जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 664/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
1. श्रवणदास पुत्र मोहनदास
2. महेशदास पुत्र मोहनदास
3. कालुदास पुत्र मोहनदास
4. मंगलदास पुत्र मोहनदास
5. श्रीमती भागोती पत्नी मोहनदास
समस्त जाति स्वामी निवासीगण वार्ड नम्बर 2 उदयपुरवाटी तहसील
उदयपुरवाटी जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादीगण
बनाम
1. युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लि0 शाखा कार्यालय उदयपुरवाटी
जरिये शाखा प्रबंधक
(बीमा कम्पनी वाहन ट्रेक्टर आर.जे. 18 आर. 5806)
2. युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लि0 जरिये शाखा प्रबंधक, शाखा
कार्यालय पीरूसिंह सर्किल, रेलवे स्टेषन के पास झुंझुनू (राज)
(बीमा कम्पनी वाहन ट्रेक्टर आर.जे. 18 आर. 5806)
- विपक्षीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री राकेष वर्मा, अधिवक्ता - परिवादीगण की ओर से।
2. श्री भगवान सिंह शेखावत़, अधिवक्ता - विपक्षीगण की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 12.04.2016
परिवादीगण ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 11.012.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादीगण ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादीगण वाहन ट्रेक्टर संख्या RJ-18 R - 5806 के रजिस्टर्ड मालिक हैं। उक्त वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां जरिये पालिसी संख्या 141881/47/11/96/00000093 दिनांक 13.10.2011 से 12.10.2012 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादीगण, विपक्षीगण के उपभोक्ता हंै।
विद्धान अधिवक्ता परिवादीगण का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादीगण का वाहन ट्रेक्टर मय ट्रोली दिनांक 08.09.2012 को रात्रि करीब 8 बजे घर के पास सड़क से नीचे अपनी साइड में खड़ा किया गया था, जिस पर अचानक 11,000 के.वी. की उच्च विद्युत क्षमता लाईन का तार टूटकर गिर गया, जिससे ट्रेक्टर मय ट्रोली दुर्घटनाग्रस्त हो गया। परिवादीगण द्वारा दिनांक 09.09.2012 को दुर्घटना की सूचना पुलिस थाना उदयपुरवाटी में दर्ज करवाई तथा तहसीलदार उदयपुरवाटी को दी। तहसीलदार उदयपुरवाटी द्वारा दिनांक 10.09.2012 को हल्का पटवारी से उक्त घटना की जांच कर रिपोर्ट मंगवाई गई जिसके अनुसार हल्का पटवारी द्वारा परिवादीगण का वाहन ट्रेक्टर जलकर क्षतिग्रस्त होना मानकर अनुमानित क्षति 3,00,000/-रूपये की मानी। परिवादीगण ने दिनांक 13.09.2012 को घटना की रिपोर्ट विपक्षी संख्या 1 के यहां पेष की तथा विपक्षीगण द्वारा वांछित दस्तावेजात उपलब्ध करवा दिये गये परन्तु विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने आज तक परिवादीगण के दावे का भुगतान नहीं किया। इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादीगण ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षीगण से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 3,00,000/- रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादीगण वाहन ट्रेक्टर संख्या RJ-18 R - 5806 के रजिस्टर्ड मालिक होना तथा वाहन दिनांक 13.10.2011 से 12.10.2012 तक विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित होना स्वीकार करते हुये यह कथन किया है कि परिवादीगण को वाहन 11000 के.वी. विद्युत लाईन के नीचे नहीं खड़ा करना चाहिये था। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा वाहन में हुये नुकसान के बाबत अन्वेक्षण कराया गया, जिसके अनुसार परिवादीगण ट्रेक्टर में 21,700/-रूपये का नुकसान देय होना माना गया है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादीगण को उक्त नुकसान अदायगी बाबत पत्र तथा बाउचर भेजा गया परन्तु परिवादीगण ने बाउचर रसीद पर हस्ताक्षर करके नहीं भिजवाये तथा न ही बैंक खाता नम्बर बताये, इसलिये उक्त राषि परिवादीगण के खाते में जमा नहीं कराई जा सकी।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादीगण का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादीगण वाहन ट्रेक्टर संख्या RJ-18 R - 5806 के रजिस्टर्ड मालिक हैं। परिवादीगण का उक्त वाहन दिनांक 13.10.2011 से 12.10.2012 की अवधि तक विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ है कि बीमा पालिसी के अनुसार ट्रेक्टर का मूल्य 1,55,000/-रूपये माना गया है। बीमा कम्पनी की ओर से नियुक्त किये गये सर्वेयर ने नुकसान का आंकलन कर 21,700/-रूपये Net Liability Assessed की है। जिस पर अविष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है। परिवादीगण की ओर से सर्वेयर की रिपोर्ट के खण्डन में कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पेष नही किया गया है। विपक्षीगण बीमा कम्पनी परिवादीगण के ट्रेक्टर में हुई उक्त क्षतिपूर्ति राषि की अदायगी के उत्तरदायित्व से विमुख नहीं हो सकती।
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-
MACD 2010 (SC) 108- Sikka Papers Limited Vs National Insurance Company Ltd. & Ors, I(2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS, II (2014) CPJ 593 (NC)- MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR, I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)- MANJULA DAS VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.
उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण बीमा कम्पनी परिवादीगण को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है।
परिवादीगण ने परिवाद पत्र में अपने वाहन की क्षतिपूर्ति के संबंध में जो अनुमानित तीन लाख रूपये व्यय होना बताया है, उसका कोई युक्तियुक्त आधार नहीं बताया गया है बल्कि उक्त राषि बढ़ा चढ़ा कर बताई गई है, जिस पर विष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादीगण का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षीगण बीमा कम्पनी आंषिक रूप से
स्वीकार किया जाकर विपक्षीगण बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षीगण बीमा कम्पनी से 21,700/-रूपये (अक्षरे रूपये इक्कीस हजार सात सौ) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने के अधिकारी हैं। परिवादीगण उक्त राषि पर विपक्षीगण से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 11.12.2013 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 12.04.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।