया जाना शेष है, जिसे परिवादी द्वारा जमा नहीं किया गया है। दिनॉंक 16.04.2018 को मीटर में रीडिंग 83504 को दृष्टिगत रखते हुए धनराशि 4,18,515.00 रूपये का बीजक विद्युत विभाग द्वारा परिवादी को निर्गत किया गया है जो कि सत्‍य व सही है। अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत नगरीय परीक्षण खण्‍ड दशम विकास नगर लखनऊ द्वारा पत्रांक 1380/वि0वि0ख0 (ल0) दिनॉंकित 16.05.2018 द्वारा उक्‍त पत्र जारी कर प्रतिलिपि अवर अभियन्‍ता वि0नग0प0खण्‍ड (दशम) 5/901 विकास नगर लेसा लखनऊ को जारी किया जिससे परिवादी के खाता संख्‍या 4830101000 पर स्‍थापित मीटर Px4181 के संबंध में उपखण्‍ड अधिकारी विकास नगर लखनऊ द्वारा प्रेषित रिपोर्ट अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत नगरीय परीक्षण खण्‍ड दशम विकास नगर लखनउ। को उपखण्‍ड अधिकारी विकास नगर द्वारा मीटर रीडर द्वारा प्राप्‍त उक्‍त मीटर में नोडिस्‍प्‍ले है एवं मीटर स्‍क्रीन पर एक काला धब्‍बा है। पूर्व में संबंधित खाता संख्‍या पर दिनॉंक 14.04.2018 को उपरोक्‍त मीटर पर मीटर रीडर द्वारा 83504 के डब्‍ल्‍यू0 एच0 एवं 3.28 के डब्‍ल्‍यू रीडिंग का बिल बनाया गया जिसके अन्‍तर्गत मीटर में 58902 यूनिट रीडिंग स्‍टोर थी। यह सूचना बिलिंग एजेन्‍सी के प्रतिनिध श्री अमित पाण्‍डेय द्वारा वाट्सऐप पर मीटर एवं एस0वी0एम0 बिल के फोटो के माध्‍यम से दी गयी थी,  जिसमें उक्‍त मीटर की पूर्ण जॉंच कर, जॉंच आख्‍या की सूचना अधीक्षण अभियन्‍ता को प्रेषित किये जाने हेतु कहा गया था। प्रतिवादीगण की जॉंच टीम के द्वारा दिनॉंक 19.05.2018 को परिवादी के निवास स्‍थान पर पुराना मीटर बदलकर नया मीटर नम्‍बर A2808A  लगा दिया गया जिसका सीलिंग प्रमाण पत्र परिवादी को प्रस्‍तुत किया गया। परिवादी द्वारा पूर्व में प्राप्‍त बिल संख्‍या 483018731745 दिनॉंकित 16.04.2018 जिसे विपक्षीगण द्वारा संलग्‍नक संख्‍या 01 बनाया गया है उसका परिवादी द्वारा सम्‍पूर्ण भुगतान नहीं किया गया है जिस कारण बकाया शेष है। दिनॉंक 13.07.2018 को बिल नम्‍बर 483010288406 नये मीटर नम्‍बर A2808A  में रीडिंग वर्तमान 3370 प उक्‍त बिल जिसमें भुगतान किये जाने हेतु 4,39,838.00 रूपये का बिल परिवादी को प्राप्‍त कराया गया, लेकिन परिवादी द्वारा जमा नहीं किया गया। विपक्षीगणों द्वारा नियमानुसार ही परिवादी द्वारा उपभोग की गयी विद्युत का बिल प्राप्‍त कराया गया है, जिसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि आदि नहीं की गयी है। नियमानुसार ही जारी किया गया है।

            पत्रावली के अवलोकन से प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा अपने घर पर एक विद्युत कनेक्‍शन लिया गया था जिसके अन्‍तर्गत बिल का भुगतान किया जा रहा था और पिछले छह माह की रीडिंग के अनुसार परिवादी द्वारा बिल का भुगतान किया गया। परन्‍तु अचानक माह मई 2018 में एक बिल 4,16,183.00 रूपये का एरियर जोड़कर परिवादी को उपलब्‍ध करा दिया गया जिसका परिवादी द्वारा विरोध भी किया गया और कई बार अनुरोध करने पर एक नया मीटर पुराने मीटर को बदलकर लगाया गया और सीलिंग प्रमाण पत्र पर पुराने मीटर की रिपोर्ट विपक्षीगण द्वारा अंकित की गयी जिसमें परिवादी के मीटर की बॉडीशील ओ0के0,  मीटर की स्थिति ओ0के0,  व अन्‍य में नो डिस्‍प्‍ले लिखा गया। पुराने मीटर के अनुसार माह अप्रैल 2018 में मीटर रीडिंग के आधार पर 2,332.00 रूपये का भुगतान विद्युत विभाग द्वारा लिया गया और पुराने मीटर को बदलकर नया मीटर लगाने के उपरान्‍त विपक्षीगण द्वारा 4,33,838.00 रूपये का बकाया दिखाया गया।  परिवादी के बारबार अनुरोध करने पर केस डिस्‍पोज होने तक 16,000.00 रूपये के बिल माह अगस्‍त 2018 में मॉंग की गयी जिसके सापेक्ष दिनॉंक 24.08.2018 को 15,860.00 रूपये का भुगतान परिवादी द्वारा किया गया। इस संबंध में यदि मीटर में नो डिस्‍प्‍ले अंकित किया गया और मीटर में रीडिंग की कोई डिस्‍प्‍ले नहीं हो रही थी तो माह अप्रैल में मीटर रीडिंग के आधार पर 2032.00 रूपये कैसे लिये गये विद्युत विभाग द्वारा स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है। यदि माह अप्रैल तक मीटर रीडिंग के आधार पर विद्युत विभाग द्वारा बिल लिया जाता रहा था तो फिर स्‍टोर रीडिंग का विद्युत विभाग का तर्क औचित्‍यपूर्ण प्रतीत नहीं होता है। विगत छह माह का बिल परिवादी द्वारा लगातार जमा कराया जाता था तो स्‍टोर रीडिंग को विद्युत विभाग द्वारा उजागर नहीं किया जाना आपत्तिजनक है। परिवादी द्वारा यह भी स्‍पष्‍ट किया गया है कि वह पुराने मीटर की एम0आर0आई0 कराने को तैयार है इसके बावजूद भी विद्युत विभाग द्वारा एम0आर0आई0 कराकर पुराने मीटर की स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं की गयी और विभाग द्वारा प्रेषित स्‍टोर रीडिंग के सापेक्ष धनराशि का औचित्‍य स्‍पष्‍ट नहीं किया गया। यदि परिवादी एम0आर0आई0 के लिये तैयार था तो विद्युत विभाग द्वारा इसे नहीं कराकर विभाग द्वारा परिवादी को परेशान किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि विद्युत विभाग द्वारा उपभोक्‍ताओं को मनमाने ढंग से बल का प्रेषण कर दिया जाता है और उस पर आपत्ति करने पर उनकी शिकायत का निवारण नहीं किया जाता है, जिसके कारण विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी प्रतीत होती है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी के परिवाद में बल प्रतीत होता है और परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                             आदेश

     परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण द्वारा प्रेषित पुराने गलत बिल को निरस्‍त किया जाता है,  तथा विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी के निवास पर विद्युत कनेक्‍शन का बिल प्रतिमाह उपभोग के आधार पर जमा कराये। सेवा में कमी तथा परिवादी को हुए मानसिक,  आर्थिक कष्‍ट के लिये मुबलिग 20,000.00 (बीस हजार रूपया मात्र) क्षतिपूर्ति के रूप में एवं वाद व्‍यय के रूप में मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ 45 दिन के अन्‍दर अदा करें। यदि आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

 

 

(अशोक कुमार सिंह)                          (अरविन्‍द कुमार)

      सदस्‍य                                               अध्‍यक्ष

                                     जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                              लखनऊ।                                         

                                               

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[ ARVIND KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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