जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 215/15
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
विकास कुमार पुत्र कल्याण सिंह जाति मीणा निवासी पचलंगी तहसील उदयपुरवाटी जिला झुन्झुनू हाल निवासी क्वार्टर नम्बर 44 कोलिहान नगर, तहसील खेतडी जिला झुंझुनू (राज.) - परिवादी
बनाम0
1. युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जरिये शाखा प्रबंधक, कार्यालय घूम चक्कर के पास, उदयपुरवाटी तहसील उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू (राज.)
2. युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जरिये शाखा प्रबंधक, कार्यालय पीरू सिंह सर्किल के पास, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज.) - विपक्षीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री रामकुमार राठी, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री हरिषचन्द्र जोषी़, अधिवक्ता - विपक्षीगण की ओर से।
- निर्णय - दिनांकः 04.02.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 30.06.2015 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी विकास कुमार वाहन मोटरसाइकिल इंजिन नम्बर HA10EDBHC41254 चैसिस नम्बर MBLHA10EWBHC 39264 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 14.04.2011 से 13.04.2012 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी की मोटरसाइकिल दिनांक 01.08.2011 को चोरी हो गई। जिसकी पुलिस थाना, खेतड़ी में लिखित रिपोर्ट पेष की, जिस पर प्रथम सूचना 398/11 दर्ज की गई। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को भी चोरी के संबंध में सूचना दे दी थी । उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में एजेंट के माध्यम से आवेदन किया, जिस पर बीमा कम्पनी के एजेंट ने जल्दी ही क्लेम दिलवाने का आष्वासन दिया। परिवादी ने विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में क्लेम आवेदन के साथ विपक्षीगण द्वारा मांगे गये समस्त दस्तावेज प्रस्तुत कर दिये । परिवादी ने विपक्षीगण से सम्पर्क किया तो आष्वासन देते रहे । परिवादी को अन्त में बीमा क्लेम देने से इन्कार कर दिया। इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षीगण से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 48,609/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया है।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान मोटरसाइकिल इंजिन नम्बर HA10EDBHC41254 चैसिस नम्बर MBLHA10EWBHC 39264 का खरीद बिल के आधार विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 14.04.2011 से 13.04.2012 तक परिवादी विकास कुमार के नाम से बीमित होना स्वीकार करते हुये कथन किया है कि वक्त घटना उक्त मोटर साईकिल की आर.सी. नहीं बनी हुई थी न ही वाहन की टी.आर.सी. प्रभावी थी । उक्त मोटरसाइकिल की आर.सी दिनांक 18.11.2011 को बनवाई गई है, जिसके अनुसार उक्त मोटरसाइकिल के रजिस्ट्रेषन नम्बर आर.जे. 18 एस.जी. 9298 हैं। उक्त मोटरसाइकिल दिनांक 01.08.2011 को चोरी होनी बताई गई है। इस प्रकार चोरी होने के 3 माह 17 दिन बाद उक्त मोटरसाइकिल की आर.सी. बनाई गई है। इस प्रकार दिनांक 01.08.2011 को बीमाधारी उक्त वाहन का रजिस्टर्ड मालिक नहीं था। इसलिये वाहन मालिक द्वारा एम.वी.एक्ट. की धारा 39 अध्याय 4 का उल्लंघन किये जाने विपक्षी बीमा कम्पनी उक्त वाहन की क्षति के लिये किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है । उक्त दुर्घटना के संबंध में विपक्षीगण बीमा कम्पनी का कोई दायित्व आयद नहीं होता । बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने से परिवादी विपक्षीगण से कोई क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने अपने तर्को के समर्थन में निम्न न्यायदृष्टांत पेष कियेः-
2012 DNJ (CC) 52 – IFFCO TOKIO GENERAL Ins.Co. Ltd. & Anr VS Pratima Jha;
2014 (2) CCR 910 (SC) – Narinder Singh Vs. New India Assurance Company Ltd.
And Others
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन मोटरसाइकिल इंजिन नम्बर HA10EDBHC41254 चैसिस नम्बर MBLHA10EW BHC 39264 का खरीद बिल के आधार पर मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन 14.04.2011 से 13.04.2012 तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन दिनांक 01.08.2011 को चोरी हुआ है।
हस्तगत प्रकरण में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी का मुख्य तर्क यह रहा है कि पालिसी की शर्तो के अनुसार वक्त दुर्घटना वाहन मलिक के पास वैध एवं प्रभावी आर.सी. नहीं थी। दिनांक 01.08.2011 को बीमाधारी उक्त वाहन का रजिस्टर्ड मालिक नहीं था। इसलिये तथाकथित दुर्घटना के संबंध में क्षतिपूर्ति अदायगी हेतु विपक्षीगण बीमा कम्पनी का कोई दायित्व आयद नहीं होता।
प्रकरण में प्रस्तुत विवरण से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी की ओर से वाहन की जो आर.सी. पेष की गई है, वह दिनांक 18.11.2011 को बनवाई गई है जबकि उक्त मोटरसाइकिल दिनांक 01.08.2011 को चोरी होनी बताई गई है। आर.सी. फार्म नम्बर 23 की फोटो प्रति परिवाद पत्र के साथ संलग्न है। इस प्रकार यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि घटना के समय वाहन मालिक के पास जो वाहन की आर.सी. थी, वह वैध एवं प्रभावी नहीं थी तथा दिनांक 01.08.2011 को परिवादी उक्त वाहन का रजिस्टर्ड मालिक नहीं था। विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी के तर्को का समर्थन उपरोक्त न्यायदृष्टांतों से भी होता है। इसलिये उपरोक्त न्यायदृष्टांतों एवं I(2015) CPJ- 760 (NC) UNITED INDIA INSURANCE CO. LTD. VS KISHORE SHARMA की रोषनी में बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने से विपक्षीगण बीमा कम्पनी पर वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये किसी भी तरह से उत्तरदायित्व आयद नहीं होता है।
अतः उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप परिवादी की ओर से प्रस्तुत यह परिवाद पत्र खारिज किए जाने योग्य है, जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगें।
निर्णय आज दिनांक 04.02.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।