SRI RAM JANAKI MANDIR filed a consumer case on 16 Apr 2022 against U.P.GOVT. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/65/2015 and the judgment uploaded on 19 May 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 65 सन् 2015
प्रस्तुति दिनांक 06.04.2015
निर्णय दिनांक 16.04.2022
श्री रामजानकी मंदिर विराजमान ग्राम- तेरही द्वारा प्रबन्धक सुरेश चौबे उम्र तखo 75 साल पुत्र स्वo श्री सन्तकुमार चौबे साकिन- तेरही जमीन तेरही पत्रालय तेरही थाना- कप्तानगंज परगना- गोपालपुर तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विपक्षी संख्या 02 व 03 के द्वारा मौजा तेरही में चक संख्या-461 के मेड़ पर लगाए गए कुलाबे से उसी मौजे में स्थित अपनी कृषि योग्य भूमि की सिंचाई करता था तथा सिंचित शुदा भूमि का भुगतान नियमानुसार विपक्षी संख्या 02व03 के विभाग में करता था। कुलाबा का अवैध तरीके से तत्कालीन प्रधान पति लालजीत राजभर पुत्र बहती राजभर द्वारा उखड़वा कर गायब कर दिया गया, जिसकी सूचना मौखिक एवं लिखित रूप से विपक्षीगणों को दी गयी तो दिनांक 16.07.2010 को जिलेदार प्रथम कप्तानगंज शारदा सहायक खण्ड 32 आजमगढ़ को उपराजस्व अधिकारी शारदा सहायक खण्ड 32 आजमगढ़ द्वारा जाँच रिपोर्ट एक सप्ताह में देने हेतु आदेशित किया गया, लेकिन इस आदेश के अनुपालन में आजतक जिलेदार प्रथम कप्तानगंज आजमगढ़ द्वारा कोई जाँच स्थल आख्या प्रतिवेदन नहीं प्रेषित किया गया। तब परिवादी ने दिनांक 09.11.2010 को जरिए विधिक नोटिस विपक्षीगण को सूचित किया लेकिन उनके द्वारा आजतक समस्या का कोई संज्ञान नहीं लिया गया। परिवादी ने पुनः विपक्षी संख्या 02 को नोटिस भेजा, लेकिन उनके द्वारा आजतक कोई समाधान नहीं किया गया। विपक्षीगणों द्वारा किए गए कृत्य ‘सेवा में कमी’ के परिणामस्वरूप परिवादी की लगभग 06 बीघा अतिउपजाऊ जमीन पर कृषि कार्य बाधित हो जाने से परिवादी को लगभग दो लाख रुपए की प्रतिवर्ष आर्थिक नुकसान हुआ। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को मुo आठ लाख रुपया क्षतिपूर्ति फसलों की नुकसानी हेतु अदा करे तथा विपक्षीगण से मुo दो लाख रुपया क्षतिपूर्ति मानसिक, शारीरिक एवं वाद खर्च के मद में परिवादी को दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/01व02 उद्वरण खतौनी की छायाप्रति, कागज संख्या 6/03व04 अधिशासी अभियन्ता शारदा सहायक खण्ड 32 आजमगढ़ को प्रेषित पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/5 उपराजस्व अधिकारी शारदा सहायक आजमगढ़ द्वारा जिलेदार को प्रेषित आदेश की छायाप्रति, कागज संख्या 6/6 अधीक्षण अभियन्ता चतुर्दशम् मण्डल, सिंचाई कार्य आजमगढ़ को प्रेषित अनुस्मारक पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/7व8 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 6/11 सिंचाई प्रबन्ध के सम्बन्ध में जिलेदार आजमगढ़ द्वारा प्रेषित पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/12 नहर सिंचाई से सम्बन्धित कोषागार में जमा धनराशि के विवरण सम्बन्धी रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 10/1 सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश शारदा सहायक परियोजना रबी रोस्टर प्रणाली से सम्बन्धित निर्देश की छायाप्रति, कागज संख्या 10/2 खरीफ फसल से सम्बन्धित फसली खाता नं. की छायाप्रति, कागज संख्या 32ग² कृषि पंचांग की छायाप्रति, कागज संख्या 34ग² खतौनी की छायाप्रति तथा कागज संख्या 38ग² नकल की सत्यप्रतिलिपि प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 22क² विपक्षी संख्या 02व03 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार करते हुए यह कहा है कि वाद कारण क्षेत्राधिकार से बाहर है क्योंकि वादी न तो उसका उपभोक्ता है न ही उसने सेवा में कोई कमी की है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि गाटा संख्या 461 मुख्य नहर से सटा हुआ है और गाटा संख्या 461 के अगल-बगल से कोई नाली सरकारी अभिलेख में नहीं है, बल्कि चकमार्ग वाका है नाली गाटा संख्या 463 के बगल से है। गाटा संख्या 501 के उत्तर तरफ सेक्टर चकमार्ग एवं नाली बनी है जो मौके पर नाली बनी है और गाटा संख्या 500 जो गाटा संख्या 501 के दक्षिण वाका है सभी की सिंचाई नाली द्वारा होती है। सरकारी नाली गाटा संख्या 846 मुख्य नहर से निकल कर नाली संख्या 529 से मिल जाती है जो वादी के गाटा संख्या 501 व 500 की सिंचाई का रास्ता हरिगज 461 से कोई नाली नहीं है। विपक्षीगण द्वारा निःशुल्क पानी की सप्लाई किसानों को की जाती है इसके बदले कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। जिस कारण वादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। विपक्षीगण को कोई भी नोटिस नहीं मिली और न ही ऐसी कोई जानकारी है। याची के खेत की जुताई बुवाई व खेत की सिंचाई आदि का प्रबन्ध करना न ही सरकार का काम है और न ही विभाग का दायित्व है, बल्कि काश्तकार का स्वयं का होता है। याची किसी भी प्रकार का क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 02व03 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में कोई भी शपथ पत्र व प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
कागज संख्या 26क² विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार करते हुए विपक्षी संख्या 02व03 के जवाबदावे में किए गए अभिकथनों का ही अपने जवाबदावे में अभिकथन किया है।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा भी अपने जवाबदावा के समर्थन में कोई भी शपथ पत्र व प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर सिर्फ परिवादी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित रहे, जबकि विपक्षीगण की तरफ से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रलेखीय साक्ष्य के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा सिंचित भूमि से सम्बन्धित निर्धारित राजस्व मूल्य का भुगतान नियमित रूप से विपक्षी संख्या 02व03 को करता रहा है। ऐसी स्थिति में परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है। इस सन्दर्भ मे यदि हम एक न्याय निर्णय “के.वी. कृष्णा रेड्डी बनाम जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, 1990(III) सी.सी.सी.654 आन्ध्र प्रदेश एच.सी.” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माo उच्च न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि कृषकगण, ठेकेदारों और सार्वजनिक निर्माण विभाग के कर्मचारियों की दुरभि संधि के फलस्वरूप नहरों की मरम्मत में बढ़ती गयी उदासीनता के फलस्वरूप क्षति होती है तो उसके सम्बन्ध में जिला फोरम के समक्ष परिवाद किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में परिवादी विपक्षी संख्या 02व03 के निर्विवाद रूप से उपभोक्ता है। चूंकि परिवादी द्वारा बार-बार विपक्षी संख्या 02व03 को सूचना दिए जाने के बावजूद उसके शिकायत का निवारण नहीं कर सके जो कि स्पष्ट रूप से सेवा में कमी को दर्शाता है। अतः यहाँ यह उल्लेखनीय है कि प्रस्तुत परिवाद में विपक्षी संख्या 01 उत्तर प्रदेश राज्य सरकार है तथा विपक्षी संख्या 04व05 प्रबन्धक/कर्ताधर्ता मंदिर हैं। ऐसी स्थिति में उपरोक्त विवेचन के आधार पर हमारे विचार से परिवाद परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी संख्या 02व03 के विरुद्ध स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 02व03 को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी के फसलों की नुकसानी के एवज में हुई क्षतिपूर्ति के रूप में मुo 1,00,000/- रुपया (रु.एक लाख मात्र) अन्दर 30 दिन परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से परिवादी को अदा करे, साथ ही विपक्षी संख्या 02व03 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 20,000/- रुपए (रु. बीस हजार मात्र) तथा वाद खर्च के रूप में मुo 5,000/- रुपए (रु.पांच हजार मात्र) भी अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 16.04.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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