दायरा तिथि- 17-07-2014
निर्णय तिथि- 06-10-2016
समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)
उपस्थिति- श्री राम कुमार अध्यक्ष
श्रीमती हुमैरा फात्मा सदस्या
परिवाद सं0-50/2014 अंतर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
अखिलेश कुमार मिश्रा पुत्र श्री उदित नारायण मिश्रा, निवासी खजांची मौहाल, रमेड़ी जिला हमीरपुर।
.....परिवादी।
बनाम
अधिशाषी अभियन्ता उ0प्र0 पावर कार्पोरशन लिमिटेड, विद्युत वितरण खण्ड हमीरपुर, जिला हमीरपुर।
........विपक्षी।
निर्णय
द्वारा- श्री, राम कुमार ,पीठासीन अध्यक्ष,
परिवादी ने यह परिवाद बिल 1 किलोवाट के हिसाब से संशोधित करने तथा मीटर रीडिंग के अनुसार बिल निर्गत करने हेतु विपक्षी के विरूद्ध अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत किया है।
परिवादी का संक्षेप में कथन यह है कि वह घरेलू विद्युत संयोजन सं0 031338 एक किलोवाट भार का धारक है। संयोजन लेने के बाद तीन वर्ष तक परिवादी के पास कोई बिल नहीं आया, जिसके लिए परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया लेकिन कोई परिणाम न निकला। वर्ष 2012 के अन्त में परिवादी विपक्षी के पास गया तो उन्होंने दो दिन बाद आने को कहा। जब परिवादी वहाँ दो दिन बाद गया तो भी परिवादी को बिल नहीं मिला। फिर विपक्षी ने परिवादी को साई कम्प्यूटर(एन0जी.ओ. संस्था विद्युत विभाग) जाकर बिल तलाशने को कहा परिवादी वहाँ गया तो एक बिल प्राप्त हुआ। उक्त बिल को 2 किलोंवाट के हिसाब से धनराशि जोड़कर तैयार किया गया था। परिवादी एक बेरोजगार युवक है और वह अपने वृद्ध माता पिता के साथ दो कमरों के मकान में रहता है जिसका विद्युत उपयोग बहुत ही कम है। परिवादी ने विपक्षी से मीटर लगाकर 03 या 06 माह की जो रीडिंग आये उसके औसत से बिल जारी करने को कहा लेकिन विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। इस कारण परिवादी को यह वाद दायर करने की आवश्यकता पडी।
विपक्षी ने अपना जवाबदावा पेश करके परिवादी को घरेलू बत्ती पंखा संयोजन सं0 300/1121/31338 एक किलोवाट भार का धारक होना स्वीकार किया है। विपक्षी ने कहा है कि विभागीय निर्देशानुसार एक किलोवाट के सभी कनेक्शनों को 2 किलोवाट में
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कनवर्ट कर दिया गया था। दि0 02-08-08 को परिवादी ने रसीद सं0 25/16025 से 1800/- जमा करके संयोजन लिया था। परिवादी ने संयोजन लेने के बाद से विद्युत मूल्य का भुगतान नहीं किया है। परिवादी विद्युत मूल्य का बकायेदार है। बिल प्राप्त न होने पर परिवादी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिवादी का परिवाद काल बाधित है। अतएव उसका परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में कागज सं0 03 व 04 तथा स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 09 दाखिल किया है।
विपक्षी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सुशील श्रीवास्तव अधिशाषी अभियन्ता का शपथपत्र कागज सं- 14 दाखिल किया है।
परिवादी तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्तागण की बहस विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्य का भलीभॉति परिशीलन किया।
उपरोक्त के विवेचन से स्पष्ट है कि परिवादी अखिलेश कुमार मिश्रा ने दि0 02-08-08 को घरेलू बत्ती पंखा संयोजन सं0 300/1121/31338 एक किलोवाट भार का वांछित शुल्क 1800/- रू0 जमा करके प्राप्त किया था। परन्तु उसने विद्युत कनेक्शन लेने के दिनांक से दावा दायर करने के दिनांक तक कोई भी विद्युत उपभोग की धनराशि विपक्षी के कार्यालय में जमा किया न ही सन 2008 से दावा दायर करने के पूर्व विद्युत बिल विपक्षी के कार्यालय से प्राप्त करने का प्रयास किया। विपक्षी द्वारा दि0 29-11-12 से 31-12-12 का विद्युत बिल 31198/- जो शामिल पत्रावली कागज 04 है जारी किया। जिसे पाते ही परिवादी ने उक्त विद्युत बिल खारिज करने के लिए अधिवक्ता के माध्यम से प्रस्तुत परिवाद न्यायालय में प्रस्तुत किया। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार वादहेतु उत्पन्न होने के 2 साल के अंदर वाद दायर करना अनिवार्य होता है। परिवादी ने सन 2008 से 2012 तक के बिलों को इस आधार पर निरस्त करने की याचना किया है कि उसके घर पर 1 किलोंवाट का विद्युत कनेक्शन स्वीकृत था जिसे विपक्षी के विभाग ने बिना उसकी अनुमति के 2 किलोवाट में कनवर्ट करते हुए प्रश्नगत विद्युत बिल निर्गत किया है। इस सम्बन्ध में पत्रावली के अवलोकन से विदित है कि विद्युत अधिनियम 2003 एवं विद्युत कोड 2005 के अन्तर्गत दिये गये प्राविधानों के अनुसार पहले परिवादी विद्युत बिल की सम्पूर्ण धनराशि अंडरप्रोटेस्ट जमा करे। तत्पश्चात् विद्युत बिल पर वह आपत्ति उठा सकता है। परन्तु परिवादी द्वारा उक्त विद्युत बिल के सापेक्ष कोई धनराशि अभी तक जमा नहीं की गई। इस तरह से परिवादी का दावा काल बाधित है। विभागीय निर्देशानुसार परिवादी के घर पर लगा विद्युत संयोजन 1 किलोवाट क्षमता से बढाकर 2 किलोवाट क्षमता में कनवर्ट कर दिया गया है। वादी के परिसर में 2 किलोवाट से अधिक विद्युत का उपभोग करते हुए पाया जाना कहा गया है।
उपरोक्त के विवेचन के पश्चात फोरम इस मत का है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद काल बाधित होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है।
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आदेश-
उपरोक्त आधारों पर परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाता है। उभय पक्ष खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेंगे।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष
यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष