जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति निर्मला लूणियां पत्नी श्री प्रेमचन्द लूणिया, निवासी- एस-10, पाष्र्वनाथ काॅलोनी, वैषाली नगर, अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
नगर सुधार न्यास, जरिए सचिव, कार्यालय नगर सुधार न्यास, टोडरमल मार्ग, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 348/2011
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी,अधिवक्ता, प्रार्थीया
2.श्री अनिल तोलानी, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 08.06.2015
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि प्रार्थिया ने अप्रार्थी न्यास से उसके पैराफैरी ग्राम गंगवाना स्थित खसरा नं. 474,475 रकबा 2388.88 वर्गगज को कृषि भूमि से वाणिज्यिक उपयोग हेतु भू परिवतर्न के लिए आवेदन किया। जिस पर अप्रार्थी न्यास द्वारा इस कार्य हेतु रू. 22,789,027/- का मांग पत्र जारी किए जाने पर उसने उक्त राषि अप्रार्थी न्यास के यहां जमा करा दी । तत्पष्चात् अप्रार्थी न्यास द्वारा दिनांक
25.01.2011 को उक्त भूमि का पट्टा विलेख जारी किया । प्रार्थिया द्वारा जमा कराई गई उक्त राषि में से रू. 10,74,996/- विकास ष्षुल्क पेटे अप्रार्थी न्यास ने प्राप्त किए थे । किन्तु अप्रार्थी न्यास से उक्त विकास षुल्क की राषि प्राप्त कर लिए जाने के बावजूद उसे उक्त भूखण्ड पर बिजली पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई । प्रार्थिया ने अप्रार्थी न्यास के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत कर परिवाद की चरण संख्या 1 लगायत 3 को विवादित नहीं होना बतलाते हुए आगे दर्षाया है कि प्रार्थिया से सडक, बिजली व नाली पानी के पेटे व मौके पर आंतरिक लाईन के पेटे विकास षुल्क की राषि प्राप्त की गई है । मेन लाईन से पानी का कनेक्षन कर पानी उपलब्ध कराने का कार्य जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिक विभाग द्वारा किया जाना है । मौके पर सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है । बिजली के खम्बे लगा कर तार खींचे जा चुके हंै तथा भूखण्डों पर निर्माण कार्य होने पर ही पाईप लाईन डाली जानी सम्भव है ।
अपने अतिरिक्त कथन में अप्रार्थी न्यास ने दर्षाया है कि प्रार्थिया के भूखण्ड के सामने नेषनल हाईवे की सर्विस रोड निर्मित है, तथा कथित भूखण्ड का उपयोग मात्र एलपीजी गैस पम्प के प्रयोजनार्थ ही व्यावसायिक कार्य किया जाना है । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई है अन्त में परिवाद खारिज होना दर्षाया है ।
3. उभय पक्षकारान ने अपनी अपनी बहस में उन्हीं तथ्यों बाबत् तर्क प्रस्तुत किए है, जो उनकी ओर से प्रस्तुत परिवाद व प्रति उत्तर में दर्षाए गए है । प्रार्थिया पक्ष ने विनिष्चय2014;2द्धब्च्त् 176;ैब्द्ध भ्ंतलंदं ैजंजम ।हतपबनसजनतंस डंतामजपदह ठवंतक टे ठपेींउइमत क्ंलंस ळवलंस ंदक व्ते पर अवलम्ब लेते हुए तर्क प्रस्तुत किया है कि अप्रार्थी द्वारा विकास षुल्क लिए जाने के बावजूद विकास कार्यो का नहीं करवाया जाना उसकी सेवा में कमी का परिचायक है ।
4. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं तथा पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का व विनिष्चय में प्रतिपादित सिद्वान्त का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन भी कर लिया है ।
5. इसमें कोई दोराय नहीं है कि कि यदि विकास षुल्क की राषि लिए जाने के बाद विकास कार्य कार्यांे की अनदेखी की जाती है, तो ऐसा प्रकरण संबंधित आॅथिरिट्जि की निष्क्रियता के कारण सेवा में दोष का कारण बनता है और इसका निवारण उपभोक्ता मंच के द्वारा किया जा सकता है । अब हमारे समक्ष प्रष्न यह है कि क्या अप्रार्थी द्वारा सेवा में दोष का परिचय दिया गया है?
6. परस्पर प्रस्तुत अभिवचनों व उपलब्ध अभिलेख के आधार पर यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थिया द्वारा गगवाना स्थिति खसरा नं. 474, 475 रकबा 2388.88 वर्गगज भूमि को कृषि से वाणिज्यिक में भू उपयोग परिवर्तन करने बाबत् प्रार्थिया द्वारा अप्रार्थी के यहां आवेदन किया गया व अप्रार्थी द्वारा प्रार्थिया को षहरी जमाबन्दी के आधार पर वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए दिनांक 25.1.2011 को भूमि पट्टा विलेख भी जारी कर दिया गया । उसके द्वारा इस भू परिवर्तन हेतु विकास षुल्क के रूप में रू. 10,74,996/- भी जमा करवाए गए, जैसा कि अप्रार्थी की स्वीकारोक्ति से स्पष्ट है । प्रार्थिया द्वारा अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के समक्ष विद्युत कनेक्षन की वित्तीय स्वीकृति बाबत् आवेदन किए जाने पर उनकी स्वीकूति, रोड़ व भूमि को लेवलिंग करवाने के संबंध में बिल की प्रति को देखने से स्पष्ट होता है कि प्रार्थिया द्वारा ये सुविधाएं भी स्वयं के खर्चे से प्राप्त की गई है । उसके द्वारा अप्रार्थी के समक्ष मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने हेतु लिखे गए पत्रों एवं ए.डी की रसीदों से यह भी स्पष्ट है कि ऐसा उसके द्वारा किया गया है ।
7. अब प्रष्न यह है कि क्या प्रर्थिया द्वारा उक्त सुविधाएं स्वयं के खर्चे से प्राप्त किए जाने के बाद अप्रार्थी द्वारा इसकी भरपाई की जा सकती है ?
8. यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थियों को अप्रार्थी ने भू उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार प्रस्तावित भू उपयोग को वाणिज्यिक ( एलपीजी गैस पम्प) हेतु अनुमति प्रदान की गई है, जैसा कि उक्त बैठक के मिनिट्स से स्पष्ट है । स्पष्ट है कि प्रार्थिया को सीमति उपयेाग व उपभोग के लिए कृषि भूमि से वाणिज्यिक भू उपयेाग के लिए अनुमति प्रदान की गई । स्वीकृत रूप से उसके द्वारा ऐसी अनुमति प्राप्त किए जाने के बाद बिजली, पानी , रोड इत्यादि के लिए आवेदन किया जाकर ये सुविधाएं स्वयं के खर्चे पर प्राप्त की गई हंै । सम्भव है यदि उक्त भू परिवर्तन नहीं किया गया होता तो, प्रार्थिया को उक्त सुविधा भू परिवर्तन के नाते मिलना सम्भव नहीं थी । प्रषासन को समय समय पर विकास के क्रम में जन सामान्य को बसने- बसाने के लिए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन करना पड़ता है व इसके क्रम में वह विकास को चरणबद्व तरीके से सम्पन्न करता है। मात्र चन्द भूमिधारकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पूरी स्कीम के लिए ऐसी सुख सुविधाओं का विस्तार अविलम्ब सम्भव नहीं है । यदि किसी भी भूमिधारक ने अपनी भूमि के परिवर्तन के बाद विकास के नाम पर स्वंय के खर्चे से ऐसी सुविधा प्राप्त की है तो मात्र इस आधार पर वह अप्रार्थी अथवा प्रषासन से उक्त खर्चे की मांग नहीं कर सकता, जो उसने विकास ष्षुल्क के रूप में राषि जमा करा कर जुटाई है ।
9. सार यह है कि प्रार्थियों ने उक्त भू परिवर्तन के बाद विकास षुल्क जमा करवा कर अपनी सुविधाओं के लिए विद्युत कनेक्षन, पानी, रोड इत्यादि का विकास किया है तो वह इसकी आड़ में अप्रार्थी से किसी प्रकार की कोई क्षतिपूर्ति अथवा उक्त किए गए कार्य बाबत् राषि प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है । अतः उपरोक्त समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए प्रार्थिया का परिवाद मंच की राय में खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
10. प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 08.06.2012 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष