Uttar Pradesh

Faizabad

CC/98/2010

YASODA DEVI - Complainant(s)

Versus

U.P.GOVT. - Opp.Party(s)

13 Jan 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/98/2010
 
1. YASODA DEVI
VILL- JAINPUR PO. DASRATH PUR PAR. PASCHIMRATH TEH.& THANA BIKAPUR DIS FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. U.P.GOVT.
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
        जिला उपभोक्ता
    
    

़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-98/2010    

    यशोदा देवी पत्नी स्व0 रामउजागिर निवासी ग्राम जैनपुर पो0 दशरथपुर परगना पश्चिमराठ तहसील व थाना बीकापुर जिला फैजाबाद        .................... परिवादिनी

                  बनाम

1-    राज्य उत्तर प्रदेश द्वारा कलेक्टर महोदय फैजाबाद।
2-    प्रबन्धक आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्बार्ड जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड एलडिको कार्पोरेट चैम्बर-1 चैथी मंजिल विभूति खण्ड गोमतीनगर लखनऊ।
3-    दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड मण्डलीय कार्यालय बलदेव निवास परिसर रीडगंज फैजाबाद द्वारा मण्डलीय प्रबंधक                  ................ विपक्षीगण

    निर्णय दि0 13.01.2016
                                                             

                  निर्णय

उद्घोषित द्वाराः-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष


    परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध किसान दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत बीमा धनराशि दिलाये जाने हेतु योजित किया है।

    संक्षेप में परिवादिनी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति स्व0 रामउजागिर पुत्र स्व0 शिवशंकर पेशे से किसान थे जिनके नाम से राजस्व अभिलेख में खाता संख्या-318 गाटा संख्या-624 रकबा 0.212 हे0 गाटा संख्या 343 क-0.013 


                     (  2  )

हे0 गाटा संख्या 345-0.069 हे0 गाटा संख्या 363-0.058 हे0 कुल 0.431 हे0 तथा खाता संख्या 319 गाटा संख्या 383-0.057 गाटा संख्या 284-0.022 कुल 0.0431 हे0 कृषि योग्य भूमि ग्राम जैनपुर परगना पश्चिम राठ तहसील बीकापुर जिला फैजाबाद में थी। परिवादिनी के पति दि0 06.9.2005 को आवश्यक कार्य से साइकिल से फैजाबाद जा रहे थे, तो सुबह लगभग 8 बजे फैजाबाद इलाहाबाद राजमार्ग पर पूराकलन्दर थाना क्षेत्र में स्थित ब्रहमबाबा के पास पहुॅंचे थे कि पीछे से एक टकª नं0 यू0पी051सी/3019 के चालक ने तेज गति से असावधानी पूर्वक चलाते हुए लाकर परिवादिनी के पति को रौंद दिया जिससे परिवादिनी के पति को गम्भीर चोटें आयी जिन्हें घायलावस्था में उसी दिन जिला चिकित्सालय फैजाबाद लाया गया जहाॅं इलाज के दौरान कुछ घण्टे बाद ही उनकी मृत्यु हो गयी। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा किसान दुर्घटना बीमा योजना वर्ष 2004 में लागू किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश के समस्त किसानों जिनकी आयु 18-60 वर्ष के मध्य है की आप्राकृतिक दुर्घटना मृत्यु होने पर परिणाम स्वरूप क्षतिपूर्ति हेतु मु0 1,00,000=00 हेतु बीमित कर प्रीमियम की धनराशि एक मुश्त विपक्षी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-2 के पास जमा कर दिया था। किसान की आप्राकृतिक दुर्घटना में मृत्यु होने पर बीमित धनराशि दिलाये जाने की कार्यवाही किसान की मृत्यु के बाद सम्बन्धित जिले के कलेक्टर विपक्षी सं0-1 को भेजे जाने का दायित्व सौंपा गया है। परिवादिनी ने अपने पति की मृत्यु के तुरन्त बाद ही समस्त आवश्यक कागजात व अपना फोटो हल्का लेखपाल को उपलब्ध करवा दिया था और हल्का लेखपाल द्वारा सम्बन्धित फार्म पर परिवादिनी का अंगूठा बनवाकर अपनी आख्या राजस्व निरीक्षक की आख्या तहसीलदार बीकापुर की आख्या और उपजिलाधिकारी बीकापुर की आख्या के साथ कलेक्टर महोदय फैजाबाद के कार्यालय को भेज दिया था तथा कलेक्टर महोदय फैजाबाद द्वारा विपक्षी सं0-2 के कार्यालय को क्षतिपूर्ति के भुगतान हेतु प्रेषित किया गया जो कलेक्टर महोदय के कार्यालय में सम्बन्धित रजिस्टर में दि0 20.11.2005 में क्रमांक संख्या-61 पर अंकित है। परन्तु अभी तक परिवादिनी को कोई क्षतिपूर्ति नहीं दी गयी। परिवादिनी कई बार कलेक्टर महोदय के कार्यालय आकर सम्बन्धित लिपिक से भुगतान के सम्बन्ध में पता किया हर बार उसे यही बताया गया कि आपके कागजात भुगतान हेतु इन्श्योरेन्स कम्पनी को भेज दिया गया है जल्दी ही भुगतान हो जायेगा। परिवादिनी ने विपक्षी सं0-1 व 2 को विधिक नोटिस दि0 03.10.2009 को भेजा परन्तु आज तक विपक्षीगण द्वारा कोई जवाब न तो परिवादिनी को न ही उसके अधिवक्ता को भेजा गया है। इस प्रकार विवश होकर परिवादिनी को यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा। 


                    (  3  )

    विपक्षी सं0-1 ने अपने जवाब में कहा कि बीमा का दावा फार्म औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद बीमा कम्पनी को भेजा जाता है। परिवादिनी द्वारा स्वयं औपचारिकताएं समय के अन्दर पूर्ण नहीं की गई। परिवादिनी स्वयं अपने क्लेम के सम्बन्ध में उदासीन थी तथा यह परिवाद भी कालबाधित है तथा इसी आधार पर निरस्त होने योग्य है।

    विपक्षी सं0-2 ने अपने जवाब में कहा कि धारा-4 का कथन में मात्र यह स्वीकार है कि उत्तरदाता प्रतिवादी व राज्यपाल उ0प्र0 महोदय के मध्य एक अनुबन्ध किसान दुर्घटना बीमा का कुछ शर्तो के अधीन हुआ था। जिले का कलेक्टर मात्र क्लेम प्रस्तुत करने में सहायक होता है दावाकर्ता नहीं। परिवादिनी उत्तरदाता विपक्षी की उपभोक्ता नहीं है। इस कारण वाद इस न्यायालय में चलने योग्य नहीं है। विपक्षी के अनुबन्ध के अनुसार किसान दुर्घटना बीमा के सभी क्लेम 60 दिन के अन्दर प्राप्त होने पर निस्तारण होता है। परिवादिनी की स्वयं की स्वीकारोक्ति के अनुसार उसका क्लेम समय के अन्दर प्रस्तुत नहीं किया गया था। स्वीकृत रूप से परिवादिनी को परिवाद का कार्यकारण वर्ष 2005 से प्राप्त था परन्तु उसके द्वारा दो वर्ष के अन्दर परिवाद प्रस्तुत नहीं किया गया। इस कारण प्रस्तुत परिवाद कालबाधित है तथा इसी आधार पर निरस्त होने योग्य है। 
        
    विपक्षी सं0-3 ने अपने जवाब में कहा है कि उपरोक्त वाद में परिवादिनी के पति की मृत्यु दि0 06.9.2005 को होना दर्शाया गया है जबकि उक्त पालिसी दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स क0लि0 फैजाबाद से दि0 16.9.2005 से लागू रही इस कारण उक्त नियम की पाबन्दी दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स क0लि0 पर नहीं है। 

    मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया तथा विपक्षी सं0-2 के लिखित बहस का अवलोकन किया। इस परिवाद में राम उजागिर की मृत्यु ट्रक नं0-यू0पी051सी/3019 से दुर्घटनाग्रस्त दि0 06.9.2005 को हो गयी थी। स्व0 राम उजागिर का बीमा उ0प्र0 शासन द्वारा किसान दुर्घटना बीमा योजना वर्ष 2004 के अन्तर्गत किया गया था। यह योजना 18 से 60 वर्ष के लोगों की थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार स्व0 राम उजागिर की मृत्यु के समय उम्र 35 वर्ष थी। विपक्षी सं0-1 उ0प्र0 द्वारा कलेक्टर पक्षकार है। जिसने अपने जवाब की धारा-6 में कहा कि बीमा का दावा फार्म औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद बीमा कम्पनी को भेजा जाता है। परिवादिनी की ओर से बीमा दावा समय से कलेक्टर फैजाबाद के द्वारा भेजा गया।  कार्यालय  जिलाधिकारी फैजाबाद के  यहाॅं से  सहायक जनसूचना अधिकारी 


                    (  4  )

फैजाबाद द्वारा सूचना दी गयी कि पत्र से स्पष्ट होता है कि दावा बीमा कम्पनी को भेजे जाने का आलेख प्रस्तुत है। जिस पर एस.डी.एम. हस्ताक्षर से भेजा गया है और साथ में छायाप्रति आवरण पत्र/सूचना पत्र की दिया है। जो एस.डी.एम. उप जिलाधिकारी की सील लगी हुई है। यह कागज सं0-7/1 लगायत 7/2 है। परिवादिनी द्वारा जो दुर्घटना बीमा के कागजात भेजे गये वह उप जिलाधिकारी दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड को भेजा। दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी ने अपने जवाबदावे में राम उजागिर के दुर्घटना बीमा होने से इन्कार किया है और बीमा पालिसी की छायाप्रति के सम्बन्ध में सूची-11/4 से 11/5 लगायत 11/6 प्रेषित किया है। उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से दुर्घटना बीमा दि0 16.9.2005 के मध्य रात्रि से 16.9.2006 तक है। स्व0 राम उजागिर की मृत्यु दि0 06.9.2005 को हुई है। इस प्रकार दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी राम उजागिर के दुर्घटना बीमा को अपने जवाबदावे में इन्कार किया है। विपक्षी सं0-2 आई0सी0आई0सी0आई0 ने अपने जवाबदावे की धारा-4 में स्वीकार किया कि उत्तरदाता प्रतिवादी व राज्यपाल उ0प्र0 महोदय के मध्य एक अनुबन्ध किसान दुर्घटना बीमा का कुछ शर्तो के अधीन हुआ था। परिवादिनी का उत्तरदाता का उपभोक्ता होना स्वीकार नहीं है। कलेक्टर फैजाबाद द्वारा दुर्घटना बीमा से सम्बन्धित कागजात विपक्षी सं0-2 के यहाॅं नहीं भेजे गये बल्कि विपक्षी सं0-3 दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी के यहाॅं भेजे गये। विपक्षी सं0-1 ने अपने जवाबदावे में यह नहीं लिखा है कि स्व0 राम उजागिर का कृषक दुर्घटना बीमा विपक्षी सं0-1 के यहाॅं था कि विपक्षी सं0-2 के यहाॅं था। जबकि कलेक्टर की ओर से एस.डी.एम. फैजाबाद ने विपक्षी सं0-3 को दुर्घटना बीमा से सम्बन्धित कागजात जो परिवादिनी ने प्रेषित किये थे उसे विपक्षी सं0-3 ने उन कागजातों के विषय में कोई सूचना परिवादिनी को नहीं दिया और विपक्षी सं0-1 ने अपने जवाबदावे में यह भी नहीं बताया कि राम उजागिर का कृषक दुर्घटना बीमा किस बीमा कम्पनी के यहाॅं था। इस प्रकार यह त्रुटि विपक्षी सं0-1 की बनती है कि उसे अपने जवाबावे में यह उल्लिखित करना चाहिए कि कृषक दुर्घटना बीमा 2004 में किस बीमा कम्पनी के यहाॅं था। विपक्षीगण ने अपने जवाबदावे में यह कहा है कि दुर्घटना बीमा दावा दो वर्ष के बाद किया गया है इसलिए समय विधान से बाधित है। मेरे विचार जब कलेक्टर फैजाबाद को किसान दुर्घटना बीमा के सम्बन्ध में समस्त कागजात परिवादिनी ने दिये तो तत्कालीन एस0डी0एम0 ने बीमा के स्वीकृत होने और अस्वीकृत होने के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं दिया और दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स  कम्पनी जिसे दुर्घटना बीमा के कागजात भेजे गये उसकी भी कोई सूचना 


                    (  5  )

नहीं दिया है। यह अभी प्रक्रिया चल ही रही है प्रक्रिया समाप्त नहीं हुई है। इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद समय विधान से बाधित नहीं होता है। यदि विपक्षीगण परिवादिनी के बीमा दावे के अस्वीकृत होने के सम्बन्ध में सूचना दे देते और दो साल के बाद परिवाद परिवादिनी योजित करती तो यह दावा समय विधान से बाधित मानी जाती। इस प्रकार विपक्षीगण का यह कथन कि दावा समय विधान से बाधित है अस्वीकार किया जाता है। इस परिवाद में सम्पूर्ण गलती विपक्षी सं0-1 उ0प्र0 राज्य द्वारा कलेक्टर फैजाबाद की है इसलिए किसान दुर्घटना बीमा योजना की समस्त धनराशि अदा करने की जिम्मेदारी विपक्षी सं0-1 की बनती है। विपक्षी सं0-1 जिस बीमा कम्पनी से राम उजागिर का किसान दुर्घटना बीमा था उससे चाहे तो धनराशि वसूल सकता है। इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किये जाने योग्य है।

                    आदेश

    परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किया जाता है। परिवादिनी का परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0-2 व 3 के विरूद्ध खारिज किया जाता है। विपक्षी सं0-1 मृतक राम उजागिर के किसान दुर्घटना बीमा की धनराशि मु0 1,00,000=00 निर्णय एवं आदेश की तिथि से एक माह के अन्दर अदा करें। यदि विपक्षी सं0-1 उक्त दिये गये समय के अन्दर धनराशि की अदायगी नहीं करता है तो परिवादिनी परिवाद योजित करने की तिथि से तारोज वसूली 9 प्रतिशत साधारण ब्याज प्राप्त करने की अािकारिणी होगी। परिवादिनी मु0 3,000=00 परिवाद व्यय एवं मु0 5,000=00 मानसिक क्षतिपूर्ति भी विपक्षी सं0-1 से पाने की अधिकारिणी है।      
                            
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष     
     
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 13.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया  गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष    

 

 

 

 


    
    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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