दायरा तिथि- 23-04-2015
निर्णय तिथि- 16-09-2016
समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)
उपस्थिति- श्री राम कुमार अध्यक्ष
श्रीमती हुमैरा फात्मा सदस्या
परिवाद सं0-31/2015 अंतर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
नूर मुहम्मद पुत्र दोस्त मुहम्मद, निवासी मु0 पूर्वी तरौस कस्बा व तहसील मौदहा, जिला हमीरपुर।
.....परिवादी।
बनाम
1-अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड जिला हमीरपुर।
2-उपखण्ड अधिकारी विद्युत वितरण खण्ड मौदहा कस्बा मौदहा जिला हमीरपुर।
........विपक्षीगण।
निर्णय
द्वारा- श्री, राम कुमार ,पीठासीन अध्यक्ष,
परिवादी ने यह परिवाद विद्युत बिलों को वर्तमान मीटर रीडिंग के अनुसार बनाकर देने, परिवादी द्वारा जमा मु0-1724.90/- रू0 बिलों में समायोजित कराने तथा आर्थिक व मानसिक क्षतिपूर्ति मु0 10000/- और वाद व्यय के रूप में मु0 5000/- दिलाने हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र में परिवादी का संक्षेप में कथन यह है कि वह घरेलू संयोजन सं0 12122 विद्युत भार 1 किलोवॉट का धारक है। दिनांक 23-04-96 को खराब मीटर सं0 एम0सी0 39 खराब को बदलकर नया मीटर सं0 एम0सी0-2155 लगाया गया था। नया मीटर लगने के बाद परिवादी के पास कोई बिल नहीं भेजा गया जिस पर परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया तो वे केवल आश्वासन देते रहे। परिवादी द्वारा दि0 22-04-97 तथा दि0 16-09-99 को दिये प्रार्थना पत्र के आधार पर मु0 1724.90/- रू0 का बिल शेष बताकर जमा करा लिये गये थे लेकिन बिल नहीं दिया गया। जब परिवादी सेवानिवृत्त होकर नियमित रूप से अपने घर मौदहा में रहने लगा तब उसने दि0 28-08-12 को एक प्रार्थना पत्र बिल उपलब्ध कराने हेतु विपक्षी को दिया जिस पर दि0 25-09-12 को दि0 31-08-12 से 27-09-12 तक का बिल मु0 70731/- रू0 का आई0डी0एफ0 का पुराने मीटर के आधार पर उपलब्ध कराया, जबकि मीटर 1996 में बदल दिया गया था। जिसकी शिकायत परिवादी ने की और जनसूचना अधिकार के तहत सूचना मांगी तो विपक्षी ने स्वीकार किया कि परिवादी के यहा मीटर
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सं0 एम0सी0 2155 लगा हुआ है। फिर भी पुराने मीटर के अनुसार फर्जी बिल भेजे जा रहे हैं। सही बिल न प्राप्त होने पर दि0 13-08-14 को पुनः एक प्रार्थना पत्र विपक्षी को दिया जिस पर विपक्षी ने दि0 17-08-14 को मु0 88011/- रू0 का बिल परिवादी को दिया जो पुराने मीटर के आधार पर था। विपक्षी द्वारा वर्तमान में लगे मीटर की कोई रीडिंग नहीं ली गई और न ही उसके अनुसार बिल भेजे गये। इस कारण यह परिवाद फोरम में संस्थित करना पड़ा।
विपक्षी ने परिवाद पत्र के विरूद्ध अपना जवाबदावा पेश करके परिवादी को घरेलू संयोजन सं0 303/506/12122 होना, पुराना मीटर सं0 एम0सी0 39 को बदलकर नया मीटर सं0 एम0सी0 2155 दि0 23-04-15 लगाना, दि0 25-04-97 को बकाया विद्युत मूल्य जमा करना, दि0 31-08-12 से 27-09-12 तक का आई0डी0एफ0 का बिल 70731/- रू0 मीटर सं0 एम0सी0 39 का भेजना एवं नया मीटर एम0सी0 2155 होना तथा मु0 88011/- रू0 का बिल भेजना स्वीकार किया है। विपक्षी ने परिवादी के मीटर सं0 एम0सी0 39/272309 बदलने के उपरान्त नया मीटर एम0सी0 2155/96048 दि0 23-04-96 को सीलिंग प्रमाण पत्र सं0 8/1077 दि0 23-04-96 द्वारा बदलने की सूचना मीटर डिवीजन बांदा द्वारा विद्युत वितरण खण्ड हमीरपुर को नहीं दी गई जिसके कारण मीटर नम्बर अभिलेखों में परिवर्तन नहीं हो सका। बिल दि0 8/12 से 9/12 एवं 7/14 से 8/14 से साबित है। मीटर सं0 एम0सी0 39 दि0 23-04-96 को बदलते समय उसमें रीडिंग 2089 यूनिट थी और नया मीटर एम0सी0 2155 को 11 यूनिट पर स्थापित किया गया। इस कारण पुराने मीटर के उपभोग यूनिट बिलों में समयोजित किए गये इस कारण बिल माह 7/14 से 8/14 का 15053 यूनिट बनाया गया। बिल के अनुसार पिछली रीडिंग 5360 थी तथा वर्तमान रीडिंग 20413 यूनिट थी। कथित दोनों संलग्न बिल मीटर रीडिंग के अनुसार बनाये गए जिसका भुगतान परिवादी ने नहीं किया है। परिवादी विद्युत मूल्य का बकायेदार है। इस कारण परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची न0 3 से 8 अभिलेख तथा स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 18 दाखिल किया है।
विपक्षी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सुनील चन्द्र श्रीवास्तव का शपथपत्र कागज सं- 17 तथा दाखिल किया है।
परिवादी तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्तागण की बहस को विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्य का भलीभॉति परिशीलन किया।
उपरोक्त के विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी के घर पर घरेलू बत्ती पंखा, विद्युत संयोजन सं0 303/506/12122 लगा हुआ है। उक्त कनेक्शन 1 किलोवाट का है। उक्त संयोजन में पहले विद्युत मीटर न0 एम0सी0 39 लगा था। उक्त विद्युत मीटर के विरूद्ध प्राप्त विद्युत बिलों का परिवादी बराबर भुगतान करता रहा। परिवादी
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के घर पर लगा पुराना मीटर एम0सी0 39 खराब हो गया, जिसे परिवादी के अनुरोध पर दि0 23-04-96 को बदलकर नया विद्युत मीटर सं0 एम0सी0 2155 लगाया गया। परन्तु दि0 23-04-96 के बाद विपक्षी ने नये विद्युत मीटर के विरूद्ध भुगतान हेतु कोई विद्युत बिल उपलब्ध नही कराया। परिवादी ने जब दि0 22-04-97 को विद्युत बिल उपलब्ध कराने हेतु प्रार्थना पत्र दिया तब उसे यह बताया गया कि 1724.90 रू0 की विद्युत बिल की धनराशि बकाया है जिसे परिवादी ने दि0 25-04-97 को जमा कर दिया। उक्त की रसीद कागज सं0 7 शामिल पत्रावली है।
उभयपक्षों के बीच विवाद उस समय उत्पन्न हो गया जब विपक्षी ने दि0 25-09-12 को 31-08-12 से 27-09-12 तक का विद्युत बिल रु0 70731/- का परिवादी को भुगतान हेतु उपलब्ध कराया। इस विद्युत बिल में विद्युत मीटर की संख्या एम0सी0 39 लिखी हुई है। जबकि उक्त मीटर खराब होने के कारण बदल दिया गया और दि0 23-04-96 को उक्त के स्थान पर नया मीटर न0 एम0सी0 2155 लगाया गया है। यह बिल आई0डी0एफ0 आधार पर बनाया गया है। प्रश्नगत विद्युत मीटर सं0 एम0सी0 39 को विपक्षी के कर्मचारी दि0 23-04-96 को ही अपने साथ ले जा चुके है। परिवादी ने जब बिल सही कराने के लिए दि0 13-08-14 को प्रार्थना पत्र दिया तो विपक्षी सं0 2 ने दि0 17-08-14 रू0 88011/- का दूसरा बिल उपलब्ध कराया। उक्त बिल में भी पुराना विद्युत मीटर सं0 एम0सी0 39 अंकित है। प्रश्नगत दोनों विद्युत बिल क्रमशः कागज सं0 8 और 10 शामिल पत्रावली है। कागज स0 11 पत्रांक 254/वि.वि.उ.मौ./ दि0 05-12-12 से स्पष्ट है कि उपखण्ड अधिकारी विद्युत वितरण खण्ड मौदहा ने जांच किया कि परिवादी के घरेलू संयोजन में नय़ा विद्युत मीटर सं0 एम0सी0 2155 लगा हुआ है। विपक्षी का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि परिवादी के घरेलू संयोजन में पुराना मीटर हटाकर नया मीटर मीटर डिवीजन बांदा द्वारा दि0 23-04-96 को लगाया गया है। इसकी जानकरी मीटर डिवीजन बांदा अथवा परिवादी ने विपक्षी को नहीं दिया। इसीलिए मीटर रीडिंग के आधार पर दि 31/08/12 से 27/09/12 का विद्युत बिल रू0 70731/- तथा दि0 17/08/14 को रू0 88011/- का परिवादी को उपलब्ध कराया गया। यह विद्युत बिल मीटर सं0 एमसी 39 से सम्बन्धित है जोकि किसी हालत मे स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
परिवादी का यह कथन है कि वह सरकारी कर्मचारी है। सन 2008 मे चित्रकूट से सेवा निवृत्त होकर स्थाई रूप से सपरिवार अपने घर में रहने लगा है। इससे पहले उसका घर बन्द रहता था, वह यदा कदा आता था। परिवादी ने कागज सं0 22 पत्रावली पर इस कथन के साथ पेश किया है कि उसके घर मे लगे मीटर सं0 2155 में दि0 10-08-16 तक कुल रीडिंग 22122 यूनिट है। चूंकि पुराना विद्युत मीटर सं0 एम0सी0 39 दि0 23-04-96 को बदलकर उसके स्थान पर नया विद्युत मीटर सं0 एम0सी0 2155 लगाया जा चुका है। इसलिए पुराने विद्युत मीटर के आधार पर बिल रू0 70731/- तथा बिल रू0 88011/- विधिक रूप से सही नहीं हैं। तदनुसार निरस्त किये जाने योग्य है। मीटर डिवीजन बांदा द्वारा नया मीटर लगाने की सूचना यदि विपक्षी को नहीं दी गई तो इसके लिए परिवादी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता
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है। नया विद्युत मीटर सं0 एम0सी0 2155 की वर्तमान रीडिंग 10/08/16 को कुल यूनिट 22122 पर किसी प्रकार का अधिभार लगाया जाना भी न्याय संगत नहीं है। परिवादी विपक्षी के कार्यालय में बराबर प्रार्थना पत्र देता रहा लेकिन विपक्षी द्वारा प्रश्नगत विद्युत बिलों को ठीक नहीं किया गया। तदनुसार परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से परिवाद पेश किया है। अतएव परिवादी वाद व्यय के रूप में 2000/- रू0 तथा मानसिक क्लेश के मद में 3000/- रू0 भी विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है। तदनुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
-आदेश-
परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 2 द्वारा पुराने विद्युत मीटर सं0 एम0सी0 39 के आधार पर निर्गत विद्युत बिल रू0 70731/- व विद्युत बिल 88011/- को निरस्त किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी के विद्युत संयोजन में दि0 23-04-96 को लगे विद्युत मीटर सं0 एम0सी0 2155 की दि0 10-08-16 की रीडिंग 22122 यूनिट के आधार पर संशोधित विद्युत बिल निर्गत करे। उक्त विद्युत बिल की धनराशि पर किसी प्रकार का सरचार्ज नहीं लगाया जायेगा तथा उक्त विद्युत बिल में दि0 25-04-97 को जमा की गय़ी धनराशि 1724.90/- रू0 समायोजित की जायेगी। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह वाद व्यय के मद में 2000/- तथा मानसिक क्लेश के मद में 3000/- रू0 भी परिवादी को अदा करेंगे। आदेश का अनुपालन अंदर 30 दिवस हो। अन्यथा क्षतिपूर्ति की धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षित ब्याज परिवादी को अदा करेंगे। आदेश का अनुपालन न होने पर परिवादी को यह अधिकार हासिल है कि वह विपक्षी से उक्त धनराशि की वसूली विधि अनुसार फोरम के माध्यम से कर ले। अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड हमीरपुर यदि चाहे तो विभागीय जांच कर दोषी सम्बन्धित लिपिक/ कर्मचारी के वेतन से उपरोक्त धनराशि की वसूली कर सकते है।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष
यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष