(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष्ा आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-402/2021
(जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या-107/2016 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.07.2021 के विरूद्ध)
कैलाश नाथ गोंड पुत्र स्व0 लच्छू गोंड, निवासी ग्राम भगतुआ, परगना जाल्हूपुर, जिला वाराणसी।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. यू.पी. पावर कारपोरेशन लि0, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, रजिस्टर्ड आफिस भिखारीपुर, जिला वाराणसी।
2. यू.पी. पावर कारपोरेशन लि0, द्वारा एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, रजिस्टर्ड आफिस VS-3, EDD-1, जिला वाराणसी।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री रमेश कुमार राय।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : संतोष कुमार मिश्रा।
दिनांक : 16.09.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-107/2016, कैलाश नाथ गोंड बनाम यू.पी. पावर कारपोरेशन लि0 व एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.07.2021 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार वर्ष 1994 में परिवादी ने आधा किलोवाट का एक विद्युत कनेक्शन प्राप्त किया हुआ था, जिसका विद्युत बिल रू0 55.40 पैसे नियत था। दिनांक 30.04.2016 तक परिवादी पर केवल 2,643/- रूपये का विद्युत शुल्क बकाया था, लेकिन विपक्षी
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द्वारा दिनांक 31.03.2016 को 70,808/- रूपये का बिल दिनांक 31.12.2015 से दिनांक 29.02.2016 की अवधि का दे दिया गया, जो पूर्णतया गलत है। अत: इस बिल को निरस्त करने तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 40,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षीगण का कथन है कि दिनांक 10.07.1993 को एक किलोवाट के लिए विद्युत कनेक्शन आवंटित हुआ था। परिवादी को एक पासबुक जारी की गई कि नियत समय पर भुगतान करने पर रू0 55.40 पैसे विद्युत शुल्क देय था, परन्तु विलम्ब से भुगतान करने पर रू0 59.40 पैसे प्रतिमाह का विद्युत शुल्क देय था। परिवादी ने दिनांक 10.07.1993 से दिनांक 19.02.2005 के बीच केवल 8,099/- रूपये जमर किए, इसलिए अप्रैल 2012 तक अंकन 45,302/- रूपये बकाया हो गए, इसलिए विद्युत कनेक्शन दिनांक 20.07.2012 को विच्छेदित कर दिया गया। परिवादी द्वारा पूर्व में प्रस्तुत परिवाद संख्या-126/2011 भी इसी वाद कारण पर आधारित था, जो खारिज कर दिया गया और पुन: यह परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया।
4. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि विद्युत मीटर या विद्युत बिल के निवारण का सही फोरम इलेक्ट्रिक इन्सपेक्टर है। परिवादी द्वारा इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर के समक्ष बिल की त्रुटियों के संबंध में कोई शिकायत नहीं की गई, इसलिए उपभोक्ता आयोग बिल की त्रुटियों को दूर करने के लिए सक्षम मंच नहीं है। तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
5. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विधि विरूद्ध निर्णय पारित
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किया गया है। उपभोक्ता अदालते कायम करने का उद्देश्य यह है कि उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित किया जा सके, परन्तु जिला फोरम ने विवाद से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दो पर कोई चर्चा नहीं की और रूटीन अंदाज में अपना निर्णय पारित कर दिया। बिल से संबंधित विवाद विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष संधारणीय नहीं हैं, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय अपास्त होने तथा परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
6. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. परिवाद पत्र में स्वंय परिवादी ने यह तथ्य स्वीकार किया है कि दिनांक 30.04.2016 तक अंकन 2,643/- रूपये बकाया हैं, उसके द्वारा विद्युत बिल की जमा राशि का जो विवरण दिया गया है, वह विवरण रू0 55.40 पैसे प्रतिमाह के बिल की दर से दिया गया है, परन्तु यह कथन नहीं किया है कि विद्युत बिल प्रत्येक माह की देय तिथि को जमा कर दिया गया, इसलिए यदि विद्युत बिल प्रत्येक माह की देय तिथि को जमा नहीं किया गया तब विद्युत शुल्क की देय राशि रू0 55.40 पैसे के स्थान पर रू0 59.40 पैसे प्रतिमाह होगी तथा इस राशि को जमा करने में देरी होने पर ब्याज भी देय होगा, इसलिए विद्युत विभाग द्वारा जारी किए गए बिल अधूरी जानकारी के कारण विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा द्वारा निरस्त नहीं किए जा सकते थे। परिवादी द्वारा प्रत्येक माह की किस तिथि को कितनी राशि जमा कराई गई, इन सब तथ्यों का विवरण प्रस्तुत करते हुए अपना आवेदन इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर के यहां प्रस्तुत किया जा सकता है और यदि यह पाया जाए कि उपभोक्ता द्वारा नियमित समय पर विद्युत शुल्क जमा कर दिया गया है और उस पर बढ़ा हुआ विद्युत शुल्क या कोई ब्याज देय नहीं है तब इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर उपभोक्ता के
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विरूद्ध जारी किए गए विद्युत बिल को दुरूस्त कर सकते हैं। अत: इस टिप्पणी के साथ यह अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1