ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण द्वारा जारी बिल दिनांकित 28/02/2005 मुवलिग 33,172/- रूपये निरस्त किया जाये तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाये कि वे परिवादी से कोई धनराशि वसूल न करे। क्षतिपूर्ति और परिवाद व्यय की मद में परिवादी ने 5000/- रूपया अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि अपने घरेलू उपभोग के लिए परिवादी ने 2 किलो वाट क्षमता का एक विधुत कनेक्शन सं0-88877 विपक्षीगण से लिया था। परिवादी बिलों का भुगतान करता रहा। परिवाद योजित किऐ जाने से लगभग 5 वर्ष पूर्व से उसका मकान बन्द रहा और परिवादी ने 5 वर्षों से बिजली का कोई उपभोग नहीं किया उसने 5 साल पहले विधुत लाइन भी कटवा दी थी। विपक्षीगण की ओर से दिनांक 14/12/2004 की तिथि का 64,671/- रूपये का बिल प्रेषित किया गया जो कतई गलत था। परिवादी ने इसकी शिकायत विपक्षीगण से जिस पर विपक्षीगण के अधिकारियों ने मौके पर आकर जॉंच की और पाया कि 5 सालों से परिवादी की लाइन कटी हुई है उन्होंने मीटर उतार लिया। ओ0टी0एस0 में छूट देते हुऐ फाइनल बिल बनाने के आदेश भी दिनांक 30/12/2004 को हुऐ। परिवादी ने ओ0टी0एस0 के लिए 1000/- रूपया जमा कर दिया जिस समय दिनांक 31/01/2005 को परिवादी का मीटर उतारा गया उस समय रीडिंग 2461 थी। परिवादी आश्वस्त हो गया कि अब उसकी ओर बिजली विभाग का कुछ बकाया नहीं है, किन्तु दिनांक 28/02/2005 की तिथि का 33,172/- रूपये का बिल उसे विपक्षीगण ने भेजा, जो गलत था। परिवादी ने इस बिल को निरस्त किऐ जाने की विपक्षीगण से प्रार्थना की, किन्तु विपक्षीगण सुनवा नहीं हुऐ। परिवादी के अनुसार उसे परिवाद योजित करने हेतु विवश होना पड़ा उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-4/1 दाखिल किया। उसके साथ परिवादी ने 64,671/- रूपये के बिल, ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत बिल संशोधन हेतु किऐ गऐ आवेदन, दिनांक 31/01/2005 की तिथि का मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट, ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत दिनांक 30/12/2004 को जमा कराऐ 1000/- रूपये की रसीद तथा ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत परिवादी को भेजे गऐ 33172/- रूपये के बिल की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/5 दाखिल किया गया जिसमें परिवादी के आवासीय परिसर में 2 किलोवाट का विधुत कनेक्शन सं0-88877 लगा होना और ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत परिवादी को संशोधित बिल दिनांक 28/02/2005 मुवलिग 33172/- रूपया भेजा जाना तो स्वीकार किया गया, किन्तु परिवाद के शेष अभिकथनों से इन्कार किया गया। विपक्षीगण के अनुसार परिवादी को सही बिल भेजे गऐ थे, किन्तु वह डिफाल्टर रहा और उसने बिल का भुगतान नहीं किया। परिवादी ने विभाग के साथ किऐ एग्रीमेंट को टर्मिनेट कराने हेतु और स्थाई विच्छेदन हेतु कोई प्रार्थना पत्र प्रस्तुत नहीं किया अत: विच्छेदन की तिथि माह दिसम्बर, 2002 तक बिधुल बिलों की अदायगी का परिवादी जिम्मेदार है। उपरोक्त कथनों के आधार पर परिवाद सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/3 दाखिल किया। सूची कागज सं0-17/2 के माध्यम से उसने मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट दिनांकित 31/01/2005 की कार्बन प्रति, ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत दिनांक 30/12/2004 को जमा किऐ गऐ 1000/- रूपये की असल रसीद और विपक्षीगण की ओर से प्राप्त 33172/- रूपये का मूल बिल दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-17/3 लगायत 17/4 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से उपखण्ड अधिकारी श्री अमरीष कुमार ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-20/1 लगायत 20/5 दाखिल किया जिसके साथ बतौर संलग्नक ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत परिवादी को जारी 33172/- रूपये की इस धनराशि की कैलकुलेशन शीट, इस धनराशि के बिल एवं मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट दिनांकित 31/01/2005 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है।
- परिवादी ने प्रत्युत्तर में रिज्वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-21/1 लगायत 21/2 दाखिल किया जिसके साथ उसने पी0डी0 हेतु दिऐ गऐ प्रार्थना पत्र की नकल बतौर संलग्न दाखिल किया। पी0डी0 प्रार्थना पत्र की नकल पत्रावली का कागज सं0-21/3 है।
- विपक्षीगण की ओर से प्रार्थना पत्र कागज सं0-29/1 के माध्यम से परिवादी के विधुत कनेक्शन का माह अक्टूबर, 1993 से माह फरवरी,2003 तक की अवधि के बिलिंग स्टेटमेंट को दाखिल किया गया है।
- दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवकतागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी के आवास पर 2 किलो वाट क्षमता का विधुत कनेक्शन सं0-88877 लगा हुआ था।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि वर्ष,2005 में परिवाद योजित किऐ जाने से लगभग 5 वर्ष पूर्व अर्थात् वर्ष 2000 में परिवादी ने अपनी विधुत लाइन पूर्णत: विच्छेदित करा दी थी, परिवादी का मकान लगातार बन्द रहा और उसने विधुत लाइन विच्छेदित कराने के बाद विधुत का उपभोग नहीं किया इसके बावजूद परिवादी को 14/12/2004 की तिथि का 64,671/- रूपये का बिल (पत्रावली का कागज सं0-4/2) भेज दिया गया, जो बिल्कुल गलत था। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने कागज सं0-4/4 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट कागज सं0-4/4 के अनुसार 31/01/2005 को जब परिवादी के कनेक्शन की जॉंच की गई तो उसकी लाइन कटी हुई थी और मीटर की रीडिंग 2961 थी। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने बिलिंग स्टेटमेंट कागज सं0-29/2 लगायत 29/3 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि इस बिलिंग स्टेटमेंट के अवलोकन से स्पष्ट है कि माह अक्टूबर,1997 के बाद मीटर रीडिंग लगातार 2961 दर्शाई गई। इससे प्रकट है कि अक्टूबर,1997 के बाद परिवादी ने विधुत का उपभोग नहीं किया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने 1995 (2) सी0पी0आर0 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राजस्थान स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड बनाम अमर चन्द के मामले में मा0 राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, जयपुर द्वारा दी गई निर्णयज विधि का अबलम्ब लेते हुऐ कथन किया कि माह अक्टूबर,1997 के बाद चॅूंकि परिवादी ने विधुत का कोई उपभोग नहीं किया अत: अक्टूबर,1997 के बाद की अवधि का कोई बिल अदा करने का परिवादी उत्तरदाई नहीं है।
- विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने प्रत्युत्तर में तर्क दिया कि परिवादी की ओर से ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे यह प्रमाणित हो कि परिवाद योजित किऐ जाने के 5 वर्ष पूर्व परिवादी ने लाइन स्थाई रूप से करवा दी थी और उसकी पी0डी0 हो चुकी थी। बिलिंग स्टेटमेंट कागज सं0-29/2 लगायत 29/3 को इंगित करते हुऐ विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि माह अक्टूबर,1997 के बाद से परिवादी की रीडिंग यधपि लगातार 2961 रही, किन्तु उसके स्वयं के अनुसार उसका मकान बन्द था और परिवादी ने पत्रावली पर स्थाई विच्छेदन होने, पी0डी0 होने, तथा विपक्षीगण और परिवादी के मध्य हुऐ एग्रीमेंट के निरस्त होने का कोई प्रमाण पत्रावली पर दाखिल नहीं किया अत: माह फरवरी, 2003 तक परिवादी के विधुत कनेक्शन के बिल आई0डी0एफ0 में बनते रहे, परिवादी ने उनका भुगतान नहीं किया। पत्रावली में अवस्थित परिवादी के द्वारा ओ0टी0एस0 हेतु दिऐ गऐ प्रार्थना पत्र कागज सं0-4/3 और ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत दिनांक 30/12/2004 को जमा कराऐ गऐ 1000/- रूपये की रसीद की फोटो प्रति कागज सं0-4/5 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी के स्वयं के अनुरोध पर ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत उसका फाइनल बिल बनाया गया जिसकी नकल कागज सं0-4/6 है। विपक्षीगण के अनुसार परिवादी की विधुत लाइन अस्थाई रूप से माह दिसम्बर, 2002 में कटी थी और उसका मीटर 31/01/2005 को उतारा गया इसी आधार पर परिवादी का बिल संशोधित किया गया और कार्यालय ज्ञापन दिनांक 31/3/2005 जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं0-20/6 है, के अनुसार परिवादी को संशोधित बिल मुवलिंग 33,172-रूपया का भेजा गया जिसे परिवादी ने अदा नहीं किया। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क कि ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत परिवादी को नियमानुसार जो लाभ अनुमन्य थे वे दिऐ गऐ और दिसम्बर, 2002 तक की अवधि का ही नियमानुसार उसे संशोधित बिल भेजा गया। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि परिवादी पक्ष की ओर से मा0 राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, जयपुर की जिस निर्णयज विधि का अबलम्व लिया गया है, वह वर्तमान मामले के तथ्यों पर लागू नहीं होती। विपक्षीगण की ओर से परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री एवं प्रपत्रों के आधार पर हम विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों से सहमत हैं।
- परिवादी ने पत्रावली में ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया जिससे प्रकट हो कि उसका विधुत कनेक्शन वर्ष, 2000 से कटा हुआ था। परिवादी की ओर से स्थाई विच्छेदन हेतु प्रार्थना पत्र दिनांक 06/06/2004 को दिया गया जैसा कि प्रार्थना पत्र की नकल कागज सं0-21/3 से प्रकट है। ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत परिवादी ने दिनांक 28/12/2014 को आवेदन किया था उसने ओ0टी0एस0 हेतु 1000/- रूपया दिनांक 30/12/2004 को जमा किऐ। ओ0टी0एस0 के तहत उसके बिल संशोधित किऐ गऐ हैं और संशोधन के उपरान्त उसका बिल 33,172/- रूपये का बना जैसा कि कैलकुलेशन शीट कागज सं0-20/7 से प्रकट है। जहॉं तक मीटर सीलिंग सर्टिफिकेट दिनांकित 31/01/2005 का प्रश्न है इस सीलिंग सर्टिफिकेट में यह तो उल्लेख है कि परिवादी की लाइन कटी हुई थी, किन्तु इसमें यह कहीं नहीं लिखा कि परिवादी की लाइन कब से कटी हुई है। लाइन अस्थाई रूप से विच्छेदित होने मात्र से उपभोक्ता को नियमानुसार विधुत देयों की अदायगी से मुक्त नहीं किया जा सकता। कैलकुलेशन शीट कागज सं0-20/7 के अनुसार परिवादी के कनेक्शन की स्थाई विच्छेन तिथि 31/1/2005है इसके बाबजूद ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत उससे दिसम्बर,2002 तक के बिलों की धनराशिरू033,172/- की मांग की गई जो उसने जमा नहीं की। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि परिवादी का परिवाद स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है।
- जहॉं तक परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा उद्धृत अमर चन्द की रूलिंग का प्रश्न है वह रूलिंग वर्तमान मामले के तथ्यों पर लागू नहीं होती। अमर चन्द के मामले में तथ्य यह थे कि ट्रांसफार्मर के फुँक जाने के कारण विधुत आपूर्ति बाधित थी इस आधार पर मा0 राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, जयपुर, द्वारा यह विनिश्चित किया गया कि जिस अवधि में विधुत आपूर्ति बाधित रही उस अवधि के मिनीमम चार्जेज देने का उपभोक्ता उत्तरदाई नहीं है। वर्तमान मामले के तथ्य अमर चन्द की उक्त रूलिंग के तथ्यों से भिन्न है अत: अमर चन्द की रूलिंग का लाभ परिवादी को इस मामले में विधानत: नहीं दिया जा सकता।
- पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री के विधिक मूल्यांकन एवं गुणात्मक विश्लेषण के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवाद स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है और यह खारिज होने योग्य है।
परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
24.02.2016 24.02.2016 24.02.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 24.02.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
24.02.2016 24.02.2016 24.02.2016 | |