राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 419/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0- 101/2002 में पारित आदेश दि0 06.09.2012 के विरूद्ध)
कैलाश प्रसाद पुत्र स्वर्गीय छेदीलाल, निवासी- मकान नम्बर- एस0 30/177, मोहल्ला- शिवपुर (रेलवे गेट के पास), थाना- शिवपुर, जनपद- वाराणसी।
……… अपीलार्थी
बनाम
1. अध्यक्ष उत्तर प्रदेश, विद्युत निगम, सचिवालय, लखनऊ।
2. अधिशासी अभियंता, नगरीय विद्युत वितरण खण्ड (पंचम), चौकाघाट, जनपद-
वाराणसी।
………. प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री जितेन्द्र सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 03.04.2017
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 101/2002 कैलाश प्रसाद बनाम उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद में जिला फोरम, वाराणसी द्वारा पारित आदेश दि0 06.09.2012 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के परिवादी कैलाश प्रसाद की ओर से धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री जितेन्द्र सिंह उपस्थित आये। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस के तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि दि0 06.09.2012 को परिवाद अपीलार्थी की अनुपस्थिती में खारिज किया गया है। अत: अपीलार्थी ने आदेश दि0 06.09.2012 के विरूद्ध पुनर्स्थापन प्रार्थना पत्र जिला फोरम में प्रस्तुत किया था जो ग्राह्य न मानकर जिला फोरम ने आदेश दि0 07.02.2015 के द्वारा निरस्त कर दिया है तब परिवादी ने यह अपील आयोग के समक्ष प्रस्तुत की है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है। अपील प्रस्तुत करने में विलम्ब का अपीलार्थी ने पर्याप्त कारण दर्शित किया है। आदेश दि0 20.07.2015 के द्वारा अपील इस शर्त पर अंगीकृत की गई है कि विलम्ब माफी के बिन्दु पर अपील के अन्तिम निस्तारण के समय विचार किया जायेगा।
प्रत्यर्थी की ओर से अपील के विरोध हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ है और अपीलार्थी ने विलम्ब का जो कारण बताया है वह उचित और युक्ति संगत है। अत: विलम्ब क्षमा करते हुए अपील गुण-दोष के आधार पर निस्तारित किया जाना उचित है। तद्नुसार अपील गुण-दोष के आधार पर निस्तारित की जाती है।
अपीलार्थी द्वारा दि0 09.06.2012 को जिला फोरम के समक्ष उपस्थित न होने का पर्याप्त कारण दर्शित किया गया है। उक्त तिथि पर विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित रहे हैं। अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए आदेश दि0 06.09.2012 रू0 500/- हर्जे पर अपास्त किया जाना और परिवाद को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर विधि के अनुसार उसका निस्तारण जिला फोरम द्वारा किया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश दि0 06.09.2012 को अपास्त करते हुए उपरोक्त परिवाद को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित किया जाता है तथा जिला फोरम को निर्देशित किया जाता है कि वह विधि के अनुसार अग्रिम कार्यवाही कर परिवाद का यथाशीघ्र अन्तिम निस्तारण सुनिश्चित करेगा।
अपीलार्थी जिला फोरम के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होगा और उपरोक्त हर्जा विपक्षी को अदा करेगा। प्रत्यर्थी/विपक्षी के उपलब्ध न होने पर वह उक्त हर्जे की धनराशि जिला फोरम में जमा करेगा।
यदि निश्चित तिथि पर अपीलार्थी द्वारा हर्जा की धनराशि जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/विपक्षी को अदा नहीं की जाती है या जिला फोरम में जमा नहीं की जाती है तो यह आदेश निष्प्रभावी हो जायेगा।
दि0 05.05.2017 जिला फोरम के समक्ष हाजिरी हेतु तिथि निश्चित की जाती है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु.
कोर्ट नं0-1