जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 313/2019
उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-18.03.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-28.10.2024
मोहित नरेश पुत्र श्री रामनरेश वर्मा निवासी बी-92, आवास विकास कालोनी, उन्नाव-209801 । ............परिवादी।
बनाम
उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद द्वारा:-
1. सम्पत्ति प्रबन्धक, सम्पत्ति प्रबन्ध कार्यालय, आफिस कॉम्पलेक्स, सेक्टर-9 प्रथम तल, वृन्दावन योजना, लखनऊ।
2. आवास आयुक्त, सम्पत्ति प्रबन्ध कार्यालय, आफिस कॉम्पलेक्स, सेक्टर-9 प्रथम तल, वृन्दावन योजना, लखनऊ। ............विपक्षीगण।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री अवधेश कुमार यादव।
विपक्षीगण के अधिवक्ता का नाम:-श्री एन0एन0 पाण्डेय
आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस आशय से प्रस्तुत किया गया है कि विपक्षीगण से परिवादी को 33,20,000.00 रूपये पर दिनॉंक 24.02.2014 से 18.04.2018 तक का 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज, एवं ब्याज की धनराशि पर दिनॉंक 19.04.2018 से भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज, मानसिक, शारीरिक कष्ट हेतु 10,000.00 रूपये एवं वाद व्यय हेतु 5,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी की वृन्दावन योजना संख्या-4 सेक्टर-16, लखनऊ में स्थित स्व वित्त पोषित बहुमंजिली आवासीय परियोजना-2011 के अन्तर्गत हिमालय एन्क्लेव में 3 बी0एच0के0 फ्लैट आवंटित कराने हेतु दिनॉंक 19.02.2011 को 1,60,000.00 रूपये पंजीकरण शुल्क जमा किया था। फ्लैट का अनुमानित मूल्य 33,20,000.00 रूपये था।
3. परिवादी को माह जुलाई 2012 में विपक्षी संख्या 01 ने अपने पत्र द्वारा यह सूचित किया कि उसे उक्त योजना के अन्तर्गत हिमालय एन्क्लेव में तृतीय तल पर टाइप-3 (3बी0एच0के0) के फ्लैट संख्या एच0एम0/सी1-304 का आवंटन हुआ है। इस पत्र में विपक्षी ने हमे उक्त फ्लैट की किस्ते कब-कब जमा करनी है यह भी सूचित किया।
4. उक्त परियोजना 24 महीनों में पूर्ण होनी थी, अर्थात प्रथम किस्त जमा होने के 24 महीनों के अन्दर आवंटी को फ्लैट का कब्जा मिलना था। परिवादी ने विपक्षी के मांग पत्र के अनुसार समय-समय पर उक्त फ्लैट से संबंधित सभी किस्तों का भुगतान समय से किया तथा अन्तिम किस्त दिनॉंक 24.02.2014 को जमा की। दिनॉंक 24.02.2014 तक कुल 33,20,000.00 रूपये जमा कर दिये। विपक्षी ने उक्त परियोजना के निर्माण में देरी की तथा अपने पत्र दिनॉंक 18.04.2018 द्वारा परिवादी को फ्लैट की अवशेष धनराशि (बढ़ी हुई राशि का अन्तर) 4,93,424.00 रूपये तथा विविध शुल्क के साथ में 4,84,725.00 रूपये दिनॉंक 31.05.2018 तक जमा करने तथा फ्लैट के बैनामा कराने तथा भौतिक कब्जा प्राप्त करने हेतु औपचारिकतायें पूर्ण करने के लिये कहा।
5. परिवादी ने उक्त धनराशि विपक्षी के पास दिनॉंक 20.04.2018 को जमा कर दी तथा अन्य औपचारिकतायें भी पूर्ण कर दी। परिवादी को उक्त फ्लैट का बैनामा दिनॉंक 24.04.2018 को हुआ तथा फ्लैट का भौतिक कब्जा दिनॉंक 18.05.2018 को दिया गया। उक्त फ्लैट का कब्जा परिवादी को माह जुलाई 2014 तक मिल जाना चाहिए था, परन्तु विपक्षी ने अनावश्यक देरी की और चार वर्ष बाद उसे कब्जा दिया, जबकि परिवादी का 33,20,000.00 रूपया दिनॉंक 24.02.2014 से अपने पास रखे रहे और उस पर लाभ अर्जित करते रहे, परन्तु परिवादी को इस धनराशि पर कोई ब्याज नहीं दिया।
6. परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में जाकर उक्त धनराशि पर दिनॉंक 24.02.2014 से 18.04.2018 तक का ब्याज देने को कहा परन्तु उनके यहॉं से कोई संतोषजनक जवाब नहीं प्राप्त हुआ। परिवादी ने एक लिखित प्रतिवेदन विपक्षीगण को दिनॉंक 10.01.2019 को पंजीकृत डाक से ब्याज देने हेतु भेजा, परन्तु कोई भी उत्तर आज तक नहीं प्राप्त हुआ। विपक्षीगण के उक्त कृत्य से परिवादी को अत्यधिक मानसिक कष्ट एवं आर्थिक क्षति हुई है। परिवादी यदि किस्तें जमा करने में विलम्ब कर दे तो उस पर 13.5 प्रतिशत का साधारण ब्याज लिया जाता है, परन्तु विपक्षीगण परिवादी का 33,20,000.00 रूपये चार वर्षों तक रखे रहे, और उस पर लाभ अर्जित करते रहे, परन्तु परिवादी को कोई भी ब्याज नहीं दिया गया।
6. विपक्षीगण ने अपने अभिकथन में अवगत कराया है कि उ0प्र0 आवास विकास परिषद, वृन्दावन योजना लखनऊ की आवासीय योजना-4 के अतर्गत, सेक्टर-16 में हिमालय इन्क्लेव में स्ववित्त पोषित बहुमजिला आवासीय फ्लैट्स का पंजीकरण खोला गया था। पंजीकरण पुस्तिकाजारी की गयी। पुस्तिका के नियम 2.1 में उल्लिखित किया गया है कि फ्लैट्स का मूल्य अनुमानित है। फ्लैट्स के निर्माण में विलंब के कारण यदि किसी आवंटी को अंतिम किश्त जमा करने के छ: माह बाद तक परिषद फ्लैट्स नहीं उपलब्ध करा पाती है तो आवंटी की जमा धनराशि अंतिम किश्त जमा करने के आगामी माह से धनराशि वापसी की मॉंग के पूर्व माह तक परिषद के नियमानुसार तत्समय राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा बचत खाते पर देय ब्याज सहित वापस कर दी जाएगी।
7. विपक्षीगण ने स्वीकार किया है कि परिवादी ने परिषद के नियमानुसार फ्लैट्स के लिये निर्धारित किश्तों का भुगतान निर्धारित तिथि के अंदर ही कर दिया था। पंजीकरण पुस्तिका के नियम 4.6 के अनुसार फ्लैट्स निर्माण में विलंब होने तथा अंतिम किश्त जमा होने के 06 माह के अंदर भौतिक कब्जा न मिल पाने की दशा में अपनी जमा धनराशि ब्याज सहित प्राप्त कर सकते थे, परंतु परिवादी द्वारा धनराशि वापस करने की मॉंग नहीं की गयी, जिसके लिये वे जिम्मेदार हैं। दिनॉंक 28.03.2018 को परिषद के द्वारा प्रदेशन पत्र निर्गत किया गया तत्पश्चात परिवादी को दिनॉंक 21.07.2018 तक देय धनराशि व बैनामा की औपचारिकताऍं पूर्ण कराते हुए दिनॉंक 23.07.2018 को भौतिक कब्जा दे दिया गया। परिवादी को फ्लैट पुराने दर पर ही दिया गया है, न तो बढ़ी दर पर दिया गया है और न ही कोई विलंब किया गया। अनुमानित मूल्य के अंतिम मूल्यांकन के पश्चात जो धनराशि निर्धारित की गयी उसे परिवादी द्वारा बिना किसी विरोध के जमा कर दिया गया तथा फ्लैट की रजिस्ट्री/कब्जा प्राप्त कर लिया गया। उसके बाद परिवादी द्वारा परिवाद दाखिल किया गया, जो पोषणीय नहीं है तथा निरस्त किये जाने योग्य है। प्रश्नगत पत्र दिनॉंक 28.03.2018 में उल्लिखित शर्त है कि भविष्य में कोई दावा स्वीकार नहीं होगा, को देखते हुए शिकायतकर्ता का परिवाद पोषणीय नहीं है।
8. परिवादी द्वारा अपने कथानक के समर्थन में शपथ पत्र एं अन्य अभिलेख दाखिल किये गये हैं। विपक्षीगण द्वारा भी अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र के माध्यम से साक्ष्य व अभिलेख दाखिल किए गए हैं।
9. मा0 आयोग द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा प्रस्तुत कागजातों व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अध्ययन व परिशीलन किया गया।
10. परिवादी का कथानक है कि उसने आवास विकास परिषद, उ0प्र0 लखनऊ से उसकी वृन्दावन आवास योजना के अन्तर्गत सेक्टर-16 में स्थितस्व-वित्त पोषित बहुमंजिली आवासीय योजना -2011 के हिमालय इन्क्लेव में 3 बी.एच.के. फ्लैट आवंटित कराने हेतु दिनॉंक 19.02.2011 को 1,60,000.00 रूपये पंजीकरण शुल्क जमा किया था । फ्लैट का अनुमानित मूल्य 33,20,000.00 रूपये था। जुलाई 2012 में विपक्षी ने परिवादी को आवंटन पत्र जारी किया जिसमें सूचित किया गया था कि हिमालय इन्क्लेव के तल संख्या-3 पर टाइप-3 फ्लैट संख्या-एच.एम./सी-1-304 का आवंटन किया गया है जिसमें किश्तों की धनराशि व अवधि दी गयी है जिसके अनुसार परिवादी को कुल 33,20,000.00 रूपये जमा करना था। परिवादी ने नियमानुसार निर्धारित तिथि तक संपूर्ण धराशि जमा कर दी। अंतिम किश्त दिनॉंक 30.04.2014 तक जमा करनी थी । जो उसने दिनॉंक 24.04.2014 तक जमा कर दी। फ्लैट पूर्ण होने की अवधि 24 माह थी जो जुलाई 2014 में पूर्ण हो रही थी, परन्तु अभी फ्लैट का निमार्ण नहीं हो पाया था।
11. विपक्षी ने फ्लैट निर्माण में देरी की है। विपक्षी द्वारा दिनॉंक 18.04.2018 को चार वर्षों बाद एक पत्र परिवादी को इस आशय का भेजा जाता है कि फ्लैट के अनुमानित मूल्य का वास्तविक मूल्यांकन करते हुए धनराशि 4,93,424.00 रूपये का अतिरिक्त व्यय हुआ है जिसे दिनॉंक 31.05.2018 तक जमा कराते हुए फ्लैट का बैनामा करा ले व कब्जा ले लें। परिवादी ने फ्लैट का अतिरिक्त पैसा जमा किया तथा बैनामा व कब्जा की औपचारिकताऍं पूर्णकर दिनॉंक 23.07.2018 को कब्जा प्राप्त कर लिया।
12. परिवादी का कथन है कि फ्लैट पर कब्जा उसे चार वर्ष बाद मिला है। आवास विकास परिषद के एलॉटमेंट लेटर में फ्लैट का निर्माण कार्य 24 माह में पूर्ण होना था जो नहीं किया गया। परिवादी का 33,20,000.00 रूपये 04 वर्ष तक परिषद के द्वारा उपयोग किया गया। उनके द्वारा शर्तों का पालन नहीं किया गया है। अत: दिनॉंक 24.02.2014 से लेकर 18 मई 2018 तक मेरा 33,20,000.00 रूपये पर 10 प्रतिशत ब्याज दिया जाए। परिवादी की यह भी मॉंग है कि दिनॉंक 09.03.2018 से भुगतान की तिथि तक ब्याज की धनराशि पर 10 प्रतिशत ब्याज अलग से दिया जाए। मानसिक व शारीरिक असुविधा के लिये 10,000.00 रूपये तथा वाद व्यय के लिये 5,000.00 रूपये दिया जाए।
13. विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा फ्लैट के निर्माण में विलंब के कारण कभी पैसा वापस करने की मॉंग नहीं की गयी तथा 2018 में अतिरिक्त अनुमानित धनराशि जमा करके फ्लैट का बैनामा करा लिया और दिनॉंक 23.07.2018 को भौतिक कब्जा प्राप्त कर लिया। परिवादी ने तत्समय दिनॉंक 24.02.2014 से 18.04.2018 तक 04 वर्षों का ब्याज दिए जाने की कोई मॉंग नहीं की गयी और न ही कोई विरोध किया गया। परिवादी ने कब्जा लेने के उपरान्त वर्ष 2019 में परिवाद दाखिल किया है। अत: परिवाद पोषणीय नहीं होने के कारण खारिज होने योग्य है।
14. परिवादी व विपक्षी के कथनों से निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी विपक्षी का नि:संदेह उपभोक्ता है। परन्तु अब यह देखना है कि विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है अथवा नहीं इसके संबंध में पंजीकरण पुस्तिका के शर्त में एक शर्त यह थी कि फ्लैट का निर्माण 24 माह यानी दो वर्ष में पूर्ण होना प्रस्तावित है। यह तथ्य भी पुस्तिका के 4.6 में उल्लिखित है कि फ्लैट निर्माण में विलम्ब की दशा में आवंटी अपनी धनराशि वापस प्राप्त कर सकते हैं तथा उनको सार्वजनिक बैंक के बचत खाते में प्रचलित ब्याज दर पर ब्याज भी देय होगा। यह विकल्प खुला था। यदि परिवादी चाहता तो यह विकल्प लेकर पैसा मय ब्याज वापस ले सकता था, परन्तु उन्होंने तत्समय कोई क्लेम नहीं किया। उसके बाद विपक्षी द्वारा जब फ्लैट की अनुमानित मूल्य का वास्तविक मूल्यांकन कराकर अतिरिक्त पैसे की मॉंग की गयी तथा विपक्षी द्वारा बैनामा व कब्जा देने की औपचारिकताऍं करने हेतु पत्र भेजा गया तो परिवादी ने बिना कोई विरोध किए (मूक सहमति) या ब्याज की मॉंग किए पैसा जमा करके बैनामा कराया तथा दिनॉंक 23.07.2018 को फ्लैट का भौतिक रूप से कब्जा भी प्राप्त कर लिया गया। परिवादी उसके लगभग 01 वर्ष बाद दिनॉंक 18.03.2019 को मा0 उपभोक्ता आयोग में परिवाद योजित किया। इस प्रकरण में कोई काज आफ एक्शन बना ही नही क्योंकि पूरा मामला Set a side होने के बाद परिवाद दाखिल किया गया है। परिवादी यदि फ्लैट का अतिरिक्त मूल्य का भुगतान करने व बैनामा, कब्जा लेने से पूर्व ही इस तथ्य पर संज्ञान लेते हुए विरोध दर्ज कराते या परिवाद दाखिल करते तो तत्समय वाद का कारण उत्पन्न होता। विपक्षी द्वारा परिवादी की सेवा में की गयी कमी परिलक्षित नहीं होती है। अत: ऐसी परिस्थिति में परिवाद पोषणीय न होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद पोषणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-28.10.2024