Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/76/2017

DEVENDRA SINGH - Complainant(s)

Versus

U.P.GOVT. - Opp.Party(s)

RAKESH SINGH

07 Dec 2019

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/76/2017
( Date of Filing : 13 Apr 2017 )
 
1. DEVENDRA SINGH
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. U.P.GOVT.
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 07 Dec 2019
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 76 सन् 2017

प्रस्तुति दिनांक 13.04.2017

                                                                                       निर्णय दिनांक 07.12.2019         

  1. देवेन्द्र सिंह पुत्र मुशाफिर सिंह
  2. रामबहादुर सिंह पुत्र स्वo इन्द्रजीत सिंह

निवासीगण ग्राम- बेलइसा, तहसील- सदर, पोस्ट- सदर, जनपद- आजमगढ़।......................................................................परिवादीगण।

बनाम

  1. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिला मजिस्ट्रेट आजमगढ़।
  2. जिला आबकारी विभाग आजमगढ़ द्वारा जिला आबकारी अधिकारी पता सिविल लाइल (निकट- तहसील) पोस्ट- सदर, जिला- आजमगढ़।      
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”

  •  

राम चन्द्र यादव “सदस्य”

परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि विपक्षीगण से शराब की दुकान से अनुज्ञापन हेतु बेसिक लाइसेंस फीस याची नं.01 चालान संख्या 01 से दिनांकित 13.03.2003 को मुo 2,25,000/- रुपया व चालान संख्या 31 से दिनांक 26.03.2003 को मुo 2,25,000/- रुपया अर्थात् कुल 4,50,000/- रुपया जमा किया। याची नं. 02 अनुज्ञापन बेसिक लाइसेन्स फीस चालान संख्या 33 से दिनांक 26.03.203 को 10,000/- रुपया व चालान संख्या 47 से दिनांक 31.03.2003 को 1,00,000/- व चालान संख्या 54 दिनांक 31.03.2003 को 1,00,000/- रुपये व चालान संख्या 06 से दिनांक 08.04.2003 को 2,00,000/- रुपया अर्थात् कुल 4,10,000/- रुपया जमा किया। विपक्षीगण द्वारा नियन्त्रित बेसिक शराब की दुकान का अनुज्ञापन बेसिक लाइसेन्स फीस जमा करने के उपरान्त नीलामी बोली द्वारा आवंटित करके दिया जाता है। बेसिक लाइसेन्स फीस जमा करने के बावजूद नीलामी में याचीगण को विपक्षीगण से देशी शराब की दुकान का अनुज्ञापन नहीं मिला और न ही कोई दुकान आवंटित हुई। याचीगण विपक्षीगण से बेसिक लाइसेन्स फीस बार-बार वापस मांगे जाने के बाद भी वापस नहीं किया। याचीगण विपक्षीगण के व्यवहार से क्षुब्ध होकर बेसिक लाइसेन्स फीस प्राप्त करने हेतु माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट याचिका संख्या 1121/2003 देवेन्द्र सिंह आदि बनाम जिला मजिस्ट्रेट आजमगढ़ संस्थित                                                 P.T.O.

 

2

किया। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 26.09.2003 से विपक्षीगण को आदेशित किया कि याचीगण जमा बेसिक लाइसेन्स फीस धनराशि आदेश प्रस्तुत की तिथि से एक सप्ताह के अन्दर परिवादी को वापस करे। जिसका अनुपालन विपक्षीगण द्वारा आज तक नहीं किया गया। याचीगण विपक्षी संख्या 02 के कार्यालय बार-बार जाते रहे। विपक्षी संख्या 02 द्वारा बजट आएगा तो भुगतान कर दिया जाएगा यह कहकर टालता रहा। याचीगण को 12-13 वर्षों से विपक्षी संख्या 02 के कार्यालय दौड़ते रहे। विवश होकर याची जरिए अधिवक्ता दिनांक 06.12.2016 को विपक्षी संख्या 02 को पंजीकृत डॉक से विधिक नोटिस भेजा जिसका जवाब विपक्षीगण ने नहीं दिया और न ही जमा लाइसेन्स फीस धनराशि ही वापस किया। तब याचीगण ने विपक्षीगण के विरुद्ध परिवाद दाखिल कर याची संख्या 01 द्वारा जमा कुल धनराशि 4,50,000/- रुपया, मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु 50,000/- रुपया तथा वाद व्यय हेतु 10,000/- रुपया एवं याची संख्या 02 द्वारा जमा कुल धनराशि 4,10,000/- रुपया, शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु 50,000/- रुपया तथा वाद व्यय हेतु 10,000/- रुपया कुल रुपया 9,80,000/- रुपये की मांग की है।

परिवादीगण द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादीगण की ओर से कागज संख्या 6/1 ता 6/2 क्रेडिट सर्टिफिकेट की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 ता 6/4 माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश की छायाप्रति तथा कागज संख्या 6/5 विधिक नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।

विपक्षीगण द्वारा कागज सख्या 12 जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवादी संख्या 01 के यहां 15,07,874/- रुपया बकाया है एवं परिवादी संख्या 02 के यहाँ 14,05,562/- रुपये बकाया है। कुल 29,13,436/- रुपये आबकारी की बकाएदार हैं। विपक्षी संख्या 02 ने अपने अतिरिक्त कथन में याचीगण द्वारा वर्ष 2003-04 के लिए जमा लाइसेन्स फीस मुo 4,50,000/- रुपया एवं मुo 4,10,000/- कुल रुपया 8,60,000/- रुपया जमा होना स्वीकार किया है। इस धनराशि को समायोजित करते हुए वसूली की जानी है। परिवादीगण विपक्षीगण द्वारा प्रदत्त लाइसेन्स के आधार पर शराब बिक्री के व्यवसाय हेतु अधिकृत किए गए थे। ऐसी दशा में परिवादीगण किसी भी प्रकार से उपभोक्ता नहीं हो सकता। अतः परिवाद खारिज किया जाए।                                                                      P.T.O.

 

3

विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया। चूंकि परिवाद पत्र में किए गए कथन में याचीगण द्वारा बेसिक लाइसेन्स फीस वर्ष 2003-04 का कुल रुपया 8,60,000/- जमा बताया है जो विपक्षी संख्या 02 को स्वीकार है तथा उक्त धनराशि बकाए धनराशि में समायोजित करेगा, यह भी स्वीकार किया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

आदेश

परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 02 को आदेशित किया जाता है कि वह याचीगण द्वारा जमा बेसिक लाइसेन्स फीस मुo 8,60,000/- रुपये (आठ लाख साठ हजार रुपये) को समायोजित कर बकाए की मूल धनराशि में से घटाने के पश्चात् जो मूल धनराशि बचती है उसका भुगतान बिना ब्याज के परिवादीगण से प्राप्त करने का अधिकारी होगा।

पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। आदेश का अनुपालन अन्दर 30 दिन में करें।   

 

 

                                                            राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                 (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

            दिनांक 07.12.2019

                                                यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

                                                         राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                              (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER
 

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