जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री प्रेमसिंह पुत्र श्री किषनसिंह, मार्फत19 थ्।क् ब्ध्व 56 ।च्व् ग्राम, रामपुरा(अहिरान), पोस्ट- जिलावड़ा वाया श्रीनगर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
सचिव, नगर सुधार न्यास, टोडरमल मार्ग, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 328/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अवतार सिंह उप्पल, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 04.10.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके द्वारा अप्रार्थी की अर्जुनलाल सेठी नगर योजना में आवासीय भूखण्ड आवंटित किए जाने हेतु दिनंाक 5.1.1990 को अग्रिम राषि रू. 1500/- जमा कराए जाने के उपरान्त अप्रार्थी द्वारा दिनांक 8.10.2010 को भूखण्ड संख्या 270 क्षेत्रफल 136.11 वर्गगज का आवंटित किया । जिसकी कुल राषि रू. 10,010.58 पै में से उसके द्वारा जमा कराई गई अग्रिम राषि को कम करते हुए ष्षेष राषि रू. 9116.58 पै. उक्त आवंटन पत्र के अनुसार 30 दिन में जमा कराने की मांग अप्रार्थी ने की । जिसकी पालना में उसने दिनांक 26.10.1990 को मांगी गई राषि के साथ साथ साईट प्लान के रू. 23.58 पै. भी जमा करा दिए । तदोपरान्त अप्रार्थी ने दिनांक 14.8.1994 को उक्त भूखण्ड का अनुज्ञा पत्र भी जारी कर दिया और उसने दिनंाक 3.7.1991 को भूखण्ड का कागजी कब्जा भी प्राप्त कर लिया । प्रार्थी ने दिनांक 25.9.2004 को उक्त भूखण्ड पेटे षहरी जमाबंदी राषि मय ब्याज रू. 8797/- जमा करा दी । तत्पष्चात् उसे आवंटित भूखण्ड संख्या 270 विवादित होने के कारण दिनांक 11.01.2005 को भूखण्ड संख्या 176 आवंटित किया और जब वह उक्त भूखण्ड का कब्जा लेने गया तो वह भी अप्रार्थी ने विवादित होना बताया । इसके बाद दिनांक 29.4.2005 को उसे भूखण्ड संख्या 175 आवंटित किया तथा उसकी सप्लीमेंट्री डीड जारी करते हएु कब्जा पत्र जारी किया किन्तु उक्त भूखण्ड भी विवादित निकला । प्रार्थी द्वारा षिकायत किए जाने पर भूखण्ड संख्या 175 के स्थान पर भूखण्ड ए-39 क्षेत्रफल 112.50 का आवंटन पत्र जारी किया । उक्त भूखण्ड भी विवादित निकलने पर दिनंाक 17.4.2012 को भूखण्ड संख्या 269 आवंटित किया जिसका क्षेत्रफल 136.11 वर्गगज था । जिसकी दिनंाक 7.5.2013 को रजिस्ट्री भी की गई । प्रार्थी को आंषका है कि उक्त भूखण्ड संख्या 269 की रजिस्ट्री होने के उपरान्त भी वह विवादित न हो जाए इसलिए प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए अप्रार्थी के उक्त कृत्यों को सेवा में कमी बताते हुए उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी नेे जवाब प्रस्तुत करते हुए परिवाद की चरण संख्या 1 लगायत 5 व 7 लगायत 13 में अंकित तथ्यों को रिकार्ड का विषय बताते हुए कथन किया है कि प्रार्थी को बिना विवादित भूखण्ड आवंटित कर दिया गया है । प्रार्थी का डर बेवजह है । उत्तरदाता ने कोई लापरवाही व सेवा मंें कोई कमी नहीं की है । परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री कृष्णावतार त्रिवेदी, प्रभारी अधिकारी, योजना का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थी पक्ष का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि स्वीकृत रूप से अप्रार्थी द्वारा उसे वर्ष 2012 में आवंटित भूखण्ड संख्या 269 का कब्जा प्राप्त कर इसकी रजिस्ट्री करवा ली है । किन्तु उक्त रजिस्ट्री करवाए जाने के बावजूद भी उसे डर है कि उक्त भूखण्ड का कब्जा मय साईट प्लान जारी होने के बावजूद यह प्लाट भी विवादित नही ंहो जाए, इस कारण उसने यह परिवाद प्रस्तुत किया है । इससे पूर्व दिनंाक 5.1.90 से लेकर दिनंाक 22.3.2013 तक उक्त भूखण्ड संख्या 269 के आवंटन होने तक अप्रार्थी ने उसे बार बार विवादित भूखण्ड आवंटित कर उसे मानसिक व आर्थिक क्षति पहुंचाई है । इतनी लम्बी अवधि तक विवादित भूखण्ड दिए जाकर पहुंचाई गई इस क्षति बाबत् प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
4. अप्रार्थी द्वारा खण्डन में प्रमुख रूप से प्रार्थी का मात्र सम्भावित डर के आधार पर प्रस्तुत परिवाद मियाद बाहर होना बताया है । विनिष्चयों त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 2780ध्2011 ;छब्द्ध च्ंतउवक ज्ञनउंत डंसपा टे भ्ंतंलंदं न्तइंद क्मअमसवचउमदज ।नजीवतपजल व्तकमत क्ंजमक 8.11.2012ए प्;2013द्धब्च्श्र 544;छब्द्ध भ्ंतलंदं न्तइंद क्मअमसवचउमदज ।नजीवतपजल टे ज्ञंउसमेज ळवमसए प्;2014द्धब्च्श्र307;छब्द्ध श्रंल ळतपी छपतउंद च्अज स्जक टे ।तनदवकंल ।चंतजउमदज व्ूदमते ।ेेवबपंजपवद पर अवलम्ब लेते हुए परिवाद को खारिज होने योग्य बताया । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रार्थी की समस्या का समाधान करते हुए उसे बिना विवाद के भूखण्ड आवंटित किया गया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने है एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखोें के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्यों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी अवलोकन कर लिया है ।
6. प्रार्थी ने सर्वप्रथम दिनंाक 5.1.90 को अप्रार्थी की अर्जुन लाल सेठी नगर योजना में आवासीय भूखण्ड के लिए आवेदन करते हुए रू. 1500/- अग्रिम राषि जमा कराई है तथा अप्रार्थी के दिनंाक 8.10.90 के आवंटन पत्र के क्रम में उसे भूखण्ड संख्या 270 क्षेत्रफल 136.11 वर्गगज कीमत निर्देंषानुसार जमा करवाई है । पत्रावली में यह जमा रसीद उपलब्ध है । अतः यह आवंटन बाबत् सिद्व पाया जाता है । अप्रार्थी के आवंटन पत्र दिनंाक 14.8.1991 से यह तथ्य भी सिद्व पाया जाता है कि प्रार्थी को उक्त प्लाट संख्या 270 का अनुज्ञा पत्र जारी हुआ था । अप्रार्थी के पत्र दिनंाक 11.1.2005 से यह भी प्रकट होता है कि प्रार्थी को उक्त भूखण्ड संख्या 270 के विवादित होने की वजह से इसके स्थान पर वैकल्पिक भूखण्ड की लाॅटरी निकालते हुए भूखण्ड संख्या 176 आवंटित किया गया था । प्रार्थी ने इस भूखण्ड का कब्जा लेते हेतु इसे भी विवादित होना बताया है । उसके इस प्लाट के भी विवादित होने का कथन इसलिए सिद्व है क्यांेकि अप्रार्थी ने दिनंाक 29.4.2005 को पुनः वैकल्पिक भूखण्ड की लाॅटरी निकलाते हुए प्रार्थी को भूखण्ड संख्या 175 आवंटित किया है । इस बात की पुष्टि अप्रार्थी के आदेष दिनांक 13.7.2005 से बखूबी होना पाया जाता है । इस आदेष में अप्रार्थी ने उन समस्त परिस्थितियों का उल्लेख किया है जिनकी वजह से प्रार्थी को पूर्व में आवंटित भूखण्ड का कब्जा नहीं दिया जा सका था । प्रार्थी ने कथन किया है कि भूखण्ड संख्या 175 भी विवादित था । इस बात की पुष्टि अप्रार्थी के पत्र दिनांक 15.12.2007 से होती है । जिसके तहत अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को उक्त भूखण्ड संख्या 175 की जगह भूखण्ड संख्या ए- 39 आवंटित किया था । प्रार्थी ने इस भूखण्ड संख्या ए- 39 को भी विवादित बताया है । इस बाबत् उसने अप्रार्थी को पत्र भी लिखा है जिसकी प्रति पत्रावली पर उपलब्ध है । अप्रार्थी के पत्र दिनंाक 22.3.2013 से यह स्पष्ट है कि उक्त भूखण्ड संख्या 269 जैसा कि प्रार्थी ने विवादित बताया है, कनिष्ठ अभियंता की रिपोर्ट के अनुसार मौके पर कब्जा हटा दिया गया है , ऐसा उसे सूचित किया गया है । कहने का तात्पर्य है कि तत्समय यह प्लाट भी विवादित रहा होगा तभी अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को उक्त कनिष्ठ अभियंता की रिपोर्ट के अनुसार कब्जा हटाने बाबत सूचित किया गया है ।
7. इस प्रकार उपरोक्त परिस्थितियों को देखने से स्पष्ट है कि प्रार्थी को अप्रार्थी द्वारा 4 बार भूखण्ड आवंटित किए गए व बार बार उसे आवंटित किए गए भूखण्ड विवादित रहे । इसी कारण उसे बार बार नए सिरे से भूखण्ड आवंटित किए गए । इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए अंतिम बार आवंटित भूखण्ड संख्या 269, जिसके संबंध में अप्रार्थी द्वारा पत्र दिनांक 22.3.2012 के सूचित करते हुए उक्त भूखण्ड से कब्जा हटा दिए जाने की सूचना दी गई है, से प्रार्थी के मन में जो डर उत्पन्न हुआ तथा उसके कारण जो हस्तगत परिवाद दिनांक 17.6.2012 को प्रस्तुत किया है, को किसी प्रकार से मियाद बाहर नहीं माना जा सकता । निष्चित रूप से प्रार्थी के मन में पूर्व परिस्थितियों के प्रकाष में युक्तिसंगत आंषका थी । अप्रार्थी द्वारा इस संबंध में जो समयावधि बाबत् आपत्ति उठाई गई है वह उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में सारहीन होने के कारण निरस्त होने योग्य है । विनिष्चय जो अप्राथी द्वारा प्रस्तुत किए गए है, तथ्यों के प्रकाष में वे उनकी कोई मदद नहीं करते है क्योंकि उनमें बार बार भूखण्ड को आवंटित करने की जो स्थिति थी, जैसा कि हस्तगत मामले में सामने आया है ।
8. प्रार्थी फौज से सेवानिवृत्त सिपाही है तथा अप्रार्थी ने बार बार उसे विवादित भूखण्ड आवंटित किए हैं व बार बार आवंटन में परिवर्तन करते हुए उसे नए सिरे से भूखण्ड आवंटित किए हंै । अप्रार्थी का यह कृत्य निष्चय ही उनकी सेवा में दोषपूर्ण सेवा का ज्वलंत उदाहरण है । प्रार्थी मानसिक संताप के रूप में उदाहरणार्थ एक मुष्त क्षतिपूर्ति राषि प्राप्त करने का अधिकारी है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) प्रार्थी अप्रार्थी से मानसिक संताप पेटे रू. 1,00,000/-
(अक्षरे रू. एक लाख रू. मात्र) प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने के अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 04.10.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष