BHUKHALI DEVI filed a consumer case on 22 Feb 2021 against U.P.GOVT. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/43/2009 and the judgment uploaded on 04 Mar 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 43 सन् 2009
प्रस्तुति दिनांक 20.02.2009
निर्णय दिनांक 22.02.2021
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....................................................................................परिवादीगण।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि परिवादिनी के पति व परिवादीगण 2लगायत4 के पिता स्वo तुलई यादव की दिनांक 14.07.2007 को समय करीब 10.00 बजे सुबह स्थान- सरायहाजी थाना- रानी की सराय, जिला- आजमगढ़ उसके घर के सामने वाहन जीप संख्या- यू.पी. 50एफ्/2958 की चपेट में आने के कारण दवा-इलाज के दौरान घटना के ही दिन रात्रि में सदर अस्पताल आजमगढ़ में मृत्यु हो गयी। वहीं पर दिनांक 15.07.2007 को उनका पोस्ट मार्टम हुआ। परिवादी संख्या 03 द्वारा अपने पिता तुलई यादव की वाहन दुर्घटना में मृत्यु होने व दुर्घटना के घटित होने के बारे में दिनांक 18.07.2007 को थाना- रानी की सराय आजमगढ़ में लिखित सूचना दिया था जिस पर थाना रानी की सराय आजमगढ़ ने मुoअoसंo-650/07 धारा- 279,304ए आई.पी.सी. दर्ज हुआ जिसे जाँच के दौरान थानाध्यक्ष रानी की सराय, आजमगढ़ द्वारा सही भी पाया गया। परिवादिनी संख्या 01 के पति व परिवादीगण संख्या 2लगायत4 के पिता स्वo तुलई यादव कृषक थे, जिनका नाम भू-राजस्व अभिलेख में अंकित था तथा मृतक का नाम रेवेन्यू रिकार्ड में भी दर्ज था। उoप्रo सरकार की सीमा में रहने वाले
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12 से 70 वर्ष की आयु वाले ऐसे समस्त कऋषक जिनका नाम रेवेन्यू रिकार्ड में खातेदार/सहखातेदार के रूप में दर्ज होगा उनके लिए अप्राकृतिक मृत्यु होने की दशा में व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना लागू की गयी है। इस बीमा योजना के तहत ऐसे सभी कृषक आच्छादित होंगे जिनकी मृत्यु अप्राकृतिक होगी और अप्राकृतिक मृत्यु की दशा में बीमा की धनराशि मुo 1,00,000/- रुपए होगी। उoप्रo सरकार द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना विपक्षी संख्या 02 के यहाँ से दिनांक 16.09.2006 से 16.09.2007 तक के लिए कराया गया है जो दुर्घटना दिनांक 14.07.2007 को कवर करता है जिसका भुगतान विपक्षी संख्या 2 को करना था। परिवादिनी संख्या 01 व परिवादीगण संख्या 02लगयात04 द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना धनराशि मुo1,00,000/- रुपया प्राप्त किए जाने हेतु प्रार्थना पत्र सभी प्रपत्रों एवं विवरण के साथ जिलाधिकारी/उपजिलाधिकारी कार्यालय आजमगढ़ में दिया गया था। परिवादी संख्या 04 द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना की धनराशि की प्राप्ति हेतु कई बार जिलाधिकारी कार्यालय आजमगढ़ के कार्यालय पर गया परन्तु उसके साथ कार्यालय अधिकारी द्वारा उपेक्षात्मक व्यवहार किया जाता रहा और बार-बार कहा जाता रहा कि आपके क्लेम का भुगतान जल्द से जल्द कर दिया जाएगा। परिवादी संख्या 04 द्वारा दिनांक 23.01.2009 को जिलाधिकारी कार्यालय आजमगढ़ के कार्यालय पर गया तो कार्यालय अधिकारी द्वारा उपेक्षात्मक व्यवहार करते हुए कहा गया कि तुमको कोई दावा धनराशि नहीं मिलेगी अब फिर कभी कार्यालय मत आना। अतः परिवादीगण को विपक्षीगण से मुo 1,00,000/- रुपए, विपक्षीगण द्वारा अपनी सेवाओं में की गयी कमी से मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति के रूप में मुo 25,000/- रुपया तथा वाद-व्यय व अधिवक्ता शुल्क मुo 5,000/- रुपया कुल रुपया 1,30,000/- रुपया 12% वार्षिक की दर से दिलवाया जाए।
परिवादी संख्या 04 द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादीगण ने कागज संख्या 5/1 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2व5/3 पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 5/4 खतौनी रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से कोई भी जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया है।
चूंकि परिवादीगण अनुपस्थित। अतः पत्रावली का अवलोकन किया गया। कागज संख्या 13ग परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत किया गया है जिसमें राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के लगभग 2.50 करोड़ खातेदार/सहखातेदार कृषकों के लिए जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना क्रियान्वित की जानी है। जिसमें निम्न प्रमुख शर्तों पर बीमा आवरण तथा क्लेम निस्तारण हेतु
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प्रीमियम की दरें तय किए जाने के लिए मुहरबन्द निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं कृषकों की यह संख्या घट या बढ़ सकती है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एग्रीकल्चर बनाम मारूती साहू (2) 2019 सी.पी.जे. 104 उड़ीसा” माo उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा पारित अभिनिर्णय को देखें तो इसमें यह कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को सरकार द्वारा मुफ्त आर्थिक मदद दी जा रही है और उसके लिए उसने कोई कोई कन्सीडिरेशन भुगतान नहीं किया है तो वह कन्ज्यूमर की परिभाषा में नहीं आता है। इस मामले में भी मृतक ने सरकार को कोई प्रतिफल नहीं दिया था। ऐसी स्थिति में मृतक सरकार का कन्ज्यूमर नहीं माना जाएगा और परिवादीगण चूंकि कन्ज्यूमर नहीं है। अतः वह कोई भी अनुतोष पाने के लिए अधिकृत नहीं है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.02.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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