Uttar Pradesh

Barabanki

CC/59/2017

Ram Sewak - Complainant(s)

Versus

U.P. Co-Op. Rural Dev. Bank Ltd. - Opp.Party(s)

M.S. Nigam

24 Feb 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोगबाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       03.05.2017

अंतिम सुनवाई की तिथि            14.02.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  24.02.2023

 

परिवाद संख्याः 59/2017

 

रामसेवक पुत्र गुरूप्रसाद उम्र करीब 52 वर्ष निवासी ग्राम कोरीनपुरवा, मजरे इब्राहिमपुर मंझारा तहसील रामनगर जिला-बाराबंकी।

द्वारा-श्री एम. एस. निगम, अधिवक्ता

बनाम

 

1.         श्रीमान शाखा प्रबंधक उ0 प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 शाखा रामनगर जिला-बाराबंकी।

2.         श्रीमान जिलाधिकारी महोदय जनपद-बाराबंकी।

 

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डाॅ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री एम. एस. निगम, एडवोकेट

         विपक्षीगण की ओर से-कोई नहीं

द्वारा-श्रीमती मीना सिंहसदस्य

 

निर्णय

 

            प्रस्तुत परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्व उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 धारा-12 के अन्तर्गत प्रस्तुत कर परिवादी द्वारा जमा धनराशि को बकाये में समायोजित करने तथा शेष बकाया का विवरण परिवादी को उपलब्ध कराने, शारीरिक व मानसिक क्षति हेतु रू0 40,000/-तथा वाद व्यय के रूप में रू0 10,000/- दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।

            परिवादी ने अपने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि वह एक लघु कृषक एवं अनुसूचित जाति का निर्धन व्यक्ति है। उसने अपने परिवार के भरण पोषण के लिये वर्ष 2008 में विपक्षी से रू0 75,000/-डेयरी के मद से ऋण लिया था जिसमे रू0 4000/-नकद विपक्षी को जमा किया था। परिवादी ने दिनांक 01/02/2010 को विपक्षी के यहाँ रू0 3,000/-जमा किया। शारीरिक बीमारी व कृषि कार्य ठीक से न कर पाने के कारण परिवादी विपक्षी का ऋण चुकता नहीं कर पाया। दिनांक 11/04/2016 को परिवादी को रू0 1,80,000/-की नोटिस भेजी गई करीब एक माह बाद दिनांक 13/05/2016 को रू0 1,70,000/-की नोटिस भेजी गयी। परिवादी कम पढ़ा-लिखा है। परिवादी विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 16/05/2016 को गया तो विपक्षी ने कहा कि पन्द्रह दिन में ऋण का भुगतान नहीं किया तो जेल भेज दूँगा। परिवादी ने दिनांक 18/05/2016 को रू0 45,000/-व दिनांक 30/05/2016 को रू0 40,000/-विपक्षी के पास जमा किया। परिवादी कुल रू0 88,000/-विपक्षी के पास जमा किया है परन्तु विपक्षी देय सकल धनराशि से अधिक बकाया धनराशि की वसूली करने पर अमादा है। विपक्षीगण के उक्त कृत्य से परिवादी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी के तरफ से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से वसूली सूचना दिनांक 11/04/2016, 13/05/2016, रू0 3,000/-दिनांक 01/02/2010, जमा रसीद रू0 45,000/-दिनांक 18/05/2016, रू0 40,000/-दिनांक 30/05/2016 तथा हिन्द अस्पताल का पर्चा दिनांक 27/08/2015 की छाया प्रति दाखिल किया है।

           विपक्षीगण को पर्याप्त समय दिये जाने के बावजूद वादोत्तर दाखिल नहीं किया गया। परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्व दिनांक 12.07.2021 को एकपक्षीय रूप से अग्रसर हुआ।

             परिवादी द्वारा साक्ष्य शपथपत्र दिनांक 20/06/2022 को योजित किया गया। परिवादी ने परिवाद के समर्थन में आनन्द प्रकाश पुत्र सुरेशचन्द्र तथा निर्मल कुमार पुत्र स्व0 झब्बर का साक्ष्य शपथपत्र दाखिल किया है।

              परिवादी द्वारा लिखित बहस दाखिल किया गया है।

            परिवाद सुनवाई हेतु पेश हुआ। परिवादी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हुये। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी एवं मौखिक साक्ष्य के प्रस्तुत तीन साक्षियों के साक्ष्य शपथपत्र तथा अभिलेखों का अवलोकन किया गया। प्रस्तुत परिवाद में परिवादी ने वर्ष 2008 में विपक्षी बैंक उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड शाखा रामनगर, बाराबंकी से डेयरी हेतु रू0 75,000/-ऋण लिया था। लिये गये ऋण के सापेक्ष परिवादी द्वारा दिनांक 01/02/2010 को रू0 3,000/-दिनांक 18/05/2016 को रू0 45,000/-व दिनांक 30/05/2016 को रू0 40,000/-विपक्षी बैंक में जमा किया गया। तत्पश्चात् विपक्षी द्वारा दिनांक 05/06/2017 को बकाया ऋण रू0 1,20,000/-भुगतान करने हेतु नोटिस जारी की गई जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद प्रस्तुत किया गया है।

             अभिलेख के अवलोकन से स्पष्ट है कि विपक्षी ने नोटिस दिनांक 11/04/2016 द्वारा रू0 1,80,000/-दिनांक 20/04/2016 तक भुगतान करने की सूचना प्रेषित की थी तदोपरान्त लगभग एक माह बाद नोटिस दिनांक 13/05/2016 द्वारा रू0 1,70,000/-दिनांक 20/05/2016 तक बकाया ऋण अदायगी करने की सूचना जारी की गई है। दोनो नोटिस अवधि के मध्य परिवादी द्वारा ऋण अदायगी के संबंध में कोई भुगतान नहीं किया गया। इससे स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा बकाये हेतु गणना मनमाने ढंग से करते हुये नोटिस जारी की गई है। पुनः लगभग एक वर्ष बाद नोटिस दिनांक 05/06/2017 द्वारा बकाया ऋण रू0 1,20,000/-की अदायगी हेतु सूचना प्रेषित की गई। इस नोटिस के अवलोकन पर यह स्पष्ट नहीं है कि लिये गये ऋण में कितना भुगतान किया जा चुका है एवं कितना मूल धन व ब्याज देय है।

              उपरोक्त तथ्यों एवं अभिलेखों के परिशीलन से स्पष्ट है कि विपक्षी बैंक द्वारा वर्ष 2008 में परिवादी को स्वीकृत ऋण रू0 75,000/-के भुगतान के संबंध में परिवादी को समय पर सूचना नहीं दी गई और न ही लिये गये ऋण की ब्याज सहित गणना करके देय धनराशि की अदायगी हेतु सूचित किया गया। वर्ष-2008 के बाद लगभग आठ वर्षो तक विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को कोई नोटिस नहीं दी गई। ऋण के सापेक्ष परिवादी द्वारा समय-समय पर जमा की गई धनराशियों का समायोजन करने के उपरान्त बकाया मूलधन व देय ब्याज की राशि की सूचना परिवादी को समय से उपलब्ध कराया जाना विपक्षी बैंक की जिम्मेदारी थी। इस प्रकार विपक्षी बैंक द्वारा सेवा में कमी की गई है।

           अतएव विपक्षी बैंक ऋण खाता संख्या-70/76 द्वारा स्वीकृत डेयरी ऋण रू0 75,000/-की गणना स्वीकृत ब्याज दर पर दिनांक 01/02/2010 को रू0 3,000/-, दिनांक 18/05/2010 को रू0 45,000/-, दिनांक 30/05/2016 को रू0 40,000/-का समायोजन करते हुये ब्याज की गणना करके कुल देयता निर्धारित करते हुये निश्चित अवधि में परिवादी को सूचित करने तथा परिवादी द्वारा तदनुसार निर्धारित समय में ऋण का भुगतान करने के आदेश किये जाने योग्य है।

उपरोक्त विवेचना के आलोक में परिवादी का वर्तमान परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।

आदेश

            परिवाद संख्या-59/2017 अंशतः स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बैंक स्वीकृत ऋण रू0 75,000/-की वार्षिक स्वीकृत ब्याज दर पर गणना करते हुये परिवादी द्वारा समय-समय पर जमा की गयी कुल धनराशि रू0 88,000/-का समायोजन करके कुल देयता निर्धारित करते हुये 45 दिन में परिवादी को सूचित करेगें। परिवादी सूचना प्राप्त होने के तीन माह के अंदर बकाया ऋण की अदायगी करेंगे।

 

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

      सदस्य                      सदस्य                अध्यक्ष

 

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

      (डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

               सदस्य                      सदस्य                अध्यक्ष

 

दिनांक 24.02.2023

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