जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 232/15
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
राकेश कुमार पुत्र भागीरथ जाति जाट निवासी बिजराणियां की ढ़ाणी गुढ़ागोड़जी तहसील उदयपुरवाटी जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम
शाखा प्रबंधक, युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय घूमचक्कर के पास, उदयपुरवाटी तहसील उदयपुरवाटी, जिला झुंझुनू (राज) - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री बाबुलाल सैनी, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री हरिषचन्द्र जोषी़, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 17.12.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 17.07.2015 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी राकेष कुमार वाहन संख्या RJ-18 G.A.- 5186 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 15.03.2014 से 14.03.2015 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 23.11.2014 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गई तथा पुलिस थाना पचपदरा जिला बाडमेर में प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 226/14 दर्ज हुई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 24.11.2014 को परिवादी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वेयर द्वारा स्पाॅट सर्वे करवाया गया तथा परिवादी ने सर्वेयर के निर्देषानुसार वाहन में मरम्मत कार्य सम्पन्न करवाया। जिस पर स्पाॅट सर्वे के 1350/-रूपये सहित कुल 2,94,101/-रूपये खर्चा हुआ । परिवादी द्वारा वाहन मरम्मत पर कुल 2,92,751/-रूपये के बिल सहित विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दावा प्रस्तुत किया परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी ने आज तक परिवादी के दावे का निस्तारण नहीं किया। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 2,92,751/- रूपये व परिवादी से लिये गये स्पाॅट सर्वे के 1350/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी के वाहन संख्या RJ-18 G.A.- 5186 का रजिस्टर्ड मालिक राकेष कुमार होना तथा वाहन दिनांक 15.03.2014 से 14.03.2015 तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित होना स्वीकार करते हुये यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा दिनांक 23.11.2014 वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना तुरंत बीमा कम्पनी को नहीं दी गई बल्कि परिवादी ने घटना के एक दिन बाद दिनांक 24.11.2015 को एफ.आई.आर. दर्ज करवाई है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को पत्र द्वारा सूचित किया कि वह अपने स्वंय का बैंक खाता व आई.डी. प्रूफ की फोटो प्रतियां व क्रिमनल दस्तावेज पेष करे परन्तु परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को कोई दस्तावेजात उपलब्ध नहीं करवाये जाने के कारण परिवादी के दावे का निस्तारण नहीं किया जा सका। इसलिये परिवादी द्वारा कोई दस्तावेजात विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण परिवादी विपक्षी से कोई क्षतिपूर्ति क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन संख्या RJ-18 G.A.- 5186 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 15.03.2014 से 14.03.2015 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि बीमित वाहन के पंजीकृत स्वामी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को दुर्घटना बाबत तुरंत सूचना नहीं दी गई तथा परिवादी द्वारा बीमा दावा क्लेम से संबंधित दस्तावेजात उपल्बध नहीं कराये। इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी क्लेम राषि अदायगी के लिये उत्तरदायी नहीं है।
हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी के उक्त तर्क से सहमत नहीं हैं। प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना दिनांक 23.11.2014 को 2.00 ए.एम. पर होनी बताई गई है तथा उसकी सूचना तुरंत सुबह होते ही दिनांक 24.11.2014 को पुलिस थाना पर दर्ज करवादी गई तथा उसी दिन विपक्षी को स्पाॅट सर्वे हेतु 1350/-रूपये विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां परिवादी द्वारा जमा करवाकर रसीद प्राप्त करली गई । स्पाॅट सर्वेयर के निर्देषानुसार ही परिवादी द्वारा वाहन को रिपेयर करना बताया गया है। परिवादी की ओर से एफ.आई.आर. एवं स्पाॅट सर्वे फीस की रसीद की फोटो प्रतियां भी पेष की है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत उक्त दस्तावेजात पर अविष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है तथा विपक्षी बीमा कम्पनी उक्त दस्तावेजात का खण्डन करने में असफल रही है।
इस प्रकार पत्रावली के अवलोकन से यह भी स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक 23.11.2014 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात दावा क्लेम विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां पेष किये गये। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर कुल 1,04,231/-रूपये Net Assessed Amount मानते हुये दिनांक 04.12.2014 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। तत्पश्चात विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपनी मनमर्जी से पुनः सर्वेयर नियुक्त कर दिया जिसने दिनांक 11.05.2015 को पुनः सर्वे कर अपनी रिपोर्ट में 92,500/-रूपये Net Assessed Amount मानकर प्रस्तुत की है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा स्वंय के द्वारा पूर्व में नियुक्त सर्वेयर की रिपोर्ट पर अविष्वास कर पुनः सर्वेयर क्यों नियुक्त किया इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से पेष नहीं किया गया है। अतः विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपनी मनमर्जी से बाद में नियुक्त किये गये सर्वेयर की रिपोर्ट पर विष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है। परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किए जाने के बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान क्यों नहीं किया, इसका कोई युक्तियुक्त आधार विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पेष नहीं किया गया है । इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है।
हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-
I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS, II (2014) CPJ 593 (NC)- MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)- MANJULA DAS VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.
उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है।
परिवादी ने परिवाद पत्र में अपने वाहन की मरम्मत का जो एस्टीमेट एवं रिपेयर के जो बिल प्रस्तुत कर 2,92,751/-रूपये व्यय होना बताया है, वह बढ़ा चढ़ा कर बताया गया है, उस पर विष्वास नहीं किया जा सकता।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा कम्पनी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से 1,04,231/-रूपये (अक्षरे रूपये एक लाख चार हजार दो सौ इक्कतीस मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 17.07.2015 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 17.12.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।