Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/109/2008

Dr. Narendra Singh - Complainant(s)

Versus

U.P Avas Vikas Parishad - Opp.Party(s)

14 Mar 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/109/2008
 
1. Dr. Narendra Singh
R/o Maharaja Harish Chandra Degree College , Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. U.P Avas Vikas Parishad
Office Avas Vikas Parishad Lajpat Nagar In front Of Satyam Cinema, Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने 75,000/- रूपया की धनराशि विपक्षगण द्वारा की गई  लापरवाही के फलस्‍वरूप मानसिक पीड़ा की मद में क्षतिपूर्ति हेतु वापिस किऐ गऐ 60,000/- रूपये के उसके ड्राफट और ब्‍याज विपक्षीगण से मांगा है। परिवाद व्‍यय अतिरिक्‍त दिलाऐ जाने की परिवादी ने प्रार्थना करते हुऐ विपक्षी सं0-3 द्वारा निर्गत पत्र सं0-1307 दिनांकित 03/6/2008 को निरस्‍त किऐ जाने और परिवादी को आवंटित भवन का  कब्‍जा  दिलाऐ जाने की भी अनुरोध किया है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 13/4/2008 के  समाचार पत्र दैनिक अमर उजाला में विपक्षी सं0-2 के अधीन विभिन्‍न  सम्‍पत्तियों की नीलामी हेतु प्रकाशित विज्ञापन के सापेक्ष परिवादी ने मध्‍यम  आय वर्ग के भवन सं0-4बी/429 एरिया 127.50 वर्ग मीटर के आवंटन हेतु विपक्षी सं0-3 के कार्यालय में विधिवत् आवेदन किया। इस भवन का  अनुमानित मूल्‍य 10,000/- रूपये था। विज्ञापन में प्रकाशित नियमों एवं शर्तों के अनुपालन में परिवादी द्वारा 60,000/- का इडियन ओवरसीज बैंक का  एक बैंकर्स चैक दिनांकित 22/4/2008 आवेदन पत्र के साथ विपक्षी सं0-3 के  कार्यालय में प्रेषित किया। दिनांक 26/4/2008  को  परिवादी को 10,08,000/- रूपया में आवंटन स्‍वीकृत हुआ। दिनांक 26/4/2008 से 09/6/2008 तक  विपक्षीगण की ओर से परिवादी को कोई सूचना नहीं दी गई तब दिनांक 05/6/2008 को परिवादी ने विपक्षी सं0-3 को स्‍पीड पोस्‍ट से एक पत्र प्रेषित किया। परिवादी ने अग्रेत्‍तर कथन किया कि विपक्षीगण के कार्यालय से पत्र सं0-1307 दिनांक 03/6/2008 उसे डाक द्वारा दिनांक 08/6/2008 को प्राप्‍त   हुआ जिसमें बिना काराण दर्शाऐ परिवादी का आवंटन निरस्‍त किऐ जाने की  सूचना दी गई। पत्र के साथ परिवादी द्वारा विपक्षीगण के कार्यालय में जमा  किऐ गऐ 60,000/- रूपया का बैकर्स चैक भी परिवादी को वापिस कर दिया गया। परिवादी के अनुसार बिना कारण आवंटन निरस्‍त कर दिऐ जाने से  परिवादी को घोर मानसिक पीड़ा और आर्थिक क्षति हुई। परिवादी ने उक्‍त  कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार कि जाने की  प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के साथ परिवादी ने दैनिक अमर उजाला समाचार पत्र में  प्रकाशित नीलामी के विज्ञापन, मध्‍यम आय वर्ग के भवन सं0-4बी/429  एरिया 127.50 वर्ग मीटर के आवंटन हेतु परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-3 को  स्‍पीड पोस्‍ट से प्रेषित आवेदन दिनांकित 05/6/2008, स्‍पीड पोस्‍ट की रसीद, विपक्षी सं0-3 के कार्यालय से प्राप्‍त आवंटन निरस्‍तीकरण विषयक पत्र सं0-1307 दिनांक 03/6/2008 तथा आवंटन हेतु भेजे गऐ आवेदन के साथ प्रेषित 60,000/- रूपये के बैकर्स चैक की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है,  यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-2 लगायत 6 हैं।
  4.   विपक्षीगण सं0-1 लगायत 3 की ओर से विपक्षी सं0-3 के सम्‍पत्ति प्रबन्‍ध अधिकारी श्री वी0के0 मेहरोत्रा के शपथ पत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र  कागज सं0-22/1 लगायत 22/5 दाखिल हुआ। प्रतिवाद पत्र में विपक्षी सं0-2 के अधीन विभिन्‍न सम्‍पत्तियों की नीलामी हेतु दिनांक 13/4/2008 के दैनिक  अमर उजाला में विज्ञापन प्रकाशित कराऐ जाने और उक्‍त विज्ञापन के सापेक्ष  परिवादी द्वारा मध्‍यम आय वर्ग के भवन सं0-4बी/429 के आवंटन हेतु 60,000/-रूपया के बैकर्स चैक सहित आवेदन पत्र प्राप्‍त होना तो स्‍वीकार किया गया है, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों एवं परिवाद में विपक्षीगण पर  लगाऐ गऐ आरोपों से इन्‍कार किया गया है। विशेष कथनों में कहा गया है  कि आवंटन हेतु प्रकाशित विज्ञापन में नीलामी/आवंटन की शर्ते स्‍पष्‍ट रूप  से निर्गत कर दी गई थीं जिनमें अन्‍य के अतिरिक्‍त यह भी उल्‍लेख था कि  सम्‍पत्तियों का आवंटन/नीलामी परिषद के आवंटन सम्‍बन्‍धी विनियम एवं  आदेशों के अनुसार किया जायेगा। यह कि दिनांक 29/5/2008 को उप आवास आयुक्‍त बरेली जौन ने सम्‍पत्ति सं0 4बी/429 के विरूद्ध प्राप्‍त उच्‍चतम बोली पर्याप्‍त एवं संतोषजनक न पाऐ जाने के कारण अस्‍वीकृत कर दी थी। विपक्षी सं0-3 ने बिना किसी देरी के पंजीक़त पत्र दिनांक 03/6/2008 के माध्‍यम  से परिवादी को इस सम्‍बन्‍ध में सूचित कर दिया था। यह कि परिवादी ने विज्ञापन में प्रकाशित नियमों एवं शर्तों के अनुरूप उनसे सहमत होते हुऐ  नीलामी की कार्यवाही में भाग लिया था। परिवादी ने मात्र नाजायज दबाव बनाने और गलत तरीके से विपक्षीगण को परेशान करने के उद्देश्‍य से यह  परिवाद संस्थित किया है। परिवादी को कोई वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। परिवादी ने पूर्व आदेशों का अनुपालन करते हुऐ विपक्षीगण द्वारा संचालित पुन: नीलामी प्रक्रिया में भाग लिया जिसमें उक्‍त भवन सं0-4बी/429 की उसकी उच्‍चतम बोली 11,00,000/- रूपया की विपक्षी सं0-1 द्वारा स्‍वीकार की गई जिसकी सूचना परिवादी को दी गई और दिनांक 31/12/2008 को  परिवादी ने समस्‍त औपचारिकतायें पूरी करते हुऐ उसाका बैयनामा अपने पक्ष में करा लिया है। उक्‍त कथनों के अतिरिक्‍त यह अभिकथित करते हुऐ कि  परिवाद स्‍वच्‍छ हाथों से फोरम के समक्ष नहीं आया है और परिवाद उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद अधिनियम के प्रावधानों से बाधित है, परिवाद को  सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।  
  5.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-25/1 लगायत 25/3  दाखिल किया जिसके साथ उसने सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन  विपक्षी सं0-3 के कार्यालय से प्राप्‍त उत्‍तर दिनांकित 25/6/2008, उत्‍तर  दिनांक 29/7/2008, उप आवास आयुक्‍त बरेली जौन के कार्यालय में अनुरक्षित भवन सं0-4बी/429 के आवंटन सम्‍बधी पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-5 लगायत 8 की फोटो प्रतियों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-26/ लगायत 18/2 हैं।
  6.   विपक्षीगण की ओर से विपक्षी सं0-3 के सम्‍पत्ति प्रबन्‍ध अधिकारी श्री वी0के0 मेहरोत्रा का शपथ पत्र कागज सं0-30/1 लगायत 30/7 दाखिल हुआ  जिसके साथ सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत परिवादी को भेजी गई  सूचना दिनांक 25/6/2008, नीलामी द्वारा उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद की सम्‍पत्तियों के निस्‍तारण सम्‍बन्‍धी विनियम,1980, पूर्व नीलामी में  परिवादी को आवंटित मध्‍यम आय वर्ग भवन सं0-4बी/429 के विक्रय पत्र दिनांकित 31/12/2008, इस भूखण्‍ड का भौतिक कब्‍जा परिवादी को दिऐ जाने विषयक प्रपत्र 13 अप्रैल,2008 के विज्ञापन, उप आवास आयुक्‍त बरेली जौन द्वारा विपक्षी सं0-3 के सम्‍पत्ति प्रबन्‍धक को लिखे गऐ पत्र दिनांकित 29/5/2008, विपक्षी सं0-3 के सम्‍पत्ति प्रबन्‍धक द्वारा दिनांक 26/4/2008 को हुई नीलामी निरस्‍त किऐ जाने विषयक परिवादी को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 03/6/2008 को हुई नीलामी में भाग लेने हेतु दिऐ गऐ आवेदन पत्र दिनांक 16/6/2008 को नीलामी में भाग लेने हेतु परिवादी द्वारा दिऐ गऐ प्रार्थना पत्र एवं दिनांक 16/6/2008 को हुई पुन: नीलामी में परिवादी के पक्ष में  स्‍वीकार आवंटन पत्र दिनांकित 15/7/2008 की फोटो प्रतियों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-33/1  लगायत 33/41 हैं।
  7.   परिवादी ने अपना रिज्‍वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-42/1 लगायत 42/3  दाखिल किया जिसके साथ उसने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विपक्षी सं0-3 की ओर से प्राप्‍त सूचना दिनांकित 15/7/2008, सूचना दिनांक  22/5/2009 को दाखिल किया, यह पपत्र पत्रावली के कागज सं0-43 लगायत 46 हैं।
  8.   पक्षकारों ने अपने-अपने लिखित तर्क दाखिल किऐ।
  9.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।    
  10.  पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि दैनिक अमर उजाला में प्रकाशित विज्ञापन के सापेक्ष परिवादी ने मध्‍यम आय वर्ग के  भवन सं0-4बी/429 एरिया 127.50 वर्ग मीटर के आवंटन हेतु आवेदन किया था। दिनांक 26/4/2008 को हुई नीलामी में उक्‍त आवास हेतु परिवादी ने 10,08,000/- रूपये की बोली लगाई थी जिसे विपक्षी सं0-2 द्वारा अस्‍वीकृत कर दिया गया और इस अस्‍वीकृति की सूचना विपक्षी सं0-3 के सम्‍पत्ति  प्रबन्‍धक ने पत्र दिनांक 03/6/2008 द्वारा परिवादी को पंजीकृत डाक से  भेजी जो परिवादी के अनुसार दिनांक 09/6/2008 को प्राप्‍त हुई। पत्र के साथ  परिवादी द्वारा नीलामी हेतु जमा किऐ गऐ 60,000/- रूपये का ड्राफट भी  परिवादी को वापसि भेजा गया जिसकी प्राप्ति परिवादी को स्‍वीकार है।
  11.  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अधिकतम बोली होने के बावजूद उसकी बोली को पत्र दिनांक 03/6/2008 द्वारा बिना कारण बताऐ मनमाने तरीके से अस्‍वीकृत किया गया। उनका यह भी कथन है कि परिषद के नियमानुसार उच्‍चतम बोली लगाने वाले बोली दाता को बोली स्‍वीकृत अथवा अस्‍वीकृत करने की सूचना 7 दिन के अन्‍दर दी जानी चाहिए थी,  किन्‍तु परिवादी को सूचना लगभग डेढ़ माह बाद दी गई और इस प्रकार  उसके द्वारा जमा किऐ गऐ 60,000/- रूपया को विपक्षीगण ने ब्‍लाक कर  दिया और उस पर परिवादी को कोई ब्‍याज नहीं दिया। ब्‍याज न देकर और विपक्षीगण ने विधि विरूद्ध तरीके से परिवादी की बोली अस्‍वीकृत करके अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाई और परिवादी को  मानसिक पीड़ा दी। परिवादी का यह भी तर्क है बोली अस्‍वीकृत किऐ जाने सम्‍बन्‍धी विपक्षी सं0-3 का  पत्र दिनांकित 03/6/2008 चॅूंकि मनमाना और विधि विरूद्ध है अत: यह पत्र निरस्‍त किया जाना चाहिऐ। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवाद में  अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
  12. प्रत्‍युत्‍तर में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि नीलामी हेतु प्रकाशित विज्ञापन में नीलामी की शर्तों का उल्‍लेख कर दिया गया था।  परिवादी ने सभी नियम/ शर्तें/ प्रावधान बोली हेतु आवेदन पत्र में स्‍वीकार किऐ थे जैसा कि पत्रावली में अवस्थित परिवादी के आवेदन पत्र की नकल  कागज सं0-39 के अवलोकन से प्रकट है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता  ने हमारा ध्‍यान नीलामी द्वारा उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद की  सम्‍पत्ति के निस्‍तारण सम्‍बन्‍धी विनियम, 1980 के विनियम सं0-12 जो पत्रावली में पृष्‍ठ सं0-32/3 की पुश्‍त पर दृष्‍टव्‍य है, की ओर आकर्षित किया और कहा  कि इस विनियम के अनुसार आवास आयुक्‍त को अधिकार है कि उच्‍च्‍तम  बोली को बिना कोई कारण बताऐ अपने विवेकानुसार स्‍वीकृत अथवा अस्‍वीकृत कर सके और आवास आयुक्‍त का यह निर्णय अन्तिम होगा। इस प्रकार आवास आयुक्‍त द्वारा परिवादी की बोली अस्‍वीकृत करके विधि विरूद्ध कोई  कार्य नहीं किया गया उन्‍होंने मध्‍यम आय वर्ग के भवन सं0-4बी/429 की  दिनांक 26/4/2008 को आयोजित बोली से सम्‍बन्धित पत्रावली के सुसंगत पृष्‍ठों की नकल कागज सं0-28/1 लगायत 28/2 की ओर भी हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और कहा कि परिवादी द्वारा लगाई गई बोली आवास आयुक्‍त  द्वारा मनमाने तरीके से अस्‍वीकृत नहीं की गई थी बल्कि इसे सकारण निरस्‍त किया गया और बिना किसी अनावश्‍यक देरी के परिवादी को पत्र दिनांक 03/5/2008 द्वारा इस निरस्‍तीकरण की सूचना दे दी गई थी।  विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने यह भी कहा कि बोली हेतु आवेदन पत्र के साथ दाखिल 60,000/- रूपये की धरोहर राशि पर परिवादी को ब्‍याज  दिऐ जाने सम्‍बन्‍धी कोई शर्त नहीं थी अत: परिवादी इस धनराशि पर ब्‍याज  की मांग नहीं कर सकता उन्‍होंने परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की  प्रार्थना की।
  13. दोनों पक्षों के तर्क सुनने के उपरान्‍त हम विपक्षीगण की ओर से  प्रस्‍तुत  तर्कों से सहमत हैं। दिनांक 26/4/2008 को होने वाली नीलामी हेतु परिवादी ने जो आवेदन किया था उसकी नकल पत्रावली का कागज सं0-39 है। इसमें परिवादी ने यह घोषणा की थी कि उसे परिषद के सभी नियम/ शर्ते/ प्रावधान मान्‍य होगें। नीलामी की शर्तों का उल्‍लेख अमर उजाला में प्रकाशित विज्ञापन जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं0-2 है, में कर दिया गया था। विपक्षीगण की ओर से दाखिल साक्ष्‍य शपथ पत्र के संलग्‍नक के रूप में दाखिल विनियम सं0-12 के अनुसार उप आवास आयुक्‍त को बिना काराण बताऐ उच्‍चतम  बोली को अपने विवेकानुसार अस्‍वीकृत करने का अधिकार है। इस विनियम सं0-12 में यह भी उल्‍लेख है कि आवास आयुक्‍त का उक्‍त निर्णय अन्तिम होगा। नीलामी की पत्रावली के सुसंगत पृष्‍ठों की परिवादी ने नकलें सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विपक्षीगण से प्राप्‍त की थीं, यह नकलें पत्रावली के कागज सं0-28/1 व 28/2 हैं। इनके अवलोकन से प्रकट है कि  प्रश्‍नगत भवन की उच्‍च्‍तम बोली आरक्षित मूल्‍य से मात्र 6700/-रूपया अधिक आई थी जो आवास आयुक्‍त ने पर्याप्‍त और संतोषजनक नहीं पाई और बोली को निरस्‍त करते हुऐ प्रश्‍नगत भवन की पुन: नीलामी की कार्यवाही करने के  निर्देश दिये थे। प्रकट है कि परिवाद के पैरा सं0-3 में उल्लिखित भवन की परिवादी द्वारा दी गई बोली को आवास आयुक्‍त द्वारा बिना कोई कारण दर्शाये मनमाने तरीके से अस्‍वीकृत किया गया था। परिवाद के विनियम के  अनुसार उन्‍हें उच्‍चतम बोली को अपने विवेकानुसार बिना कोई कारण बताऐ  अस्‍वीकृत करने का विनिमय में अधिकार है।
  14. प्रत्‍युत्‍तर में परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विपक्षी सं0-3 की ओर से प्राप्‍त पत्र सं0-1919 दिनांकित 15/7/2008 की ओर हमारा ध्‍यान आकषित किया इस पत्र की नकल पत्रावली का कागज सं0-43 है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि इस  पत्र दिनांक 15/7/2008 के बिन्‍दु सं0-8 में यधपि यह उल्‍लेख है कि परिषद के निमयानुसार नीलामी बोली में उच्‍च्‍तम बोली लगाने वाले को बोली स्‍वीकृत अथवा अस्‍वीकृत करने की सूचना 7 दिन के अन्‍दर दी जानी चाहिए थी  इसके बावजूद बोली अस्‍वीकृत करने की सूचना परिवादी को लगभग डेढ़ माह  बाद दी गई अत: परिवादी को देरी से सूचना दिऐ जाने के कारण धरोहर राशि  पर ब्‍याज पाने का अधिकार है। हम परिवादी के इस तर्क से सहमत नहीं हैं। परिवादी विपक्षीगण के किसी नियम, विनियम अथवा नीलामी की शर्त को  इंगित नहीं कर पाया जिसके अधीन बोली अस्‍वीकृति की सूचना देने में हुऐ  कथित विलम्‍ब की अवधि हेतु परिवादी को धरोहर राशि पर विपक्षीगण द्वारा  ब्‍याज दिऐ जाने की बाध्‍यता हो। ऐसी दशा में परिवादी विपक्षीगण को धरोहर राशि पर ब्‍याज देने के लिए बाध्‍य नही कर सकता।  
  15. पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍य सामग्री के आधार पर हम  इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी यह दर्शाने में सफल नहीं हुआ है कि  दिनांक 26/4/2008 को हुई नीलामी में उसके द्वारा लगाई गई बोली को  विपक्षीगण ने बिना कारण मनमाने तरीके से अस्‍वीकृत किया था और  अस्‍वीकृति का पत्र सं0-1307 दिनांकित 03/6/2008 मनमाना और विधि विरूद्ध है। परिवादी यह दर्शाने में सफल नहीं हुआ है कि धरोहर राशि 60,000/- रूपये पर विपक्षीगण से उसे उक्‍त अवधि हेतु ब्‍याज दिलाया जाये जिस अवधि में उक्‍त धरोहर राशि विपक्षीगण के पास जमा रही।
  16. उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि  परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

 

परिवाद खारिज किया जाता है

 

 

  (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)     (सुश्री अजरा खान)      (पवन कुमार जैन)

      सामान्‍य सदस्‍य           सदस्‍य             अध्‍यक्ष

  •   0उ0फो0-।। मुरादाबाद     जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

        10.03.2016          10.03.2016              10.03.2016

  1.  

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 10.03.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

 (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)    (सुश्री अजरा खान)       (पवन कुमार जैन)

   सामान्‍य सदस्‍य             सदस्‍य             अध्‍यक्ष

  •  0उ0फो0-।। मुरादाबाद     जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     10.03.2016              10.03.2016             10.03.2016

 

 

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