Uttar Pradesh

Kanpur Dehat

CC/59/2022

Rajendra Singh - Complainant(s)

Versus

U.P. Cooperative Gram Vikas Bank, Jheenjhak - Opp.Party(s)

Laxmi Shankar Mishra

31 Jul 2024

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर देहात ।

अध्यासीन:- श्री मुशीर अहमद अब्बासी..........................अध्यक्ष

  (H.J.S.)

          श्री हरिश चन्द्र गौतम ...............................सदस्य

          सुश्री कुमकुम सिंह .........................महिला सदस्य

 

उपभोक्ता परिवाद संख्या :- 59/2022

परिवाद दाखिला तिथि :- 11.07.2022

निर्णय दिनांक:- 31.07.2024

(निर्णय श्री मुशीर अहमद अब्बासी, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)

 

राजेन्द्र सिंह उम्र लगभग 52 वर्ष पुत्र लल्ला सिंह निवासी ग्राम खरगपुर पोस्ट तिस्ती परगना व तहसील रसूलाबाद कानपुर देहात ।                                      

                                                                                                                                                       ..........................परिवादी

बनाम

 

उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक शाखा झींझक कानपुर देहात द्वारा शाखा प्रबन्धक उ0 प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड शाखा झींझक कानपुर देहात ।

                                                                                                                                                      ..........................प्रतिवादी

निर्णय

 

     प्रस्तुत परिवाद परिवादी राजेन्द्र सिंह की ओर से सशपथ पत्र, ओ0टी0एस0 योजना में प्रकरण करके जमा धनराशि समाहित कर ओ0टी0एस0 का लाभ देकर ऋणमुक्त कराये जाने के आशय से दिनांक 11.07.2022 को योजित किया गया ।

     परिवादी का कथन है कि परिवादी निहायत ही सीधा सादा कानून प्रिय व्यक्ति है। परिवादी ने विपक्षी की शाखा से कृषि ऋण मु0 1,80,000/- रु0 लिया था जिसमें परिवादी द्वारा 80,000/- रुपया जमा कर दिया गया है । परिवादी विकलांग हो गया जिस कारण किश्तें समय से जमा नहीं कर सका । विपक्षी द्वारा मु0 3,95,120/- रु0 का नोटिस दिया गया था तथा परिवादी की भूमि नीलामी में चढ़ गयी । दो गुने से अधिक विपक्षी परिवादी से नहीं ले सकता है तथा जमा धनराशि समाहित करनी होगी, उसे भी विपक्षी नहीं कर रहा है । दिनांक 03.06.2022 को मु0 80,000/- रुपये जमा धनराशि समाहित करने से मना कर दिया, ओ0टी0एस0 भी नहीं कर रहे हैं । प्रार्थी पैसा जमा करने को तैयार है । परिवाद दाखिल करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है ।

     परिवादी के परिवाद पत्र के उत्तर में विपक्षी उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक की ओर से शाखा प्रबन्धक, शाखा झींझक कानपुर देहात द्वारा अपनी जवाबदेही प्रस्तुत की गयी । विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदेही में परिवाद पत्र की धारा-1 के कथन को परिवादी का व्यक्तिगत कथन होना कहा है, जवाब देने की आवश्यकता नहीं है तथा परिवाद पत्र की धारा-2 के कथन को अस्वीकार करते हुये यह अभिकथन किया है कि परिवादी द्वारा डेयरी योजना के अन्तर्गत 1,80,000/- रुपया दिनांक 20.05.14 को ऋण लिया गया है जिसका खाता संख्या- एन0डी0-5/51 है एवं परिवाद पत्र की धारा-3 के कथन मिथ्या तथ्यों पर आधारित है, स्वीकार नहीं है । परिवादी द्वारा विभिन्न तिथियों में 31.03.2022 तक 70,000/- रुपया जमा किया गया है, 31.03.2022 तक परिवादी पर बकाया धनराशि 3,88,400/- रुपया है जिसे जमा किये जाने की नोटिस दिये जाने के उपरान्त परिवादी द्वारा बकाया धनराशि जमा न किये जाने के कारण भूमि नीलामी का विज्ञापन लिया गया है । विपक्षी द्वारा प्रस्तुत जवाबदेही के प्रस्तर-5 में परिवाद पत्र की धारा-5 के कथन को अस्वीकार करते हुये यह अभिकथन किया है कि इस तरह का कोई G.O. उत्तर प्रदेश सरकार का नहीं है । परिवाद पत्र की धारा-6 के उत्तर दिये जाने की आवश्यकता नहीं है । जवाबदेही के अतिरिक्त कथन में यह उल्लेख किया है कि परिवादी द्वारा दिनांक 20.05.14 को डेयरी योजना के अन्तर्गत 1,80,000/- रुपया 14.25 प्रतिशत ब्याज पर लिया गया जिसकी अदायगी परिवादी को 5 वर्ष में की जानी थी । परिवादी द्वारा डेयरी योजना व्यावसायिक कार्य हेतु ऋण लिया गया जिसकी मासिक किश्तें परिवादी को जमा की जानी थीं । परिवादी का लोंन 5 वर्ष के लिये होने के कारण 2019 में सम्पूर्ण अदायगी की जानी थी जबकि परिवादी ने दिनांक 31.03.22 तक कुल 70,000/- रुपया जमा किया । परिवादी के साथ प्रतिवादी द्वारा न तो कोई सेवा की कमी की गयी है और न ही परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है क्योंकि परिवादी ने व्यावसायिक लोन लिया है । प्रतिवादी द्वारा बकाये धन की वसूली के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी नियमों के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करते हुये वसूली कार्यवाही प्रारम्भ करता है ।

     परिवादी ने वाद-पत्र के समर्थन में दस्तावेजों के सूंची पत्र से परिवादी राजेन्द्र सिंह के आधार कार्ड की छायाप्रति, आर0सी0 मु0 3,95,170/- रुपया की छायाप्रति, उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड प्रधान कार्यालय लखनऊ द्वारा परिवादी के विरुद्ध जारी नोटिस पत्रांक 859 दिनांकित 21.03.22 की छायाप्रति, विकलांग प्रमाण पत्र की छायाप्रति (सूची पत्र के अनुसार), नकद जमा रसीद संख्या-012813 मु0 106/- रुपया दिनांकित 17.01.2014 की मूल प्रति, नकद जमा रसीद संख्या-9952 मु0 25,000/- रुपया दिनांकित 31.03.2016 की मूल प्रति, नकद जमा रसीद संख्या-012697 मु0 25,000/- रुपया दिनांकित 30.06.2015 की मूल प्रति व ऋण स्वीकृति पत्र मु0 1,80,00/- रुपये दिनांकित 01.02.2014 की मूल प्रति साक्ष्य में दाखिल की है ।

     परिवादी की ओर से दिनांक 21.03.2023 को स्वयं परिवादी राजेन्द्र सिंह द्वारा साक्ष्य शपथपत्र पत्रावली पर दाखिल किया गया है । इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा एक अन्य शपथपत्र दिनांकित 18.04.2023 पत्रावली पर दाखिल किया गया है ।

     विपक्षी बैंक की ओर से श्री अजय बाबू दीक्षित पुत्र के0के0 दीक्षित शाखा प्रबन्धक उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक शाखा झींझक द्वारा साक्ष्य शपथपत्र दिनांकित 11.01.2024 पत्रावली पर दाखिल किया गया है ।

     उभयपक्ष की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा अपनी-अपनी लिखित बहस पत्रावली पर दाखिल की गयी ।

     मैंने परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना तथा उनकी ओर से दाखिल लिखित बहस का परिशीलन किया ।

     परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद में यह अभिकथन किया है कि उसने विपक्षी बैंक की शाखा से कृषि ऋण 1,80,000/- रु0 लिया था जिसमें से परिवादी ने 80,000/- रुपया जमा कर दिया था और विकलांगता के कारण शेष किश्तें जमा नहीं कर सका । विपक्षी द्वारा मु0 3,95,120/- रु0 की नोटिस दी गयी है तथा परिवादी की भूमि नीलामी में चढ़ गयी है । विपक्षी बैंक परिवादी से दो गुने से अधिक नहीं ले सकता है अतः विपक्षी बैंक को परिवादी द्वारा जमा धनराशि को ऋण खाते में समायोजित करना होगा । दिनांक 03.06.2022 को विपक्षी बैंक द्वारा, परिवादी द्वारा जमा धनराशि 80,000/- रुपये को समायोजित करने से मना कर दिया व ओ0टी0एस0 भी नहीं कर रहे हैं जबकि परिवादी  पैसा जमा करने को तैयार है ।

     जबकि विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी ने 1,80,000/- रुपया का ऋण दिनांक 20.05.2014 को 5 वर्ष के लिये लिया था । पाँच वर्ष की अवधि के अन्तर्गत सम्पूर्ण धनराशि मय ब्याज परिवादी को भुगतान करना था । परिवादी द्वारा निर्धारित अवधि के अन्तर्गत एक भी रुपये का भुगतान नहीं किया गया और न्यायालय के समक्ष 80,000/- रुपये जमा किये जाने का फर्जी उल्लेख किया है जिसकी कोई रसीद भी परिवादी ने दाखिल नहीं किया है । न्यायालय द्वारा दिनांक 27.09.2022 को परिवादी को मूलधन के मद में 1,10,000/- रुपया जमा किये जाने का आदेश किया गया था । परिवादी द्वारा न्यायालय के आदेश के अनुपालन में 70,000/- रुपया दिनांक 31.03.2022 को जमा किया जाना विपक्षी ने अपनी लिखित बहस में स्वीकार किया है जबकि परिवादी ने वर्ष 2014 में 1,80,000/- रुपये का ऋण/ लोन डेयरी उद्योग के लिये लिया था जो Commercial की श्रेणी में आता है । परिवादी ने परिवाद पत्र में कहीं भी गलत ब्याज लगाने तथा विपक्षी द्वारा सेवा में कमी का कोई उल्लेख नहीं किया है । विपक्षी बैंक सरकारी संस्थान है और सरकार द्वारा प्रदत्त किये गये दायित्वों का निर्वहन करना उसका कर्तव्य है । परिवादी के विरुद्ध वर्ष 2014 में लिए गये ऋण पर ब्याज लगाकर वसूली की नोटिस भेजी गयी जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी ने दावा प्रस्तुत किया है ।

     परिवादी ने अपनी लिखित बहस में यह तर्क प्रस्तुत किया कि उसने विपक्षी बैंक की शाखा से 1,80,000/- रुपये का कृषि ऋण मिनी दूध डेयरी के लिए जीविकोपार्जन हेतु लिया था जिसमें से 80,000/- रुपये जमा कर दिया था, 1,10,000/- रुपये शेष बचा है जिसे परिवादी जमा करने को तैयार है परन्तु विपक्षी द्वारा 3,95,000/- रुपया बकाया दर्शाया गया है । परिवादी ने अपनी लिखित बहस में भी यह अभिकथन किया है कि उसने दिनांक 31.03.2022 तक 70,000/- रुपये जमा किया है । परिवादी द्वारा सूची पत्र के साथ आधार कार्ड, नोटिस, आर0सी0 एवं विकलांगता प्रमाण पत्र दाखिल किया गया है एवं नकद जमा धनराशि में दिनांक 17.01.2014 को 106/- रुपये, दिनांक 31.03.2016 को 25,000/- रुपये, दिनांक 30.06.2015 को 25,000/- रुपये जमा धनराशि की मूल रसीद दाखिल की है । परिवादी द्वारा डेयरी योजना के अन्तर्गत विपक्षी द्वारा ऋण सूची पत्र मु0 1,80,000/- रुपये दाखिल किया गया है ।

     चूंकि परिवादी द्वारा ऋण का भुगतान पूर्ण रूप से नहीँ किया गया है और समस्त बकाया धनराशि अदा करके परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक से No Dues प्रमाण पत्र प्राप्त करके दाखिल नहीं किया गया है अतः परिवादी द्वारा स्वीकृत रूप से लिये गये ऋण मु0 1,80,000/- रुपये की सम्पूर्ण किश्तें अदा नहीं की गयी हैं । विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी की सेवा में कमी का कोई मामला नहीं पाया जाता है । परिवादी का परिवाद विपक्षी बैंक के विरुद्ध खारिज किये जाने योग्य है ।  

आदेश

     परिवादी का परिवाद विपक्षी बैंक के विरुद्ध खारिज किया जाता है । पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करें ।

 

            ( सुश्री कुमकुम सिंह )       ( हरिश चन्द्र गौतम )         ( मुशीर अहमद अब्बासी )

                  म0 सदस्य                           सदस्य                              अध्यक्ष

          जिला उपभोक्ता आयोग      जिला उपभोक्ता आयोग       जिला उपभोक्ता आयोग

              कानपुर देहात                   कानपुर देहात                    कानपुर देहात

प्रस्तुत निर्णय / आदेश हस्ताक्षरित एवं दिनांकित होकर खुले कक्ष में उद्घोषित किया गया ।

 

           ( सुश्री कुमकुम सिंह )       ( हरिश चन्द्र गौतम )          ( मुशीर अहमद अब्बासी )

                 म0 सदस्य                            सदस्य                              अध्यक्ष

        जिला उपभोक्ता आयोग      जिला उपभोक्ता आयोग       जिला उपभोक्ता आयोग

              कानपुर देहात                     कानपुर देहात                  कानपुर देहात

दिनांक:-31.07.2024

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.