दायरा तिथि- 04-11-2015
निर्णय तिथि- 13-04-2017
समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)
उपस्थिति- श्री राम कुमार अध्यक्ष
श्रीमती हुमैरा फात्मा सदस्या
परिवाद सं0- 108/2015 अंतर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
रामबाबू पुत्र श्री राजेन्द्र प्रसाद निवासी- ग्राम पौथिया बुजुर्ग परगना सुमेरपुर तहसील व जिला हमीरपुर।
.....परिवादी।
बनाम
- अधिशाषी अभियन्ता उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 हमीरपुर।
........विपक्षी।
निर्णय
द्वारा- श्री, राम कुमार,पीठासीन अध्यक्ष,
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी द्वारा भेजी गई डिमांड नोटिस सं0-4080 दि0 02-09-15 मु0 99695/- निरस्त कराने व सही बिल जारी कराने तथा बकाया धनराशि किस्तों में वसूल करने हेतु विपक्षी के विरूद्ध अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र में परिवादी का संक्षेप में कथन यह है कि वह घरेलू संयोजन सं0 2211/15543 का धारक है। परिवादी को आज तक उक्त संयोजन के विद्युत बिल उपलब्ध नहीं कराये गये। परिवादी ने अनेको बार विपक्षी के विभाग जाकर विद्युत बिल बनाने का अनुरोध किया लेकिन उनके कर्मचारी केवल आश्वासन देते रहे लेकिन बिल उपलब्ध नहीं कराया । परिवादी को सितम्बर 2015 में विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा भेजी गई डिमांड नोटिस मु0 99695/- रू0 की प्राप्त हुई, जिसमें धनराशि जमा न करने पर उसके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करने की धमकी दी गयी है। विपक्षी द्वारा नियमित बिल जारी किये जाते तो वह उसे नियमित जमा करता रहता और उस पर आर्थिक भार न पड़ता। परिवादी द्वारा विपक्षी के कर्मचारियों से बिल उपलब्ध कराने का लगातार अनुरोध किया लेकिन उनके द्वारा केवल आश्वासन दिया। विपक्षी के इस कृत्य से परिवादी के काफी मानसिक कष्ट हुआ और यह परिवाद दायर करना पड़ा।
विपक्षी ने अपना जवाबदावा पेश करके परिवादी को संयोजन सं0-2211/15543 का धारक होना तथा डिमांड नोटिस मु0 99695/- रू की भेजना स्वीकार किया है तथा कथन किया है कि पत्रांक 176 दि0 14-07-11 के माध्यम से अवगत करा दिया गया था कि उसका संयोजन कुटीर ज्योति योजना की बिलिंग दि0 14-07-11 से एल0एम0वी0-1 श्रेणी में शामिल कर दिया गया है। परिवादी को विपक्षी द्वारा लगातार
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बिल भेजे जाते रहे लेकिन उसके द्वारा बिलों को जमा नहीं किया गया। अक्टूबर 2014 में परिवादी पर मु0 89395/- रू0 बकाया होने के कराण दि0 13-12-14 को विच्छेदित कर दिया जोकि दि0 06-02-15 को पुनः जुड़ा पाया गया। जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना ललपुरा में धारा 138 बी के अन्तर्गत दर्ज करायी गई। परिवादी द्वारा बिलों की धनराशि से बचने के लिए झूठा परिवाद फोरम में पेश किया है।
परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची कागज सं0- 4 से 2 अभिलेख तथा स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 20, साक्षी मुंशी का शपथपत्र कागज सं0- 21 व साक्षी सन्तोष कुमार का शपथपत्र कागज सं0 22 पेश किया है।
विपक्षी ने अभिलेखीय साक्ष्य में कागज सं0- 11,12,13 व 14 दाखिल किया है।
परिवादी तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण की बहस विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्य का भलीभॉति परिशीलन किया।
उपरोक्त के विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले अनत्योदय परिवार का सदस्य है। उसने कुटीर ज्योति योजना के अन्तर्गत घरेलू बत्ती पंखा हेतु विद्युत कनेक्शन सं0- 2211/15543 विपक्षी से स्वीकृत कराया था। कुटीर ज्योति योजना की बिलिंग प्रारम्भ में एल0एम0वी0-4 श्रेणी में की जाती थी। जिनकी बिलिंग हेतु दि0 18-07-92 से 02-01-97 की दर (1) एक प्रकाश बिन्दु 7.50 रू0 प्रति माह (2) दो प्रकाश बिन्दु 10 रू0 प्रति माह (3) तीन प्रकाश बिन्दु 12.50 रू0 प्रतिमाह तथा दि0 03-01-97 से 24-01-99 तक (1) एक प्रकाश बिन्दु 10.00 रू0 प्रतिमाह (2) एक से अधिक प्रकाश बिन्दु 15.00 रू0 प्रतिमाह की दर से की जाती थी।
उक्त अवधि के पश्चात दि0 25-01-99 से लागू रेट शेड्यूल में कुटीर ज्योति संयोजन की बिलिंग एल.एम.वी.- 1 श्रेणी में सम्मिलित कर दी गयी है। वही विद्युत दर वर्तमान में लागू चल रही है। उपरोक्त तथ्यों को साबित करने के लिए विपक्षीगण ने कागज सं0 -1 उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 लखनऊ के पत्र सं0-176/एच.सी./टेरिफ दि0 14-07-2011 तथा विद्युत दरों से सम्बन्धित शेड्यूल कागज सं0 12 पेश किया है।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह साबित है कि परिवादी ने विद्युत कनेक्शन सं0-2211/15543 से सम्बन्धित विद्युत उपभोग की कोई धनराशि कनेक्शन स्वीकृत होने के दिनांक से आजतक विपक्षी को भुगतान नहीं किया है। परिवादी का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि वह विपक्षी के कार्यालय में विद्युत बिल उपलब्ध कराने के लिए बराबर सम्पर्क करता रहा परन्तु उनके द्वारा कोई विद्युत बिल
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उपलब्ध नहीं कराया गया। परिवादी ने ऐसा कोई साक्ष्य पत्रावली पर दाखिल नहीं किया है, जिससे यह साबित हो कि उसने विद्युत बिल प्राप्त करने का प्रयास किया हो।
विपक्षी ने अपने जवाबदावा कागज सं0-10 में यह कथन किया है कि वादी के विदयुत कनेक्शन से सम्बन्धित बकाया धनराशि 98395/- रू0 का भुगतान न करने के कारण दि0 13-12-14 को परिवादी के विद्युत संयोजन में लगा केबिल पोल से निकालकर विच्छेदित कर दिया गया। दि0 06-02-15 को परिवादी के कनेक्शन की जांच की गई तो यह विदित हुआ कि परिवादी ने पुनः विद्युत पोल से अपने संयोजन का तार जोड़ लिया है। इसलिए परिवादी के विरूद्ध धारा- 138(बी) विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत विद्युत चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना ललपुरा में दर्ज कराई गई है। उक्त केस वर्तमान में मा0 विशेष न्यायाधीश(अ0व0अधि0)/ अपर जिला जज, जिला हमीरपुर के न्यायालय में विचाराधीन है। पत्रावली पर दाखिल कागज सं0-5 डिमांड नोटिस से विदित है कि विपक्षी द्वारा परिवादी के विद्युत संयोजन सं0-2211/15543 से सम्बन्धित विद्युत बकाया रू0 99735/- की नोटिस जारी की जा चुकी है। उक्त प्रक्रिया से बचने के लिए परिवादी ने नोटिस प्राप्त होने के बाद प्रस्तुत परिवाद न्यायालय में संस्थित किया है। चूकिं विद्युत चोरी से सम्बन्धित विशेष सत्र परीक्षण, विशेष न्यायाधीश(अ0व0अधि0)/ अपर जिला जज, जिला हमीरपुर के न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए प्रस्तुत परिवाद के विचारण का क्षेत्राधिकार इस फोरम को प्राप्त नहीं है। तदनुसार परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
-आदेश-
परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाता है। उभय पक्ष खर्चा मुकदमा अपना- अपना वहन करेंगे।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष
आज यह निर्णय खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके सुनाया गया।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष